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रंग पंचमी 30 मार्च को, जानिए...शुभ मुहर्त

रंगों का त्योहार रंग पंचमी हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार रंग पंचमी 30 मार्च को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन देवी-देवताओं की पूजा करने और उन्हें प्रसाद चढ़ाने से साधकों को शुभ फल की प्राप्ति होती है और जीवन की सभी चिंताओं से छुटकारा मिलता है। खैर, इस लेख में हम बताएंगे कि रंग पंचमी क्यों मनाई जाती है।
रंगों का त्योहार पंचमी होली के पांच दिन बाद मनाया जाता है। प्राचीन काल में होली कई दिनों में मनाई जाती थी, लेकिन चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को होली का अंतिम दिन माना जाता है। रंग पंचमी का त्योहार जहां देश के कई हिस्सों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, वहीं मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में तस्वीर अलग है।
इस खास मौके पर धन की देवी मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है. किंवदंती है कि रंग पंचमी पर भगवान कृष्ण ने राधा रानी के साथ होली खेली थी। इसलिए इस दिन भगवान कृष्ण और राधा रानी का गुणगान किया जाता है।
रंग पंचमी का शुभ मुहूर्त 2024-
चैत्र मास में कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि 29 मार्च को रात 8:20 बजे शुरू होती है और 30 मार्च को रात 8:20 बजे समाप्त होती है। इस बीच, रंग पंचमी उत्सव 9 मार्च (शनिवार) को मनाया जाएगा।
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बेटी को लेकर तिरुपति बालाजी पहुंचे राम चरण और उपासना

मुंबई। साउथ सिनेमा के सुपरस्टार राम चरण आज अपना 39वां जन्मदिन मना रहे हैं। एक्टर अपने दिन की शुरुआत भगवान के दर्शन से करते हैं. बुधवार सुबह बर्थडे बॉय अपनी बेटी किरिन काला और पत्नी उपासना के साथ बालाजी का आशीर्वाद लेने के लिए तिरुपति पहुंचे। इस दौरान की तस्वीरें और वीडियो सोशल नेटवर्क पर तेजी से शेयर किए जा रहे हैं। इस दौरान उपासा अपनी बेटी को मीडिया से बचाती नजर आईं।
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चैत्र माह 2024 के व्रत और त्योहार कैलेंडर

फाल्गुन माह के बाद चैत्र माह की शुरुआत होती है. धार्मिक दृष्टि से इस महीने का विशेष महत्व है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह हिंदू नव वर्ष का पहला महीना है। चैत्र का महीना 26 मार्च को शुरू होता है और अगले महीने यानि 26 मार्च को समाप्त होता है। घंटा। 23 अप्रैल। इस महीने में कई महत्वपूर्ण उपवास के दिन और छुट्टियाँ हैं जिनका आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व है। आपकी जानकारी के लिए हम आपको बताना चाहेंगे कि इस महीने रंग पंचमी, पापमोचिनी एकादशी, चैत्र नवरात्रि और हनुमान जयंती सहित कई व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं।
2024 के चैत्र माह के व्रत और छुट्टियों का कैलेंडर-
27 मार्च 2024- भाई दूज
28 मार्च 2024- भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी.
30 मार्च 2024- रैंक पंचमी
31 मार्च 2024- शीतला सप्तमी, कालाष्टमी.
5 अप्रैल 2024- पापमोचिनी एकादशी.
6 अप्रैल 2024- शनि त्रयोदशी, प्रदोष व्रत.
7 अप्रैल 2024- मासिक शिवरात्रि.
8 अप्रैल, 2024- चैत्र अमावस्या, सूर्य ग्रहण।
9 अप्रैल, 2024- चैत्र नवरात्रि की शुरुआत, झूलेलाल जयंती, हिंदू नववर्ष की शुरुआत.
11 अप्रैल 2024- मत्स्य जयंती, गौरी पूजा.
12 अप्रैल 2024- लक्ष्मी पंचमी.
14 अप्रैल 2024-यमुना छठ
16 अप्रैल 2024- महतारा जयंती, मासिक दुर्गाष्टमी.
17 अप्रैल 2024- रामनवमी
19 अप्रैल 2024- कामदा एकादशी.
20 अप्रैल, 2024- वामन द्वादशी, त्रिशूर पुरम।
21 अप्रैल 2024- महावीर स्वामी जयंती, प्रदोष व्रत.
23 अप्रैल 2024- हनुमान जयंती, चैत्र पूर्णिमा व्रत.
इसलिए खास है चैत्र का महीना-
मान्यता है कि चैत्र माह में श्रद्धानुसार दान-पुण्य करने से भक्त को शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस महीने सूर्य मेष राशि में उच्च स्थान पर आ जाएगा, जो ज्योतिषीय दृष्टि से शुभ माना जाता है। इसके अलावा, इस महीने हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है और चैत्र नवरात्रि, पापमोचिनी एकादशी और रामनवमी सहित कई त्योहार और व्रत आते हैं।
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भाई दूज आज, जानिए...तिलक का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार भाई दूज का त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है एक दिवाली के बाद आता है तो वही दूसरा होली के बाद मनाया जाता है इस दिन बहने अपने भाई का तिलक कर उनकी लंबी आयु के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती है। यह पर्व भाई बहन के प्रेम और पवित्र रिश्ते का प्रतीक माना जाता है इस साल भाई दूज का पर्व आज 27 मार्च बुधवार को मनाया जा रहा है।
होली भाई दूज बहनों द्वारा भाई का तिलक करना अच्छा माना जाता है ऐसा करने से भाई की आयु में वृद्धि होती है साथ ही भाई बहन के जीवन में खुशहाली और समृद्धि सदा बनी रहती है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा होली भाई दूज पर भाई को तिलक करने की सही विधि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
भाई दूज का शुभ मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 26 मार्च 2024 को दोपहर 02 बजकर 55 मिनट पर हो रही है। अगले दिन 27 मार्च 2024 को शाम 05 बजकर 06 मिनट पर इसका समापन होगा। 27 मार्च को भाई को टीका करने के लिए दो शुभ मुहूर्त हैं। 
भाई दूज पर भाई को तिलक करने का मुहूर्त-
पहला मुहूर्त- सुबह 10.54 से दोपहर 12.27। दूसरा मुहूर्त- दोपहर 03.31 से शाम 05.04।
भाई का तिलक करने की सही विधि-
आपको बता दें कि होली भाई दूज के दिन सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करें और साफ वस्त्रों को धारण करें। इसके बाद केसर और लाल चंदन का तिलक तैयार करें। पहले भगवान श्री गणेश और फिर विष्णु जी को तिलक लगाएं। इसके बाद भाई को उत्तर या पूर्व दिशा में बिठाकर तिलक करें। तिलक लगाने के बाद कुछ मिठाई भाई को खिलाएं और उसकी लंबी आयु के लिए प्रार्थना करें। इसके बाद भाई बहन को उपहार जरूर दें। ऐसा करने से लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है।
इस दिन भूलकर भी भाई बहन लड़ाई झगड़ा न करें माना जाता है कि ऐसा करने से रिश्तों में दरार पैदा होती है इसके अलावा इस दिन भाई अपनी बहन को कुछ न कुछ उपहार जरूर भेंट करें। इससे माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है।
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होली भाई दूज पर तिलक करने की विधि, जानें शुभ मुहर्त

होली भाई दूज का पर्व बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को दर्शाता और मजबूत करता है। इस साल होली भाई दूज 27 मार्च, 2024 को मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में दो बार भाई दूज मनाया जाता है, एक है होली भाई दूज जिसे भ्रातृ द्वितीया के नाम से जाना जाता है।यह रंगवाली होली के दूसरे दिन मनाया जाता है। वहीं दूसरा, जो अधिक लोकप्रिय है वह दीपावली पूजा के दो दिन बाद मनाया जाता है।
तिलक करने का शुभ मुहूर्त-
पहला मुहूर्त सुबह 10 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक। वहीं, दूसरा मुहूर्त दोपहर 03 बजकर 31 मिनट से शाम 05 बजकर 04 मिनट तक।
होली भाई दूज पर तिलक करने की विधि-
सबसे पहले अपने सभी भाईयों को तिलक और भोजन का निमंत्रण दें। भाई का प्रेम भाव के साथ स्वागत करें। अपने भाईयों को चौकी पर बिठाएं। भाई का मुख उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। इसके बाद गोपी चंदन या हल्दी, कुमकुम अक्षत से तिलक करें। भाई को नारियल देकर कलावा बांधकर भगवान यम से उनकी सुरक्षा की कामना करें। तिलक विधि के बाद भाई अपनी बहनों को उपहार दें और उनका आशीर्वाद लें।
होली भाई दूज से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य-
होली भाई दूज का त्योहार सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते का त्योहार नहीं है। यह भाई-बहनों के बीच के रिश्ते और उनके द्वारा साझा किए जाने वाले प्यार का भी उत्सव है। इस विशेष दिन पर भाई-बहन एक दूसरे के प्रति अपने प्यार को जाहिर करते हैं। होली भाई हमें अपने भाई-बहनों के साथ साझा किए गए प्यार और स्नेह को संजोने और एक-दूसरे का सम्मान करने की याद दिलाता है। साथ ही यह पिछले मतभेदों को माफ करने और नई शुरुआत करने का शुभ समय होता है।
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देशभर में होलिका दहन आज, जानिए...पूजन का शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन होली का त्योहार बहुत ही खास माना जाता है जो कि हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर मनाया जाता है इस दिन लोग एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर खुशियां मनाते हैं। होली का त्योहार बड़ी धूमधाम के साथ देशभर में मनाया जाता है इस बार यह पर्व 25 मार्च को मनाया जाएगा।
इससे एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है जो कि 24 मार्च दिन रविवार यानी की आज किया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलिका दहन हमेशा ही शुभ मुहूर्त में करना अच्छा होता है आज होलिका दहन के दिन भद्रा लगी हुई है ऐसे में भद्रा काल में भूलकर भी होलिका दहन न करें। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा होलिका दहन का शुभ मुहूर्त बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन होली मनाई जाती है इस साल फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से आरंभ हो चुकी है जो कि 25 मार्च दिन सोमवार यानी कल होली के दिन दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।
ऐसे में होली का त्योहार 25 मार्च दिन सोमवार को मनाया जाएगा और होलिका दहन 24 मार्च दिन रविवार यानी आज किया जाएगा। इस दिन होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त देर रात 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 27 मिनट तक मिल रहा है होलिका दहन के लिए आपको कुल 1 घंटे 14 मिनट का समय प्राप्त हो रहा है।
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शनिवार के दिन करें शनिदेव की पूजा

  • सुख समृद्धि का मिलेगा आशीर्वाद
सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को समर्पित होता है वही शनिवार का दिन शनि महाराज की पूजा के लिए विशेष माना जाता है इस दिन भक्त भगवान की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से शनिदेव का आशीर्वाद मिलता है।
ऐसे में अगर आप भी शनि महाराज की विधिवत पूजा कर रहे हैं तो उनकी प्रिय आरती का पाठ जरूर करें। माना जाता है कि ऐसा करने से कुंडली से शनि दोष समाप्त हो जाता है साथ ही जीवन कल्याण की ओर बढ़ता है और शनिदेव प्रसन्न होकर सुख समृद्धि और तरक्की प्रदान करते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं शनि देव की संपूर्ण आरती पाठ।
॥शनिदेव की आरती॥
''जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव....
श्याम अंग वक्र-दृ‍ष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव....
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव....
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव....
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
शनि देव की जय…जय जय शनि देव महाराज…शनि देव की जय''!!!
॥शनिदेव की स्तुति॥
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च ।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ॥1॥
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते ॥2॥
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम: ।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते ॥3॥
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम: ।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने ॥4॥
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते ।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ॥5॥
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते ।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ॥6॥
तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च ।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ॥7॥
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे ।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ॥8॥
देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा: ।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत: ॥9॥
प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे ।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल: ॥10॥
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चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से, जानिए...कलश स्थापना का मुहूर्त

सनातन धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन हिंदू नव वर्ष के आरंभ में नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है जो कि वर्ष के प्रथम माह में पड़ता है और यह पूरे नौ दिनों तक चलता है नवरात्रि के ​शुभ दिनों में मां दुर्गा के नौ अगल अगल स्वरूपों की पूजा की जाती है और व्रत आदि भी रखा जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तक नवरात्रि का व्रत किया जाता है चैत्र माह में पड़ने के कारण ही इसे चैत्र नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस दौरान मां दुर्गा की आराधना करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा चैत्र नवरात्रि की तारीख और मुहूर्त के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल की रात 11 बजकर 50 मिनट से अगले दिन यानी की 9 अप्रैल की रात 8 बजकर 31 मिनद्यट तक रहेगी। चैत्र प्रतिपदा तिथि का सूर्योदय 9 अप्रैल दिन मंगलवार को हो रहा है ऐसे में चैत्र नवरात्रि का आरंभ भी इस दिन से हो जाएगा। इस बार चैत्र नवरात्रि का आरंभ 9 अप्रैल से हो रहा है जो कि 17 अप्रैल को समाप्त हो जाएगी। यह पर्व पूरे नौ दिनों तक मनाया जाएगा। इस बार नवरात्रि में एक भी दिन क्षय नहीं हो रहा है। पूरे नौ दिनों तक चैत्र नवरात्रि का होना शुभ माना जा रहा है।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त-
नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना की जाती है ये काम शुभ मुहूर्त देखकर ही करना उचित माना जाता है इस दिन कलश स्थापना के लिए दो शुभ मुहूर्त मिल रहे है। जिसमें पहला शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 2 मिनट से 10 बजकर 16 मिनट तक मिल रहा है। इसकी कुल अवधि चार घंटे 14 मिनट तक रहेगी। इसके अलावा दूसरा शुभ मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। जिसका समय 51 मिनट तक है। इस मुहूर्त में कलश स्थापना करना लाभकारी होगा।
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नहीं हो रहा विवाह, होलिका दहन की अग्नि में अर्पित करें ये खास चीज़

हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर मनाया जाता है जो कि इस बार 25 मार्च को पड़ रही है देशभर में होली का त्योहार बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है इस दिन लोग एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर खुशियां मनाते हैं होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है जो कि इस बार कल 24 मार्च मनाई जाएगी।
इस दिन कुछ खास उपायों को अगर किया जाए तो शीघ्र विवाह के योग बनने लगते हैं और शादी विवाह में आने वाली अड़चने भी दूर हो जाती है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा इन्हीं उपायों के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
होलिका दहन के आसान उपाय-
में किसी तरह की बाधा आ रही है या फिर शीघ्र विवाह के योग नहीं बन रहे हैं तो ऐसे में आप कल यानी होलिका दहन के दिन हवन सामग्री में घी मिलाकर होलिका की आग में अर्पित करें माना जाता है कि इस उपाय को करने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती है साथ ही शीघ्र विवाह के योग बनने लगते हैं। आप चाहे तो हवन सामग्री अर्पित करते हुए होलिका की परिक्रमा भी कर सकते हैं ऐसा करने से लाभ की प्राप्ति होती है।
अगर आपके वैवाहिक जीवन में तनाव बना हुआ है और प्रेम व मधुरता की कमी है तो ऐसे में आप होलिका दहन वाले दिन एक नारियल और घी में भीगी हुई 108 बाती। होलिका की आग में एक एक कर डाल दें। होलिका की परिक्रमा के दौरान ये उपाय करना है। आखिरी में नारियल अर्पित करें। माना जाता है कि इस आसान से उपाय को करने से दांपत्य जीवन में मिठास आएगी और तनाव दूर हो जाएगा।
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कब से शुरू हो रहा हैं हिन्दू नववर्ष, गृह प्रवेश का ये है शुभ दिन

हिंदू नववर्ष का प्रारंभ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है. उस दिन से चैत्र नवरात्रि का भी प्रारंभ होता है. उस दिन कलश स्थापना के साथ ही पहली नवदुर्गा मां शैत्रपुत्री की भी पूजा होगी. हिंदू पंचांग का नया वर्ष इस बार 9 अप्रैल मंगलवार से प्रारंभ है. नए साल में अगर आप भवन निर्माण के बारे में विचार कर रहे हैं, तो आपको यह कार्य किसी भी शुभ मुहूर्त में करना उचित रहेगा. शुभ मुहूर्त में शुरू किया गया कार्य न केवल बिना किसी बाधा के पूरा होता है, बल्कि अपने निर्धारित समय में पूरा होगा.
बता दें कि हिंदू नववर्ष का प्रारंभ सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने कराया था. हिंदू कैलेंडर में दो पक्ष होते हैं, एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष. 15 दिनों का एक पक्ष होता है. प्रतिपदा से अमावस्या तक कृष्ण पक्ष और प्रतिपदा से पूर्णिमा तक शुक्ल पक्ष होता है. हिंदी कैलेंडर में 12 माह होते हैं. हर 3 साल पर एक अधिक माह इसमें जुड़ जाता है, उसे मलमास या अधिकमास कहते हैं.
भवन निर्माण का कार्य शुभ मास में ही करना चाहिए. वास्तुपुरुष की सही समय पर स्थापना करने से घर में सभी प्रकार की सुविधा बनी रहती है, सदस्यों के बीच आपसी प्रेम के साथ रिश्तों का भी विघटन नहीं होता. आजकल एकांकी परिवार अधिक होने से कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में आने वाली अप्रैल से जुलाई लेकिन देवशयनी एकादशी से पहले अक्टूबर में मकान बनाने का प्रारंभ करना शुभ रहता है.
मार्च, जून, सितंबर, दिसंबर में निर्माण कार्य का प्रारंभ नहीं करना चाहिए, क्योंकि इन महीनों में भवन निर्माण करना अशुभ रहेगा. अगर किसी ने अपनी परिस्थितियों के अनुसार कार्य शुरू भी करा दिया तो बाधाएं आती रहती हैं.
अगर आपको किसी भी बिल्डिंग के कंस्ट्रक्शन का काम शुरू करना है, तो शुभ तिथियां पहले ही दी गई, महीने की किसी भी तिथियों में जैसे द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी और पूर्णिमा वगैरह शुभ हैं. इनके अलावा कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा भी शुभ रहेगी. अभी से अगर आप इसके माध्यम से सभी कार्यों को नियम बनाकर चलेंगे, तो आने वाले मुहूर्त का उपयोग करने में सफल हो सकते हैं.
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खरमास के दिनों में इन चीजों का दान माना गया है शुभ

सनातन धर्म में खरमास के दिनों को बेहद ही खास माना जाता है इस दौरान किसी भी तरह का शुभ व मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है इस बार खरमास का आरंभ 14 मार्च से हो चुका है।
जो कि 13 अप्रैल को समाप्त हो जाएगा। ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं कि खरमास के दिनों में किन चीजों का दान करना शुभ माना जाता है और इससे आप पुण्य को प्राप्त कर सकते हैं तो आइए जानते हैं।
खरमास में करें इन चीजों का दान-
ज्योतिष अनुसार खरमास के दिनों में बर्तन का दान करना शुभ माना जाता है ऐसा करने से कलह क्लेश से छुटकारा मिल जाता है। आप इस दौरान पीतल के बर्तनों का ही दान करें। ऐसा करने से कुंडली का गुरु मजबूत होकर शुभ फल प्रदान करता है। खरमास में वस्त्रों का दान करना भी शुभ माना गया है इससे कंगाली का सामना भी नहीं करना पड़ता है साथ ही भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त होती है।
खरमास के दिनों में आप चाहे तो गुड़ का भी दान कर सकते हैं इससे समाज में मान सम्मान बढ़ता है और परेशानियां दूर रहती है। इसके अलावा इस दौरान केसर का दान करना भी उत्तम माना जाता है इससे कार्यों में आने वाली ​रुकावटें दूर हे जाती है साथ ही सौभाग्य में वृद्धि होती है। खरमास के दिनों में कस्तूरी का दान करना अच्छा होता है इससे संतान संबंधी समस्याओं का समाधान हो जाता है और जीवन में खुशहाली आती है।
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प्रदोष व्रत पर हो रहा है इन शुभ योग का निर्माण, करें ये उपाय

इस साल फाल्गुन माह का दूसरा प्रदोष व्रत 22 मार्च, 2024 यानी आज रखा जा रहा है। शुक्रवार को पड़ने की वजह से इसे शुक्र प्रदोष व्रत बोला जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शुक्र प्रदोष व्रत धनदायक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन का उपवास रखने से पैसों से जुड़ी हर समस्या दूर हो जाती है। इसलिए सभी व्यक्ति को इस दिन भगवान शंकर की शाम को विधिवत पूजा करनी चाहिए।
साथ ही उनसे अपने कष्टों के निवारण के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। यह इस माह का आखिरी प्रदोष व्रत है इसलिए इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है।
शुक्र प्रदोष पर धृति और रवि योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही सूर्य-बुध की युति से बुधादित्य योग, कुंभ राशि में शुक्र, शनि और मंगल की युति से त्रिग्रही योग का भी निर्माण हो रहा है। ऐसे में आज का दिन शुभता से परिपूर्ण होगा, जो लोग आज का व्रत रख रहे हैं या शिव पूजन कर रहे हैं, उन्हें शिव जी की आसीम कृपा प्राप्त होगी। मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय ज्यादा शुभ मानी जाती है।
प्रदोष व्रत पर करें ये उपाय-
जो जातक अपने व्यापार में तरक्की चाहते हैं, उन्हें प्रदोष व्रत वाले दिन शाम को शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव को जल चढ़ाना चाहिए। इसके बाद सफेद चंदन और बेलपत्र चढ़ाना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि ऐसा करने से धन प्राप्ति के रास्ते खुल जाते हैं। साथ ही मां लक्ष्मी का घर में हमेशा के लिए वास रहता है।
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होलिका दहन पर क्या करें और क्या ना करें, जानिए...

सनातन धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन होली का त्योहार बेहद ही खास माना गया है जो कि हर साल फाल्गुन मास में ड़ता है इस बार होली 25 मार्च दिन सोमवार को मनाई जाएगी इससे एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है।
होलिका दहन इस बार 24 मार्च को किया जाएगा। इस दिन पूजा पाठ का विधान होता है लेकिन इसी के साथ ही कुछ ऐसे काम हैं जिन्हें भूलकर भी नहीं करने चाहिए तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं कि होलिका दहन पर क्या करें क्या ना करें, तो आइए जानते हैं।
ज्योतिष अनुसार होलिका दहन के दिन सबसे पहले सुबह उठकर होलिका पूजन करने का विधान होता है और यह पूजा हमेशा शुभ मुहूर्त में ही की जाती है। फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन होलिका दहन का पर्व मनाया जाता है इस दिन व्रत करने की भी परंपरा है इसलिए इस दिन उपवास जरूर रखें। अगर आप अपने घर में सुख समृद्धि और शांति चाहते हैं तो होलिका दहन के दिन घर की उत्तर दिशा में घी का दीपक जलाएं ऐसा करना शुभ माना जाता है होलिका दहन की सुबह होलिका की पूजा में सरसों, तिल, 11 गोबर के उपले, अक्षत, चीनी और गेहूं के दाने व गेहूं की सात बालियां अर्पित करें।
इसके बाद होलिका पूजन करने के बाद होलिका की सात बार परिक्रमा करें और जल अर्पित करें। इस दिन दान पुण्य करना भी लाभकारी माना जाता है। होलिका दहन के दिन भूलकर भी धन का लेन देन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से घर की बरकत चली जाती है इस दिन काले, सफेद वस्त्रों को धारण करने से भी बचना चाहिए। इन रंगों को अशुभ माना गया है आप पूजा के समय पीले, लाल, गुलाबी रंग के वस्त्र पहन सकते हैं। होलिका दहन की पूजा में महिलाओं को बाल नहीं बांधने चाहिए यानी खुले बालों से होलिका की पूजा करें। इसके बाद किसी भी समय महिलाएं बाल बांध सकती है।
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त्रिपुर भैरवी जयंती पर करें महाकाली कवच का पाठ

  • पूरी होगी हर मनोकामना 
मां काली की पूजा शास्त्रों में बहुत ही फलदायी मानी गई है। कहा जाता है, जो भक्त मां की पूजा विधि अनुसार करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ऐसे में जब त्रिपुर भैरवी जयंती करीब है, तो मां काली की पूजन का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है।
इस दौरान अगर कोई साधक ''महाकाली कवच'' का पाठ करते हैं उनके गुप्त शत्रुओं का नाश होता है। तो आइए पढ़ते हैं -
॥महाकाली कवच॥
काली पूजा श्रुता नाथ भावाश्च विविधाः प्रभो ।
इदानीं श्रोतु मिच्छामि कवचं पूर्व सूचितम् ॥
त्वमेव शरणं नाथ त्राहि माम् दुःख संकटात् ।
सर्व दुःख प्रशमनं सर्व पाप प्रणाशनम् ॥
सर्व सिद्धि प्रदं पुण्यं कवचं परमाद्भुतम् ।
अतो वै श्रोतुमिच्छामि वद मे करुणानिधे ॥
रहस्यं श्रृणु वक्ष्यामि भैरवि प्राण वल्लभे ।
श्री जगन्मङ्गलं नाम कवचं मंत्र विग्रहम् ॥
पाठयित्वा धारयित्वा त्रौलोक्यं मोहयेत्क्षणात् ।
नारायणोऽपि यद्धत्वा नारी भूत्वा महेश्वरम् ॥
योगिनं क्षोभमनयत् यद्धृत्वा च रघूद्वहः ।
वरदीप्तां जघानैव रावणादि निशाचरान् ॥
यस्य प्रसादादीशोऽपि त्रैलोक्य विजयी प्रभुः ।
धनाधिपः कुबेरोऽपि सुरेशोऽभूच्छचीपतिः ।
एवं च सकला देवाः सर्वसिद्धिश्वराः प्रिये ॥
ॐ श्री जगन्मङ्गलस्याय कवचस्य ऋषिः शिवः ।
छ्न्दोऽनुष्टुप् देवता च कालिका दक्षिणेरिता ॥
जगतां मोहने दुष्ट विजये भुक्तिमुक्तिषु ।
यो विदाकर्षणे चैव विनियोगः प्रकीर्तितः ॥
|| अथ कवचम् ||
शिरो मे कालिकां पातु क्रींकारैकाक्षरीपर ।
क्रीं क्रीं क्रीं मे ललाटं च कालिका खड्‌गधारिणी ॥
हूं हूं पातु नेत्रयुग्मं ह्नीं ह्नीं पातु श्रुति द्वयम् ।
दक्षिणे कालिके पातु घ्राणयुग्मं महेश्वरि ॥
क्रीं क्रीं क्रीं रसनां पातु हूं हूं पातु कपोलकम् ।
वदनं सकलं पातु ह्णीं ह्नीं स्वाहा स्वरूपिणी ॥
द्वाविंशत्यक्षरी स्कन्धौ महाविद्यासुखप्रदा ।
खड्‌गमुण्डधरा काली सर्वाङ्गभितोऽवतु ॥
क्रीं हूं ह्नीं त्र्यक्षरी पातु चामुण्डा ह्रदयं मम ।
ऐं हूं ऊं ऐं स्तन द्वन्द्वं ह्नीं फट् स्वाहा ककुत्स्थलम् ॥
अष्टाक्षरी महाविद्या भुजौ पातु सकर्तुका ।
क्रीं क्रीं हूं हूं ह्नीं ह्नीं पातु करौ षडक्षरी मम ॥
क्रीं नाभिं मध्यदेशं च दक्षिणे कालिकेऽवतु ।
क्रीं स्वाहा पातु पृष्ठं च कालिका सा दशाक्षरी ॥
क्रीं मे गुह्नं सदा पातु कालिकायै नमस्ततः ।
सप्ताक्षरी महाविद्या सर्वतंत्रेषु गोपिता ॥
ह्नीं ह्नीं दक्षिणे कालिके हूं हूं पातु कटिद्वयम् ।
काली दशाक्षरी विद्या स्वाहान्ता चोरुयुग्मकम् ॥
ॐ ह्नीं क्रींमे स्वाहा पातु जानुनी कालिका सदा ।
काली ह्रन्नामविधेयं चतुवर्ग फलप्रदा ॥
क्रीं ह्नीं ह्नीं पातु सा गुल्फं दक्षिणे कालिकेऽवतु ।
क्रीं हूं ह्नीं स्वाहा पदं पातु चतुर्दशाक्षरी मम ॥
खड्‌गमुण्डधरा काली वरदाभयधारिणी ।
विद्याभिः सकलाभिः सा सर्वाङ्गमभितोऽवतु ॥
काली कपालिनी कुल्ला कुरुकुल्ला विरोधिनी ।
विपचित्ता तथोग्रोग्रप्रभा दीप्ता घनत्विषः ॥
नीला घना वलाका च मात्रा मुद्रा मिता च माम् ।
एताः सर्वाः खड्‌गधरा मुण्डमाला विभूषणाः ॥
रक्षन्तु मां दिग्निदिक्षु ब्राह्मी नारायणी तथा ।
माहेश्वरी च चामुण्डा कौमारी चापराजिता ॥
वाराही नारसिंही च सर्वाश्रयऽति भूषणाः ।
रक्षन्तु स्वायुधेर्दिक्षुः दशकं मां यथा तथा ॥
इति ते कथित दिव्य कवचं परमाद्भुतम् ।
श्री जगन्मङ्गलं नाम महामंत्रौघ विग्रहम् ॥
त्रैलोक्याकर्षणं ब्रह्मकवचं मन्मुखोदितम् ।
गुरु पूजां विधायाथ विधिवत्प्रपठेत्ततः ॥
कवचं त्रिःसकृद्वापि यावज्ज्ञानं च वा पुनः ।
एतच्छतार्धमावृत्य त्रैलोक्य विजयी भवेत् ॥
त्रैलोक्यं क्षोभयत्येव कवचस्य प्रसादतः ।
महाकविर्भवेन्मासात् सर्वसिद्धीश्वरो भवेत् ॥
पुष्पाञ्जलीन् कालिका यै मुलेनैव पठेत्सकृत् ।
शतवर्ष सहस्त्राणाम पूजायाः फलमाप्नुयात् ॥
भूर्जे विलिखितं चैतत् स्वर्णस्थं धारयेद्यदि ।
शिखायां दक्षिणे बाहौ कण्ठे वा धारणाद् बुधः ॥
त्रैलोक्यं मोहयेत्क्रोधात् त्रैलोक्यं चूर्णयेत्क्षणात् ।
पुत्रवान् धनवान् श्रीमान् नानाविद्या निधिर्भवेत् ॥
ब्रह्मास्त्रादीनि शस्त्राणि तद् गात्र स्पर्शवात्ततः ।
नाशमायान्ति सर्वत्र कवचस्यास्य कीर्तनात् ॥
मृतवत्सा च या नारी वन्ध्या वा मृतपुत्रिणी ।
कण्ठे वा वामबाहौ वा कवचस्यास्य धारणात् ॥
वह्वपत्या जीववत्सा भवत्येव न संशयः ।
न देयं परशिष्येभ्यो ह्यभक्तेभ्यो विशेषतः ॥
शिष्येभ्यो भक्तियुक्तेभ्यो ह्यन्यथा मृत्युमाप्नुयात् ।
स्पर्शामुद्‌धूय कमला वाग्देवी मन्दिरे मुखे ।
पौत्रान्तं स्थैर्यमास्थाय निवसत्येव निश्चितम् ॥
इदं कवचं न ज्ञात्वा यो जपेद्दक्षकालिकाम् ।
शतलक्षं प्रजप्त्वापि तस्य विद्या न सिद्धयति ।
शस्त्रघातमाप्नोति सोचिरान्मृत्युमाप्नुयात् ॥
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गुरुवार के दिन जरुर करें ये उपाय, सौभाग्य की होगी प्राप्ति

गुरुवार का दिन बेहद विशेष माना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु और देवताओं के गुरु बृहस्पति को समर्पित है। इस दिन उनकी पूजा करने से आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ऐसा भी कहा जाता है कि जिन जातकों की कुंडली में गुरु की स्थिति कमजोर होती है, उनका विकास रुक जाता है।
इसलिए ज्योतिष शास्त्र में इस दिन को लेकर कई सारे उपाय बताए गए हैं, जिनका पालन करने से गुरु की दशा में सुधार होता है। तो आइए उन उपायों के बारे में जानते हैं-
भगवान विष्णु के समक्ष जलाएं दीपक-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गुरुवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। फिर भगवान विष्णु के मंदिर जाएं और पूजा के बाद उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं। ध्यान रहे कि बाती कलावे की हो। ऐसा करने से भगवान विष्णु आपसे प्रसन्न होंगे। साथ ही जीवन में कभी धन की कमी नहीं रहेगा।
अपने गुरु से लें आशीर्वाद-
ऐसा कहा जाता है कि गुरुवार के दिन अपने गुरु का आशीर्वाद अवश्य लेना चाहिए। यह किसी के खराब समय के लिए वरदान की तरह साबित हो सकता है। ऐसे में इस दिन अपने गुरु से मिलें या फिर फोन में बात करके उनका आशीर्वाद लें, जो लोग ऐसा करते हैं उनके कार्य में तरक्की होती है। साथ ही मनचाही नौकरी मिलती है।
गुरुवार को करें यह काम-
गुरुवार के दिन दूध और केसर की खीर बनाएं। इसके बाद जगत के पालनहार भगवान विष्णु को भोग लगाएं। फिर पूरे परिवार के साथ बैठकर खाएं, जो लोग यह उपाय करते हैं उनके रिश्तों में प्रेम बढ़ता है। साथ ही जीवन सुखी और समृद्ध रहता है।
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होलिका पर रहेगा भद्रा का साया, जानें ​होलिका दहन समय

सनातन धर्म में वैसे तो कई सारे पर्व मनाए जाते हैं लेकिन होली का त्योहार प्रमुख माना गया है जो कि हर साल फाल्गुन मास में पड़ता है इस दौरान लोग एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाते हैं और खुशियां मनाते हैं होली की धूम देशभर में देखने को मिलती है।
पंचांग के अनुसार होली का त्योहार हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है इस बार यह पर्व 25 मार्च को पड़ रहा है इसके एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है जो कि इस बार 24 मार्च को पड़ रहा है। होलिका दहन पर चंद्र ग्रहण के साथ साथ भद्राकाल का भी साया रहने वाला है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भद्राकाल में होलिका दहन करना अच्छा नहीं माना जाता है ऐसे में आज हम आपको होलिका दहन का मुहूर्त बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
होलिका दहन की तारीख और मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा। बता दें कि 24 मार्च को पूर्णिमा तिथि का आरंभ हो रहा है पूर्णिमा तिथि का शुभ मुहूर्त 9 बजकर 54 मिनट से लेकर अगले दिन यानी की 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। मान्यताओं के अनुसार होलिका दहन हमेशा भद्रा रहित मुहूर्त में किया जाता है। होलिका दहन के दिन भद्रा का साया रहने वाला है बता दें कि 24 मार्च को पूर्णिमा तिथि में भद्रा का साया आरंभ होगा।
भद्रा का समय 9 बजकर 54 मनट से लेकर रात्रि 11 बजकर 13 मिनट तक है ऐसे में होलिका दहन के दिन लगभग 15 घंटे तक भद्रा काल रहेगा। भद्रा काल में होलिका दहन नहीं किया जाता है। ऐसे में भद्रा समाप्त होने के बाद ही होलिका दहन किया जाएगा। इस साल भद्रा काल की समाप्ति 11 बजकर 13 मिनट पर हो रही है ऐसे में होलिका दहन 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 20 मिनट के बीच किया जा सकता है।
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प्रभु श्रीराम के दर्शनार्थ रायपुर से अध्योध्या के लिए जाएगी बस

रायपुर। राजधानी रायपुर से सीधे अयोध्या के लिए बस सेवा की शुरुआत होने जा रही हैं। यह बस रीवा, प्रयागराज होते हुए अयोध्या पहुंचेगी। इसके अलावा इस रुट में कई और भी धार्मिक स्थल शामिल होंगे। इस बस सेवा की शुरुआत जल्द ही होगी जिसका सीधा फायदा राजधानी के राम भक्तों को हासिल होगा। हालांकि इसका किराया कितना होगा यह तय नहीं हो सका हैं। यह सफर 17 से 20 घंटे का होगा।
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होलिका दहन की रात को करें लौंग के ये उपाय, बनेंगे बिगड़े काम

सनातन धर्म में होलिका दहन का विशेष महत्व है. हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन अग्नि की पूजा की जाती है। इस बार होलिका दहन का त्योहार 24 मार्च को मनाया जाएगा. ऐसा माना जाता है कि इस दिन अग्नि पूजा, स्नान, दान और व्रत करने से देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। जीवन की चिंताएं और बुरे विचार मन से दूर हो जाते हैं। होलिका की रात लौंग का उपचार मुंह के लिए लाभकारी माना जाता है।
सनातन धर्म में लौंग को बहुत पवित्र और लाभकारी माना जाता है। इसका उपयोग चर्च सेवाओं के दौरान किया जाता है। लौंग वातावरण से नकारात्मकता को दूर करता है। यह संक्रमण और बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करता है।
होलिका दहन की रात देवी लक्ष्मी के मंत्र का जाप करते हुए 108 लौंग होलिका की अग्नि में डाल दें। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। आप कर्ज मुक्त हो जायेंगे. धन-संपदा में वृद्धि हो सकती है।
मुख की अग्नि में कपूर के साथ 11 या 21 लौंग जला दें। इसलिए कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें। ऐसा करीब सात बार होता है. इससे आपके करियर और बिजनेस में फायदा होगा। सुख-समृद्धि बढ़ेगी। धन संबंधी परेशानियां भी खत्म हो जाएंगी।
होलिका की रात एक तवे पर 7 से 8 लौंग भून लें। इसे अभी अपने घर के एक कोने में छोड़ दें। इस तरह आपको बुरी नजर से छुटकारा मिल जायेगा. नकारात्मक ऊर्जा ख़त्म हो जाएगी. परेशानी का समय समाप्त हो जाएगा। परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
सुलझ जाएंगे सारे बिगड़े काम-
होलिका की रात एक नींबू में चार लौंग का मुंह गाड़ दें। इसके बाद 21 बार “ओम श्री हनुमते नमः” मंत्र का जाप करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें. एक नींबू को लाल कपड़े में लौंग के साथ लपेटकर अपने साथ रखें। इससे लोगों को भय से मुक्ति मिलती है. महत्वपूर्ण कार्यों की बाधाएं दूर होती हैं। सफलता मिलने की संभावना है.
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