धर्म समाज

हनुमान जन्मोत्सव पर शनि दोष से मुक्ति पाने करें ये उपाय

इंदौर। राम भक्त महाबली हनुमान का प्रकट उत्सव हर साल उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस साल हनुमान जन्मोत्सव चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि 23 अप्रैल 2024 को सुबह 03:25 मिनट पर प्रारंभ होगी और 24 अप्रैल 2024 को सुबह 05:18 बजे खत्म होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, हनुमान जन्मोत्सव 23 अप्रैल, मंगलवार को मनाया जाएगा।
हनुमान की आराधना से प्रसन्न होते हैं शनिदेव-
पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, हनुमान जी की आराधना करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। यदि किसी जातक की कुंडली में शनि दोष है तो चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि को किए जाने कुछ उपाय उसके लिए फायदेमंद साबित होंगे।
शनि दोष से मुक्ति के लिए उपाय-
हनुमान जन्मोत्सव पर सुन्दरकाण्ड, हनुमान चालीसा और शनि चालीसा का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है।
हनुमान जी की पूजा के दौरान काले तिल का तेल और नीले रंग के फूल जरूर अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से भी शनि देव प्रसन्न होते हैं।
हनुमान जन्मोत्सव पर काली गाय की सेवा करनी चाहिए। काली गाय की सेवा करने से शनि दोष कम होता है। जातक के जीवन में आ रही बाधाएं दूर हो जाती है। काली गाय की पूजा व आरती करना चाहिए और घी लगी रोटी खिलाना चाहिए।
सूर्यास्त के बाद हनुमान जी के साथ में शनिदेव की पूजा करना चाहिए। शाम के समय बरगद और पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना शुभ होता है।
रुद्राक्ष की माला से शनि मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से शनिदेव के साथ-साथ हनुमान जी भी प्रसन्न होते हैं और सुख-संपत्ति का आशीर्वाद देते हैं।

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बुद्ध पूर्णिमा 22 मई को, जानिए...शुभ मुहूर्त और महत्व

सनातन धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को खास बताया गया है जो कि हर माह में एक बार आती है इस दिन स्नान दान, पूजा पाठ और तप जप का विधान होता है मान्यता है कि पूर्णिमा तिथि पर लक्ष्मी पूजा उत्तम फल प्रदान करती है और धन संकट दूर कर देती है। पंचांग के अनुसार हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन पूर्णिमा मनाई जाती है इस बार 23 मई को वैशाख पूर्णिमा है। इसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वैशाख पूर्णिमा के शुभ दिन पर ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था इसी दिन ज्ञान की प्राप्ति और परिनिर्वाण हुआ था। हर साल वैशाख पूर्णिमा के दिन बुद्ध जयंती का पर्व मनाया जाता है इस पावन दिन पर भक्त भगवान बुद्ध की विधिवत पूजा आराधना करते हैं इस शुभ दिन पर भक्त गंगा समेत अन्य पवित्र नदियों में स्नान व आस्था की डुबकी भी लगाते हैं। साथ ही पूजा पाठ व दान पुण्य के कार्य भी करते हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बुद्ध पूर्णिमा से जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा पर शुभ मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा 22 मई को देर रात 6 बजकर 47 मिनट पर आरंभ हो रही है और इसका समापन अगले दिन यानी 23 मई को संध्याकाल 7 बजकर 22 मिनट पर हो जाएगा। वही उदया तिथि के अनुसार 23 मई को ही बुद्ध पूर्णिमा का पावन पर्व मनाया जाएगा। ज्योतिष अनुसार बुद्ध पूर्णिमा के शुभ दिन पर भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है इस योग का निर्माण संध्याकाल 7 बजकर 9 मिनट पर हो रहा है।
बुद्ध पूर्णिमा के शुभ दिन पर भक्त सुबह उठकर स्नान आदि करें इसके बाद भगवान बुद्ध का ध्यान कर उनकी विधिवत पूजा करें और चाहे तो उपवास भी रखें। माना जाता है कि इस विशेष दिन पर पूजा पाठ और व्रत करने से भक्तों का कल्याण होता है और जीवन के दुखों व परेशानियों का समाधान हो जाता है।
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शुक्रवार के दिन करें ये उपाय, मां लक्ष्मी होगी प्रसन्न

शुक्रवार को देवी लक्ष्मी का दिन माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी धन संबंधी कामना के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। यही कारण है कि लोग इस पवित्र दिन पर विभिन्न उपाय करते हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनके जीवन में कभी भी वित्तीय संकट का सामना न करना पड़े। ऐसे में अगर आप आर्थिक तंगी से छुटकारा पाना चाहते हैं तो शुक्रवार के दिन यहां बताए गए खास उपाय जरूर आजमाएं, तो आइए जानते हैं इसके बारे में -
धन और समृद्धि के लिए-
अगर आप आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं तो आपको शुक्रवार के दिन लक्ष्मी नारायण स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इसके बाद मां लक्ष्मी को मखाने की खीर का भोग लगाना चाहिए और विधिवत पूजा करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस उपाय के प्रयोग से तुरंत आशाजनक परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं।
सुख और समृद्धि के लिए-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार (शुक्रवार की सलाह) शुक्रवार के दिन देवी लक्ष्मी को कौड़ी, कमल, मखाना, बताशा, खीर, गुलाब और इत्र चढ़ाना शुभ माना जाता है क्योंकि ये चीजें धन की देवी को बहुत प्रिय हैं। ऐसा कहा जाता है कि इसे चढ़ाने से उन्हें खुशी, खुशी और समृद्धि मिलती है।
वित्तीय संकट के लिए-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगर आप आर्थिक तंगी को दूर करना चाहते हैं तो शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की श्रीयंत्र की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। कमल के फूल भी चढ़ाने चाहिए और श्री सूक्त का पाठ करना चाहिए। इस उपाय के प्रयोग से धीरे-धीरे आर्थिक तंगी दूर होने की उम्मीद है।
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कामदा एकादशी व्रत आज, जानिए...पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त

सनातन धर्म में वैसे तो कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं लेकिन एकादशी व्रत को बेहद ही खास माना गया है जो कि हर माह में दो बार आता है अभी चैत्र का महीना चल रहा है और इस माह पड़ने वाली एकादशी को कामदा एकादशी के नाम से जाना जाता है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी की तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु की साधना आराधना को समर्पित होती है इस दिन भक्त भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु की असीम कृपा प्राप्त होती है
इस बार कामदा एकादशी का व्रत आज यानी 19 अप्रैल दिन शुक्रवार को किया जा रहा है इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन संबंधी समस्याओं का निवारण हो जाता है साथ ही तरक्की मिलती है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
कामदा एकादशी का शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 18 अप्रैल दिन गुरुवार को शाम 5 बजकर 31 मिनट से आरंभ हो चुकी है और इस तिथि का समापन 19 अप्रैल दिन शुक्रवार को रात 8 बजकर 4 मिनट पर हो जाएगा।
उदया तिथि के अनुसार कामदा एकादशी का व्रत इस साल 19 अप्रैल दिन शुक्रवार यानी की आज किया जा रहा है। कामदा एकाशी के दिन पूजा के लिए अभिजीत मुहूर्त आज सुबह 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर के 12 बजकर 46 मिनट तक प्राप्त हो रहा है इस मुहूर्त में स्नान दान व पूजा पाठ करना लाभकारी होगा।
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हनुमान जयंती पर करें ये उपाय, कर्ज होगा समाप्त

हिंदू धर्म में राम भक्त हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है। हनुमान जयंती उनकी पूजा के लिए बहुत शुभ मानी जाती है और साल में दो बार मनाई जाती है। इस साल की पहली हनुमान जयंती चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि यानी मंगलवार 23 अप्रैल को मनाई जाएगी। इसलिए ज्योतिष में इसका महत्व और भी अधिक हो गया है. इस दिन के लिए ऐसे कई उपाय हैं जिनसे आप बड़ी से बड़ी समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। हमें बताइए।
शनि दोष दूर करें-
हनुमान जयंती पर हनुमान जी की पूजा करने से कई अद्भुत लाभ मिलते हैं। कहा जाता है कि शनि दोष, ढैय्या, साढ़ेसाती या अन्य बुरे प्रभावों से पीड़ित लोगों को हनुमान जन्मोत्सव पर सरसों के तेल के दीपक में काले तिल डालकर हनुमान जी के सामने जलाना चाहिए। इस उपाय को करने से शनि पीड़ा से राहत मिलती है। आपको बजरंगबली का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा।
ऋण और दावों के लिए-
हनुमान जयंती पर बजरंगबली को लड्डू, तुलसी की माला और लाल चोला चढ़ाएं। साथ ही चमेली के तेल का दीपक भी जलाएं। साथ ही सात बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। इससे आपको कर्ज, धन, कोर्ट-कचहरी आदि समस्याओं से छुटकारा मिलेगा। इसका मतलब है कि घर की सभी चिंताएं दूर हो जाएंगी।
हनुमान जयंती पूजा मुहूर्त-
हनुमान जन्मोत्सव पूजा 23 अप्रैल 2024 को सुबह 8:02 बजे से दोपहर 12:24 बजे तक होगी. शाम को 5 बजकर 30 मिनट से 7 बजकर 24 मिनट तक आप हनुमान जी की पूजा कर सकते हैं. आपको बता दें कि पंचांग के अनुसार यह अवधि बहुत ही अनुकूल मानी जाती है।
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वरुथिनी एकादशी 4 मई को, जानिए...संपूर्ण विधि और नियम

हिंदू धर्म में व्रत त्योहारों की कमी नहीं है लेकिन एकादशी व्रत को विशेष माना गया है जो कि हर माह के दोनों पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाया जाता है इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा और व्रत की जाती है माना जाता है कि एकादशी के दिन पूजा पाठ और व्रत करने से प्रभु की कृपा प्राप्त होती है।
पंचांग के अनुसार हर साल वैशाख मास के कृष्ण पख की दशमी तिथि के अगले दिन वरुथिनी एकादशी का व्रत किया जाता है इस बार यह व्रत 4 मई को पड़ रहा है इस दिन व्रत करने से साधक को पुण्य की प्राप्त होती है और उसके सभी पाप व बुराईयों का नाश हो जाता है। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा वरुथिनी एकादशी की संपूर्ण पूजा विधि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
वरुथिनी एकादशी की तारीख और मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 3 मई को देर रात 11 बजकर 24 मिनट से आरंभ हो रही है और इसका समापन 4 मई को रात 8 बजकर 38 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में उदया तिथि की माने तो 4 मई के दिन ही वरुथिनी एकादशी का व्रत पूजन किया जाएगा।
इस विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा-
वरुथिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान विष्णु को प्रणाम कर अपने दिन का आरंभ करें इसके बाद घर की साफ सफाई करें और गंगाजल युक्त पानी से सन करें अब आचमन कर व्रत का संकल्प करें। फिर पीले वस्त्रों को धारण कर सूर्येदेव को जल अर्पित करें इसके बाद घर में पंचोपचार कर विधिवत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें भगवान को पीले पुष्प, फल, हल्दी, चंदन, अक्षत, खीर अर्पित करें इसके बाद भगवान विष्णु की चालीसा, कवच और स्तोत्र का भक्ति भाव से पाठ करें भगवान की आरती करें और सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना करें। शाम के वक्त भगवान की पूजा और आरती करके फलाहार ग्रहण करें अगले दिन शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें।
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चैत्र पूर्णिमा 23 अप्रैल को, जानिए...शुभ मुहर्त और पूजा विधि

नई दिल्ली। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हिंदू नववर्ष की पहली पूर्णिमा आती है. इसे ही चैत्र पूर्णिमा या चैती पूनम के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन चंद्र देव की चमक पूर्ण पर होती है. पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-आराधना होती है. हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस व्रत को करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. ऐसे में अगर आप भी चैत्र पूर्णिमा का इंतजार कर रहे हैं तो यहां जानिए कब है पूर्णिमा, पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि-
इस महीने शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 23 अप्रैल 2024 को है. इस दिन सुबह 3 बजकर 25 मिनट से शुभ मुहूर्त की शुरुआत होगी जो अगले दिन 24 अप्रैल, 2024 को सुबह 5 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी. इसीलिए चैत्र पूर्णिमा 23 अप्रैल को होगी. अगर आप भी चैत्र पूर्णिमा के दिन व्रत, पूजा-पाठ करते हैं तो बता दें कि 23 अप्रैल को सुबह 4 बजकर 20 मिनट से स्नान मुहूर्त की शुरुआत हो जाएगी जो 5 बजकर 04 मिनट तक रहेगी. इस दौरान स्नान आदि करना शुभ माना जाता है.
चैत्र पूर्णिमा की पूजा विधि-
1. चैत्र पूर्णिमा के दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी काम करके शुभ मुहूर्त में स्नान कर लेना चाहिए.
2. अब चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापति करें.
3. इसके बाद दीपक जलाकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आराधना करें.
4. इसके बाद कनकधारा स्तोत्र और मंत्रों का जाप करें.
5. अब आरती कर फल, खीर, मिठाई का भोग लगाएं.
6. प्रसाद का वितरण करें.
7. अंत में ब्राह्मण या गरीबों को श्रद्धा के अनुसार दान करें.
भगवान विष्णु के इन मंत्रों का जाप करें-
1. ॐ नमो : नारायणाय
2. ॐ नमो : भगवते वासुदेवाय
3. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
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शीघ्र विवाह के लिए गुरुवार के दिन करें ये उपाय

आज गुरुवार के दिन, जो कि भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति की पूजा आराधना को समर्पित किया गया है, भक्त भगवान विष्णु के साथ साथ बृहस्पति देव की भी विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु की अपार कृपा प्राप्त होती है।
लेकिन इसी के साथ ही अगर गुरुवार के दिन गुरु स्तोत्र का पाठ भक्ति भाव से किया जाए तो कुंडली का गुरु मजबूत होकर शुभ फल प्रदान करता है जिससे विवाह में आने वाली हर बाधा दूर हो जाती है और शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।
गुरु स्तोत्र का पाठ-
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुस्साक्षात्परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशलाकया।
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः॥
अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरं।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
अनेकजन्मसंप्राप्तकर्मबन्धविदाहिने ।
आत्मज्ञानप्रदानेन तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
मन्नाथः श्रीजगन्नाथो मद्गुरुः श्रीजगद्गुरुः।
ममात्मासर्वभूतात्मा तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
बर्ह्मानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिम्,
द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम्।
एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षिभूतं,
भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्गुरुं तं नमामि ॥
बृहस्पति कवच का पाठ-
अभीष्टफलदं देवं सर्वज्ञम् सुर पूजितम् ।
अक्षमालाधरं शांतं प्रणमामि बृहस्पतिम् ॥
बृहस्पतिः शिरः पातु ललाटं पातु मे गुरुः ।
कर्णौ सुरगुरुः पातु नेत्रे मे अभीष्ठदायकः ॥
जिह्वां पातु सुराचार्यो नासां मे वेदपारगः ।
मुखं मे पातु सर्वज्ञो कंठं मे देवतागुरुः ॥
भुजावांगिरसः पातु करौ पातु शुभप्रदः ।
स्तनौ मे पातु वागीशः कुक्षिं मे शुभलक्षणः ॥
नाभिं केवगुरुः पातु मध्यं पातु सुखप्रदः ।
कटिं पातु जगवंद्य ऊरू मे पातु वाक्पतिः ॥
जानुजंघे सुराचार्यो पादौ विश्वात्मकस्तथा ।
अन्यानि यानि चांगानि रक्षेन्मे सर्वतो गुरुः ॥
इत्येतत्कवचं दिव्यं त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः ।
सर्वान्कामानवाप्नोति सर्वत्र विजयी भवेत् ॥
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मां बम्लेश्वरी मंदिर में प्रज्वलित ज्योति कलशों का विसर्जन

डोंगरगढ़। नवरात्र पर्व के अंतिम दिन नवमी पर विश्व प्रसिद्ध मां बम्लेश्वरी मंदिर में ज्योति कलशों का विसर्जन किया गया। बुधवार देर रात हुए इस ज्योति कलश विसर्जन को देखने छत्तीसगढ़ के अलावा महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश समेत अन्य राज्यों से भी लोग पहुंचे थे।
नौ दिन तक चले नवरात्र पर्व पर मां बम्लेश्वरी मंदिर में लोगों के आस्था की ज्योत प्रज्वलित की गई थी। ऊपर स्थित मां बम्लेश्वरी में विधिविधान के साथ पूजा अर्चना कर सुबह चार बजे ज्योति कलशों का विसर्जन किया गया।
वहीं देर रात नीचे स्थित मां बम्लेश्वरी मंदिर में पंडितों तथा मंदिर के बेगा द्वारा मां बम्लेश्वरी तथा भैरो जी पूजा पाठ की गई। तत्पश्चात महिलाएं ने अपने सिर पर ज्योति कलशों को रखकर पटरी पार शहर के ऐतिहासिक प्राचीन महावीर मंदिर तालाब पहुंची,जहां ज्योति कलशों का विसर्जन किया गया। इस दौरान रेल्वे द्वारा भी इस रूट पर आधे घंटे तक रेलवे का परिचालन रोका गया था। ज्योति कलश विसर्जन के साथ ही इस चैत्र नवरात्र पर्व की समाप्ति हुई।
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प्रभु श्रीराम की शोभायात्रा में शामिल हुए मंत्री ओपी चौधरी

रायगढ़। प्रभु श्रीराम की शोभायात्रा में मंत्री ओपी चौधरी शामिल हुए। मंत्री चौधरी ने X पोस्ट में शोभायात्रा की झलक शेयर करते लिखा- गत संध्या रामनवमी के शुभ अवसर पर रायगढ़ स्थित नटवर स्कूल के ग्राउंड से सभी राम भक्तों के साथ प्रभु श्रीराम की शोभायात्रा निकाली और पूरा रायगढ़ नगर भ्रमण किया एवं सभी रायगढ़वासियों को रामनवमी की शुभकामनायें और बधाई देते हुए राम भक्तों को प्रसाद प्रदान करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
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क्यों मनाई जाती है राम नवमी?, जानिए...शुभ मुहूर्त

भगवान श्री राम सृष्टि के रचयिता भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं. धार्मिक मान्यताएं कहती हैं कि भगवान श्री राम का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। इसलिए हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को राम नवमी मनाई जाती है। राम भक्तों को इस त्योहार के आने का बेसब्री से इंतजार रहता है. इस बार रामनवमी आज मनाई जाएगी. इस खास मौके पर भगवान श्री राम की विशेष पूजा-अर्चना करने की परंपरा है। इस दिन मां सिद्धदात्री की भी पूजा की जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं रामनवमी से जुड़ी अहम बातें.
रामनवमी क्यों मनाते हैं?-
हर साल रामनवमी का त्यौहार भगवान श्री राम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन घर और मंदिरों में भगवान की विधि-विधान से पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान विष्णु ने भगवान श्रीराम के रूप में अवतार लिया था। भगवान राम ने राजा दशरथ और रानी कौशल्या के घर अवतार लिया। इसलिए चैत्र माह में रामनवमी पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है।
राम नवमी पर क्या करें?-
रामनवमी के दिन भगवान श्री राम की पूजा करनी चाहिए।
विशेष वस्तुओं का दान करना चाहिए.
भगवान को पीले फूल अर्पित करें।
पूजा के दौरान राम चालीसा का जाप करें।
पूजा के अंत में आरती अवश्य करें।
लोगों को प्रसाद बांटें.
राम के वंशज कौन हैं?-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम की मृत्यु नहीं हुई थी बल्कि वे उनके शरीर के साथ वैकुंड चले गए थे। आधुनिक काल में मौर्य, सिसौदिया, कुशवाह, शाक्य और बैचल को राजपूत राजवंश माना जाता है। ये सभी भगवान राम के वंशज हैं.
राम नवमी तिथि और शुभ मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 16 अप्रैल को दोपहर 1:23 बजे शुरू हुई और 17 अप्रैल को दोपहर 3:14 बजे समाप्त होगी. ऐसे में आज यानी 17 अप्रैल को रामनवमी मनाई जा रही है.
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माता के नौ शक्तिपीठों के दर्शन से सभी कष्टों से मिलती है मुक्ति

हिंदू धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन नवरात्रि को विशेष बताया गया है जो कि नौ दुर्गा की साधना आराधना को समर्पित होता है यही कारण है कि नवरात्रि को देवी साधना का महापर्व भी कहा जाता है अभी चैत्र मास चल रहा है और इस माह की नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि के नाम से जाना जाता है जो कि पूरे नौ दिनों तक चलता है इसमें माता के नौ अलग अलग स्वरूपों की विधिवत पूजा की जाती है और उपवास आदि भी रखा जाता है माना जाता है कि नवरात्रि के दिनों में भक्ति भाव से देवी आराधना करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती है आज यानी 17 अप्रैल का चैत्र नवरात्रि की नवमी है जिसे महानवमी के नाम से भी जाना जाता है इस पावन दिन पर मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की विधिवत पूजा करने का विधान है माना जाता है कि आज के दिन सिद्धिदात्री की आराधना करने से सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है और कष्टों का समाधान हो जाता है। नवरात्रि के पावन ​दिन पर आज हम माता के नौ शक्तिपीठों के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
चैत्र नवरात्रि की महानवमी पर करें माता के प्रसिद्धि शक्तिपीठ के दर्शन-
कालीघाट मंदिर, अम्बाजी का मंदिर, हर सिद्धि माता मंदिर, ज्वाला देवी मंदिर, कामख्या देवी मंदिर, तारापीठ, नैना देवी मंदिर, श्रीवज्रेश्वरी देवी मंदिर, महालक्ष्मी मंदिर। माता रानी के इन सिद्ध शक्तिपीठों में दर्शन कर भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है और देवी की कृपा प्राप्त होती है।
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कामदा एकादशी पर करें ये उपाय, मिलेगा मनचाह वरदान

हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन कामदा एकादशी मनाई जाती है। इस साल कामता एकादशी 19 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस दिन सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने का विधान है। व्रत के इस गुण की बदौलत साधक सभी प्रकार के सांसारिक सुखों को प्राप्त कर सकता है। साथ ही पिछले जन्म में किए गए सभी पाप भी दूर हो जाते हैं। इसलिए इस दिन भक्त भक्ति भाव से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। ज्योतिष शास्त्र में नियम है कि एकादशी के दिन विशेष उपाय किये जाते हैं। इन उपायों को अपनाकर साधक मनोवांछित फल प्राप्त कर सकता है। इसके अलावा आपकी आय, आयु, सुख और खुशियों में काफी वृद्धि होगी। अगर आप भी भगवान विष्णु को प्रसन्न करना चाहते हैं तो कामदा एकादशी के दिन ये उपाय जरूर अपनाएं।
अगर आप अपनी कुंडली में बृहस्पति को मजबूत करना चाहते हैं तो कामदा एकादशी की पूजा के दौरान जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को हल्दी की 7 गांठें चढ़ाएं। इस उपचार से आपकी ख़ुशी बढ़ जाएगी।
अगर आप कामदा एकादशी से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो विधि-विधान से स्नान-ध्यान के बाद भगवान नारायण की पूजा करें। पूजा के दौरान एक नारियल भी चढ़ाएं। इस समाधान का पालन करके खोजकर्ता वांछित परिणाम प्राप्त कर सकता है।
अगर आप आर्थिक असमानता को दूर करना चाहते हैं तो एकादशी तिथि स्नान-ध्यान के बाद पीला रंग धारण करें। फिर कच्चे दूध में केसर मिलाकर तेल से भगवान विष्णु का अभिषेक करें। इस उपचार से आपकी ख़ुशी बढ़ जाएगी.
अगर आप देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो कामदा एकादशी के दिन भूरे चावल की खीर बनाकर भगवान विष्णु और धन की देवी को प्रसाद के रूप में चढ़ाएं। बस भगवान को केकड़ों की अच्छाइयां अर्पित करें। अगर आप यह उपाय अपनाएंगे तो आपकी आमदनी बढ़ने लगेगी।
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महानवमी पर ऐसे करें कन्या पूजन, जानिए...शुभ मुहूर्त

आज बुधवार 17 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि की महानवमी मनाई जा रही है इस दिन भक्त मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की विधिवत पूजा करते हैं और माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं नवमी नवरात्रि का आखिरी दिन होता है इस दिन कन्या पूजन के बाद भक्त अपना व्रत खोलते है। ऐसे में अगर आप भी आज कन्या पूजन कर रहे हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, नोट करें।
नवमी तिथि का शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 16 अप्रैल को रात 1 बजकर 23 मिनट से आरंभ हो चुकी है जिसका समापन 17 अप्रैल को दोपहर 3 बजकर 14 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में महानवमी 17 अप्रैल यानी आज बुधवार को मनाई जा रही है।
कन्या पूजन का सही तारीका-
आपको बता दें कि महानवमी के दिन कन्या पूजा के लिए घर आईं कन्याओं का सच्चे मन से स्वागत करें। इससे माता रानी प्रसन्न हो जाती हैं इसके बाद साफ पानी से उनके पैरों को धोना चाहिए और सभी नौ कन्याओं के पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए। ऐसा करने से तरक्की मिलती है और पापों का नाश हो जाता है फिर साफ आसन पर बैठकर उनके माथे पर कुमकुम का टीका लगाएं और कलावा बांधें।
कन्याओं को भोजन कराने से पहले भोजन का पहला भाग देवी मां को अर्पित करें फिर सारी कन्याओं को भोजन परोसे। भोजन समाप्त होने के बाद कन्याओं को अपनी इच्छा अनुसार दक्षिणा देकर उपहार भेंट करें और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें और उन्हें सम्मान पूर्वक विदा करें।
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माता सिद्धिदात्री को चढ़ाई गई 301 मीटर लंबी चुनरी

कोरबा। जिले के देवी मंदिरों में आज चैत्र नवरात्र की महानवमी में भक्तों की भारी भीड़ है। आज यहां मां सिद्धिदात्री की विशेष पूजा-अर्चना की गई। वहीं अष्टमी के दिन सर्वमंगला मंदिर में श्रद्धालुओं ने 11 किलोमीटर की पदयात्रा कर माता को 301 मीटर लंबी चुनरी चढ़ाई।
फूल मालाओं से सुसज्जित वाहन में मां दुर्गा की तस्वीर स्थापित की गई थी। श्रद्धालुओं ने हाथों से चुनरी को पकड़कर 11 किलोमीटर की पदयात्रा शुरू की। जैसे-जैसे यात्रा आगे बढ़ती गई, वैसे-वैसे चुनरी को पकड़ने श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती चली गई।
मंगलवार देर शाम यात्रा सीएसईबी चौक और टीपीनगर होते हुए सर्वमंगला मंदिर की ओर बढ़ी। इस दौरान भक्ति गीत बज रहे थे। भक्त माता रानी के जयकारे लगा रहे थे। जब यात्रा शहर के मुख्य मार्ग से होकर गुजर रही थी, तब इसे देखने के लिए सड़क के दोनों ओर भारी संख्या में लोग खड़े नजर आए। देर रात यात्रा सर्वमंगला मंदिर पहुंची। भक्तों ने मां सर्वमंगला को चुनरी चढ़ाई और पूजा-अर्चना कर सुख-शांति और समृद्धि की कामना की।
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चैत्र नवरात्र की नवमीं पर सेवा गीत के साथ जोत-जंवारा का विसर्जन शुरू

राजनांदगांव। चैत्र नवरात्र की नवमीं पर बुधवार को जोत-जंवारा का विसर्जन का सिलसिला शुरू हो गया। जसगीत से भक्तिमय माहौल के बीच अलग-अलग क्षेत्रों से जोत-जंवारा लेकर श्रद्धालु तालाब व सरोवरों में विसर्जन करने का सिलसिला शुरू हो गया। इससे पहले अष्टमी अवसर पर मंगलवार को दोपहर से देर रात तक हवन का दौर चला। हवन में लोग सपरिवार शामिल हुए। मंदिरों में आयोजित हवन में शामिल होकर लोगों ने पूर्णाहूति दी। वहीं परिवार की खुशहाली की कामना लिए भक्तों ने विधिवत पूजा-अर्चना की।
बुधवार को भी लोगों का मंदिरों में पहुंचने का क्रम जारी रहा। वहीं हवन के पश्चात बुधवार को सुबह से जोत जंवारा का विसर्जन का क्रम शुरू हो गया। इससे शहर के जलाशयों व तालाबों के मार्ग में जोत विसर्जन का क्रम जस गीत की धुन में सुबह से ही बने रहने से भक्तिमय माहौल बना हुआ है। इसके साथ ही नवरात्र पर्व पर उपवास रखने वाले भक्तों ने सुबह मंदिरों में पहुंचकर मां की पूजा-अर्चना कर उपवास का समापन किया।
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नवरात्रि की अष्टमी पर इस तरह करें मां महागौरी की पूजा

  • मिलेगी माता रानी की कृपा
चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन भक्तों के लिए बेहद खास होता है. इस बार अष्टमी मंगलवार, 16 अप्रैल 2024 को है. इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा-आराधना की जाती है. हिंदू धर्म में महाअष्टमी का विशेष महत्व होता है. इस दिन कन्यापूजन भी कराया जाता है. कहा जाता है कि मां महागौरी की सच्चे मन और अनुशासन से पूजा करने पर हर तरह के पाप मिट जाते हैं और महिलाओं को अखंड सुहाग सौभाग्य की प्राप्ति होती है. यहां जानिए अष्टमी पर मां महागौरी की पूजा करने के नियम और उनका अत्यंत प्रिय भोग क्या है.
मां महागौरी पूजा या दुर्गा महाअष्टमी पूजा-
चैत्र नवरात्रि में बहुत से भक्त 9 दिन का उपवास रखते हैं और कुछ सिर्फ प्रतिपदा और अष्टमी तिथि के दिन ही व्रत रखते हैं. देवीभगवत् पुराण के अनुसार, नवरात्रि के 8वें दिन की पूजा मां दुर्गा के मूल भाव की पूजा होती है. महादेव के साथ उनकी पत्नी के रूप में महागौरी सदैव विराजमान होती हैं. यही कारण है कि उन्हें शिवा नाम से भी पुकारा जाता है.
मां महागौरी का स्वरूप कैसा है-
मां महागौरी का स्वरूप उज्जवल कोमल, श्वेत वर्ण, श्वेत वस्त्रधारी है. अपने भक्तों के लिए मां अन्नपूर्णा स्वरूप हैं. उनकी चार भुजाएं हैं और मां बैल की सवारी करती हैं. देवी मां के एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में डमरू है. एक हाथ अभय और एक वरमुद्रा में है. हाथ डमरू होने से ही मां को शिवा भी कहा जाता है. मां का यह स्वरूप बेहद शांत है. उन्हें संगीत-भजन अत्यंत प्रिय है. मान्यता है कि मां की पूजा करने से ही हर तरह के दुख नष्ट हो जाते हैं.
मां महागौरी मंत्र का प्रिय भोग-
महाअष्टमी के दिन 'या देवी सर्वभू‍तेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता..' इस मंत्र से मां की पूजा करनी चाहिए. उन्हें भोग (Bhog) में नारियल और चीनी की मिठाई बनाकर चढ़ाना चाहिए. माता का प्रिय रंग सफेद है. उन्हें इसी रंग के फूल अर्पित करने चाहिए. इससे जीवन खुशहाल होता है.
मां महागौरी की पूजा विधि-
महाअष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें.
मां का ध्यान करें और उनकी प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं.
कलश की पूजा और मां दुर्गा की आराधना करें.
मां को सफेद रंग के वस्त्र, पुष्प चढ़ाएं. रोली कुमकुम लगाएं. 
मां को मिष्ठान, पंच मेवा, नारियल, फल भोग लगाएं. उन्हें काले चने का भोग भी अवश्य लगाएं.
इस दिन कन्या पूजन होता है जिसका विशेष महत्व है. 
अब घी का दीपक और धूप जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें, महागौरी मंत्र, स्तुति करें.
अब आरती कर प्रसाद सभी को बांटें.
माता के नौ सिद्ध शक्तिपीठ-
कालीघाट मंदिर, अम्बाजी का मंदिर, हर सिद्धि माता मंदिर, ज्वाला देवी मंदिर, कामख्या देवी मंदिर, तारापीठ, नैना देवी मंदिर, श्रीवज्रेश्वरी देवी मंदिर, महालक्ष्मी मंदिर। माता रानी के इन सिद्ध शक्तिपीठों में दर्शन कर भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है और देवी की कृपा प्राप्त होती है। नवरात्रि के पावन दिनों पर इन मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है माना जाता है कि यहां दर्शन व पूजन करने से सभी बाधाएं दूर हो जाती है और सुख समृद्धि व शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

 

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राम नवमी पर करें ये चमत्कारी उपाय, धन में होगी वृद्धि

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, राम नवमी चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है. इसके अलावा, कन्या पूजा चैत्र नवरात्रि भी इसी दिन की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। इसलिए हर साल इस दिन को भगवान के जन्मदिन के रूप में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस खास मौके पर भगवान श्री राम की पूजा की जाती है. इसके अलावा सुख-शांति पाने के लिए कुछ उपाय भी किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए कार्यों से साधक के जीवन में सौभाग्य आता है। आइए जानते हैं इन अद्भुत उपायों के बारे में.
राम नवमी पर उपाय-
अगर आपके काम नहीं बनते तो रामनवमी के दिन भगवान श्री राम की पूजा करते समय चंदन का तिलक लगाएं। सच्चे मन से श्री राम स्तुति का पाठ भी करें। ऐसा माना जाता है कि इससे साधक को अपने सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
इसके अलावा आप रामनवमी पर अपनी श्रद्धा के अनुसार गरीबों को कपड़े और भोजन का दान भी कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस औषधि के सेवन से भगवान श्री राम प्रसन्न होते हैं।
भगवान श्री राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु को पीले फूल बहुत प्रिय हैं। ऐसे में आपको राम नवमी के दिन भगवान को पीले फूल अर्पित करने चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इससे साधक को जीवन में सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
अगर आप धन लाभ चाहते हैं तो रामनवमी के दिन मंदिर में भगवा ध्वज दान करें और दूध में केसर मिलाकर भगवान का अभिषेक करें। विशेष वस्तुएँ भी प्रदान करें। कहा जाता है कि इस उपाय से धन लाभ होने की संभावना रहती है।
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