धर्म समाज

9 अप्रैल से चैत्र नवरात्र की शुरूआत

  • मां मनका दाई मंदिर में भक्तों के बीच संवाद का अनोखा तरीका
जांजगीर। 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्र की शुरूआत होने वाली है और माता के देवालयों में फिर भक्तों की भीड़ उम़ड़ने लगेगी। जांजगीर में स्थित मां मनका दाई मंदिर है जहां माता और भक्तों के बीच संवाद का अनोखा तरीका है। यहां भक्त माता से अपनी सीधी बात कहते हैं। माता भी भक्तों की फरियाद सुनती हैं और उनकी मनोकमाना पूरी करती है। बात अजीब है, पर सत्य है।
दरअसल, जांजगीर चांपा जिले के खोखरा में विराजित मां मनका दाई मंदिर के दिवालों पर हजारों की संख्या में भक्त अपनी बात व मनोकामना लिखकर माता से सीधे बात करते हैं। माता भी उनकी फरियाद को पूरी करती है, यही वजह है कि अब दिनों दिन दीवारों पर संदेशों की संख्या बढ़ती जा रही है। कोई भी, कैसी भी अर्जी हो भक्त इस मंदिर में आकर दीवारों पर लिखते हैं जो कि उनके मनोकामना बताने का तरीका भी अनोखा है। भक्तगण मुख्य मंदिर के दीवार पर अपनी प्रार्थना लिखते हैं। इसे माता और भक्तों के संवाद का तरीका मान सकते हैं।
शायद भक्तों को लगता है कि ऐसे दीवार में अपनी बात लिखने से मां मनका दाई तक वह बात पहुंचती है और पूर्ण फलिभूत होती है। भक्‍तों की कई समस्या, मांग और कामना होती है, वह मंदिर में माता के पास अपना दुखड़ा लेकर आते हैं। पूजा उपासना चड़ावे के साथ ही वे मां मनका से सीधे बात करना चाहते हैं।
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सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल, जानिए...शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को बेहद ही खास माना गया है जो कि हर माह में एक बार आती है अभी चैत्र का महीना चल रहा है और इस माह पड़ने वाली अमावस्या चैत्र अमावस्या या फिर सोमवती अमावस्या के नाम से जानी जा रही है
सोमवती अमावस्या के दिन स्नान दान व पूजा पाठ का विशेष महत्व होता है मान्यता है कि जो लोग सोमवती अमावस्या के दिन सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान करते है उनको माता पार्वती और शिव का आशीर्वाद मिलता है इस दिन दान पुण्य करना भी अच्छा माना जाता है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं कि इस साल सोमवती अमावस्या कब मनाई जाएगी तो आइए जानते है।
सोमवती अमावस्या की तारीख और मुहूर्त-
हर साल सोमवती अमावस्या चैत्र मास की अमावस्या तिथि पर पड़ती है इस साल चैत्र माह की अमावस्या तिथि 8 अप्रैल दिन सोमवार को है। सोमवती अमावस्या तिथि का आरंभ 8 अप्रैल को सुबह 8 बजकर 21 मिनट पर हो रहा है साथ ही इस तिथि का समापन उसी रात 11 बजकर 50 मिनट पर हो जाएगा। इसलिए सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल दिन सोमवार को मनाई जाएगी।
पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि के दिन स्नान दान व पूजा पाठ का शुभ मुहूर्त 8 अप्रैल को सुबह 4 बजकर 32 मिनट से लेकर सुबह के 5 बजकर 18 मिनट तक है इस मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान करना शुभ रहता है क्योंकि इसी समय इंद्र योग और उत्तर भाद्रपद नक्षत्र है।
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शनिवार के दिन करें इन शक्तिशाली मंत्रों का करें जाप

सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा अर्चना को समर्पित होता है वही शनिवार का दिन भगवान श्री शनिदेव की पूजा के लिए विशेष माना जाता है इस दिन भक्त भगवान शनिदेव की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु की कृपा प्राप्त होती है
लेकिन इसी के साथ ही अगर शनिवार के दिन भक्ति भाव से शनि पूजा की जाए साथ ही शनिदेव के चमत्कारी मंत्रों का जाप किया जाए तो भगवान जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं इसके साथ ही शनि मंत्रों का जाप करने से असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है और नौकरी व कारोबार में उन्नति भी प्राप्त होती है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं शनिदेव के शक्तिशाली मंत्र।
शनिदेव के चमत्कारी मंत्र-
1. शनि देव का बीज मंत्र
“ओम प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
शनि देव के मंत्र जाप करने का सही विधि”
2. शनि आरोग्य मंत्र का जाप
“ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा
कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा”
“शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।
दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं”
3. शनि दोष निवारण मंत्र
“ओम त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात”
“ओम शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शंयोरभिश्रवन्तु नः
ओम शं शनैश्चराय नमः”
4. शनि गायत्री मंत्र का जाप
“ओम भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्”
5. शनि देव का महामंत्र
“ओम निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम”
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भगवान महाकाल ने खेली होली, शिवभक्तों पर चढ़ा रंग पंचमी का रंग

उज्जैन। भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में शिवभक्तों पर रंग पंचमी का रंग चढ़ चुका है। महाकालेेश्वर मंदिर में भक्तों ने भगवान महाकाल के साथ टेसू के फूलों से तैयार रंग के साथ होली खेली। इस दौरान भक्तो ने श्रद्धा व उत्साह के साथ एक-दूसरे को रंगों से सराबोर कर दिया। सभी ने असीम आनंद की अनुभूति की।
शनिवार को ब्रह्म मुहूर्त के साथ ही मंदिर में रंग पंचमी का पर्व धूमधाम के साथ शुरू हो गया। सबसे पहले भगवान महाकाल के दरबार में भष्म आरती हुई। भगवान महाकाल को टेसू के फूल अर्पित किए गए। दूध, दही, जल और भांग के साथ भगवान का अभिषेेक किया गया। इसके बाद फलों के रस से भी उन्हें स्नान कराया गया।
आरती के दौरान मंदिर के पुजारी ने टेसू के फूलों व केसर के रंग के साथ भगवान महाकाल से होली खेली। भगवान के साथ अन्य देवी-देवताओं को भी टेसू और केसर का रंग अर्पित किया गया। इसके बाद बारी आई भक्तों की। उन्होंने पूरे उत्साह, उमंग व श्रद्धा के साथ देवाधिदेव भगवान महाकाल के साथ होली खेली। उन्हें फूल अर्पित किए और उन पर रंगों की वर्षा की। इस दाैरान सभी के चेहरे पर असीम शांति का भाव था। वे अपने भगवान के साथ मिलकर अनंत सुख का अनुभव कर रहे थे।
गौरतलब है कि महाकालेश्वर मंदिर में 15 दिन पूर्व से होली और रंग पंचमी पर्व को लेकर तैयारी की जाती है। इस त्योहार को लेकर भक्तों में काफी उत्साह रहता है। देश भर के श्रद्धालु भगवान महाकाल के साथ होली खेलने के लिए उज्जैन आते हैं। वर्ष भर में एक बार ऐसा अवसर आता है, जब भक्त और भगवान के बीच होली खेलने का दृष्य देखने को मिलता। इस दौरान भक्तों व भगवान के बीच की दूरी मिट जाती है।
मंदिर के पुजारी आशीष शर्मा ने कहा कि प्राकृतिक रंगों से होली का पर्व और भी खूबसूरत हो जाता है। महाकालेश्वर मंदिर से हर साल फूलों से तैयार होने वाले रंग से होली खेल कर प्रकृति प्रेम और पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश दिया जाता है। इस बार भी मंदिर में प्राकृतिक फूलों से निर्मित रंग द्वारा ही होली खेली गई।
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रंगपंचमी पर केसरयुक्त जल अर्पित किया गया भगवान महाकाल को

रंग-गुलाल पर लगा प्रतिबंध
उज्जैन। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में आज रंगपंचमी उत्सव मनाया गया. सुबह 4 बजे भस्म आरती में पुजारियों ने भगवान महाकाल को रंगों की पोटली अर्पित की। जिसे केसर और टेसू के फूलों से बनाया गया था.
रंगपंचमी उत्सव में गुलाल का उपयोग नहीं किया गया।
हम आपको बताना चाहेंगे कि होली के दिन भस्म आरती के दौरान महाकाल मंदिर में आग लग गई थी. इसी वजह से आज महाकाल मंदिर में रंगपंचमी उत्सव मनाया गया. इस समय किसी भी रंग का प्रयोग नहीं किया गया। महाकाल मंदिर प्रशासन ने पुजारियों, पुजारियों और श्रद्धालुओं के रंगपंचमी पर होली खेलने पर रोक लगा दी है.
आज होगा महाकालेश्वर ध्वजारोहण समारोह-
मंदिर की परंपरा के अनुसार, आज महाकालेश्वर ध्वजारोहण समारोह आयोजित किया जाएगा। मंदिर समिति के अनुसार, रंगपंचमी उत्सव की परंपरा का पालन करने के लिए महाकाल मंदिर समिति ने पुजारी और पुजारियों को कई फूल प्रदान किए।
होली के दिन भस्म आरती के दौरान गुलाल उड़ने से महाकाल मंदिर के गर्भगृह में आग लग गई. हादसे में महाकाल के पुजारी और सेवकों समेत 14 लोग घायल हो गए। घटना की सूचना के बाद अब मंदिर प्रबंधक बदल गया है.
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तुलसी के सूखने पर मिलते हैं ये अशुभ संकेत, करें ये काम

हिंदू धर्म में माना जाता है कि जिस घर में हरा-भरा तुलसी का पौधा होता है, वहां कभी दरिद्रता नहीं आती। ऐसे में तुलसी के पौधे का सूखना अशुभ माना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं तुलसी को सुखाने से व्यक्ति को क्या फल मिल सकता है और इसके लिए उसे क्या उपाय करना चाहिए।
तुलसी के सूखने पर ये लक्षण दिखाई देते हैं।
ऐसा माना जाता है कि अगर तुलसी का पौधा अचानक सूखने लगे तो यह घर में नकारात्मकता या बुरी ऊर्जा का प्रतीक हो सकता है। इसकी वजह से घर में बेबुनियाद विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।
यह भी माना जाता है कि जिस घर में सूखा हुआ तुलसी का पौधा रखा होता है उस घर में देवी लक्ष्मी कभी प्रवेश नहीं करती हैं। वहीं कुछ मान्यताओं के अनुसार तुलसी के पौधे का बार-बार मुरझाना घर में आने वाली परेशानी या दुर्भाग्य की चेतावनी देता है।
यह काम करो-
वास्तु शास्त्र में माना जाता है कि तुलसी के पौधे को सूखने के बाद उखाड़कर बहते पानी में डाल देना चाहिए। फिर उसी गमले में दूसरा तुलसी का पौधा लगाएं। तुलसी के स्थान पर आप तुलसी वाले गमले में कोई अन्य पौधा नहीं लगा सकते। अगर आप तुलसी का पौधा तुरंत नहीं भी लगाते हैं तो भी आपको हर दिन इस गमले की पूजा करते रहना चाहिए।
इसे ध्यान में रखो-
सूखे पौधों को कभी भी इधर-उधर नहीं उछालना चाहिए। वहीं, सूर्य ग्रहण, पूर्णिमा, अमावस्या, एकादशी और रविवार के दौरान सूखे हुए तुलसी के पौधों को कभी नहीं उखाड़ना चाहिए। इसके अलावा सूतक और पितृपक्ष के दौरान तुलसी का पौधा उखाड़ना वर्जित माना गया है। चाहें तो सूखे तुलसी के पत्ते और लकड़ी का उपयोग किया जा सकता है।
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चैत्र नवरात्र में कलश स्थापित करने से पहले जान लें ये नियम

चैत्र नवरात्रि शुरू होने वाली है. कलश स्थापना या घटस्थापना नवरात्रि के पहले दिन या प्रतिपदा तिथि को की जाती है। यह पवित्र त्योहार मां दुर्गा को समर्पित है। यह चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल, 2024 को शुरू होती है। इसका समापन भी 17 अप्रैल, 2024 को होता है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कलश मनाया जाता है क्योंकि इसे एक शुभ प्रतीक माना जाता है और यह पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। घटस्थापना शुभ मुहूर्त में और पूरे अनुष्ठान के साथ की जानी चाहिए।
घटस्थापना का शुभ समय-
कलश की स्थापना तिथि मंगलवार 9 अप्रैल 2024 है
कलश स्थापना का सर्वोत्तम समय 6:11 से 10:23 बजे तक है
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12:04 बजे से 12:54 बजे तक.
कलश आरंभ करने के नियम-
सबसे पहले, उस विशिष्ट क्षेत्र पर गंगा जल छिड़का जाता है जहां कलश स्थापित किया जाना है।
इसके बाद लकड़ी के खंभे पर लाल स्वस्तिक बनाएं और उस पर हेलमेट लगा दें।
वैकल्पिक रूप से, एक मिट्टी के बर्तन में मिट्टी भरें, उसमें जौ के बीज डालें और उसके ऊपर कलश रखें।
एक गिलास में आम के पत्ते डालें और उसमें पानी या गंगाजल भर दें।
कलश में द्रुवा के साथ सुपारी, सिक्के और हल्दी के टुकड़े डालें।
नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश पर रखें।
इसके बाद मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें.
क्लैश स्थापना के साथ ही अखंड ज्योत भी जलाई जाती है।
कलश स्थापित करें और विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा करें।
कलश को मंदिर की उत्तर-पूर्व दिशा में ही रखना चाहिए।
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कई शुभ योगों में पूजा-पाठ करने से होगी कई गुना फल की प्राप्ति

  • रंग पंचमी पर बन रहे शुभ योग
हिंदू धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन रंग पंचमी को खास माना गया है जो कि भगवान श्रीकृष्ण और देवी राधा की पूजा अर्चना को समर्पित होता है। पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि पर रंग पंचमी मनाई जाती है। इस बार रंग पंचमी का पर्व 30 मार्च को मनाया जाएगा।
देशभर में यह पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन सूखे रंग से होली खेली जाती है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रंग पंचमी के दिन देवी देवता धरती पर होली खेलने आते हैं। इस बार की रंग पंचमी बेहद ही खास होने वाली है क्योंकि इस दिन कई शुभ योगों का संयोग बन रहा है जिसमें सिद्धि योग भी शामिल हैं माना जाता है कि इन शुभ योगों में अगर पूजा पाठ और शुभ कार्य किए जाए तो दोगुना फल मिलता है, तो आज हम इसी के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
रंग पंचमी पर बन रहे शुभ योग-
ज्योतिष अनुसार रंग पंचमी पर सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है जो कि रात 10 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। इस योग में पूजा पाठ करने से साधक को विशेष फल की प्राप्ति होती है। सिद्धि योग को शुभ कार्यों के लिए भी श्रेष्ठ माना गया है इसके बाद व्यतिपात योग का भी निर्माण हो रहा है। रंग पंचमी के दिन रवि योग निर्मित हो रहा है।
जो कि रात 10 बजकर 3 मिनट से हो रहा है और 31 मार्च को सुबह 6 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा तैतिल करण योग 9 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा 30 मार्च को शिव संध्याकाल 9 बजकर 13 मिनट तक नंदी पर विराजमान रहेगा। इस दौरान शिव पूजन करना लाभकारी माना जाता है इसके अलावा शुभ कार्यों को करने से सफलता हासिल होती है।
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बेलपत्र पेड़ के नीचे दीपक जलाने से मिलते हैं ये लाभ

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में ऐसे कई पेड़-पौधों का जिक्र है जिनके पास दीपक जलाना शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इन पेड़ों या पौधों के पास दीपक जलाने से घर में सौभाग्य और समृद्धि आती है। हालांकि हर पेड़ या पौधे के पास दीपक जलाने के अलग-अलग फायदे होते हैं। दरअसल, हिंदू कथाओं में भगवान शिव का बहुत महत्व है और लोग उन्हें विशेष मानते हैं और अलग-अलग तरीकों से उनकी पूजा करते हैं। और उनसे मदद मांगने के लिए विशेष कार्य करें। उनका एकमात्र काम बेलपत्र नामक एक विशेष पेड़ के नीचे दीपक जलाना है। यह लेख लोगों को समझाता है कि ऐसा क्यों करते हैं, किसे करना चाहिए और भगवान शिव के लिए बेलपत्र का पेड़ क्यों महत्वपूर्ण है।
बेलपत्र का पौधा भगवान शिव को बहुत प्रिय माना जाता है। कुछ शास्त्रों के अनुसार ऐसा भी माना जाता है। बेलपत्र का वृक्ष माता पार्वती के पसीने से उत्पन्न हुआ। इसलिए बेलपत्र का पेड़ भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। उसी प्रकार बेलपत्र के वृक्ष में माता पार्वती का वास होता है।
1. बेलपत्र के पास दीपक जलाने से घर में देवी लक्ष्मी का वास होता है और धन लाभ के योग बनते हैं। घर की आर्थिक स्थिति में सुधार होने लगता है और व्यक्ति गरीबी, कर्ज, अत्यधिक खर्च आदि जैसी समस्याओं से मुक्त हो जाता है।
2. बेलपत्र के पौधे के पास दीपक जलाने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और उनकी कृपा से जीवन की चिंताएं दूर हो जाती हैं। जीवन में खुशियां आती हैं और हर काम में सफलता मिलने लगती है।
3. यदि घर में बेलपत्र का पौधा है तो प्रतिदिन शाम को बेलपत्र के पास सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इससे घर से नकारात्मक ऊर्जा भी दूर हो जाती है और घर में शांति का वास होने लगता है।
4. बेलपत्र के पौधे के पास दीपक जलाने से घर की पारिवारिक परेशानियां दूर हो जाती हैं। इसके अलावा ज्योतिष में माना जाता है कि बेलपत्र के पास दीपक जलाने से ग्रह और वास्तु दोष भी दूर होते हैं।
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शीतला अष्टमी व्रत 2 अप्रैल को, जानिए... सही मुहूर्त

हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन शीतला अष्टमी विशेष मानी जाती है जो कि मां शीतला को समर्पित होती है इस दिन भक्त देवी मां की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने देवी की कृपा प्राप्त होती है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता शीतला देवी पार्वती का ही एक रूप हैं।
हर साल चैत्र मास की अष्टमी तिथि के दिन शीतला अष्टमी का व्रत किया जाता है शीतला माता को आरोग्य की देवी माना गया है। मां शीतला को ठंडा यानी की शीतल भोग बेहद प्रिय है इसलिए इस दिन भक्त माता की विधिवत पूजा कर उन्हें बासी भोग अर्पित करते हैं। माता की पूजा के लिए यह भोग एक दिन पहले बड़ी साफ सफाई के साथ तैयार किया जाता है और अष्टमी तिथि पर मां को अर्पित ​किया जाता है। पूजन के बाद व्रती इसी प्रसाद को ग्रहण करके अपने व्रत को खोलते है। तो ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बताने जा रहे हैं कि इस साल शीतला अष्टमी कब मनाई जाएगी तो आइए जानते हैं।
शीतला अष्टमी की तारीख-
हिंदू पंचांग के अनुसार शीतला अष्टमी का पर्व हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाया जाता है इस बार शीतला अष्टमी का व्रत 2 अप्रैल को मनाया जाएगा। शीतला अष्टमी को बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है इस दिन बासी भोजन कया जाता है।
मान्यताओं के अनुसार बसौड़ा के बाद बासी भोजन नहीं करने की सलाह दी जाती है क्योंकि गर्म अधिक हो जाती है जिससे सेहत पर इसका बुरा असर पड़ सकता है मां शीतला आरोग्य की देवी मानी जाती है इनकी पूजा अर्चना और व्रत व्यक्ति को अच्छी सेहत का आशीर्वाद प्रदान करती है।
शीतला अष्टमी व्रत शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 01 अप्रैल 2024 को रात 09.09 बजे शुरू होगी और इस तिथि का समापन 02 अप्रैल को रात 08.08 बजे होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, शीतला अष्टमी का व्रत 02 अप्रैल 2024 को ही मनाना उचित होगा। इस दौरान पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06.10 बजे से शाम 06.40 बजे तक रहेगा।
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चैत्र नवरात्र पर बन रहे हैं ये शुभ संयोग

  • जीवन पर पड़ेगा इसका चमत्कारी असर
नई दिल्ली। चैत्र नवरात्रि हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है. देवी के भक्तों को इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है. मान्यता के अनुसार, भक्त मां दुर्गा की पूजा के लिए नौ दिनों तक व्रत रखते हैं। ये नौ दिन मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा के लिए समर्पित हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त इस अवधि के दौरान भावपूर्वक देवी की पूजा करते हैं उन्हें वांछित आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस बार चैत्र नवरात्रि में एक नहीं बल्कि कई शुभ संयोग बनेंगे। नवरात्रि के पहले दिन अभिजीत मुहूर्त के साथ सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है। सुबह 7:35 बजे से पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग है। साथ ही 12:03 से 12:54 तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। ऐसे में इस बार की नवरात्रि बेहद अद्भुत होगी.
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, प्रतिपदा तिथि चैत्र माह 8 अप्रैल, 2024 को रात 11:51 बजे IST से शुरू होता है। इसके अलावा, यह अगले दिन यानी 9 अप्रैल को 20:29 बजे समाप्त होगा। 9 अप्रैल 2024 को उदया तिथि के अवसर पर चैत्र नवरात्रि शुरू होगी.
चैत्र नवरात्रि के नियम-
चैत्र नवरात्रि के दौरान भक्त नौ दिनों तक उपवास करते हैं। नवरात्रि के प्रत्येक दिन के साथ पूजा अनुष्ठान और परंपराएं जुड़ी हुई हैं। पहले दिन, लोग घटस्थापना करते हैं, जो माँ दुर्गा की उपस्थिति का प्रतीक है और त्योहार की शुरुआत का प्रतीक है। व्रत के आठवें दिन कन्याओं की विशेष पूजा की जाती है क्योंकि लड़कियाँ देवी का प्रतिनिधित्व करती हैं।
रामनवमी मनाने के बाद इस दिन भगवान राम की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त पूरी श्रद्धा के साथ पूजा के सभी नियमों का पालन करते हैं उन्हें देवी भगवती का पूरा आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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शीतला अष्टमी व्रत 2 अप्रैल को

हिंदू धर्म में शीतला माता को स्वच्छता एवं आरोग्य की देवी माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि शीतला अष्टमी का व्रत करने से भक्तों को आरोग्य की प्राप्ति होती है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, शीतला अष्टमी के दिन बासी खाने का भोग लगाने से कई गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है। यहां जानें इस व्रत के बारे में विस्तार से।
शीतला माता पूजा मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 01 अप्रैल 2024 को रात 09.09 बजे शुरू होगी और इस तिथि का समापन 02 अप्रैल को रात 08.08 बजे होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, शीतला अष्टमी का व्रत 02 अप्रैल 2024 को ही मनाना उचित होगा। इस दौरान पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06.10 बजे से शाम 06.40 बजे तक रहेगा। देश में कुछ स्थानों पर शीतला सप्तमी तिथि पर भी शीतला माता की पूजा की जाती है। शीतला सप्तमी व्रत 1 अप्रैल को रखा जाएगा।
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हनुमान जयंती कब मनाई जाएगी, जानिए...तिथि और मुहूर्त

हिंदू धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन हनुमान जयंती को बेहद ही खास माना जाता है जो कि हनुमान पूजा को समर्पित दिन होता है इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने का विधान होता है हनुमान जयंती के दिन व्रत पूजन करने से भगवान की कृपा मिलती है और सारे कष्ट दूर हो जाते हैं ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं कि इस साल हनुमान जयंती कब है और पूजन का शुभ मुहूर्त क्या है तो आइए जानते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार हनुमान जयंती का पर्व इस साल चैत्र पूर्णिमा को पड़ती है पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 23 अप्रैल को सुबह 3.25 बजे शुरू होगी और 24 अप्रैल को सुबह 5.18 बजे समाप्त हो जाएगी। ऐसे में हनुमान जयंती का पर्व 23 अप्रैल दिन मंगलवार को मनाया जाएगा।
हनुमान जयंती की पूजा विधि-
आपको बता दें कि हनुमान जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद हनुमान मंदिर जाएं या घर पर ही पूजा करें। इसके लिए हनुमान जी की प्रतिमा पर सिंदूर लगाएं। अब धूप, दीपक, नैवेद्य अर्पित कर मंत्र जाप से हनुमान जी की विधिवत पूजा करें। इस दिन हनुमान चालीसा, आरती और बजरंग बाण का पाठ करें। इस दिन कई लोग उपवास भी रखते हैं इस दिन पूजा पाठ के साथ ही हनुमान मंत्र का जाप जरूर करें।
हनुमान मंत्र जाप-
ॐ श्री हनुमते नमः
ॐ ऐं भ्रि हनुमंते, श्री राम दुताय नमः
ॐ अंजनेय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि. तन्नो हनुमान प्रचोदयात्।
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भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पर इस मुहूर्त में करें गणपति पूजा

सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन संकष्टी चतुर्थी को बेहद ही खास माना जाता है जो कि हर माह में दो बार आती है एक कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर संकष्टी चतुर्थी की एक अलग कथा है इस बार भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी मनाई जा रही है जो कि चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर पड़ती है।
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी का व्रत आज यानी 28 मार्च दिन गुरुवार को किया जा रहा है यह तिथि गणपति साधना को समर्पित होती है इस दिन भक्त भगवान श्री गणेश की विधि विधान से पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और कष्ट दूर हो जाते हैं ऐसे में अगर आप भी श्री गणेश का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो आज गणपति की पूजा शुभ मुहूर्त में ही करें ऐसा करने से सुख समृद्धि में वृद्धि होती है और दुख परेशानियां दूर हो जाती हैं।
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी तिथि और मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी का आरंभ 28 मार्च को शाम 6 बजकर 56 मिनट से हो चुका है वही इस तिथि का समापन 29 मार्च को रात्रि 8 बजकर 20 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में इस दिन चंद्रमा की पूजा के बाद ही व्रत पूर्ण होता है
इस दिन आप अपने व्रत का पारण चंद्रमा को जल अर्पित कर उनकी विधिवत पूजा करें इसके बाद ही व्रत खोले। माना जाता है कि इस दिन भक्ति भाव से भगवान की पूजा करने से वे प्रसन्न हो जाते हैं और सुख समृद्धि और सफलता का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
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उज्जैन नगरी में आयोजित होगा सिंहस्थ हिंदू धार्मिक मेला

उज्जैन। साल 2028 में उज्जैन में सिंहस्थ का आयोजन होगा। जिसमें करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होने के लिए पहुंचेंगे। 12 साल में एक बार अवंतिका नगरी में कुंभ का आयोजन होता है। साल 2016 के बाद 2028 में यह मौका पड़ रहा है। जब एक बार फिर देश और दुनिया भर से साधु संत कुंभ मेला में पहुंचेंगे और स्नान करेंगे। इसके अलावा दुनिया भर से जनता यहां धर्म लाभ लेने पहुंचेगी।
सिंहस्थ के दौरान प्रशासन को बड़े स्तर पर व्यवस्थाएं करनी पड़ती है। श्रद्धालुओं की संख्या हजारों नहीं बल्कि करोड़ों में होती है और इतनी भीड़ को संभालने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। साल 2016 के सिंहस्थ में आंधी तूफान और बारिश की स्थिति बनी थी जिसके चलते मेला क्षेत्र में आपातकालीन परिस्थितियों उत्पन्न हो गई थी। ऐसी स्थिति फिर से निर्मित ना हो इसके लिए इस बार व्यापक स्तर पर इंतजाम किए जाएंगे।
जानकारी के मुताबिक आपातकालीन स्थिति से अच्छी तरह से निपटा जा सके इसके लिए हाउसिंग बोर्ड की तरफ से देवास रोड पर एक इमरजेंसी ऑपरेटिंग सेंटर तैयार किया जाएगा। सिंहस्थ 2028 में तो इसका संचालन होगा ही साथ ही इसके बाद भी इसे संचालित किया जाता रहेगा। मेला क्षेत्र में अगर कोई भी अप्रिय स्थिति बनती है तो तुरंत ही इस केंद्र से राहत और बचाव कार्य किया जाएगा।
इस बार सिंहस्थ 2028 में देश और विदेश से तकरीबन 14 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगाया जा रहा है। इन सभी के आवागमन से लेकर आपदा प्रबंधन तक उचित व्यवस्थाएं की जाएगी। देवास रोड पर इमरजेंसी केंद्र बनाए जाने के साथ सैनिक भोजन शाला का निर्माण भी किया जाएगा और सैनिक कल्याण भवन भी निर्मित होगा। इस पूरे परिसर में बाउंड्री वॉल और प्रवेश द्वार के साथ सौंदर्यीकरण किया जाएगा। यह प्रोजेक्ट तकरीबन 68 करोड़ 50 लाख से ज्यादा का होने वाला है।
कमांड सेंटर बनाया जाएगा-
इमरजेंसी सेंटर के अलावा एक संभाग स्तर का कंट्रोल एंड कमांड सेंटर भी बनाया जाएगा। इसके अलावा होमगार्ड, सैनिक ट्रेनिंग सेंटर और सर्फेस वॉटर रेस्क्यू की बिल्डिंग भी बनाई जाएगी ताकि हर आपातकालीन स्थिति से अच्छी तरह से निपटा जा सके। सीनियर महिला और पुरुष अधिकारियों की ट्रेनिंग सेंटर के साथ मीटिंग हॉल और हॉस्टल का निर्माण होगा।
प्रोजेक्ट हुआ तैयार-
जिला इमरजेंसी ऑपरेटिंग केंद्र बनाए जाने के लिए प्रोजेक्ट पूरी तरह से तैयार कर लिया गया है। जल्द ही इसकी कार्य योजना तैयार करते हुए निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। जैसा कि जाहिर है कि इस इमरजेंसी सेंटर का निर्माण मुख्य रूप से सिंहस्थ के लिए किया जा रहा है इसलिए इसे जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा।
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पापमोचनी एकादशी, नोट करें तारीख और मुहूर्त

हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे व्रत पड़ते हैं लेकिन एकादशी का व्रत सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है जो कि हर माह में दो बार आता है अभी चैत्र मास चल रहा है और इस माह पड़ने वाली एकादशी को पापमोचिनी एकादशी के नाम से जाना जा रहा है जो कि विष्णु पूजा का उत्तम दिन होता है।
इस दिन भक्त भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है इस दिन उपवास रखने वालों को जाने अनजाने में किए गए पापों से छुटकारा मिल जाता है साथ ही व्रत को करने से सभी समस्याएं दूर हो जाती है ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा पापमोचिनी एकादशी की तारीख और मुहूर्त के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
पापमोचिनी एकादशी की तारीख और मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 4 अप्रैल को दोपहर 4 बजकर 14 मिनट पर हो रहा है वही इस तिथि का समापन 5 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 28 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार पापमोचिनी एकादशी का व्रत 5 अप्रैल दिन शुक्रवार को किया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा सुबह और शाम के समय जरूर करें।
माना जाता है कि ऐसा करने से विष्णु जी के साथ साथ माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है जिससे धन संबंधी समस्याओं का समाधान हो जाता है। पापमोचिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद व्रत पूजन का संकल्प लेते हुए भगवान की विधिवत पूजा करें और प्रिय भोग अर्पित करें। इस दिन पूजा पाठ और व्रत करना लाभकारी माना जाता है ऐसा करने से कष्टों का निवारण होता है।
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रंग पंचमी 30 मार्च को, जानिए...शुभ मुहर्त

रंगों का त्योहार रंग पंचमी हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार रंग पंचमी 30 मार्च को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन देवी-देवताओं की पूजा करने और उन्हें प्रसाद चढ़ाने से साधकों को शुभ फल की प्राप्ति होती है और जीवन की सभी चिंताओं से छुटकारा मिलता है। खैर, इस लेख में हम बताएंगे कि रंग पंचमी क्यों मनाई जाती है।
रंगों का त्योहार पंचमी होली के पांच दिन बाद मनाया जाता है। प्राचीन काल में होली कई दिनों में मनाई जाती थी, लेकिन चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को होली का अंतिम दिन माना जाता है। रंग पंचमी का त्योहार जहां देश के कई हिस्सों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, वहीं मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में तस्वीर अलग है।
इस खास मौके पर धन की देवी मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है. किंवदंती है कि रंग पंचमी पर भगवान कृष्ण ने राधा रानी के साथ होली खेली थी। इसलिए इस दिन भगवान कृष्ण और राधा रानी का गुणगान किया जाता है।
रंग पंचमी का शुभ मुहूर्त 2024-
चैत्र मास में कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि 29 मार्च को रात 8:20 बजे शुरू होती है और 30 मार्च को रात 8:20 बजे समाप्त होती है। इस बीच, रंग पंचमी उत्सव 9 मार्च (शनिवार) को मनाया जाएगा।
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बेटी को लेकर तिरुपति बालाजी पहुंचे राम चरण और उपासना

मुंबई। साउथ सिनेमा के सुपरस्टार राम चरण आज अपना 39वां जन्मदिन मना रहे हैं। एक्टर अपने दिन की शुरुआत भगवान के दर्शन से करते हैं. बुधवार सुबह बर्थडे बॉय अपनी बेटी किरिन काला और पत्नी उपासना के साथ बालाजी का आशीर्वाद लेने के लिए तिरुपति पहुंचे। इस दौरान की तस्वीरें और वीडियो सोशल नेटवर्क पर तेजी से शेयर किए जा रहे हैं। इस दौरान उपासा अपनी बेटी को मीडिया से बचाती नजर आईं।
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