धान का कटोरा
जिले में 153 किमी सड़क खराब, सीएम के फटकार के बाद मरम्मत शुरू
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव एवं राज्योत्सव का समापन समारोह आज
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज रायपुर दौरे पर
राहुल गांधी के पदयात्रा में छत्तीसगढ़ के कई नेता होंगे शामिल
हिमाचल में 2 दिनों तक चुनाव प्रचार करेंगे : सीएम
आदिवासियों के पारंपरिक आभूषण पुतरी, सुता, ऐठी, पोलकी कर रहे हैं लोगों को आकर्षित
- वन अधिकार अधिनियम पर पोर्टल के माध्यम से हो रहे रोचक सवाल-जवाब
- राज्योत्सव स्थल पर लगी आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विभाग की प्रदर्शनी
झूठा सच @ रायपुर :- छत्तीसगढ़ अपने स्थापना के 22 साल पूरे कर चुका है। इस आदिवासी बाहुल्य राज्य में आदिवासी संस्कृति, सभ्यता और कला हमेशा से ही लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र रही है। लोग आदिवासियों के रहन-सहन, जीवनशैली और उनके पहनावे के साथ पारंपरिक आभूषणों को लेकर रूचि दिखाते रहे हैं। ऐसा ही कुछ साइंस कॉलेज मैदान में आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा आयोजित विकास प्रदर्शनी में आदिवासियों के पारंपरिक आभूषण जैसे पुतरी, सुता, ऐठी, पोलकी आदि देखने को मिल रहा है।यह विकास प्रदर्शनी छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर लगायी गई है। इस दौरान आदिवासियों का पारंपरिक आभूषण लोगों के लिए खासतौर पर आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। वहीं विभाग के स्टॉल में वन अधिकार अधिनियम थीम पर आधारित ‘क्विज पोर्टल’ से आम नागरिक वन अधिकार से संबंधित जानकारी प्राप्त कर रहे हैं।
राजस्थान के कलाकारों ने चकरी नृत्य की दी प्रस्तुति
- महिला प्रधान नृत्य की प्रस्तुति ने लुभाया मन, तालियों से बढ़ा कलाकारों का उत्साह
कुओं के जल स्तर मापने का कार्य पूर्ण करने में जशपुर जिला ने हासिल किया प्रथम स्थान
कलेक्टर ने फरसाबहार के पटवारी अवधेश भगत को किया निलंबित
आत्मा से संवाद का उत्सव है अरुणाचल का लोकनृत्य इगु
- इदुमिस्थि जनजाति द्वारा किया जाता है, असामयिक मृत्यु पर नहीं केवल सामान्य मृत्यु पर ही होता है यह लोकनृत्य
असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है सोंगी मुखौटा नृत्य
- नरसिंह की पौराणिक कथा का आधार लेकर किया जाता है यह नृत्य
- महाराष्ट्र में मशहूर है सोंगी मुखौटा नृत्य
कलेक्टर ने किया पचेड़ा धान खरीदी केन्द्र का निरीक्षण
'महात्मा गांधी 21 प्रेरक प्रसंग' पुस्तक का मुख्यमंत्री ने किया विमोचन
राज्योत्सव में आंध्र प्रदेश के जनजातीय नृत्य ढ़िमसा की प्रस्तुति से दर्शक हुए मंत्रमुग्ध
झूठा सच @ रायपुर :- ढ़िमसा आंध्र प्रदेश का एक जनजातीय नृत्य है ।वैसे तो इसमें स्त्री और पुरुष चाहे वे किसी भी आयु के हो भाग लेते हैं, परंतु यह देखा गया है कि 15-20 युवतियों द्वारा ही समूह बनाकर किया जाता है। यह नृत्य विवाह के अवसर पर किया जाता है तथा साथ ही इसे दशहरा एवं अन्य अनुष्ठानिक अवसरों पर भी किए जाने की परंपरा है।नृत्य करने वाली युवतियां चटक रंग के हरे, लाल, गुलाबी पीले रंग की साड़ियां पहनती हैं और अपने गले में श्रृंगार के लिए माला पहने रहती है। इस नृत्य में किरिडी, मोरी, दप्पू, टुडुमु और जोदुकोमुलु सहित इस नृत्य शैली के साथ अद्वितीय आदिवासी संगीत वाद्ययंत्र का वादन किया जाता है ,जिसे पुरुषों द्वारा बजाया जाता है।
व्यापारियों के गोदाम से 220 क्विंटल धान जब्त
लड़ाई में जीत या शिकार के बाद बगैर वाद्य यंत्रों के नागा आदिवासी करते हैं लोकनृत्य
-
नागालैंड के कलाकारों द्वारा गौर नृत्य
-
बिना वाद्य यंत्र का लोक नृत्य माकू हिमीशी
- रोमन विजेताओं की तरह टोप पहने नागा लोककलाकारों ने दी शानदार प्रस्तुति
- लड़ाई में जीत अथवा शिकार के बाद होती है प्रस्तुति
- महिलाएं पुरुष विजेताओं के स्वागत में करती हैं लोकनृत्य
धनगरी ग़ज़ा नामक लोक नृत्य कर रहे हैं महाराष्ट्र के नर्तक दल
- राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव
- ध्वज छत्र इस नृत्य का मुख्य आकर्षण।
- हाथी के चलेने जैसा स्वरूप है इस नृत्य का, जिसमें छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक शामिल हैं।
- पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है ये परम्परा, सांगली के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया जा रहा है नृत्य।
- बांसुरी की तान, झाँझ सबसे मुख्य वाद्य यंत्र।
- इस नृत्य में शिव पार्वती का जुड़ाव दर्शाया गया है। माँ पार्वती रूठ गई है, इस दृश्य का भी प्रस्तुतिकरण कहा जा सकता है।