दुनिया-जगत

इज़राइल की मंज़ूरी, फिर खुलेगा गाजा में क्रॉसिंग

जेरूसलम (आईएनएस)। इजराइल के प्रधान मंत्री कार्यालय ने घोषणा की है कि इजराइल ने इजराइल और गाजा पट्टी के बीच केरेम शालोम क्रॉसिंग के माध्यम से मानवीय सहायता के प्रवेश को मंजूरी दे दी है।
बंधक रिहाई समझौते के हिस्से के रूप में, इज़राइल ने गाजा में नागरिक आबादी के लिए मिस्र से प्रति दिन 200 ट्रक भोजन और मानवीय सहायता स्थानांतरित करने के लिए प्रतिबद्ध किया, बयान में कहा गया है कि राफा क्रॉसिंग की क्षमता प्रति दिन केवल 100 ट्रकों की है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, केरेम शालोम क्रॉसिंग पर इजरायली सुरक्षा जांच हो रही है।
बयान के अनुसार, शुक्रवार तक, इन ट्रकों को राफा क्रॉसिंग पर लौटने की आवश्यकता थी, “भारी भीड़ पैदा हुई और इज़राइल और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच समझौते के कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न हुई।”
इसमें कहा गया है कि समझौते की शर्तों का पालन करने के लिए, इजरायली कैबिनेट ने शुक्रवार को राफा क्रॉसिंग पर लौटने के बजाय केरेम शालोम क्रॉसिंग के गाजा की ओर ट्रकों को उतारने के “एक अस्थायी उपाय” को मंजूरी दे दी।
और भी

बॉस्टन की मेयर वु को ईमेल भेजना पड़ा भारी

  • अब मांग रहीं सबसे माफी; जानें पूरा मामला...
बॉस्टन। बॉस्टन की मेयर मिशेल वु गलती से भेजे गए ईमेल को लेकर मुश्किलों में पड़ गई हैं। सिटी हॉल में आयोजित हॉलिडे पार्टी में श्वेत परिषद के सदस्यों को नहीं बुलाने पर विवाद खड़ा हो गया है। सोशल मीडिया पर जमकर उनकी आलोचना हो रही है। 
रिपोर्ट के अनुसार, पहले सभी 13 परिषद सदस्य को ईमेल के जरिए आमंत्रण भेजा गया। बाद में श्वेत सदस्यों को जानकारी दी गई कि उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया है। विविधता का जश्न मनाने के इरादे से उठाया गया यह कदम उल्टा पड़ गया और भेदभाव को लेकर बहस छिड़ गई। 
मेयर मिशेल वू के लिए नगर परिषद संबंधों के निदेशक डेनिस डोसांतोस ने परिषद के सदस्यों को आमंत्रित करने के लिए एक ईमेल भेजा था, जिसमें लिखा था, 'मैं मेयर मिशेल की ओर से आप सभी और हॉलिडे पार्टी के लिए निर्वाचित लोगों को 13 दिसंबर की शाम साढ़े पांच बजे आमंत्रित करता हूं।' 
ईमेल भेजने के करीब 15 मिनट बाद ही सभी श्वेत सदस्यों से निमंत्रण वापस ले लिए गए थे। मेयर वू ने पत्रकारों से कहा, 'हमने सभी के साथ व्यक्तिगत बातचीत की ताकि लोग समझ सकें कि यह वास्तव में एक गलती थी।'
मेयर ने दी सफाई-
उन्होंने आगे कहा, 'मुझे लगता है कि एक समय पर हम सबसे ऐसी गलती हो चुकी है। मेरा मकसद हमेशा ऐसा शहर बनाने में रहा है, जो हमारे मूल्यों के लिए जीता है। हम फिर से एक ऐसा शहर बन सकते हैं, जहां सब एक साथ खड़े हो सकते हैं।' उन्होंने कहा, "मैं हॉलिडे पार्टी के बारे में अपने पिछले ईमेल के लिए माफी मांगना चाहती थी। मैंने गलती से सबको भेज दिया और इसके लिए सबसे माफी मांगी है।'
और भी

ईरान में अलगाववादियों ने पुलिस स्टेशन पर किया हमला, 11 की मौत

तेहरान। ईरान में एक बड़े हमला हुआ है। दरअसल अलगाववादियों ने रात के समय एक पुलिस स्टेशन पर हमला किया। इस हमले में 11 लोगों की मौत की खबर है। ईरान के सरकारी मीडिया के हवाले से बताया जा रहा है कि यह हमला ईरान के दक्षिण पूर्वी इलाके में हुआ है। बता दें कि हाल के महीनों में ईरान में अलगाववादी समूहों ने कई छोटे-बड़े हमलों को अंजाम दिया है। 
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक अलगाववादी समूह के संदिग्ध सदस्यों ने रात के समय पुलिस स्टेशन पर गोलीबारी की। ईरान के सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत के डिप्टी गवर्नर अली रेजा मरहेमाती ने बताया कि हमले में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और सिपाही मारे गए हैं। साथ ही कई अन्य घायल हुए हैं। खबरों के अनुसार, हमला रात करीब 2 बजे रासक शहर में हुआ। यह इलाका राजधानी तेहरान से दक्षिणपूर्व की दिशा में 1400 किलोमीटर दूर है। 
अलगाववादी समूह जैश अल अदल के शामिल होने की आशंका-
पुलिस की जवाबी कार्रवाई में कई हमलावर भी मारे गए हैं। हमले के पीछे अलगाववादी समूह जैश अल अदल का हाथ बताया जा रहा है। साल 2019 में भी जैश अल अदल ने ही ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड फोर्स के सदस्यों को ले जा रही बस पर आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी ली थी। इस हमले में ईरानी सेना के 27 जवान मारे गए थे। हाल के महीनों में ईरान के सुन्नी बहुल इलाकों में पुलिस स्टेशनों पर हमले की कई घटनाएं घटी हैं। जिस सिस्तान इलाके में यह हमला हुआ है, वह ईरान के सबसे पिछड़े इलाकों में शुमार किया जाता है। 
और भी

भारत के साथ हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण समझौता रिन्यू नहीं करेगा मालदीव

  • जानिए इस फैसले के पीछे की वजह...
मेल। मालदीव एक के बाद एक भारत को झटका दे रहा है। हाल ही में भारतीय सैनिकों की वापसी की मांग करने के बाद अब मालदीव ने भारत के साथ हुए हाइड्रोग्राफिक सर्वे समझौता को खत्म करने का फैसला लिया है। 
2019 में हुआ था सर्वे-
बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मालदीव यात्रा के दौरान आठ जून, 2019 को हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। जल विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग और खोज के लिए दोनों देशों के बीच यह समझौता हुआ था। जिसे लगातार भारत विरोधी रुख दिखा रही मोहम्मद मोइज्जू की सरकार ने खत्म करने का एलान किया है। गौरतलब है, राष्ट्रपति मोइज्जू को चीन का करीबी समझा जाता है और वह लगातार भारत विरोधी रुख का इजहार करते रहे हैं। 
अगले साल होगा खत्म-
समझौता अगले साल सात जून को खत्म हो जाएगा। यह समझौता 2019 में मालदीव आईलैंड के पानी पर रिसर्च करने के लिए हुआ था। इस समझौते के तहत भारत को मालदीव आईलैंड के पानी, रीफ, लैगून, कोस्टलाइन, समुद्री धाराओं और टाइड्स पर स्टडी करने की अनुमति दी गई थी। 19 फरवरी से 26 फरवरी 2023 के बीच भारतीय नौसेना ने मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स के साथ तीसरा जॉइंट हाइड्रोग्राफिक सर्वे किया था। पहला सर्वे मार्च 2021 और दूसरा सर्वे मई 2022 में हुआ था। वहीं, मालदीव सरकार के इस फैसले को 'इंडिया आउट' अभियान के साथ जोड़कर देखा जा रहा है।
राजनयिक समझौतों को रद्द करना-
रिपोर्ट के अनुसार, मालदीव ने कहा है कि वह भारत के साथ किए गए हाइड्रोग्राफिक सर्वे समझौते को आगे नहीं बढ़ाएगा। मालदीव के सार्वजनिक नीति के अवर सचिव मोहम्मद फिरुजुल ने कहा कि 'हफ्ता-14' रोडमैप का हिस्सा अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय और राजनयिक समझौतों को रद्द करना है जो देश की संप्रभुता को खतरे में डाल देंगे। वह गुरुवार को कैबिनेट की बैठक के बाद मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय में आयोजित एक सम्मेलन में बोल रहे थे।
समझौता पांच साल के लिए फिर बढ़ जाएगा-
उन्होंने कहा कि मालदीव के राष्ट्रपति और उनके मंत्रिमंडल ने भारत-मालदीव के बीच हाइड्रोग्राफी समझौते को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है। हालांकि अगर इसे खत्म करने का कोई आदेश नहीं देता है तो यह समझौता पांच साल के लिए फिर बढ़ जाएगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति और मंत्रिमंडल मालदीव के जल के बारे में जानकारी और आंकड़े देश में ही रखना चाहता है। 
इस क्षमता का निर्माण करना चाहती-
अवर सचिव ने यह भी कहा कि सरकार सशस्त्र बलों (एमएनडीएफ) के भीतर इस क्षमता का निर्माण करना चाहती है और एमएनडीएफ के भीतर इस तरह के काम के लिए संसाधनों को विकसित करने के लिए बजट आवंटन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि महासागर हाइड्रोग्राफी सर्वेक्षण का काम अब केवल मालदीव के प्राधिकरण के तहत किया जाएगा। 
और भी

भारतीय-अमेरिकी न्याय विभाग के शीर्ष अधिकारी छोड़ेंगे पद

  • जानिए वजह...
वाशिंगटन। अमेरिकी न्याय विभाग (डीओजे) में पहली अश्वेत महिला और सर्वोच्च रैंकिंग वाली भारतीय-अमेरिकी वनिता गुप्ता अगले साल फरवरी में 19वीं अमेरिकी एसोसिएट अटॉर्नी जनरल के रूप में पद छोड़ देंगी। गुप्ता 21 अप्रैल, 2021 को सीनेट द्वारा उनकी पुष्टि के बाद से अपनी वर्तमान भूमिका में कार्यरत हैं, और डीओजे में नंबर 3 पद पर हैं, जिन पर सभी नागरिक मुकदमेबाजी घटकों और अनुदान देने वाली संस्थाओं की देखरेख का आरोप है।
गुरुवार को जारी एक बयान में, अटॉर्नी जनरल मेरिक गारलैंड ने गुप्ता को उनकी असाधारण सेवा और उनके विश्वसनीय सलाहकारों में से एक होने के लिए धन्यवाद दिया। गारलैंड ने कहा, “न्याय की खोज में वनिता की प्रतिबद्धता और आम जमीन खोजने के लिए लोगों को एक साथ लाने पर उनके निरंतर ध्यान ने उन्हें अमेरिकी लोगों के सामने आने वाली कुछ सबसे जटिल चुनौतियों से निपटने में अविश्वसनीय रूप से प्रभावी नेता बना दिया है।”
उन्होंने कहा, “उन्होंने खुद को एक ऐसे नेता के रूप में प्रतिष्ठित किया है, जो उनके लिए काम करने वाले कैरियर और गैर-कैरियर कर्मचारियों, उन हितधारकों के लिए भी भागीदार है, जिनके साथ विभाग काम करता है और जनता के लिए, जिसके लिए हम सभी काम करते हैं।”
गुप्ता ने संघीय कानून द्वारा संरक्षित प्रजनन स्वतंत्रता की रक्षा के लिए विभाग के प्रजनन अधिकार कार्यबल का नेतृत्व किया है। डीओजे की विज्ञप्ति के अनुसार, उन्होंने हिंसक अपराध और बंदूक हिंसा से निपटने और अपराध के पीड़ितों का समर्थन करने के प्रयासों में भी अभिन्न भूमिका निभाई।
और भी

पाकिस्तान में फिर कांपी धरती, भूकंप के झटके से सहम उठे लोग

  • जानें क्या थी तीव्रता...
नई दिल्ली। भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में एक बार फिर से धरती डोली है. पाकिस्तान में आज सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.2 थी. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के मुताबिक, पाकिस्तान में सुबह 9.13 बजे यह भूकंप आया.
इससे पहले पिछले महीने पाकिस्तान में जोरदार भूकंप आया था. नेशनल सेंटर फर सिस्मोलॉजी के मुताबिक, रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 5.2 थी, जिसके झटके लोगों ने कुछ सेकेंड तक महसूस किए थे. इससे पहले श्रीलंका के कोलंबा में 6.2 की तीव्रता वाला भूकंप आया था. इस भूकंप की गहराई धरती के अंदर 10 किलोमीटर थी.
इससे पहले 8 दिसंबर को गुजरात के कच्छ जिले के रापर कस्बे के पास 4.2 तीव्रता का भूकंप आया था. इस दौरान जान-माल का नुकसान नहीं हुआ था. भूकंप विज्ञान अनुसंधान संस्थान के एक अधिकारी ने कहा था कच्छ जिले के रापर से 19 किलोमीटर पश्चिम-दक्षिण पश्चिम में सुबह करीब नौ बजे भूकंप आया जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.2 तीव्रता मापी गई थी. अधिकारियों ने बताया कि भूकंप का केंद्र पृथ्वी की सतह से 19.5 किलोमीटर गहराई में था.
भूकंप आए तो क्या करें और क्या नहीं-
1- अगर आप किसी इमारत के अंदर हैं तो फर्श पर बैठ जाएं और किसी मजबूत फर्नीचर के नीचे चले जाएं. अगर कोई मेज या ऐसा फर्नीचर न हो तो अपने चेहरे और सर को हाथों से ढंक लें और कमरे के किसी कोने में दुबककर बैठ जाएं.
2- अगर आप इमारत से बाहर हैं तो इमारत, पेड़, खंभे और तारों से दूर हट जाएं.
3- अगर आप किसी वाहन में सफर कर रहे हैं तो जितनी जल्दी हो सके वाहन रोक दें और वाहन के अंदर ही बैठे रहें.
4- अगर आप मलबे के ढेर में दब गए हैं तो माचिस कभी न जलाएं, न तो हिलें और न ही किसी चीज को धक्का दें.
5- मलबे में दबे होने की स्थिति में किसी पाइप या दीवार पर हल्के-हल्के थपथपाएं, जिससे कि बचावकर्मी आपकी स्थिति समझ सकें. अगर आपके पास कोई सीटी हो तो उसे बजाएं.
6- कोई चारा न होने की स्थिति में ही शोर मचाएं. शोर मचाने से आपकी सांसों में दमघोंटू धूल और गर्द जा सकती है.
7- अपने घर में हमेशा आपदा राहत किट तैयार रखें.
और भी

2024 के लिए बाबा वंगा की भविष्यवाणी

मुंबई 1996 में निधन के बावजूद, बुल्गारिया के एक अंधे फकीर बाबा वांगा की भविष्यवाणियां उनके निधन के बाद सच हो गई हैं। उन्होंने षड्यंत्र सिद्धांतकारों के बीच लोकप्रियता हासिल की है, उन्हें यकीन है कि उन्होंने वैश्विक घटनाओं की भविष्यवाणी बहुत पहले ही कर ली थी। अक्सर बाल्कन नास्त्रेदमस के रूप में संदर्भित, बाबा वंगा को 9/11 के आतंकवादी हमलों, राजकुमारी डायना की मृत्यु, चेरनोबिल आपदा और ब्रेक्सिट जैसी महत्वपूर्ण विश्व घटनाओं की भविष्यवाणी करने का श्रेय दिया जाता है।
द सन के अनुसार, बल्गेरियाई द्रष्टा का 26 साल पहले 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया, फिर भी माना जाता है कि उनकी कई भविष्यवाणियाँ मरणोपरांत सच हुईं। हालाँकि, इन भविष्यवाणियों की प्रामाणिकता का पता लगाना मुश्किल है क्योंकि उनकी “गहन अंतर्दृष्टि” में से बहुत कम, यदि कोई हो, को कभी भी प्रलेखित किया गया था। इसके बावजूद, अनुयायी उनकी कुछ हद तक अस्पष्ट और संदेहपूर्ण “भविष्यवाणियों” का समर्थन करना जारी रखते हैं। उन्होंने 2024 के लिए कुछ भविष्यवाणियां भी की थीं। वर्ष 2024 के लिए बाबा वंगा की भविष्यवाणियों की जांच करने के लिए नीचे स्क्रॉल करें। नए साल 2023 के लिए बाबा वंगा की भविष्यवाणियां: एलियन हमले से लेकर सौर सुनामी और लैब शिशुओं के उद्भव तक, यहां प्रसिद्ध द्वारा रोंगटे खड़े कर देने वाली भविष्यवाणियों की सूची दी गई है। अंधा रहस्यवादी.
व्लादिमीर पुतिन की हत्या की साजिश-
द मिरर की रिपोर्ट के अनुसार, दृष्टिहीन भविष्यवक्ता ने भविष्यवाणी की होगी कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को 2024 में एक हमवतन द्वारा हत्या के लिए निशाना बनाया जा सकता है। यह क्रेमलिन के एक असामान्य बयान के बाद आया है जिसमें व्लादिमीर पुतिन की मौत की अफवाहों का खंडन किया गया है। उनके निधन की अटकलें एक टेलीग्राम चैनल पर सामने आईं, जिसमें बताया गया कि उनका निधन मॉस्को के उत्तर में उनके वल्दाई महल में हुआ।
और भी

पाकिस्तान से भारत लौटी अंजू उर्फ फातिमा का बड़ा खुलासा

जयपुर। पाकिस्तान में फेसबुक फ्रेंड के साथ 5 महीने बिताने के बाद भारत लौटी अंजू ने पहले पति अरविंद और बच्चों से बातचीत की है। अंजू ने इस बात से भी इनकार किया है कि वह अरविंद से तलाक ले रही है। एक यूट्यूब चैनल से बातचीत के दौरान अंजू ने उसको लेकर उठ रहे कई सवालों का जवाब दिया है। कथित तौर पर पाकिस्तान में धर्म बदलकर फातिमा बन चुकी अंजू ने अपने धर्मांतरण और नसरुल्ला से निकाह की बात को ना तो स्वीकार किया है और ना ही इससे इनकार किया है।
अंजू ने अपने वकील जेएस सरोहा के साथ एक यूट्यूब चैनल को इंटरव्यू दिया। अंजू ने कहा कि उसकी पति और बच्चों से सामान्य बातचीत हो रही है। हालांकि, उसने यह साफ नहीं किया कि उनके बीच कोई मुलाकात भी हुई है या नहीं। अंजू जब 29 नवंबर को पाकिस्तान से लौटी तो उसके पति अरविंद ने कहा था कि वह या उसके बच्चे मुलाकात या बात नहीं करना चाहते हैं।
अंजू ने अरविंद से तलाक लेने की बात से भी इनकार किया। जब उससे पूछा गया कि क्या वह अरविंद से तलाक ले रही है तो उसने कहा कि अभी ऐसा कुछ नहीं है। गिरफ्तारी की आशंकाओं को भी अंजू ने खारिज किया और कहा कि उसने भारत में रहकर पाकिस्तान जाने की प्रक्रिया में किसी तरह से कानून का उल्लंघन नहीं किया है और इसलिए गिरफ्तारी का भी कोई डर नहीं है।
इंटरव्यू में अंजू से यह भी सवाल किया गया कि उसके प्रेग्नेंसी की काफी चर्चा है। क्या अंजू नसरुल्ला के बच्चे की मां बनने वाली हैं? इस सवाल को सुनकर अंजू मुस्कुराती नजर आईं। उन्होंने नजरें नीचे करते हुए कहा कि ऐसा कुछ नहीं है। नसरुल्ला अंजू का पाकिस्तानी प्रेमी है जिसके पास वह करीब 5 महीने रहकर भारत लौटी है। चर्चा यह भी है कि अंजू नसरुल्ला से पाकिस्तान में निकाह कर चुकी है।
और भी

अपनी हिंदू आस्था में गहरा विश्वास, ईसाई धर्म का प्रसार नहीं कर पाऊंगा : विवेक रामास्वामी

  • अमेरिका के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार भारतवंशी ने कहा
वॉशिंगटन। रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से अमेरिका के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार भारतवंशी विवेक रामास्वामी ने कहा है कि उनका अपनी हिंदू आस्थाओं में गहरा विश्वास है और वह शायद ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार करने के लिए सही व्यक्ति नहीं हैं। विवेक रामास्वामी बुधवार को आयोवा प्रांत में सीएनएन के टाउन हॉल कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान रामास्वामी ने धर्म, अमेरिका में आ रहे प्रवासियों, सीमा सुरक्षा, आर्थिक असमानता जैसे मुद्दों पर सवालों के जवाब दिए।
क्या बोले रामास्वामी-
आयोवा प्रांत में रिपब्लिकन पार्टी का तगड़ा जनाधार है और इनमें अधिकतर बाइबल में गहरा विश्वास रखने वाले ईसाई समुदाय के मतदाता हैं। कार्यक्रम के दौरान एक दर्शक ने रामास्वामी से सवाल किया कि उनका ताल्लुक ईसाई धर्म से नहीं हैं, इसलिए वह हमारे राष्ट्रपति नहीं हो सकते क्योंकि हमारे पूर्वजों ने ईसाई धर्म के आधार पर इस देश को बनाया। इसके जवाब में रामास्वामी ने कहा कि वह इस बात से बिल्कुल सहमत नहीं हैं। रामास्वामी ने कहा कि 'उनके हिंदू धर्म के कुछ सिद्धांत यहूदी-ईसाई मूल्यों जैसे हैं'। हालांकि उन्होंने कहा कि 'वह शायद ईसाई धर्म का प्रचार प्रसार करने के लिए सही व्यक्ति नहीं हैं।'
रामास्वामी ने बताया क्या होगी उनकी प्राथमिकता-
रामास्वामी ने कहा कि 'मुझे लगता है कि आस्था, देशभक्ति, परिवार और कड़ी मेहनत को इस देश में फिर से फोकस में लेकर आऊं क्योंकि ये चीजें बहुत अच्छी हैं और इन पर फोकस करना ही उनके बतौर राष्ट्रपति कार्यकाल की प्राथमिकता होगी'। उन्होंने कहा कि वह संविधान के पहले संशोधन, जिसमें धर्म की स्वतंत्रता का जिक्र है, उसे बरकरार रखने के लिए समर्पित होंगे। बता दें कि 15 जनवरी से रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवारों की नामांकन प्रक्रिया आयोवा प्रांत से ही शुरू होगी। रामास्वामी ने टाउन हॉल कार्यक्रम के दौरान कहा कि उनका अपनी हिंदू आस्थाओं में गहरा विश्वास है और ये भी बताया कि कैसे उनके पालन पोषण के दौरान उनका ईसाई धर्म से जुड़ाव बना रहा।
और भी

अनुच्छेद 370 पर फैसला कश्मीर मुद्दे को जटिल बना देगा : इमरान खान

इस्लामाबाद। जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने दावा किया है कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर भारत के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कश्मीर मुद्दा और अधिक जटिल हो जाएगा।
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वह याचिकाकर्ताओं के इस तर्क को स्वीकार नहीं कर सकते कि अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति द्वारा जारी उद्घोषणा के बाद केंद्र सरकार अपरिवर्तनीय परिणाम वाली कार्रवाई नहीं कर सकती है।
अनुच्छेद को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए, सीजेआई ने कहा कि केंद्र सरकार की शक्ति पर संविधान द्वारा निर्धारित सीमाएं हैं जिनका प्रयोग राज्यों में तब किया जा सकता है जब अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति द्वारा जारी उद्घोषणा लागू हो।
रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद इमरान खान ने एक संदेश में कहा कि अनुच्छेद 370 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला विवादास्पद और गैरकानूनी है। उन्होंने आगे कहा कि भारत के सुप्रीम कोर्ट ने कश्मीर मुद्दे को और अधिक जटिल बना दिया है.
और भी

अनुच्छेद 370 बना इतिहास… बुरी तरह झल्लाया चीन

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के केंद्र सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से पड़ोसी देश चीन को मिर्ची लगी है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने फैसले पर कहा है कि चीन ने कभी भी भारतीय केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को मान्यता नहीं दी है. अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला भारत ने एकतरफा लिया है.
चीन ने कहा,’अनुच्छेद 370 पर भारत के सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को अलग करने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखा है, इसका चीन-भारत सीमा के पश्चिमी खंड पर हमारे (चीन) दावे पर कोई असर नहीं पड़ता है.’
बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय ने सर्वसम्मति से जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को अलग करने के फैसले को भी लागू रहने दिया है. हालांकि, अदालत ने जल्द से जल्द जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल करने के साथ-साथ अगले साल 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने के निर्देश भी दिए हैं.
भारत-चीन सीमा के पश्चिमी भाग पर दावा करते हुए माओ ने कहा कि भारत की अदालत का फैसला इस तथ्य को नहीं बदलता है कि चीन-भारत सीमा का पश्चिमी भाग हमेशा चीन का रहा है. इस मसले पर पहले भी चीन की तरफ से बयान आ चुका है. तब पड़ोसी देश की तरफ से कहा गया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दा बातचीत के जरिए हल किया जाना चाहिए.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने इस मुद्दे पर चीन की प्रतिक्रिया मांगने वाले एक पाकिस्तानी पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि कश्मीर मुद्दे पर चीन की स्थिति स्पष्ट है. यह भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चला आ रहा विवाद है और इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्तावों और द्विपक्षीय समझौतों के मुताबिक शांतिपूर्ण तरीकों से उचित रूप से संबोधित किया जाना चाहिए.
और भी

देश में गर्भपात की दवा को प्रतिबंधित किया जाए या नहीं?

  • अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट करेगा तय
वाशिंगटन। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस बात पर विचार करेगा कि क्या व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली गर्भपात दवा की राष्ट्रव्यापी पहुंच को प्रतिबंधित किया जाए। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को शीर्ष अदालत की घोषणा मिफेप्रिस्टोन दवा से संबंधित है, जो किसी अन्य दवा के साथ मिलकर अमेरिका में गर्भपात के सबसे आम तरीकों में से एक है।
इस ताजा मामले का फैसला जुलाई 2024 तक आ सकता है। घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए, व्हाइट हाउस ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन का प्रशासन अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन की दवा के “सुरक्षित और प्रभावी” अनुमोदन और विनियमन का समर्थन करना जारी रखेगा।
सीएनएन ने व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव कैरिन जीन पियरे के हवाले से कहा, “जैसा कि न्याय विभाग सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एफडीए (खाद्य और औषधि प्रशासन) की कार्रवाइयों का बचाव करना जारी रखता है, राष्ट्रपति बाइडेन और उपराष्ट्रपति हैरिस प्रजनन देखभाल तक महिलाओं की क्षमता की रक्षा के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं।” मिफेप्रिस्टोन को चिकित्सा समुदाय ने सुरक्षित और प्रभावी माना है। दो दशकों से अधिक समय से देश भर में लाखों महिलाओं द्वारा इसका उपयोग किया जा रहा है।
दवा को शुरुआत में 2000 में एफडीए द्वारा अनुमोदित किया गया था, लेकिन 2016, 2019 और 2021 में, एजेंसी ने ऐसे संशोधन किए, जो मिफेप्रिस्टोन को अधिक आसानी से सुलभ बना द‍िया। वे संशोधन खुराक और व्यक्तिगत रूप से वितरण की आवश्यकताओं जैसे मुद्दों से संबंधित थे और परिवर्तनों ने गर्भावस्था में बाद में दवा लेने की भी अनुमति दी।
इस बीच,गर्भपात का विरोध करने वाले डॉक्टरों और अन्‍य का तर्क है कि एफडीए ने दवा के सुरक्षा निहितार्थों का अध्ययन करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए।
और भी

युद्ध में बर्बाद हुआ ‘पुतिन’ का रूस, 87% सैनिक खोए

  • पढ़ें हैरान करने वाली खबर...
वॉशिंगटन। रूस और यूक्रेन के बीच बीते 21 महीनों से जंग जारी है। इस बीच अमेरिकी इंटेलिजेंस एजेंसियों ने अपने आकलन में कहा है कि युद्ध में रूस अपने करीब 87 फीसदी उन सैनिकों को खो चुका है, जो उसके लिए जमीनी जंग में उतरे थे। इसके अलावा रूस के दो तिहाई टैंक भी बर्बाद हो चुके हैं। हालांकि व्लादिमीर पुतिन फिलहाल पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं। फरवरी में जंग को शुरू हुए दो साल पूरे हो जाएंगे और उनका कहना है कि इस जंग से हम पीछे हटने वाले नहीं हैं। हालांकि अमेरिकी जानकारों का यह भी मानना है कि इस जंग में यूक्रेन को कोई बढ़त नहीं मिलने वाली है।
दरअसल यूक्रेन युद्ध में अमेरिका ने बड़े पैमाने पर फंडिंग की है और हथियारों से भी यूक्रेन को मदद की है। मंगलवार को ही यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की वॉशिंगटन पहुंचे थे और उन्होंने इस दौरान कई सांसदों से भी मुलाकात की थी। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात में उन्होंने कहा था कि यूक्रेन को और आर्थिक एवं सैन्य मदद की जरूरत है। रूस से मुकाबले के लिए यह जरूरी है। अमेरिकी एक्सपर्ट्स का कहना है कि रूस पिछले 15 सालों से अपनी सेना के आधुनिकीकरण की कोशिश कर रहा था। इस जंग से उसे झटका लगा है।
अमेरिकी अनुमान के मुताबिक यूक्रेन में रूस के 3 लाख 60 हजार सैनिक घुसे थे। इनमें से 3 लाख 15 हजार सैनिकों की अब तक मौत हो चुकी है। इसके अलावा 3500 में से 2200 टैंक भी उसके बर्बाद हो चुके हैं। यही नहीं रूसी सेना के वाहनों को भी नुकसान पहुंचा है। अनुमान में कहा गया है कि रूस अपने एक चौथाई से ज्यादा हथियारों को खो चुका है। हालांकि अब तक इसे लेकर रूस ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। पिछले दिनों यह भी खबर थी कि व्लादिमीर पुतिन ने नए हथियार हासिल करने के लिए ही उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन से मुलाकात की थी।
इसके अलावा अमेरिका का आरोप है कि चीन, ईरान जैसे देशों से भी रूस ने हथियार हासिल किए हैं। गौरतलब है कि यूक्रेन के मसले पर फिलहाल अमेरिका में भी बहस तेज है। ऐसे रिपब्लिकन्स भी बड़ी संख्या में हैं, जिनका कहना है कि यूक्रेन युद्ध के लिए अब और फंडिंग न की जाए। बाइडेन प्रशासन भी कह चुका है कि जल्दी ही हम यूक्रेन को फंडिंग देना बंद कर सकते हैं। एक अमेरिकी सांसद सेन जेडी वैन्स का कहना है कि रूस को 1991 में तय सीमा के उस पार धकेल पाना यूक्रेन के लिए संभव नहीं होगा।
और भी

ज्यादातर इजरायली चाहते हैं कि हमास को कुचल दिया जाए

जेरूसलम। इजरायली नागरिकों ने बुधवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के युद्धविराम आह्वान, सैन्य हताहतों की बढ़ती सूची और गाजा में फिलिस्तीनी मौत की बढ़ती संख्या के बावजूद, सेना को हमास को कुचलने के लिए अपने अविश्वसनीय हमले से पीछे नहीं हटना चाहिए।
इजराइल की सेना को मंगलवार को दो महीने पुराने गाजा युद्ध में सबसे घातक दिनों में से एक का सामना करना पड़ा, जिसमें 10 सैनिकों में से एक कर्नल की मौत हो गई, जिससे मरने वालों की संख्या 115 हो गई – जो नौ साल पहले तटीय क्षेत्र में संघर्ष के दौरान मारे गए लोगों की संख्या से लगभग दोगुनी है। और अधिकांश एन्क्लेव के बर्बाद हो जाने, स्थितियाँ गंभीर होने और इजरायली सेना के हवाई और जमीनी हमले में 18,500 से अधिक फिलिस्तीनियों के मारे जाने के साथ, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने कहा कि गज़ान के नागरिकों पर “अंधाधुंध” बमबारी के कारण इजरायल को अंतरराष्ट्रीय समर्थन की कीमत चुकानी पड़ रही है।
हाल के सप्ताहों में हुए सर्वेक्षणों में बढ़ती मानवीय लागतों के बावजूद युद्ध के लिए भारी समर्थन दर्शाया गया है। बुधवार को रॉयटर्स से बात करने वाले छह इजरायलियों ने कहा कि अब पीछे हटने का समय नहीं है, चाहे मंगलवार के संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव में वैश्विक सहानुभूति कम हो रही हो।
7 अक्टूबर को हमास द्वारा लगभग 1,200 लोगों की हत्या, जिनमें ज्यादातर नागरिक थे, ने उस बात को पुनर्जीवित कर दिया जिसे इज़राइल ने पहले महसूस किया था जब अरबों ने 1973 में एक आश्चर्यजनक हमला किया था – उसे डर था कि उसके पड़ोसी और दुश्मन मिलकर यहूदी राष्ट्र को खत्म कर सकते हैं, राजनीतिक वैज्ञानिक तामार हरमन ने कहा .
युद्ध पर नियमित जनमत सर्वेक्षण आयोजित करने वाले इज़राइल डेमोक्रेसी इंस्टीट्यूट के हरमन ने कहा, “लोगों की भावना यह है कि यह इज़राइल के अस्तित्व के लिए खतरा है।” उन्होंने कहा कि लोग और सैनिकों की मौत के लिए तैयार हैं.
येरुशलम में बोलते हुए, सेवानिवृत्त बेन सियोन लेविंगर ने कहा कि इजरायल के दुश्मन हमास से लड़ने में किसी भी तरह की मंदी को कमजोरी के संकेत के रूप में देखेंगे।
पूर्व आईटी कर्मचारी लेविंगर ने कहा, “अगर हम इस लड़ाई को अंत तक नहीं ले गए, तो कल सुबह हम उत्तर, पूर्व, दक्षिण और शायद ईरान में लड़ाई करेंगे। इसलिए, हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।” .
हालांकि लागत “भयानक” थी, नेसेट विदेश मामलों और रक्षा समिति के अध्यक्ष यूली एडेलस्टीन ने एक साक्षात्कार में कहा, सैन्य अभियान का लक्ष्य गाजा में हमास के बुनियादी ढांचे को पूरी तरह से नष्ट करना था।
हमास ने कहा कि मंगलवार को सैनिकों की हत्या से पता चलता है कि इजराइल गाजा में अपने युद्ध लक्ष्यों को कभी हासिल नहीं कर पाएगा। “आप जितने अधिक समय तक वहां रहेंगे, आपकी मृत्यु और हानि का बिल उतना ही अधिक होगा, और भगवान ने चाहा तो आप निराशा और हानि की पूंछ लेकर इससे बाहर निकलेंगे।”
नवंबर में शत्रुता में एक सप्ताह के विराम के बाद, इज़राइल डेमोक्रेसी इंस्टीट्यूट द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, तीन-चौथाई से अधिक इज़राइलियों ने कहा कि आक्रामक समायोजन के बिना फिर से शुरू होना चाहिए, जिससे फिलिस्तीनी नागरिक हताहतों की संख्या या अंतर्राष्ट्रीय दबाव कम हो जाएगा।
युद्ध की इजरायली मीडिया रिपोर्टिंग अंतरराष्ट्रीय कवरेज की तुलना में गाजा में नागरिक लागत पर कम केंद्रित है। हरमन ने कहा कि जबकि फ़िलिस्तीनी हताहतों के बारे में विचार इज़रायली के राजनीतिक झुकाव के आधार पर भिन्न-भिन्न थे, कुछ लोगों को लगा कि ये मौतें भविष्य की सुरक्षा के लिए भुगतान की जाने वाली स्वीकार्य कीमत थीं।
“पहला बदला लेने की भावना है, मुख्य रूप से दाईं ओर, और बाईं ओर और केंद्र में वे इसे देखते हैं क्योंकि मैं कहूंगा कि युद्ध की उपलब्धियों के लिए गौण है… इसे संपार्श्विक क्षति के रूप में माना जा रहा है।”
अक्टूबर के अंत में 609 उत्तरदाताओं के बीच किए गए तेल अवीव विश्वविद्यालय के सर्वेक्षण के अनुसार, केवल 10% इजरायलियों ने सोचा कि सेना बहुत अधिक मारक क्षमता का उपयोग कर रही है, जिसमें 4.2% त्रुटि की संभावना थी।
जेरूसलम निवासी एडम सैविल, जो एक गैर-लाभकारी शैक्षणिक संस्थान में काम करते हैं, ने कहा कि इज़राइल गैर-लड़ाकों को मारने से बचने के लिए वह सब कर रहा है जो वह कर सकता है।
उन्होंने कहा, “यह भयानक है। यह भयानक है कि इतने सारे नागरिक हताहत हुए हैं। “लेकिन यह युद्ध है, और युद्ध में यही होता है।”
हमास कमांडरों को पकड़ने या मारने के साथ-साथ, जिन्होंने 7 अक्टूबर को किबुत्ज़िम में हिंसा और इज़राइल में हिंसा की योजना बनाई थी, इज़राइल के युद्ध का एक लक्ष्य आतंकवादियों द्वारा पकड़े गए और गाजा ले जाए गए बंधकों को वापस लाना है।
इज़राइल का कहना है कि शेष 135 बंधकों में से कम से कम 19 मर चुके हैं, और इस सप्ताह दो शव बरामद किए गए हैं। नवंबर में एक सप्ताह के संघर्ष विराम के दौरान लगभग 100 बंधकों को रिहा कर दिया गया था।
“उन्हें घर लाओ” नारे के साथ बंधकों के चित्र दीवारों और बस स्टॉप पर चिपकाए गए हैं और पूरे इज़राइल में सार्वजनिक भवनों पर लगाए गए हैं।
इजरायली अतीत में बंधकों को मुक्त करने या अपने सैनिकों की जान बख्शने के लिए रियायतें देने के इच्छुक साबित हुए हैं, लेकिन 7 अक्टूबर, इजरायल के 75 साल पुराने इतिहास की सबसे घातक घटना ने राय को कठोर कर दिया है।
अप्रत्याशित रूप से अस्थिर स्थिति को देखते हुए, सर्वेक्षण से पता चलता है कि इजरायली अनिश्चित हैं कि दीर्घकालिक समाधान कैसा दिखेगा। हालाँकि, इज़राइल डेमोक्रेसी इंस्टीट्यूट के सर्वेक्षण में कहा गया है कि 40% से अधिक नागरिक सोचते हैं कि देश को युद्ध के बाद एक अलग फिलिस्तीनी राज्य के निर्माण पर काम करना चाहिए।
मूड के संभावित अर्थ में, तेल अवीव विश्वविद्यालय के सर्वेक्षण के अनुसार, 40% अरब इजरायलियों सहित लगभग 60% इजरायलियों ने युद्ध के सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य के रूप में किसी भी तरह से हमास को नष्ट करने का हवाला दिया।
लगभग एक तिहाई ने बंधकों को लाने की बात कही मैं ही मुख्य लक्ष्य था.
हरमन ने कहा, “फिलहाल, हमने न तो पहली और न ही दूसरी उपलब्धि हासिल की है।” “ज्यादातर लोग उस बिंदु तक जारी रखने के लिए तैयार हैं जहां कम से कम एक प्रमुख लक्ष्य हासिल नहीं हो जाता।”
और भी

इस्राइल को हमास प्रमुख इस्माइल हनिये की चेतावनी

  • कहा- युद्ध के बाद हमारे बिना गाजा के लिए कोई भी योजना बनाना गलतफहमी होगी
नई दिल्ली। इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने स्पष्ट रूप से आतंकवाद का समर्थन करने और इसके लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने वालों को गाजा में घुसने की अनुमति नहीं देने का बयान जारी किया था। उनके इस बयान के एक दिन बाद हमास प्रमुख इस्माइल हनिये ने फलस्तीनी संगठन को शामिल किए बिना युद्ध के बाद गाजा के लिए बनाए गए योजनाओं को भ्रम बताया है। 
हमास प्रमुख इस्माइल हनिये ने कहा, 'गाजा या फलस्तीन में हमास के बिना कोई भी योजना बनाना गलतफहमी होगी।' उसने कहा कि वह युद्ध को समाप्त करने और गाजा और वेस्ट बैंक में फलस्तीनी घरों को बसाने पर बात करने के लिए तैयार है। हनिये ने बताया कि हमास बातचीत के लिए तैयार है, क्योंकि यह (बातचीत) ऐसे राजनीतिक रास्ते पर ले जा सकती है, जहां फलस्तीनी लोगों को स्वतंत्र राज्य और यरूशलम को अपनी राजधानी बनाने का अधिकार मिल सकता है।
हमास के खिलाफ इस्राइल की तरफ से जारी जंग में इस्राइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने स्पष्ट रूप से कह दिया कि अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिले या नहीं वे हमास के खिलाफ युद्ध जारी रखने के लिए संकल्पित हैं।
बता दें कि सात अक्तूबर को हमास के आतंकियों ने इस्राइल पर हवाई हमले किए थे, जिसमें 1200 इस्राइली नागरिकों की मौत हुई थी। इस हवाई हमले का इस्राइली सुरक्षा बलों ने पलटवार किया। उन्होंने गाजा पर हमला करते हुए इसे मलवे में तबदील कर दिया। इस हमले में गाजा के स्कूलों और अस्पतालों को भारी नुकसान पहुंचा है। इस्राइल-हमास के इस युद्ध में अबतक सैनिकों समेत करीबन 20 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। मृतकों में अधिकांश बच्चे और महिलाएं शामिल हैं।
और भी

AIS ने हैदराबाद में सूचना प्रणाली पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी की

हैदराबाद। सूचना प्रणाली संघ (एआईएस) ने हैदराबाद में सूचना प्रणाली पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीआईएस) 2023 का आयोजन किया। सम्मेलन ने अनुसंधान और संपर्क स्थापित करने में अपने मूल्यवान अनुभव के लिए दुनिया भर से क्षेत्र के सर्वोत्तम शोध कार्यों और इसके लेखकों को आकर्षित किया।
सम्मेलन के अध्यक्ष, राहुल डे, पीएच.डी. ने कहा, “सम्मेलन का विषय, ‘राइजिंग लाइक ए फीनिक्स: रिशेपिंग ह्यूमन एंडेवर विद डिजिटल टेक्नोलॉजीज’, आईए की परिवर्तनकारी क्षमता का पता लगाने के लिए हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।” , भारतीय प्रबंधन संस्थान बैंगलोर।
भारत, हैदराबाद में पहली बार हुए वैश्विक सम्मेलन में, प्रतिभागी टीआई के संकट और सूचना प्रणालियों में नवीनतम प्रगति पर चर्चा पैनलों, लेखों और ज्ञान की एक समृद्ध श्रृंखला के साथ संयुक्त भारत की सांस्कृतिक भावना के गवाह थे। सभी क्षेत्रों में.
चार दिवसीय सम्मेलन में 45 देशों ने भाग लिया और 1000 से अधिक प्रतिभागियों ने सभी क्षेत्रों के शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों, उद्योगों और सूचना प्रणालियों के पेशेवरों का प्रतिनिधित्व किया।
और भी

सिंगर टेलर स्विफ्ट ने टेनेसी बवंडर पीड़ितों को दान किया 1 मिलियन डॉलर

लॉस एंजेलिस। गायक-गीतकार टेलर स्विफ्ट ने टेनेसी में आए बवंडर के पीड़ितों की मदद के लिए 1 मिलियन डॉलर का दान दिया है।33 वर्षीय पॉप मेगास्टार, जो हाल ही में अरबपति बने हैं और अतीत में दान के मामले में उदार रहे हैं, ने उन लोगों की मदद करने के लिए मिडिल टेनेसी के सामुदायिक फाउंडेशन को बड़ी राशि देने का वादा किया है जिनके घर और आजीविका तूफान और बवंडर से तबाह हो गए हैं। , फीमेल फर्स्ट यूके की रिपोर्ट।
राज्य में आए कई बवंडरों के कारण कई लोगों के मरने और 50 लोगों के घायल होने की पुष्टि हुई है। 33 वर्षीय टेलर मूल रूप से पेनसिल्वेनिया की रहने वाली हैं लेकिन वह किशोरावस्था में संगीत सीखने के लिए नैशविले चली गईं। यह पैसा भोजन, अस्थायी आवास, साफ़-सफ़ाई और बहुत कुछ पर खर्च किया जाएगा।
फीमेल फर्स्ट यूके के अनुसार, ग्रैमी विजेता कलाकार ने अपने ‘एराज़ टूर’ पर शहरों में खाद्य गरीबी दान के लिए भी दान दिया है।
टेलर ने टाम्पा बे, फ्लोरिडा में खाद्य बैंक उपयोगकर्ताओं के लिए 125,000 भोजन बनाने के लिए पर्याप्त धन दान किया।
और भी

गाजा पर अंधाधुंध बमबारी के कारण इजराइल खो रहा दुनिया का समर्थन : जो बाइडेन का

वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि गाजा पट्टी पर “अंधाधुंध बमबारी” के कारण इजरायल दुनिया का समर्थन खो रहा है। हमास के 7 अक्टूबर के हमले के बाद बाइडेन की ये इजरायल की सबसे कड़ी आलोचना है।
मंगलवार रात राष्ट्रपति ने कहा, “इजरायल की सुरक्षा अमेरिका पर निर्भर हो सकती है, लेकिन अभी उसके पास अमेरिका से अधिक समर्थन है। उसके पास यूरोपीय संघ है, उसके पास यूरोप है। लेकिन वे (गाजा) में होने वाली अंधाधुंध बमबारी से अपना समर्थन खोते जा रहे हैं।”
हालांकि, बाइडेन ने कहा कि “हमास से मुकाबला करने पर कोई सवाल नहीं है और इज़राइल के पास ऐसा करने का “पूरा अधिकार” है। बाइडेन की टिप्पणी के तुरंत बाद एक बयान में, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि उनके देश को जमीनी युद्ध के साथ-साथ हमास को नष्ट करने और बंधकों को रिहा कराने के लिए अमेरिका का “पूर्ण समर्थन” है।
उन्होंने कहा कि वाशिंगटन ने “युद्ध रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव” को अवरुद्ध कर दिया है। बीबीसी ने प्रधानमंत्री के हवाले से कहा, “हां, हमास को लेकर असहमति है और मुझे उम्मीद है कि हम यहां भी समझौते पर पहुंचेंगे।”
और भी

Jhutha Sach News

news in hindi

news india

news live

news today

today breaking news

latest news

Aaj ki taaza khabar

Jhootha Sach
Jhootha Sach News
Breaking news
Jhutha Sach news raipur in Chhattisgarh