भारतीय मुक्केबाजों ने दुबई में आयोजित एशियाई युवा चैंपियनशिप में अपना दबदबा रखते हुए छह स्वर्ण, नौ रजत और पांच कांस्य पदक जीते। भारत की तरफ से महिला वर्ग में प्रीति दहिया (60 किग्रा), स्नेहा कुमारी (66 किग्रा), खुशी (75 किग्रा) और नेहा (54 किग्रा) ने स्वर्ण पदक जीते। कई देशों ने कोविड-19 के कारण यात्रा प्रतिबंधों को देखते हुए इस प्रतियोगिता में अपने खिलाड़ियों को नहीं उतारा था जिससे विशेषकर महिला वर्ग में प्रतिस्पर्धा का अभाव दिखा। आलम यह था कि भारत की जिन 10 महिलाओं ने फाइनल में जगह बनायी उनमें से छह को सीधे स्वर्ण पदक के मुकाबले में प्रवेश मिल गया था।
प्रीति दहिया ने कजाखस्तान की जुल्दिज शायकमेतोवा को 3-2 से हराया, जबकि स्नेहा ने यूएई की रहमा खलफान अलमुर्शिदी को पराजित किया। खुशी ने कजाखस्तान की डाना दीडे को 3-0 से शिकस्त दी। पुरुष वर्ग में विश्व युवा चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता विश्वामित्र चोंगथम (51 किग्रा) और विशाल (80 किग्रा) ने स्वर्ण पदक जीते। महिलाओं में प्रीति (57 किग्रा), खुशी (63 किग्रा), तनीषा संधू (81 किग्रा), निवेदिता (48 किग्रा), तमन्ना (50 किग्रा) और सिमरन (52 किग्रा) ने रजत पदक हासिल किये। पुरुषों के वर्ग में विश्वनाथ सुरेश (48 किग्रा), वंशज (63.5 किग्रा) और जयदीप रावत (71 किग्रा) ने अपना अभियान रजत पदक के साथ समाप्त किया।
एक महिला सहित पांच भारतीय मुक्केबाजों ने इससे पहले युवा प्रतियोगिता के सेमीफाइनल में हारकर कांस्य पदक हासिल किया। पुरुष वर्ग में दक्ष (67 किग्रा), दीपक (75 किग्रा), अभिमन्यु (92 किग्रा) और अमन सिंह बिष्ट (92 किग्रा से अधिक) जबकि महिला वर्ग में लशु यादव (70 किग्रा) ने कांस्य पदक जीते। मंगोलिया के उलानबटार में आयोजित पिछली एशियाई युवा चैंपियनशिप में भारत ने पांच स्वर्ण सहित 12 पदक जीते थे।युवा वर्ग में स्वर्ण पदक विजेता को 6,000 अमेरिकी डालर, रजत पदक विजेता को 3,000 डालर और कांस्य पदक विजेता को 1,500 डालर का पुरस्कार दिया गया। भारत ने इससे पहले जूनियर वर्ग में आठ स्वर्ण, पांच रजत और छह कांस्य पदक जीते थे। यह पहला अवसर था जबकि इन दोनों प्रतियोगिताओं को एक साथ आयोजित किया गया था।