धर्म समाज

षटतिला एकादशी व्रत कल मंगलवार को, करें तिल के 5 सरल उपाय

सनातन धर्म में षटतिला एकादशी का विशेष महत्व है. षटतिला एकादशी व्रत कल मंगलवार को है। यह दिन लक्ष्मी नारायण को समर्पित है। इस दिन तिल का विशेष महत्व होता है। तिल से जुड़े कुछ उपाय आपकी किस्मत को आसान बना सकते हैं। इससे आपके धन और समृद्धि में वृद्धि होगी। सफलता की भी संभावना है.
कहा जाता है कि षटतिला एकादशी के दिन जल में तिल डालकर स्नान करना फलदायी होता है। इस तरह आपको स्वास्थ्य समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा. ऊर्जा बढ़ती है. इस तिल का दान करें. ऐसा करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न होंगे। आप यह कर सकते हैं। ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है. सफलता मिलने की संभावना है. षटतिला एकादशी के दिन तिल की ओखली रखना शुभ माना जाता है। इससे आपके आस-पास की नकारात्मक भावनाएं गायब हो जाएंगी। घर में खुशियां हैं. लोग कष्टों से मुक्त हो जाते हैं।
माना जाता है कि तिल भगवान विष्णु के पसीने से उत्पन्न होते हैं। षटतिला एकादशी के दिन तिल को पंचमेरिट के साथ मिलाकर नारायण को तेल लगाएं। इस तरह आपको अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होगा। मोक्ष की प्राप्ति होती है. षटतिला एकादशी के दिन तिल का सेवन अवश्य करें। आइए हम भी भगवान विष्णु को गोमालाडू अर्पित करें। यह एक अच्छा शगुन माना जाता है. मां लक्ष्मी की कृपा.
 
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इन राशियों के जीवन में 20 फरवरी तक होंगे चमत्कारी बदलाव

ग्रहों के सेनापति इस वक्त मकर राशि में विराजमान हैं। बुध अगला राशि परिवर्तन 20 फरवरी के दिन करेंगे। वहीं, बुध 8 फरवरी के दिन मकर राशि में अस्त भी होने जा रहे हैं। बुध की बदलती चाल से कुछ राशियों को खूब लाभ होगा। 20 फरवरी तक मकर राशि में बुध के भ्रमण करने से कुछ राशियों के लिए समय अच्छा रहने वाला है। इसलिए आइए जानते हैं बुध की बदलती चाल किन राशियों को 20 फरवरी तक गुड न्यूज देने वाली है-
मिथुन राशि-
मिथुन राशि के जातकों के लिए बुध का गोचर फायदेमंद माना जा रहा है। बुध के शुभ प्रभाव से व्यापार से जुड़ी योजनाएं अपना कमाल दिखाएंगी। वहीं, समाज में नाम और काम दोनों मान-सम्मान बटोरेंगे। सेहत पर ध्यान देने की आवश्यकता है। वहीं, कुछ लोग अपनी फैमिली के साथ टाइम बिताएंगे। बुध की कृपा से रुके हुए कार्य रफ्तार पकड़ेंगे।
मेष राशि-
बुध ग्रह के राशि परिवर्तन से मेष राशि के लोगों को लाभ मिलेगा। कार्यक्षेत्र में आ रही मुश्किलें खुद ब खुद खत्म होने लगेंगी। व्यापार में धन लाभ होने की संभावना है। नौकरी पेशा लोगों को अपने बॉस और सहयोगियों का साथ मिलेगा। परिवार के साथ घूमने जा सकते हैं। वहीं, वैवाहिक जीवन में भी मधुरता बनी रहेगी।
सिंह राशि-
सिंह राशि के लोगों के लिए बुध ग्रह का राशि परिवर्तन बेहद ही शुभ माना जा रहा है। व्यापार में आ रही मुश्किलें समाप्त होने लगेंगी। बुध ग्रह की कृपा से विद्यार्थियों का मन पढ़ाई में लगेगा। संतान से जुड़ा कोई शुभ समाचार मिल सकता है। सेहत भी ठीक-ठाक रहने वाली है। वहीं, आर्थिक दिक्कतें भी धीरे-धीरे दूर होने लगेंगी।
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जानिए... आज (03 फरवरी 2024) का राशिफल

मेष राशि- हृदय या किडनी से जुड़ी समस्या हो सकती है। जिसके कारण डॉक्टर के परामर्श की जरूरत पड़ेगी। कुछ लोगों को सांस से जुड़ी समस्या हो सकती है। गर्भवती महिलाएं अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें और मेडिकल किट लेकर ही यात्रा करें। साथ ही बच्चों को भी बाहर खेलते समय थोड़ा सावधानी बरतने की जरूरत है। आज के दिन कुछ आईटी प्रोफेशनलों के लिए कठिन समय होगा। पूरे दिन काम में बिजी रहेंगे। आपको कड़ी मेहनत और अनुशासन के जरिए अपनी काबिलियत दिखाने की जरूरत है। अपने नए आइडियाज टीम लीडरों को बताएं।
वृषभ राशि- रिलेशनशिप में आ रही समस्याओं का समाधान निकालने का प्रयास करें और यह सुनिश्चित करें कि आज आपका पार्टनर अच्छा है। कार्यस्थल की चुनौतियां आपको अधिक मजबूत बनाने में मदद करेंगी। आज सुख-समृद्धि वाला दिन है। हालांकि स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। रिलेशनशिप में साथी के प्रति ईमानदार रहें। ऑफिस में किसी व्यक्ति के प्रति प्यार का एहसास कर सकते हैं लेकिन यह शादीशुदा लोगों के रिश्ते को बर्बाद कर सकता है। अपने पार्टनर की भावनाओं की कदर करें और उन्हें प्यार और स्नेह दें। साथी संग किसी मुद्दे पर बहस करने के बजाय बातचीत से परेशानी का हल निकालने का प्रयास करें।
मिथुन राशि- आज यूनिवर्स आपके पक्ष में है। भाग्य साथ देगा। सपनों को साकार करने के कई अवसर मिलेंगे। खुद पर भरोसा रखें। अपने लक्ष्यों पर फोकस करें। प्यार, करियर पैसा हो या स्वास्थ्य आज हर मामले में आपके सितारे आपका साथ देंगे। सिंगल जातक, आज हर कोने से प्रशंसकों को आकर्षित करेंगे। सावधानी बरतें और प्यार की तलाश में आगे बढ़ें। अगर आप रिलेशनशिप में हैं तो रिश्ते को मजबूत बनाने और साथी संग भावनात्मक जुड़ाव बढ़ाने का प्रयास करें। प्रोफेशनल लाइफ की बात करें, तो आज सफलता हासिल करने का दिन है। आपकी महत्वाकांक्षा और समर्पण आज आपको ऊंचाइयों पर ले जाएगा। नई चुनौतियों या अपने कौशल का प्रदर्शन करने में ना घबराएं। आपके सहकर्मी आपकी प्रतिभा से हैरान होंगे और उच्च अधिकारियों से आपकी प्रतिभा को सराहना मिलेगी।
कर्क राशि- करियर के लिए बहुत अच्छा समय है। आपको अपनी मेहनत के लिए पहचान मिलेगी और उन्नति के अवसर आपके रास्ते में आएंगे। आपमें दूसरों को प्रेरित करने और प्रेरित करने की क्षमता है, इसलिए उदाहरण पेश करने में संकोच न करें। सकारात्मक सोच रखें और किसी भी चुनौती का सामना आत्मविश्वास के साथ करें। आपका जुनून और रचनात्मकता आपको अपने सहकर्मियों से अलग करेगी।आपका सहज स्वभाव आपके रोमांटिक रिश्तों में मसाला डालेगा। अविवाहित जातकों के विवाह के योग बनेंगे। आपकी किसी खास व्यक्ति से मुलाकात होने की संभावना है जो आपके साहसिक पक्ष को उभारेगा।
सिंह राशि- आपका ऊर्जावान और साहसी स्वभाव आपको कुछ जोखिम उठाने के लिए प्रेरित कर सकता है, इसलिए सावधान रहें और सुरक्षा सावधानी बरतें। खुद पर ज्यादा दबाव न डालें। तनाव के किसी भी लक्षण पर ध्यान दें और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी समय निकालें। इस सप्ताह आपके कुछ अप्रत्याशित खर्चे भी हो सकते हैं, लेकिन चिंता न करें; आपकी आर्थिक स्थिति स्थिर है। महत्वपूर्ण वित्तीय निर्णय लेते समय अपनी प्रवृत्ति पर विश्वास करें। नए अवसरों में निवेश करने और जोखिम लेने के लिए भी यह एक अच्छा समय है। होशियार रहें और जरूरत पड़ने पर सलाह लें।
कन्या राशि- सितारे आपके पक्ष में है। आप ऊर्जा और उत्साह से लबरेज हैं, जो रोमांचकारी रोमांच और यादगार अनुभवों की ओर ले जाएगा। आपकी साहसिक भावना एक आशीर्वाद है, इसलिए अपने रास्ते में आने वाले हर अवसर को अपनाकर इसका अधिकतम लाभ उठाएं। कुछ जोखिम उठाएं, और अपनी सहज प्रवृत्ति पर भरोसा करें। बदलने के लिए खुले रहें और नई चीजें सीखने के लिए तैयार रहें। अपना सेंस ऑफ ह्यूमर बनाए रखें और खुद को ज्यादा गंभीरता से न लें। आप अप्रत्याशित रूप से खुले रहने के लाभों को महसूस करेंगे।
तुला राशि- खुद पर भरोसा रखें और छोटे-छोटे जोखिमों को लेने से ना डरें। आपके सहकर्मी और वरिष्ठ आपके आत्मविश्वास और करिश्माई स्वभाव की सराहना करेंगे। कार्यक्षेत्र में आपको नए प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी या नेतृत्व की भूमिका में कदम रखने का अवसर मिल सकता है। आज आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी। आज आपको कई अप्रत्याशित अवसर मिलेंगे, लेकिन याद रखें की स्वभाव में विनम्रता और सहजता बनाएं रखें और सोच-समझकर ही कोई निर्णय लें। अपनी अंतरात्मा की सुनें और खुद पर भरोसा रखें। आज आपकी आंतरिक शक्ति आपके शारीरिक स्वास्थ्य को लाभ पहुंचा सकती है। मेडिटेशन और योगा से खुद को शारीरिक रूप से मजबूत बनाने का प्रयास करें। आपके स्वास्थ्य की बात करें तो खुद की सुनें और उसके अनुरूप ही अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने से ना डरें।
वृश्चिक राशि- आज आपके पास अपनी रहस्यमय शक्तियों को जानने का अवसर है। अपनी अंतर्ज्ञान विश्वास रखें और इसे आप सफलता प्राप्त करने के लिए मागर्दशन करने की अनुमति दें। आपके पास प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में बड़े बदलावों को आकर्षित करने की क्षमता है। इसलिए नए अवसरों के लिए तैयार रहें और जीवन में आगे बढ़ें। प्यार के मामले में आज निडर रहने और अपनी इच्छा को पूरा करने का दिन है। आज आपमें खुद को भावनात्मक रूप से जानने और साथी संग गहराई से जुड़ने का क्षमता है। सिंगल जातक, खुद को आगे बढ़ने से ना रोंके। आपकी लोगों से जुड़ने की ऊर्जा दूसरों को आकर्षित करेगी।
धनु राशि- आज आपके पास अपनी रहस्यमय शक्तियों को जानने का अवसर है। अपनी अंतर्ज्ञान विश्वास रखें और इसे आप सफलता प्राप्त करने के लिए मागर्दशन करने की अनुमति दें। आपके पास प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में बड़े बदलावों को आकर्षित करने की क्षमता है। इसलिए नए अवसरों के लिए तैयार रहें और जीवन में आगे बढ़ें। प्यार के मामले में आज निडर रहने और अपनी इच्छा को पूरा करने का दिन है। आज आपमें खुद को भावनात्मक रूप से जानने और साथी संग गहराई से जुड़ने का क्षमता है। सिंगल जातक, खुद को आगे बढ़ने से ना रोंके। आपकी लोगों से जुड़ने की ऊर्जो दूसरों को आकर्षित करेगी।
मकर राशि- खुद पर भरोसा रखें और छोटे-छोटे जोखिमों को लेने से ना डरें। आपके सहकर्मी और वरिष्ठ आपके आत्मविश्वास और करिश्माई स्वभाव की सराहना करेंगे। कार्यक्षेत्र में आपको नए प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी या नेतृत्व की भूमिका में कदम रखने का अवसर मिल सकता है। आज आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी। आज आपको कई अप्रत्याशित अवसर मिलेंगे, लेकिन याद रखें की स्वभाव में विनम्रता और सहजता बनाएं रखें और सोच-समझकर ही कोई निर्णय लें। अपनी अंतरात्मा की सुनें और खुद पर भरोसा रखें। आज आपकी आंतरिक शक्ति आपके शारीरिक स्वास्थ्य को लाभ पहुंचा सकती है। मेडिटेशन और योगा से खुद को शारीरिक रूप से मजबूत बनाने का प्रयास करें। आपके स्वास्थ्य की बात करें तो खुद की सुनें और उसके अनुरूप ही अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने से ना डरें।
कुंभ राशि- आज यूनिवर्स आपको आर्थिक रूप से मजबूत होने के लिए रणनितियां बना रहा है। सुख और समृद्धि के अवसर मिलेंगे। इसलिए यह सुनिश्चित करें कि आप इस अवसर का भरपूर लाभ जरूर उठाएं। निवेश की बात करें तो छोटे-छोटे रिस्क लेने से ना डरें और खुद पर भरोसा रखें। हालांकि, अपना ध्यान मात्र पैसों पर ना रखें। आपका स्वास्थ्य आपकी सफलता की आधारशिला है। इसलिए अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें। उन एक्टीविटीज में शामिल हों, जो आपके शरीर को मजबूत बनाती हो। फिजिकल एक्सरसाइज को अपने दिनचर्या में शामिल करें। इससे स्वास्थ्य में सुधार लाने में मदद मिलेगी। तनाव लेने से बचें और खुद के लिए समय निकालें।
मीन राशि- कार्यस्थल पर आपके रोल में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं आएगा। हालांकि कुछ जातक इंटरव्यू कॉल की उम्मीद कर सकते हैं। आप अपनी प्रोफाइल अपडेट कर सकते हैं और नई जॉब के लिए अपने स्किल्स को एक बार फिर से तरोताजा कर सकते हैं। आज आपके सितारे, जॉब को लेकर कई यात्राओं का संकेत दे रहे हैं। कुछ वकील और स्वास्थ्य कर्मी किसी सेंसटिव केस को हैंडल कर सकते हैं। अपने करीबी दोस्त के साथ पार्टनरशिप भी कर सकते हैं। आज धन से जुड़ी किसी भी बड़ी दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। पिछले निवेशों से अधिक धन लाभ के योग हैं। कुछ जातकों को विदेश में पढ़ रहे बच्चों के लिए शिक्षा को लेकर धन खर्च करना पड़ सकता है। नए बिजनेस या स्टॉक में निवेश कर सकते हैं, लेकिन वित्तीय सलाहकार के मार्गदर्शन से आपको निवेश करने में अधिक मदद मिलेगा।
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बसंत पंचमी पर इन बातों का रखे ध्यान, सफल होगी सरस्वती पूजा

हिंदू धर्म में पर्व त्योहारों की कमी नहीं है लेकिन बसंत पंचमी बेहद ही खास मानी जाती है जो कि हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है इसी दिन से बसंत ऋतु का आरंभ भी हो जाता है बसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना को समर्पित होता है।
इस दिन भक्त देवी मां की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से मां सरस्वती का आशीर्वाद बरसता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां सरस्वती बुद्धि, विद्या और गीत संगीत की देवी है इनकी पूजा करने से आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस साल बसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी को मनाया जाएगा। ऐसे में इस शुभ दिन पर कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है वरना पूजा का पूरा फल भी प्राप्त नहीं होता है तो आज हम आपको उन्हीं के बारे में बता रहे हैं।
बसंत पंचमी पर रखें इन बातों का ध्यान-
ज्योतिष अनुसार बसंत पंचमी के दिन कुछ बातों का ध्यान रखकर हम पूजा का पूर्ण फल और देवी की असीम कृपा को प्राप्त कर सकते हैं। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन अगर पितरों का तर्पण किया जाए तो पितृदोष दूर हो जाता है साथ ही पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है जिससे जीवन में सुख समृद्धि और तरक्की आती है।
बसंत पंचमी के दिन बिना स्नान ​​किए कुछ भी खाना नहीं चाहिए। इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी होता है इसके अलावा बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा में पीले रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है इस दिन देवी को पूजा में पीले पुष्प, पीली मिठाई का भोग लगाएं। इस दिन सुबह उठते ही सबसे पहले हथेलियों के दर्शन करने चाहिए। इस दिन किसी को अपशब्द नहीं कहना चाहिए। मांस मदिरा का सेवन करने से बचना चाहिए। बसंत पंचमी के दिन पेड़ पौधों को काटना अशुभ माना जाता है ऐसा करने से बचें।
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वैवाहिक जीवन में खुशहाली के लिए मासिक शिवरात्रि के दिन करें व्रत

सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन शिव पूजा को समर्पित मासिक शिवरात्रि बेहद ही खास मानी जाती है जो कि हर माह में एक बार आती है इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना का विधान होता है। वही वैवाहिक जीवन में सुख शांति और सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए ये दिन बेहद ही खास माना जाता है इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
मासिक शिवरात्रि के दिन शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करना भी लाभकारी माना जाता है। ऐसे में अगर आप अपने वैवाहिक जीवन में चल रही तनाव को कम करना चाहते हैं या फिर सुख शांति चाहते हैं तो ऐसे में मासिक शिवरात्रि का व्रत जरूर करें, तो आज हम आपको मासिक शिवरात्रि की तारीख और मुहूर्त बता रहे हैं।
मासिक शिवरात्रि की तारीख और मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार माघ के महीने में पड़ने वाली मासिक शिवरात्रि 8 फरवरी दिन गुरुवार को है इस दिन ​भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से जीवन में चल रही सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार 8 फरवरी 2024 को सुबह 11 बजकर 17 मिनट से आरंभ हो रही है और समापन अगले दिन यानी 9 फरवरी को सुबह 8 बजकर 2 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।
वही मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात: 12 बजकर 9 मिनट से प्रात: 1 बजकर 1 मिनट तक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि और शांति आती है साथ ही सारी परेशानियों का समाधान हो जाता है।
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शनिवार के दिन करें ये उपाय, प्रसन्न होंगे शनिदेव

शनिवार का दिन सूर्य पुत्र शनि को समर्पित है इस दिन शनिदेव की विधिवत पूजा अर्चना करने से प्रभु की कृपा बरसती है लेकिन इसी के साथ ही अगर आज के दिन पूजा के समय शनि अष्टोत्तरनामावली का पाठ किया जाए तो भगवान जल्दी प्रसन्न होकर कृपा करते हैं और सारे कष्ट दूर कर देते हैं।
॥ शनि अष्टोत्तरशतनामावली ॥
शनि बीज मन्त्र: ॐ प्राँ प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः ॥
ॐ शनैश्चराय नमः ॥
ॐ शान्ताय नमः ॥
ॐ सर्वाभीष्टप्रदायिने नमः ॥
ॐ शरण्याय नमः ॥
ॐ वरेण्याय नमः ॥
ॐ सर्वेशाय नमः ॥
ॐ सौम्याय नमः ॥
ॐ सुरवन्द्याय नमः ॥
ॐ सुरलोकविहारिणे नमः ॥
ॐ सुखासनोपविष्टाय नमः ॥ १० ॥
ॐ सुन्दराय नमः ॥
ॐ घनाय नमः ॥
ॐ घनरूपाय नमः ॥
ॐ घनाभरणधारिणे नमः ॥
ॐ घनसारविलेपाय नमः ॥
ॐ खद्योताय नमः ॥
ॐ मन्दाय नमः ॥
ॐ मन्दचेष्टाय नमः ॥
ॐ महनीयगुणात्मने नमः ॥
ॐ मर्त्यपावनपदाय नमः ॥ २० ॥
ॐ महेशाय नमः ॥
ॐ छायापुत्राय नमः ॥
ॐ शर्वाय नमः ॥
ॐ शततूणीरधारिणे नमः ॥
ॐ चरस्थिरस्वभावाय नमः ॥
ॐ अचञ्चलाय नमः ॥
ॐ नीलवर्णाय नमः ॥
ॐ नित्याय नमः ॥
ॐ नीलाञ्जननिभाय नमः ॥
ॐ नीलाम्बरविभूशणाय नमः ॥ ३० ॥
ॐ निश्चलाय नमः ॥
ॐ वेद्याय नमः ॥
ॐ विधिरूपाय नमः ॥
ॐ विरोधाधारभूमये नमः ॥
ॐ भेदास्पदस्वभावाय नमः ॥
ॐ वज्रदेहाय नमः ॥
ॐ वैराग्यदाय नमः ॥
ॐ वीराय नमः ॥
ॐ वीतरोगभयाय नमः ॥
ॐ विपत्परम्परेशाय नमः ॥ ४० ॥
ॐ विश्ववन्द्याय नमः ॥
ॐ गृध्नवाहाय नमः ॥
ॐ गूढाय नमः ॥
ॐ कूर्माङ्गाय नमः ॥
ॐ कुरूपिणे नमः ॥
ॐ कुत्सिताय नमः ॥
ॐ गुणाढ्याय नमः ॥
ॐ गोचराय नमः ॥
ॐ अविद्यामूलनाशाय नमः ॥
ॐ विद्याविद्यास्वरूपिणे नमः ॥ ५० ॥
ॐ आयुष्यकारणाय नमः ॥
ॐ आपदुद्धर्त्रे नमः ॥
ॐ विष्णुभक्ताय नमः ॥
ॐ वशिने नमः ॥
ॐ विविधागमवेदिने नमः ॥
ॐ विधिस्तुत्याय नमः ॥
ॐ वन्द्याय नमः ॥
ॐ विरूपाक्षाय नमः ॥
ॐ वरिष्ठाय नमः ॥
ॐ गरिष्ठाय नमः ॥ ६० ॥
ॐ वज्राङ्कुशधराय नमः ॥
ॐ वरदाभयहस्ताय नमः ॥
ॐ वामनाय नमः ॥
ॐ ज्येष्ठापत्नीसमेताय नमः ॥
ॐ श्रेष्ठाय नमः ॥
ॐ मितभाषिणे नमः ॥
ॐ कष्टौघनाशकर्त्रे नमः ॥
ॐ पुष्टिदाय नमः ॥
ॐ स्तुत्याय नमः ॥
ॐ स्तोत्रगम्याय नमः ॥ ७० ॥
ॐ भक्तिवश्याय नमः ॥
ॐ भानवे नमः ॥
ॐ भानुपुत्राय नमः ॥
ॐ भव्याय नमः ॥
ॐ पावनाय नमः ॥
ॐ धनुर्मण्डलसंस्थाय नमः ॥
ॐ धनदाय नमः ॥
ॐ धनुष्मते नमः ॥
ॐ तनुप्रकाशदेहाय नमः ॥
ॐ तामसाय नमः ॥ ८० ॥
ॐ अशेषजनवन्द्याय नमः ॥
ॐ विशेशफलदायिने नमः ॥
ॐ वशीकृतजनेशाय नमः ॥
ॐ पशूनां पतये नमः ॥
ॐ खेचराय नमः ॥
ॐ खगेशाय नमः ॥
ॐ घननीलाम्बराय नमः ॥
ॐ काठिन्यमानसाय नमः ॥
ॐ आर्यगणस्तुत्याय नमः ॥
ॐ नीलच्छत्राय नमः ॥ ९० ॥
ॐ नित्याय नमः ॥
ॐ निर्गुणाय नमः ॥
ॐ गुणात्मने नमः ॥
ॐ निरामयाय नमः ॥
ॐ निन्द्याय नमः ॥
ॐ वन्दनीयाय नमः ॥
ॐ धीराय नमः ॥
ॐ दिव्यदेहाय नमः ॥
ॐ दीनार्तिहरणाय नमः ॥
ॐ दैन्यनाशकराय नमः ॥ १०० ॥
ॐ आर्यजनगण्याय नमः ॥
ॐ क्रूराय नमः ॥
ॐ क्रूरचेष्टाय नमः ॥
ॐ कामक्रोधकराय नमः ॥
ॐ कलत्रपुत्रशत्रुत्वकारणाय नमः ॥
ॐ परिपोषितभक्ताय नमः ॥
ॐ परभीतिहराय नमः ॥
ॐ भक्तसंघमनोऽभीष्टफलदाय नमः ॥
॥ इति शनि अष्टोत्तरशतनामावलिः सम्पूर्णम् ॥
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शुक्रवार को जरूर करें ये उपाय, जीवन में आएगी सुख समृद्धि

सनातन धर्म में शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने की परंपरा है. जो भक्त इस दिन धन की देवी की पूजा करते हैं उन्हें सांसारिक लाभ मिलता है। घर में देवी लक्ष्मी का भी वास होता है।
अगर आप देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो आपको शुक्रवार के दिन कुछ खास चीजों का दान करना होगा। तो आइये जानते हैं. शुक्रवार के दिन इन विशेष वस्तुओं का दान करें-
पुष्प दान- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देवी लक्ष्मी को साफ-सफाई और सुगंधित चीजें पसंद हैं। ऐसे में शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी को सुगंधित फूल चढ़ाएं और उन्हें उपहार में भी दें। अगर आप यह उपाय करेंगे तो घर में कभी भी धन की कमी नहीं होगी।
अन्न दान- शुक्रवार को विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा करें। फिर किसी गरीब और असहाय व्यक्ति को अनाज का दान करें। अन्न का दान करने से घर में कभी अन्न की कमी नहीं होगी। आपको मां लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होगी.
गुड़ का दान- शुक्रवार के दिन गुड़ का दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है। जिन लोगों के काम बिगड़ गए हैं उन्हें इस खास दिन गुड़ का दान करना चाहिए। इसका मतलब है कि घर में बरकत बनी रहती है।
कंगन दान- मां लक्ष्मी को श्रृंगार का सामान चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विवाहित महिलाओं को अपना सौंदर्य प्रसाधन शुक्रवार के दिन करवाना चाहिए। इससे पारिवारिक जीवन खुशहाल रहता है।
 
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चंद्र ग्रहण के साए में होली, जानिए त्योहार पर क्या होगा इसका प्रभाव

फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन होली मनाई जाती है। इस साल होली का त्योहार 25 मार्च को है, लेकिन इस बार होली के रंग में भंग पड़ने वाली है, क्योंकि इसी दिन साल 2024 का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने जा रहा है। वैसे तो ग्रहण एकमात्र खगोलीय घटना है, लेकिन इसे धार्मिक शास्त्रों में शुभ नहीं माना जाता है। कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान कई प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा निकलती है, जिसका प्रभाव संपूर्ण ब्रह्मांड पर पड़ता है, इसलिए इस साल होली पर चंद्र ग्रहण का लगना शुभ नहीं माना जा रहा है। ऐसे में चलिए जानते हैं 25 मार्च को होली वाले दिन चंद्र ग्रहण कब लगेगा और रंगों के त्योहार पर इसका क्या प्रभाव होगा...  
हिंदी पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि यानी 25 मार्च 2024 दिन सोमवार को चंद्र ग्रहण लगेगा। ये चंद्र ग्रहण सुबह 10 बजकर 23 मिनट से शुरू होगा, जो दोपहर 03 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। 
हालांकि इस चंद्र ग्रहण को भारत में नहीं देखा जा सकेगा, जिस कारण से इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा और इसका प्रभाव भी होली के त्योहार पर नहीं होगा। इसलिए आप बिना कीसी चिंता के होली का त्योहार मना सकते हैं।  
साल 2024 का पहला चंद्र ग्रहण चंद्र ग्रहण अमेरिका, जापान, रूस के कुछ हिस्से, आयरलैंड, इंग्लैंड, स्पेन, पुर्तगाल, इटली, जर्मनी, फ्रांस, हॉलैंड, बेल्जियम, दक्षिणी नॉर्वे और स्विट्जरलैंड में दिखाई देगा।
चंद्र ग्रहण का राशियों पर प्रभाव-
25 मार्च को लगने वाले चंद्र ग्रहण का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा, लेकिन कुछ राशि के जातकों पर इसका विशेष प्रभाव देखने को मिल सकता है। ज्योतिष के अनुसार मिथुन, सिंह, मकर और धनु राशि के जातकों पर इस चंद्र ग्रहण का शुभ प्रभाव रहेगा। 
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माघ माह की शिवरात्रि 8 फरवरी को

  • जानें रात में क्यों की जाती है शिव पूजा
हिंदू पंचांग के मुताबिक, मासिक शिवरात्रि पर्व हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस बार माघ माह की मासिक शिवरात्रि 8 फरवरी को है। पौराणिक मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव और मां पार्वती की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। यह व्रत विवाहित और अविवाहित महिलाएं रखती हैं। इस दिन पूजा के दौरान शिव मंत्रों का जाप करना फलदायी होता है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, पूरे वर्ष में कुल 12 मासिक शिवरात्रि व्रत आते हैं। शिव और मां पार्वती का विवाह फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हुआ था। इस कारण हर माह की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है।
कब है माघ माह की मासिक शिवरात्रि-
माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की 08 फरवरी दिन गुरुवार को दोपहर 11.17 बजे शुरू होगी और इस तिथि का समापन 9 फरवरी को शुक्रवार सुबह 08.02 बजे होगा। माघ शिवरात्रि पर पूजा मुहूर्त की बात की जाए तो इस तिथि तो निशिता मुहूर्त देर रात 12.09 बजे से 01.01 तक रहेगा। शिव पूजा के लिए करीब 1 घंटे का शुभ समय है। इसके अलावा सिद्धि योग सुबह से ही निर्मित होगा, जो रात 11.10 बजे तक रहेगा। माघ शिवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05.21 बजे से लेकर अगले दिन सुबह 06.13 तक रहेगा। वहीं अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12.13 बजे से दोपहर 12.57 बजे तक रहेगा।
इसलिए रात में की जाती है शिव पूजा-
पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, हर मासिक शिवरात्रि व्रत के दिन रात के 4 पहर के दौरान भगवान शिव की पूजा की जाती है। शिव पुराण के मुताबिक, भगवान शिव का देवी पार्वती से विवाह चतुर्दशी तिथि को रात्रि में हुआ था। यही कारण है कि भगवान भोलेनाथ और देवी पार्वती की आराधना रात में की जाती है।
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धन और शिक्षा के लिए इस ग्रह को करें मजबूत

बृहस्पति ग्रह धन, शिक्षा और ज्ञान का प्रतीक है, इसकी शक्ति की बदौलत व्यक्ति समृद्धि और सफलता प्राप्त करता है। इसलिए कुंडली में बृहस्पति को मजबूत करना जरूरी है ताकि व्यक्ति धन, समृद्धि और पढ़ाई में सफलता हासिल कर सके। बृहस्पति ग्रह को मजबूत करने के कई उपाय हैं, जो व्यक्ति को धनवान, धनवान और शिक्षित बनने में मदद करते हैं। बृहस्पति ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण ग्रह है, जो ज्ञान, बुद्धि और धर्म का प्रतीक है।
बृहस्पति मंत्र का जाप- पूरे दिन बृहस्पति मंत्र का जाप करने से बृहस्पति की शुभता बढ़ती है और व्यक्ति के धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।
बृहस्पति यंत्र का प्रयोग- बृहस्पति यंत्र के प्रयोग से व्यक्ति धन, समृद्धि और शिक्षा में सफलता प्राप्त करता है।
बृहस्पति की पूजा- बृहस्पति की पूजा करने से व्यक्ति को धन, समृद्धि और शिक्षा में सफलता मिलती है।
बृहस्पति रत्न धारण करने से- पुष्पराग मणि, पुखराज और बारह मक्खी रुद्राक्ष धारण करने से बृहस्पति की शुभता प्राप्त होती है।
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कालाष्टमी आज, इस विधि से करें भैरव बाबा की पूजा

हिंदू धर्म में पर्व त्योहारों की कमी नहीं है लेकिन भैरव बाबा की पूजा को समर्पित कालाष्टमी का व्रत बेहद ही खास माना जाता है जो कि आज 2 फरवरी शुक्रवार को मनाया जा रहा है इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने का विधान होता है।
मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन शिव के रौद्र रूप की पूजा करने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और शुभ फलों में वृद्धि होती है ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा भैरव बाबा की पूजा विधि के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
कालाष्टमी पूजा विधि-
आपको बता दें कि कालाष्टमी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण कर पूजा स्थल की साफ सफाई करें फिर मंदिर में एक लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर भगवान भैरव की प्रतिमा स्थापित करें इसके बाद प्रभु के समक्ष सरसों तेल का दीपक जलाएं और भैरव अष्टक का संपूर्ण पाठ करें इसके बाद भगवान काल भैरव की विधिवत पूजा करें प्रभु को सभी पूजन सामग्री अर्पित करके फल, मिठाई का भोग लगाएं।
अंत में भगवान भैरव की आरती करें और दिनभर का उपवास रखें इसके बाद संध्याकाल में एक बार फिर से भगवान की पूजा करें और सात्विक भोजन के साथ अपना व्रत खोलें इस दिन किसी भी तरह की तामसिक गतिविधियों में शामिल न हो। किसी को अपशब्द न कहें। माना जाता है कि इस विधि से पूजा करने से नकारात्मकता और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
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शुक्रवार को ही किया जाता है इन मंत्रों का जाप, दूर हो जाती है आर्थिक तंगी

सनातन धर्म में यह मान्यता है कि देवी लक्ष्मी को शुक्रवार का दिन बेहद प्रिय होता है। ऐसे में यदि किसी व्यक्ति के जीवन में बहुत अधिक आर्थिक तंगी है तो शुक्रवार को देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, मां लक्ष्मी के विशेष मंत्रों का जाप करने से पूजा सफल होती है और धन की तंगी नहीं झेलना पड़ती है।
मां लक्ष्मी के मंत्र-
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य, नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम, गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।
ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।
.ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद। प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।
ऊँ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:।।
आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।
यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।
संतान लक्ष्मी नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।
पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये। धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी। या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी। सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥
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पितृ दोष से छुटकारा पाने मौनी अमावस्या पर करें ये उपाय

इमाघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मौनी अमावस्या कहा जाता है। शास्त्रों में साल भर में पड़ने वाली अमावस्याओं में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है। पितृ दोष से मुक्ति पाने और पितरों की कृपा के लिए मौनी अमावस्या खास मानी गई है। इस दिन तर्पण, पिंडदान और दान आदि करने का विधान है। इस बार मौनी अमावस्या 9 फरवरी 2024 को मनाई जाने वाली है। माना जाता है कि इस दिन शास्त्रों द्वारा बताए गए कुछ उपाय कर लिए जाएं, तो पितृ दोष से छुटकारा मिलता है। आइए, जानते हैं कि मौनी अमावस्या के दिन कौन-से उपाय करने चाहिए।
मौनी अमावस्या पर करें ये उपाय-
मौनी अमावस्या के दिन चींटियों को आटे में चीनी मिलाकर खिलाने से पितृ दोष दूर होता है। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मौनी अमावस्या के दिन जरूरतमंदों को काले तिल के लड्डू, तिल का तेल, कंबल, आंवला और काले कपड़ों का दान करना चाहिए। ऐसा करने से पितृ दोष के अशुभ प्रभाव कम होते हैं।
माघ मास अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में स्नान करने के बाद काले तिल का दान करें। ऐसा करने से पितृ देव प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।
मौनी अमावस्या के दिन पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए पितरों का स्मरण करते हुए सूर्यदेव को जल अर्पित करें। लोटे में जल में काले तिल और लाल फूल मिलाकर सूर्यदेव को अर्पण करें।
इस दिन पीपल के पेड़ पर सफेद मिठाई चढ़ाएं और 108 बार परिक्रमा करें। इस उपाय को करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है।

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गुरुवार के दिन करें सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ

  • भगवान विष्णु की होगी कृपा, परेशानियां होंगी दूर
सप्ताह में गुरुवार का दिन विष्णु पूजा को समर्पित किया गया है इस दिन भक्त भगवान की विधि विधान से पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा बरसती है लेकिन इसी के साथ ही अगर आज के दिन विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ किया जाए तो दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की होती है और परेशानियां दूर हो जाती हैं।
विष्णु सहस्रनाम-
॥ हरिः ॐ ॥
विश्वं विष्णुर्वषट्कारो भूतभव्यभवत्प्रभुः।
भूतकृद्भूतभृद्भावो भूतात्मा भूतभावनः॥१॥
पूतात्मा परमात्मा च मुक्तानां परमा गतिः।
अव्ययः पुरुषः साक्षी क्षेत्रज्ञोऽक्षर एव च॥२॥
योगो योगविदां नेता प्रधानपुरुषेश्वरः।
नारसिंहवपुः श्रीमान् केशवः पुरुषोत्तमः॥३॥
सर्वः शर्वः शिवः स्थाणुर्भूतादिर्निधिरव्ययः।
संभवो भावनो भर्ता प्रभवः प्रभुरीश्वरः॥४॥
स्वयंभूः शम्भुरादित्यः पुष्कराक्षो महास्वनः।
अनादिनिधनो धाता विधाता धातुरुत्तमः॥५॥
अप्रमेयो हृषीकेशः पद्मनाभोऽमरप्रभुः।
विश्वकर्मा मनुस्त्वष्टा स्थविष्ठः स्थविरो ध्रुवः॥६॥
अग्राह्यः शाश्वतः कृष्णो लोहिताक्षः प्रतर्दनः।
प्रभूतस्त्रिककुब्धाम पवित्रं मङ्गलं परम्॥७॥
ईशानः प्राणदः प्राणो ज्येष्ठः श्रेष्ठः प्रजापतिः।
हिरण्यगर्भो भूगर्भो माधवो मधुसूदनः॥८॥
ईश्वरो विक्रमी धन्वी मेधावी विक्रमः क्रमः।
अनुत्तमो दुराधर्षः कृतज्ञः कृतिरात्मवान्॥९॥
सुरेशः शरणं शर्म विश्वरेताः प्रजाभवः।
अहः संवत्सरो व्यालः प्रत्ययः सर्वदर्शनः॥१०॥
अजः सर्वेश्वरः सिद्धः सिद्धिः सर्वादिरच्युतः।
वृषाकपिरमेयात्मा सर्वयोगविनिःसृतः॥११॥
वसुर्वसुमनाः सत्यः समात्माऽसम्मितः समः।
अमोघः पुण्डरीकाक्षो वृषकर्मा वृषाकृतिः॥१२॥
रुद्रो बहुशिरा बभ्रुर्विश्वयोनिः शुचिश्रवाः।
अमृतः शाश्वत स्थाणुर्वरारोहो महातपाः॥१३॥
सर्वगः सर्वविद्भानुर्विष्वक्सेनो जनार्दनः।
वेदो वेदविदव्यङ्गो वेदाङ्गो वेदवित् कविः॥१४॥
लोकाध्यक्षः सुराध्यक्षो धर्माध्यक्षः कृताकृतः।
चतुरात्मा चतुर्व्यूहश्चतुर्दंष्ट्रश्चतुर्भुजः॥१५॥
भ्राजिष्णुर्भोजनं भोक्ता सहिष्णुर्जगदादिजः।
अनघो विजयो जेता विश्वयोनिः पुनर्वसुः॥१६॥
उपेन्द्रो वामनः प्रांशुरमोघः शुचिरूर्जितः।
अतीन्द्रः संग्रहः सर्गो धृतात्मा नियमो यमः॥१७॥
वेद्यो वैद्यः सदायोगी वीरहा माधवो मधुः।
अतीन्द्रियो महामायो महोत्साहो महाबलः॥१८॥
महाबुद्धिर्महावीर्यो महाशक्तिर्महाद्युतिः।
अनिर्देश्यवपुः श्रीमानमेयात्मा महाद्रिधृक्॥१९॥
महेष्वासो महीभर्ता श्रीनिवासः सतां गतिः।
अनिरुद्धः सुरानन्दो गोविन्दो गोविदां पतिः॥२०॥
मरीचिर्दमनो हंसः सुपर्णो भुजगोत्तमः।
हिरण्यनाभः सुतपाः पद्मनाभः प्रजापतिः॥२१॥
अमृत्युः सर्वदृक् सिंहः सन्धाता सन्धिमान् स्थिरः।
अजो दुर्मर्षणः शास्ता विश्रुतात्मा सुरारिहा॥२२॥
गुरुर्गुरुतमो धाम सत्यः सत्यपराक्रमः।
निमिषोऽनिमिषः स्रग्वी वाचस्पतिरुदारधीः॥२३॥
अग्रणीर्ग्रामणीः श्रीमान् न्यायो नेता समीरणः।
सहस्रमूर्धा विश्वात्मा सहस्राक्षः सहस्रपात्॥२४॥
आवर्तनो निवृत्तात्मा संवृतः संप्रमर्दनः।
अहः संवर्तको वह्निरनिलो धरणीधरः॥२५॥
सुप्रसादः प्रसन्नात्मा विश्वधृग्विश्वभुग्विभुः।
सत्कर्ता सत्कृतः साधुर्जह्नुर्नारायणो नरः॥२६॥
असंख्येयोऽप्रमेयात्मा विशिष्टः शिष्टकृच्छुचिः।
सिद्धार्थः सिद्धसंकल्पः सिद्धिदः सिद्धिसाधनः॥२७॥
वृषाही वृषभो विष्णुर्वृषपर्वा वृषोदरः।
वर्धनो वर्धमानश्च विविक्तः श्रुतिसागरः॥२८॥
सुभुजो दुर्धरो वाग्मी महेन्द्रो वसुदो वसुः।
नैकरूपो बृहद्रूपः शिपिविष्टः प्रकाशनः॥२९॥
ओजस्तेजोद्युतिधरः प्रकाशात्मा प्रतापनः।
ऋद्धः स्पष्टाक्षरो मन्त्रश्चन्द्रांशुर्भास्करद्युतिः॥३०॥
अमृतांशूद्भवो भानुः शशबिन्दुः सुरेश्वरः।
औषधं जगतः सेतुः सत्यधर्मपराक्रमः॥३१॥
भूतभव्यभवन्नाथः पवनः पावनोऽनलः।
कामहा कामकृत्कान्तः कामः कामप्रदः प्रभुः॥३२॥
युगादिकृद्युगावर्तो नैकमायो महाशनः।
अदृश्यो व्यक्तरूपश्च सहस्रजिदनन्तजित्॥३३॥
इष्टोऽविशिष्टः शिष्टेष्टः शिखण्डी नहुषो वृषः।
क्रोधहा क्रोधकृत्कर्ता विश्वबाहुर्महीधरः॥३४॥
अच्युतः प्रथितः प्राणः प्राणदो वासवानुजः।
अपांनिधिरधिष्ठानमप्रमत्तः प्रतिष्ठितः॥३५॥
स्कन्दः स्कन्दधरो धुर्यो वरदो वायुवाहनः।
वासुदेवो बृहद्भानुरादिदेवः पुरन्दरः॥३६॥
अशोकस्तारणस्तारः शूरः शौरिर्जनेश्वरः।
अनुकूलः शतावर्तः पद्मी पद्मनिभेक्षणः॥३७॥
पद्मनाभोऽरविन्दाक्षः पद्मगर्भः शरीरभृत्।
महर्द्धिरृद्धो वृद्धात्मा महाक्षो गरुडध्वजः॥३८॥
अतुलः शरभो भीमः समयज्ञो हविर्हरिः।
सर्वलक्षणलक्षण्यो लक्ष्मीवान् समितिञ्जयः॥३९॥
विक्षरो रोहितो मार्गो हेतुर्दामोदरः सहः।
महीधरो महाभागो वेगवानमिताशनः॥४०॥
उद्भवः क्षोभणो देवः श्रीगर्भः परमेश्वरः।
करणं कारणं कर्ता विकर्ता गहनो गुहः॥४१॥
व्यवसायो व्यवस्थानः संस्थानः स्थानदो ध्रुवः।
परर्द्धिः परमस्पष्टस्तुष्टः पुष्टः शुभेक्षणः॥४२॥
रामो विरामो विरजो (विरतो) मार्गो नेयो नयोऽनयः।
वीरः शक्तिमतां श्रेष्ठो धर्मो धर्मविदुत्तमः॥४३॥
वैकुण्ठः पुरुषः प्राणः प्राणदः प्रणवः पृथुः।
हिरण्यगर्भः शत्रुघ्नो व्याप्तो वायुरधोक्षजः॥४४॥
ऋतुः सुदर्शनः कालः परमेष्ठी परिग्रहः।
उग्रः संवत्सरो दक्षो विश्रामो विश्वदक्षिणः॥४५॥
विस्तारः स्थावरस्थाणुः प्रमाणं बीजमव्ययम्।
अर्थोऽनर्थो महाकोशो महाभोगो महाधनः॥४६॥
अनिर्विण्णः स्थविष्ठोऽभूर्धर्मयूपो महामखः।
नक्षत्रनेमिर्नक्षत्री क्षमः क्षामः समीहनः॥४७॥
यज्ञ इज्यो महेज्यश्च क्रतुः सत्रं सतां गतिः।
सर्वदर्शी विमुक्तात्मा सर्वज्ञो ज्ञानमुत्तमम्॥४८॥
सुव्रतः सुमुखः सूक्ष्मः सुघोषः सुखदः सुहृत्।
मनोहरो जितक्रोधो वीरबाहुर्विदारणः॥४९॥
स्वापनः स्ववशो व्यापी नैकात्मा नैककर्मकृत्।
वत्सरो वत्सलो वत्सी रत्नगर्भो धनेश्वरः॥५०॥
धर्मगुब्धर्मकृद्धर्मी सदसत्क्षरमक्षरम्।
अविज्ञाता सहस्रांशुर्विधाता कृतलक्षणः॥५१॥
गभस्तिनेमिः सत्त्वस्थः सिंहो भूतमहेश्वरः।
आदिदेवो महादेवो देवेशो देवभृद्गुरुः॥५२॥
उत्तरो गोपतिर्गोप्ता ज्ञानगम्यः पुरातनः।
शरीरभूतभृद्भोक्ता कपीन्द्रो भूरिदक्षिणः॥५३॥
सोमपोऽमृतपः सोमः पुरुजित्पुरुसत्तमः।
विनयो जयः सत्यसंधो दाशार्हः सात्त्वतांपतिः॥५४॥
जीवो विनयिता साक्षी मुकुन्दोऽमितविक्रमः।
अम्भोनिधिरनन्तात्मा महोदधिशयोऽन्तकः॥५५॥
अजो महार्हः स्वाभाव्यो जितामित्रः प्रमोदनः।
आनन्दो नन्दनो नन्दः सत्यधर्मा त्रिविक्रमः॥५६॥
महर्षिः कपिलाचार्यः कृतज्ञो मेदिनीपतिः।
त्रिपदस्त्रिदशाध्यक्षो महाशृङ्गः कृतान्तकृत्॥५७॥
महावराहो गोविन्दः सुषेणः कनकाङ्गदी।
गुह्यो गभीरो गहनो गुप्तश्चक्रगदाधरः॥५८॥
वेधाः स्वाङ्गोऽजितः कृष्णो दृढः संकर्षणोऽच्युतः।
वरुणो वारुणो वृक्षः पुष्कराक्षो महामनाः॥५९॥
भगवान् भगहाऽऽनन्दी वनमाली हलायुधः।
आदित्यो ज्योतिरादित्यः सहिष्णुर्गतिसत्तमः॥६०॥
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कालाष्टमी व्रत : जानिए...तारीख और पूजा का शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म में व्रत त्योहारों की कमी नहीं है लेकिन कालाष्टमी व्रत को बेहद ही खास माना गया है हो कि हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाया जाता है इस दिन भगवान शिव के रौद्र स्वरूप बाबा भैरव की विधिवत पूजा का विधान होता है।
मान्यता है कि काल भैरव की पूजा करने से जीवन से सारी परेशानियां दूर हो जाती है और इच्छा पूर्ति का आशीर्वाद मिलता है। भैरव बाबा की पूजा भय, नकारात्मक शक्तियों व शत्रुओं से छुटकारा दिलाती है ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा कालाष्टमी की तारीख और मुहूर्त की जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार माध मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 2 फरवरी को शाम 4 बजकर 3 मिनट से आरंभ हो रही है जो कि 3 फरवरी की शाम को 5 बजकर 20 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। भैरव बाबा की पूजा निशिता काल में करना शुभ माना जाता है ऐसे में माघ मास की कालाष्टमी का व्रत 2 फरवरी को किया जाएगा।
कालाष्टमी की पूजा का शुभ समय-
कालाष्टमी के दिन भैरव बाबा की पूजा निशिता काल में करना शुभ माना जाता है ऐसे में 2 फरवरी को निशिता काल का समय रात 12 बजकर 8 मिनट से लेकर 1 बजकर 1 मिनट तक रहेगा। जो लोग दिन में पूजा करते हैं वे सूर्योदय के बाद किसी भी समय बाबा भैरव की पूजा कर सकते हैं। इसके अलावा कालाष्टमी व्रत का शुभ समय 2 फरवरी की दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। मान्यता है कि इस दिन प्रभु की आराधना करने से जीवन की सारी परेशानियां और दुख दूर हो जाते हैं और सुख समृद्धि व सफलता का आशीर्वाद मिलता है।
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षटतिला एकादशी के दिन 6 तरीकों से करें तिल का इस्तेमाल

सनातन धर्म में व्रत त्योहारों को खास माना गया है लेकिन एकादशी का व्रत सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है जो कि हर माह में दो बार आता है अभी माघ मास चल रहा है और इस माह पड़ने वाली एकादशी को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जा रहा है जो कि भगवान विष्णु की साधना को समर्पित दिन है इस दिन भक्त भगवान की विधि विधान से पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर षटतिला एकादशी का व्रत किया जाता है इस दिन तिल का 6 तरह से उपयोग करना लाभकारी माना जाता है। इसके अलावा एकादशी तिथि पर तिल से भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को मृत्यु के बाद मोक्ष मिलता है। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा षटतिला एकादशी पर तिल का 6 तरीको से प्रयोग और मुहूर्त के बारे में बता रहे हैं।
षटतिला एकादशी की तारीख-
हिंदू पंचांग के अनुसार षटतिला एकादशी माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि यानी 5 फरवरी को शाम 5 बजकर 24 मिनट से आरंभ हो रही है और इसका समापन 6 फरवरी को शाम 4 बजकर 7 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में एकादशी का व्रत पूजन 6 फरवरी दिन मंगलवार को करना लाभकारी होगा।
षटतिला एकादशी की पूजा का मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार 6 फरवरी दिन मंगलवार को षटतिला एकादशी मनाई जाएगी और इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके पूजा पाठ करने का विधान है उस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 30 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 21 मिनट तक प्राप्त हो रहा है। वही पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 2 मिनट से लेकर दोपहर 2 बजकर 18 मिनट तक मिल रहा है यह समय पूजा के लिए श्रेष्ठ है।
एकादशी पर ऐसे करें तिल का प्रयोग-
षटतिला एकादशी के दिन तिल का इस्तेमाल 6 कार्यों में करना लाभकारी माना जाता है ऐसे में तिल को स्नान के जल में मिलाकर स्नान करें। तिल को उबटन मिलाकर पूरे शरीर पर लगाए। अगर हवन कर रहे हैं तो आहुति के लिए भी तिल का इस्तेमाल करें। इस दिन तिल का दान गरीबों में करें। एकादशी के दिन भोजन में भी तिल का इस्तेमाल करें इसके साथ ही तिल से इस दिन पितरो को तर्पण करें।
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फरवरी माह में 11 दिन विवाह मुहूर्त, जानिए... तारीख

सनातन धर्म में विवाह को 16 संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि यदि शुभ घड़ी या मुहूर्त में विवाह संपन्न होता है तो दंपत्ति के जीवन में खुशहाली और प्रेम बना रहता है। सनातन धर्म में विवाह संस्कार शुभ मुहूर्त देखकर ही संपन्न किया जाता है। पंडित प्रभु दयाल दीक्षित के मुताबिक, फरवरी माह में विवाह के लिए कुल 11 दिन शुभ मुहूर्त है, जो इस प्रकार है।
फरवरी माह में विवाह मुहूर्त-
04 फरवरी, रविवार को सुबह 07.21 बजे से 05 फरवरी की सुबह 05.44 बजे तक। इस दौरान अनुराधा नक्षत्र रहेगा। इन दो दिनों में नवमी और दशमी तिथि रहेगी।
06 फरवरी, मंगलवार को मूल नक्षत्र के दौरान विवाह मुहूर्त दोपहर 1.18 मिनट से 07 फरवरी की सुबह 06.27 बजे तक रहेगा। इस दौरान एकादशी और द्वादशी तिथि रहेगी।
07 फरवरी, बुधवार को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र रहेगा। इस दौरान विवाह मुहूर्त सुबह 4.37 बजे से 8 फरवरी की सुबह 07.05 बजे तक रहेगा। इन दिन त्रयोदशी तिथि रहेगी।
08 फरवरी, गुरुवार को भी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के दौरान सुबह 07.05 मिनट से सुबह 11.17 बजे तक विवाह मुहूर्त रहेगा।
12 फरवरी, सोमवार को विवाह मुहूर्त दोपहर 02.56 मिनट से 13 फरवरी की सुबह 07.02 बजे तक रहेगा। इस दौरान उत्तराभाद्रपद नक्षत्र रहेगा।
13 फरवरी, मंगलवार को पंचमी तिथि पर रेवती नक्षत्र रहेगा। इस दौरान विवाह मुहूर्त दोपहर 02.41 बजे से 14 फरवरी की सुबह 05.11 बजे तक रहेगा।
17 फरवरी, शनिवार को विवाह मुहूर्त सुबह 08.46 मिनट से दोपहर 1.44 मिनट तक रोहिणी नक्षत्र में रहेगा। इस दिन नवमी तिथि रहेगी।
24 फरवरी, शनिवार को भी विवाह मुहूर्त मघा नक्षत्र में रहेगा। इस दिन सुबह से रात 10.20 बजे तक विवाह मुहूर्त रहेगा।
25 फरवरी, रविवार को मध्यरात्रि 01.24 मिनट से 26 फरवरी की सुबह 06.50 मिनट तक उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र रहेगा। इस दिन द्वितीया तिथि रहेगी।
26 फरवरी, सोमवार को विवाह मुहूर्त सुबह 06.50 मिनट से दोपहर 03.27 मिनट तक रहेगा। इस दौरान भी द्वितीया तिथि रहेगी।
29 फरवरी, गुरुवार को विवाह मुहूर्त सुबह 10.22 मिनट से 01 मार्च की सुबह 06.46 बजे तक रहेगा। इस दौरान शुभ स्वाति नक्षत्र रहेगा। इस दिन पंचमी तिथि रहेगी।

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तुलसी के इन मंत्रों के जाप से सभी समस्याओं से मिलेगा छुटकारा

सनातन धर्म में तुलसी को बेहद पवित्र और पूजनीय माना गया है और लोग इसकी विधिवत पूजा करते हैं सुबह जल अर्पित किया जाता है तो वही संध्याकाल में घी का दीपक जलाते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से सकारात्मकता आती है इस धर्म को मानने वाले अधिकतर घरों में तुलसी का पौधा लगा होता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी पर माता लक्ष्मी का वास होता है ऐसे में इसकी पूजा करने से लक्ष्मी और श्री हरि विष्णु की कृपा बरसती है लेकिन इसी के साथ ही अगर तुलसी के चमत्कारी मंत्रों का जाप किया जाए तो जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं, तो आज हम आपको उन्हीं के बारे में बता रहे हैं।
तुलसी पूजा मंत्र-
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।
तुलसी नामाष्टक मंत्र-
वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।
तुलसी जी की स्तुति-
मनः प्रसादजननि सुखसौभाग्यदायिनि।
आधिव्याधिहरे देवि तुलसि त्वां नमाम्यहम्॥
यन्मूले सर्वतीर्थानि यन्मध्ये सर्वदेवताः।
यदग्रे सर्व वेदाश्च तुलसि त्वां नमाम्यहम्॥
अमृतां सर्वकल्याणीं शोकसन्तापनाशिनीम्।
आधिव्याधिहरीं नॄणां तुलसि त्वां नम्राम्यहम्॥
देवैस्त्चं निर्मिता पूर्वं अर्चितासि मुनीश्वरैः।
नमो नमस्ते तुलसि पापं हर हरिप्रिये॥
सौभाग्यं सन्ततिं देवि धनं धान्यं च सर्वदा।
आरोग्यं शोकशमनं कुरु मे माधवप्रिये॥
तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भयोऽपि सर्वदा।
कीर्तिताऽपि स्मृता वाऽपि पवित्रयति मानवम्॥
या दृष्टा निखिलाघसङ्घशमनी स्पृष्टा वपुःपावनी
रोगाणामभिवन्दिता निरसनी सिक्ताऽन्तकत्रासिनी।
प्रत्यासत्तिविधायिनी भगवतः कृष्णस्य संरोपिता
न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नमः॥
॥ इति श्री तुलसीस्तुतिः ॥
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