साल 2005, पाकिस्तानी क्रिकेट टीम भारत के दौरे पर थी. टेस्ट सीरीज़ के बाद वनडे मैच खेले जाने थे और उससे पहले पाकिस्तानी टीम को इंडिया-ए के खिलाफ एक प्रैक्टिस मैच खेलना था. लेकिन मैच से एक रात पहले तक इंडिया-ए के पास कोई विकेटकीपर बल्लेबाज नहीं था. तब इंडिया-ए के मैनेजेर वी.बी. चंद्रशेखर जो कि साउथ ज़ोन के सिलेक्टर भी थे, तब उन्होंने किसी तरह एक लंबे बाल वाले खिलाड़ी को मैच के लिए बुला लिया.रात के करीब 10 बज रहे थे, जब वो खिलाड़ी होटल में वी.बी. चंद्रशेखर के रूम पर पहुंचा और गेट खटखटा कर बोला, ‘Hi, I am Dhoni’. इस मुलाकात के बाद जब भी वी.बी. चंद्रशेखर और महेंद्र सिंह धोनी की मुलाकात हुई, दोनों हल्की मुस्कान के साथ एक दूसरे को इसी अंदाज में मिलते.
वक्कडाई बिक्शेस्वरन चंद्रशेखर यानी वी.बी. चंद्रशेखर तमिलनाडु से आने वाले खिलाड़ी थे, जिन्होंने घरेलू क्रिकेट में काफी नाम कमाया. उन्होंने तमिलनाडु और गोवा की ओर से क्रिकेट खेला, फर्स्ट क्लास क्रिकेट में करीब 5 हज़ार रन ठोके. और ईरानी ट्रॉफी में उनके द्वारा 56 गेदों में बनाया गया सैकड़ा लंबे वक्त तक सबसे तेज़ शतक का रिकॉर्ड अपने नाम किए हुए था. वी.बी. चंद्रशेखर ने टीम इंडिया का भी प्रतिनिधित्व किया, लेकिन वो सिर्फ 7 वनडे मैच ही खेल सके.
एक फर्स्ट क्लास क्रिकेटर से इतर वी.बी. चंद्रशेखर को बेहतरीन क्रिकेट प्रशासक के तौर पर याद किया जाता है. बतौर कोच, मैनेजेर, सिलेक्टर या फिर क्रिकेट डायरेक्टर वी.बी. चंद्रशेखर ने ऐसे कई फैसले लिए, जिन्होंने भारतीय क्रिकेट के इतिहास को बदल दिया.महेंद्र सिंह धोनी को पाकिस्तान के खिलाफ इंडिया-ए से खिलाने वाले उस किस्से से इतर देखें, तो वी.बी. चंद्रशेखर बतौर प्रशासक महेंद्र सिंह धोनी के करियर में अहम भूमिका निभाने वाले शख्स रहे, जिनका बोया हुआ बीज भारतीय क्रिकेट का सबसे बड़ा पेड़ बन गया.
महेंद्र सिंह धोनी का वनडे डेब्यू होने के बाद उन्हें टेस्ट टीम में भी मौका मिल गया था, लेकिन वनडे की तरह टेस्ट में उनका प्रदर्शन जानदार नहीं था. ऐसे में उनकी पोजिशन पर सवाल खड़े हो रहे थे, तब डेब्यू के करीब एक-दो साल बाद जब श्रीलंका के खिलाफ सीरीज से पहले जब टेस्ट टीम का चयन हो रहा था, तब सेलेक्टर्स दिनेश कार्तिक को मौका देने का विचार कर रहे थे.वी.बी. चंद्रशेखर बतौर सिलेक्टर उस मीटिंग में मौजूद थे. उस वक्त वी.बी. चंद्रशेखर ने महेंद्र सिंह धोनी को टीम में लेने की वकालत की, मीटिंग में ज़ोर दिया कि धोनी ने वनडे में खुद को साबित किया है, 148 और 183 रन की पारी इनकी गवाही देती हैं. ऐसे में सेलेक्टर्स के बीच लंबे मंथन के बाद महेंद्र सिंह धोनी को टेस्ट टीम में चुन लिया गया.
आज के वक्त में इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की जब बात होती है, तब चेन्नई सुपर किंग्स और महेंद्र सिंह धोनी का जिक्र एक साथ होता है. महेंद्र सिंह धोनी सीएसके की पहचान हैं और तमिलनाडु के लोगों के लिए उनके प्रिय थाला बन चुके हैं. लेकिन इसके पीछे भी वी.बी. चंद्रशेखर का अहम रोल रहा है.साल 2008 में जब आईपीएल की शुरुआत हो रही थी, तब इंडिया सीमेंट्स ने चेन्नई की टीम को खरीदा था. वी.बी. चंद्रशेखर को क्रिकेट ऑपरेशन्स का हेड बनाया गया था. 20 फरवरी, 2008 को आईपीएल के लिए बोली लगनी थी, भारतीय क्रिकेट के इतिहास में पहली बार था जब क्रिकेटर्स की बोली लग रही थी.
चेन्नई सुपर किंग्स के मालिक एन. श्रीनिवासन थे, उन्होंने वी.बी. चंद्रशेखर को टीम चुनने में खुली छूट दी थी. लेकिन ऑक्शन से कुछ दिन पहले कहा था कि वो चाहते हैं कि वीरेंद्र सहवाग उनकी टीम में आए. लेकिन वी.बी. चंद्रशेखर ने कहा कि नहीं, वह महेंद्र सिंह धोनी को खरीदना चाहते हैं क्योंकि वही भारतीय क्रिकेट का भविष्य है.ऑक्शन की एक रात पहले एन. श्रीनिवासन ने अपना मूड बदला और उन्होंने वी.बी. चंद्रशेखर की बात मानी और महेंद्र सिंह धोनी के नाम पर हामी भर दी. जब बोली लगनी शुरू हुई और महेंद्र सिंह धोनी का नाम आया, तो मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स के बीच में तगड़ी रेस हुई. एक लंबे कंपटीशन के बाद चेन्नई सुपर किंग्स ने 6 करोड़ रुपये में महेंद्र सिंह धोनी को खरीद लिया था.
तब ये राशि काफी बड़ी थी और आईपीएल के ऑइकन प्लेयर्स की फीस से भी ज्यादा था. तब से लेकर अबतक महेंद्र सिंह धोनी और चेन्नई सुपर किंग्स का अटूट साथ है. उसके बाद कुछ सालों तक महेंद्र सिंह धोनी और वी.बी. चंद्रशेखर ने साथ में काम किया. टीम इंडिया और चेन्नई सुपर किंग्स दोनों के लिए महेंद्र सिंह धोनी ने जो किया, वो इतिहास में दर्ज है.पूर्व भारतीय क्रिकेटर और क्रिकेट प्रशासक वी.बी. चंद्रशेखर 21 अगस्त, 1961 को मद्रास में पैदा हुए थे. 15 अगस्त, 2019 को 57 साल की उम्र में उन्होंने आत्महत्या कर ली थी. वह कर्ज़ से काफी परेशान थे.