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कब हैं फाल्गुन की पूर्णिमा, जानें तिथि और पूजा विधि

फाल्गुन माह की पूर्णिमा को विशेष माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन व्रत करने से असंख्य लाभ मिलते हैं और जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इसी कारण से लोगों को इस दिन व्रत रखने की सलाह दी जाती है। यह पोस्ट भगवान विष्णु और धन की देवी देवी लक्ष्मी की पूजा को समर्पित है। इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा 25 मार्च 2024 को है। तो आइए हमारे साथ साझा करें इस दिन से जुड़ी कुछ अहम बातें:
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा रविवार, 24 मार्च 2024 को सुबह 9:54 बजे शुरू होती है। हालांकि, यह अगले दिन सोमवार, 25 मार्च 2024 को 12:29 बजे समाप्त होगी। हम आपको बता दें कि 25 मार्च यानी इस दिन लोग व्रत और पूजा करते हैं।
फाल्गुन पूर्णिमा की पूजा विधि-
फाल्गुन पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर पवित्र स्नान करें।
इस दिन गंगा नदी में स्नान का भी विशेष महत्व है।
पवित्र स्नान के बाद धन दान करने का वचन दें, व्रत रखें और भगवान विष्णु की पूजा करें।
भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें।
अपनी पूजा में तुलसी के पत्ते अवश्य शामिल करें।
धनिया पत्ती और पंचामृत अर्पित करें.
भगवान सत्यनारायण कथा का जाप करें।
जल में सफेद फूल, दूध और चावल मिलाकर अर्घ्य दें।
इस दिन दान-पुण्य के कार्यों में अवश्य संलग्न रहें।
तामसिक भोजन खाने से बचें.
गरीबों की मदद।
धार्मिक स्थलों पर दर्शन के लिए जाएं।
भगवान विष्णु की पूजा का मंत्र-
ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमा हो गया। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।
ॐ ह्रीं कार्तवीर्यार्जुनो नाम राजा बहु सहस्त्रवान्। यस्य स्मरेन् मात्रेण खत्रं नष्टं च लभ्यते।
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मदुरै मीनाक्षी अम्मन मंदिर का चिथिराई महोत्सव 12 अप्रैल से होगा शुरू

मदुरै (एएनआई)। मदुरै मीनाक्षी अम्मन मंदिर का चिथिराई महोत्सव 12 अप्रैल से शुरू होगा, मंदिर प्रशासन ने कहा। मिथुन लग्नम में सुबह 9.55 बजे से 10.19 बजे तक ध्वजारोहण के साथ उत्सव की शुरुआत होगी। उत्सव 12 अप्रैल से 23 अप्रैल तक लगभग एक महीने तक चलेगा। उत्सव के मुख्य कार्यक्रमों में 19 अप्रैल को पट्टाभिषेकम, 20 अप्रैल को मीनाक्षी अम्मन दिक विजयम और 21 अप्रैल को मीनाक्षी-सुंदरेश्वर दिव्य विवाह (थिरुकल्याणम) शामिल हैं। प्रशासन ने कहा कि रथ उत्सव 22 अप्रैल को निर्धारित है, इसके बाद उत्सव का मुख्य कार्यक्रम, 23 अप्रैल को भगवान कलालागर का वैगई में प्रवेश होगा।
यह त्यौहार मदुरै के लोगों के लिए बहुत सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखता है। दक्षिण तमिलनाडु के सबसे बड़े मंदिर मदुरै में होने वाले इस कार्यक्रम को देखने के लिए पर्यटकों सहित लगभग दस लाख लोग आते हैं। त्योहारों के आखिरी दिन मदुरै के अलागर हिल्स में कल्लाझागर मंदिर में मनाए जाते हैं। भगवान कल्लाझागर को देवी मीनाक्षी का भाई और भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। चिथिराई महोत्सव , जिसे मीनाक्षी कल्याणम या मीनाक्षी थिरुकल्याणम के नाम से भी जाना जाता है, एक वार्षिक तमिल हिंदू उत्सव है जो अप्रैल के दौरान तमिलनाडु के मदुरै में मीनाक्षी मंदिर में होता है। यह त्योहार देवी मीनाक्षी प्रथम और भगवान सुंदरेश्वर के मिलन का जश्न मनाता है, और पहले 15 दिन मदुरै के दिव्य शासक के रूप में मीनाक्षी के राज्याभिषेक और सुंदरेश्वर के साथ उनके विवाह का प्रतीक हैं। अगले 15 दिन कल्लालागर (भगवान विष्णु का एक रूप) की उनके मंदिर से मीनाक्षी अम्मन मंदिर तक की यात्रा के हैं। (एएनआई)
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17 से 24 मार्च तक होलाष्टक, नहीं होंगे शुभ कार्य

होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होकर फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तक रहते है। यानी होलिका दहन के साथ ही होलाष्टक का समापन होता है। अष्टमी तिथि से शुरू होने कारण भी इसे होलाष्टक कहा जाता है। पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 16 मार्च को रात 9 बजकर 39 मिनट से होगा, जिसका समापन 17 मार्च को सुबह 9 बजकर 53 मिनट पर होगा। ऐसे में होलाष्टक 17 मार्च से लगेगा और 24 मार्च को समाप्त होगा। इसके बाद 25 मार्च को रंग वाली होली (धुलंडी) मनाई जाएगी।
होलाष्टकों को व्रत, पूजन और हवन की दृष्टि से अच्छा समय माना गया है। इन दिनों में किए गए दान से जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है। होलाष्टक के दौरान विवाह, ग़ृहप्रवेश, मुंडन, नामकरण और विद्यारंभ आदि सभी मांगलिक कार्य या कोई नवीन कार्य प्रारम्भ करना शास्त्रों के अनुसार उचित नहीं माना गया है। लेकिन इन दिनों को अशुभ मानने के पीछे धर्मग्रंथों में दो कथाएं बताई गई हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार भक्त प्रह्लाद राक्षस कुल में जन्मे थे परन्तु वे भगवान नारायण के अनन्य भक्त थे।उनके पिता हिरण्यकश्यप को उनकी ईश्वर भक्ति अच्छी नहीं लगती थी इसलिए हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को अनेकों प्रकार के जघन्य कष्ट दिए।मान्यता है कि होली से पहले के आठ दिन यानी अष्टमी से पूर्णिमा तक प्रहलाद को बहुत अधिक यातनाएं दी गई थीं।अंत में होलिका ने प्रह्लाद को लेकर अग्नि में प्रवेश किया, लेकिन प्रह्लाद बच गए और वह खुद जल गई।अष्टमी से पूर्णिमा तक प्रहलाद को जघन्य कष्ट दिए जाने के कारण नवग्रह भी क्रोधित हो गए। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार अब भी अष्टमी से पूर्णिमा तक नवग्रह भी उग्र रूप लिए रहते है ,यही वजह है कि इस अवधि में किए जाने वाले शुभ कार्यों में अमंगल होने की आशंका बनी रहती है। इन दिनों में व्यक्ति के निर्णंय लेने की शक्ति भी कमजोर हो जाती है। इसलिए होलाष्टक में शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है।
एक अन्य कथा के अनुसार हिमालय पुत्री पार्वती चाहती थीं कि उनका विवाह भोलेनाथ से हो, लेकिन शिवजी अपनी तपस्या में लीन थे। देवताओं के अनुरोध पर कामदेव ने अपना प्रेम का पुष्प वाण चलाकर शिवजी की तपस्या को भंग कर दिया । इससे महादेव अत्यंत क्रोधित हो गए,उन्होंने अपने तीसरे नेत्र की ज्वाला से कामदेव को भस्म कर दिया। प्रेम के देवता कामदेव के भस्म होते ही सारी सृष्टि में शोक व्याप्त हो गया । अपने पति को पुनः जीवित करने के लिए रति ने अन्य देवी-देवताओं सहित महादेव से प्रार्थना की। प्रसन्न होकर भोले शंकर ने कामदेव को पुर्नजीवन का आशीर्वाद दिया । फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को कामदेव भस्म हुए और आठ दिन बाद महादेव से रति को उनके पुर्नजीवन का आशीर्वाद प्राप्त हुआ ।इन आठ दिनों में सारी सृष्टि शोक से व्याकुल रही थी। मान्यता है कि तभी से होलाष्टक के इन आठ दिनों में कोई भी शुभ कार्य सम्पन्न नहीं किया जाता है।
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14 मार्च से शुरू होगा खरमास

  • 13 अप्रैल तक नहीं हो सकेंगे मांगलिक कार्य
14 मार्च, गुरुवार को मीन संक्रांति है। इस दिन सूर्य मीन राशि में परिवर्तन होंगे। सूर्य 14 मार्च से लेकर 13 अप्रैल तक इसी राशि में विराजमान रहेंगे। सूर्य के मीन राशि में गोचर करने से खरमास शुरू हो जाएगा। यह खरमास एक महीने तक रहेगा। शास्त्रों में खरमास के शुरू होने पर शुभ और मांगलिक आयोजन जैसे विवाह, सगाई, गृहप्रवेश, मुंडन और जनेऊ जैसे मांगलिक और धार्मिक संस्कार नहीं होते हैं। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य हर एक माह में अपनी राशि बदलते हैं। इस तरह से सूर्य एक साल में कुल 12 बार राशियां बदलते हैं। सूर्य जब गुरु ग्रह की राशि धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं तब इस खरमास कहा जाता है। खर का अर्थ होता है दुषित और मास का मतलब महीना। यानी खरमास के दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं करते हैं।
पंचांग के अनुसार भगवान सूर्य कुंभ राशि से निकलकर 14 मार्च को रात 12:24 बजे मीन राशि में प्रवेश करेंगे। इसके साथ ही खरमास की शुरुआत हो जाएगी। सूर्यदेव मीन राशि में 13 अप्रैल रात 9:03 बजे तक रहेंगे और इसके बाद वह मेष राशि में प्रवेश करेंगे और इसके साथ ही खरमास का समापन हो जाएगा। इस अवधि में धार्मिक कार्य यानी पूजा-पाठ और हवन तो किए जा सकते हैं लेकिन किसी भी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जा सकते हैं।
साल में दो बार लगता है खरमास-
धनु और मीन राशि के स्वामी देवगुरु बृहस्पति हैं। सूर्यदेव के धनु और मीन राशि में गोचर करने के दौरान खरमास लगता है। वहीं,इस दौरान सूर्य के संपर्क में आने से देवगुरु बृहस्पति का शुभ प्रभाव कम हो जाता है। साल में दो बार खरमास लगता है। एक बार सूर्य जब धनु राशि में प्रवेश करते हैं और दूसरा जब सूर्य मीन राशि में प्रवेश करते हैं।
 
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जानें रंगभरी एकादशी, तिथि और शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में एकादशी तिथियों का विशेष महत्व है. पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रामबरी एकादशी के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान महादेव और माता पार्वती काशु में गए थे। इसलिए इस एकादशी को बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार रामबरी एकादशी पर भगवान शिव, माता पार्वती और श्रीहरि की पूजा और व्रत करने की परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। आइए बात करते हैं लंबरी एकादशी की तिथियां, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
लम्बरी एकादशी 2024 तारीखें और शुभ समय-
लम्बरी एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पंचान अखबार के मुताबिक, रामबरी एकादशी तिथि 29 मार्च को रात 12:21 बजे शुरू होगी और अगले दिन 21 मार्च को सुबह 2:22 बजे समाप्त होगी. ऐसे में लंबरी एकादशी व्रत 29 मार्च को होगा.
रामबरी एकादशी पूजा विधि-
लंबारी एकादशी पर अपने दिन की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करके करें। इसके बाद स्नान कर साफ कपड़े पहन लें। फिर भगवान शिव के लिए जलाभिषेक उत्सव मनाया जाता है और देवी पार्वती को 16 आभूषण चढ़ाए जाते हैं। शिवलिंग पर गुलाल, चंदन और बेलपत्र जैसे विशेष पकवान चढ़ाए जाते हैं। फिर आरती करें और रामबारी एकादशी कथा का पाठ करें। अब हम बोर्ग का अभिषेक करते हैं और सुख-शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। अंत में प्रसाद को लोगों में बांट दें और खुद भी ग्रहण करें।
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होली पर साल 2024 का पहला चंद्र ग्रहण 25 मार्च को

  • जानिए... होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, चंद्र ग्रहण फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि यानी 25 मार्च 2024 को सोमवार को लगेगा। यह चंद्र ग्रहण सुबह 10.23 बजे शुरू होगा और दोपहर 3.02 बजे तक रहेगा। यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। साथ ही इस चंद्रग्रहण का होली पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह चंद्र ग्रहण उत्तर और पूर्व एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक, आर्कटिक और अंटार्कटिका के अधिकांश हिस्सों में दिखाई देगा।
होलिका दहन-
होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। इसके बाद होली का त्योहार मनाया जाता है। होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन किया जाता है। पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी। यह 25 मार्च को दोपहर 12.29 बजे समाप्त होगी। ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा।
होलिका दहन पर भद्रा-
24 मार्च को होलिका दहन के दिन भद्रा लग रही है। उस दिन भद्रा का प्रारंभ सुबह 09 बजकर 54 मिनट से हो रही है, जो रात 11 बजकर 13 मिनट तक है।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त-
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च को रात 11.13 बजे से रात 12.27 बजे तक रहेगा। पूर्णिमा तिथि 24 और 25 दोनों दिन रहने वाली है। दरअसल, रंगोत्सव प्रतिपदा तिथि में होता है। होली की तिथि को लेकर शास्त्रों में मत है कि होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा के दिन किया जाता है और अगले दिन रंगोत्सव मनाया जाता है। इस बार 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 56 मिनट पर पूर्णिमा तिथि आरंभ हो रही है और इसका समापन अगले दिन यानी 25 मार्च को प्रदोष काल से पहले ही हो रहा है। ऐसे में शास्त्रों का विधान है कि दोनों दिनों में अगर पूर्णिमा तिथि हो तो पहले दिन अगर प्रदोष काल में पूर्णिमा तिथि लग रही है तो उसी दिन भद्रा रहित काल में होलिका दहन किया जाना चाहिए इसी नियम के अनुसार, इस बार 24 मार्च को होलिका दहन और अगले दिन यानी 25 मार्च को रंगोत्सव का त्योहार मनाया जाएगा।
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उज्जैन में महाकाल के दरबार से शुरू होगा होली का त्योहार

दुनिया का हर उत्सव सबसे पहले बाबा मोहकाल के दरबार में होता है. दिवाली हो या होली, हर त्योहार की खुशियां यहां बिखरती हैं। होलिका दहन भी महाकाल मंदिर में मनाया जाने वाला पहला त्योहार है। देश और दुनिया में होली के त्योहार से एक दिन पहले महाकाल में होलिका दहन मनाया जाता है. इस बार भी सबसे पहले होली महाकाल में जलाई जाएगी.
पंचांग अखबार के मुताबिक, 24 मार्च 2024 को काल प्रदेश के मकाकालेवर मंदिर में होलिका दहन किया जाएगा. इसके बाद 25 मार्च 2024 को भस्म आरती के अगले दिन मंदिर में रंगों का त्योहार मनाया जाएगा. वहां बड़ी संख्या में अबीर गुलाल उड़ना चाहते हैं.
विश्व प्रसिद्ध बाबा मोहकाल का प्रांगण ही एकमात्र ऐसा स्थान है जहां बिना किसी समय सीमा के होलिका दहन किया जाता है। होली पूजा और अलाव के बाद मंदिर में राजाधिराज के साथ होली उत्सव मनाया जाता है। इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर में आते हैं और रंग और वैभव में डूबे रहते हैं। बाबा महाकाल के साथ होली मनाने के मौके का फैंस साल भर इंतजार करते हैं।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च 2024 को सुबह 11:13 बजे से दोपहर 12:27 बजे तक रहेगा.
बाबा मोहकल शीतकाल से ही खौलते पानी में स्नान कर रहे थे। होली के बाद गर्मी का मौसम शुरू हो जाता है और बाबा मोहकाल फिर से ठंडे पानी से स्नान करते हैं। इसके अलावा मौसम परिवर्तन के कारण आरती का समय भी बदल जाता है। यह परिवर्तन कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा तक जारी रहेगा। प्रत्येक त्यौहार प्रारंभ में बाबा मोहकाल के दरबार में होता है। दुनिया में पहली बार महाकाल मंदिर में भी होलिका दहन होगा.
महाकालेश्वर मंदिर में 24 मार्च को होलिका दहन होने वाला है। इससे दैनिक सेटिंग समय बदल जाता है. साल में दो बार आरती का समय 30 मिनट तक बदल जाता है। आइए मैं आपको बताता हूं कि कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा के बाद समय के साथ क्या परिवर्तन होता है।
दाजुदक आरती, जो फिलहाल सुबह 7:30 बजे शुरू होती है, सुबह 7:00 बजे शुरू होगी।
भोग आरती का समय फिलहाल सुबह 10:30 बजे है और 10 बजे के बाद होगी।
शाम की आरती शाम 6:30 बजे शुरू होती है। और शाम 7:00 बजे समाप्त होता है।
इसके अतिरिक्त, भस्म आरती सुबह 4:00 बजे से 6:00 बजे तक, असर आरती सुबह 5:00 बजे से 5:45 बजे तक और शयन आरती सुबह 10:30 से 11:00 बजे तक की जाएगी।
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अब ऐसे होंगे अयोध्‍या में रामलला के दर्शन, ट्रस्‍ट ने बनाए नए नियम

  • इन बातों का रखना होगा ध्‍यान
अयोध्या। भगवान श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के बाद से अयोध्‍या में राम भक्तों का जन सैलाब उमड़ा कि अब नए नियम बनाकर व्‍यवस्‍था बनानी पड़ गई है. यहां हुए बेहतर सुविधाओं के साथ राम भक्तों को दर्शन करने के लिए राम मंदिर ट्रस्ट को बड़े बदलाव करना पड़ा है. दरअसल यहां 23 जनवरी को 5 लाख से अधिक रामभक्त, भगवान श्री रामलला के दर्शन के लिए पहुंचे थे. यहां के हालात को देखते हुए उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ को आगे आना पड़ा था. वे खुद अयोध्‍या पहुंचे और राम जन्म भूमि मंदिर में कैंप किया था.
मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कहा था कि रामभक्‍तों को बेहतर सुविधाएं मिलनी चाहिए और मंदिर में दर्शन- पूजन आदि के लिए श्रद्धालुओं को दिक्‍कत नहीं आनी चाहिए. इन निर्देशों के बाद राज्‍य के वरिष्ठ अधिकारियों ने मास्‍टर प्‍लान बनाया है. इसके तहत श्रद्धालुओं को जल्‍द से जल्‍द दर्शन कराने की व्‍यवस्‍था की गई है. अयोध्‍या आने वाले रामभक्‍तों को कुछ बातों का ध्‍यान रखने को कहा गया है. अफसरों का कहना है कि अगर नियम और व्‍यवस्‍था का पालन किया जाए तो श्रद्धालुओं को कम समय में रामलला के दर्शन हो जाएंगे.
फास्‍ट ट्रेक लेन से जल्‍द और बेहतर दर्शन हो रहे
राम भक्तों को बेहतर सुविधाओं के साथ दर्शन पूजन कराने के लिए फास्ट ट्रैक लेन का निर्माण किया गया है. अगर आप राम जन्मभूमि दर्शन के लिए आ रहे हैं तो इन बातों का ध्यान रखना होगा. इससे 20 से 25 मिनट का समय आप दर्शन के दरमियान बचा सकेंगे. इसमें प्रमुख रूप से आपको बिना किसी सामान के मंदिर में आना है. आपको फास्ट ट्रैक लाइन के जरिए राम जन्मभूमि परिसर में प्रवेश कराया जाएगा जो सीधे चेकिंग प्‍वाइंट होते हुए राम जन्म भूमि परिसर में जाएगी. इससे लगभग 20 से 25 मिनट का समय बच जाएगा.
जूता-चप्‍पल और सामान के बिना आने वाले श्रद्धालुओं को मिलेगी ये सुविधा
आईजी अयोध्या प्रवीण कुमार ने बताया कि राम जन्मभूमि परिसर में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए एक फ़ास्ट ट्रैक लाइन बनाई गई है. इसमें बिना किसी सामान और बिना जूता-चप्पल के आने वाले श्रद्धालुओं को ही प्रवेश की अनुमति है. इससे लगने वाले अतिरिक्‍त समय की बचत होगी और वे सीधे राम जन्मभूमि परिसर में जा सकेंगे. उन्हें फास्ट ट्रैक लाइन के जरिए चेकिंग पॉइंट तक पहुंचाया जाएगा. यहां से सीधे राम जन्मभूमि परिसर में पहुंचेंगे.
मंदिर में नहीं ले जा सकेंगे ये खास सामान
भगवान राम लला के मंदिर में दर्शन पूजन के लिए सामान के साथ-साथ कुछ चीजों पर प्रतिबंध है जैसे कि मोबाइल फोन, घड़ी, इलेक्ट्रॉनिक सामान, पान, बीड़ी, गुटका और तंबाकू के साथ-साथ दवाओं पर भी प्रतिबंध है. राम जन्मभूमि परिसर में प्रवेश के लिए श्रद्धालुओं को लंबी लाइन लगाना पड़ता है. जांच परख के साथ उन्‍हें अपने सामान जमा कराना पड़ता है. इसके बाद ही राम जन्म भूमि परिसर में प्रवेश पाते हैं.
राम मंदिर ट्रस्ट की नई व्‍यवस्‍था, फास्‍ट ट्रेक लेन से श्रद्धालुओं में खुशी
भगवान रामलला के दर्शन के लिए नई व्‍यवस्‍था और नए नियमों को लेकर श्रद्धालुओं में खुशी का माहौल है. श्रद्धालु नई व्यवस्थाओं को लेकर राम मंदिर ट्रस्ट और प्रशासन की तारीफ कर रहे हैं. संत समाज ने भी फास्‍ट ट्रेक लेन की प्रशंसा की है. इससे समय की बचत के साथ ही आसानी से अच्‍छे दर्शन हो रहे हैं.
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महाशिवरात्रि आज, जानें शिव पूजन की संपूर्ण सामग्री

हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन महाशिवरात्रि को बेहद ही खास माना गया है जो कि फाल्गुन मास में आती है। इस दिन शिव पार्वती की पूजा का विधान होता है। इस बार महाशिवरात्रि का व्रत आज 8 मार्च को किया जा रहा है इस दिन शिव साधना उत्तम फल प्रदान करती है।
भक्त महाशिवरात्रि के शुभ दिन पर भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की विधिवत पूजा करते हैं और दिनभर व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस पावन दिन पर ही भगवान शिव और माता पार्वती का शुभ विवाह हुआ था। ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा शिव पूजन का मुहूर्त और सामग्री लिस्ट बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
शिव पार्वती की पूजा का मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 8 मार्च को संध्याकाल 9 बजकर 57 मिनट से आरंभ हो चुकी है और अगले दिन यानी की 9 मार्च को संध्याकाल 6 बजकर 17 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में महाशिवरात्रि का व्रत 8 मार्च दिन शुक्रवार यानी आज मनाया जा रहा है। इस दिन शिव पार्वती की पूजा प्रदोष काल में की जाती है महाशिवरात्रि पर पूजा का समय संध्याकाल 6 बजकर 25 मिनट से 9 बजकर 28 मिनट तक प्राप्त हो रहा है। ऐसे में इस मुहूर्त में आप शिव पार्वती की विधिवत पूजा कर सकते हैं और पुण्य फलों की प्राप्ति भी कर सकते हैं।
शिव पूजन की सामग्री-
महाशिवरात्रि के शुभ दिन भगवान शिव की पूजा सभी पूजन सामग्री के साथ करना उत्तम माना जाता है। पूजा के लिए पार्थिव शिवलिंग बनाने के लिए तालाब की मिट्टी, गंगाजल, अक्षत, पंचामृत, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, भांग, भस्म, अबीर, गुलाल, भौडल, दान के लिए दक्षिण, बेलपत्र, शमी पत्र, धतूरा, रुद्राक्ष, चंदन, गन्ने का रस, पंचमेवा, मिठाई, फल, पुष्प, वस्त्र, मौली, देवी पार्वती के लिए कुमकुम, हल्दी, सुहाग सामग्री।
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राजिम कुंभ कल्प में साधु संतों की निकली भव्य शोभायात्रा

राजिम। महाशिवरात्रि के अवसर पर आज कुलेश्वरनाथ मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी है. भगवान भोलेनाथ के दर्शन-पूजा कर भक्त परिवार की खुशहाली की कामना कर रहे. वहीं राजिम कुंभ कल्प में साधु संतों ने भव्य शोभायात्रा निकाली.
बता दें कि देशभर से साधु संत राजिम कुंभ कल्प पहुंचे हैं. बड़ी संख्या में विदेश से भी पर्यटक पहुंचे हैं. महाशविरात्रि पर शोभायात्रा के दौरान नागा साधुओं ने शौर्य प्रदर्शन किया. विशाल शोभायात्रा को देखने लाखों की संख्या में लोग पहुंचे हैं. आज शाम को राजिम कुंभ कल्प का समापन होगा. समापन समारोह में राज्यपाल शामिल होंगे.
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महाशिवरात्रि की धूम, काशी विश्वनाथ और शिवालयों में उमड़े श्रद्धालु

लखनऊ। महाशिवरात्रि पर्व के अवसर पर उत्तर प्रदेश के शिव मंदिरों पर भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। इस अवसर पर बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर, बाराबंकी के महादेवा मंदिर और लखनऊ के मनकामेश्वर में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए भारी संख्या में पहुंच रहे हैं। यहां भोर से ही हर-हर महादेव की गूंज सुनाई दे रही है।
श्रीकाशी विश्वनाथ धाम क्षेत्र में गुरुवार की आधी रात के बाद से ही श्रद्धालुओं का रेला उमड़ना शुरू हो गया। महाशिवरात्रि की भोर में ही बाबा के दर्शन पाने के लिए श्रद्धालुओं ने सभी पांचों प्रवेश द्वारों पर लंबी-लंबी कतारें लगा ली।
बाराबंकी के श्री लोधेश्वर महादेवा में महाशिवरात्रि पर लगने वाले पारंपरिक मेले में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। जलाभिषेक के लिए गुरुवार शाम से ही कतारें लग गईं।
कानपुर में बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए भक्तों ने देर रात से मंदिरों में लाइन लगाई। मंदिर के पट खुलते ही श्रद्धालुओं ने दर्शन पूजन किया। शहर के आनंदेश्वर मंदिर, जागेश्वर मंदिर, वनखंडेश्वर मंदिर, सिद्धनाथ मंदिर, नागेश्वर मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ी। शिवभक्तों ने हर-हर महादेव शंभू काशी विश्वनाथ गंगे व बम भोले का उद्घोष कर पूरा प्रांगण जोश व भक्ति से भर दिया।
इस साल महाशिवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्धि योग, शिव योग जैसे कई शुभ योग हैं। इसको देखते हुए मंदिरों के साथ घरों में पूजन के विशेष प्रबंध किए गए हैं। लखनऊ के डालीगंज स्थित मनकामेश्वर मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ दिखाई पड़ रही है। सुबह चार बजे से ही भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए लाइनों में लगे श्रद्धालु बम भोले के जयकारों के साथ अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। मंदिर परिसर में अधिक भीड़ होने के कारण सुरक्षाकर्मी भी मोर्चा संभाले हुए हैं।
संगम नगरी प्रयागराज में महाशिवरात्रि पर्व को लेकर भक्तों में खासा उत्साह देखने को मिला है। प्रयागराज के प्राचीन शिव मंदिरों व दूसरे शिवालयों में लोग दर्शन पूजन कर भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद ले रहे हैं। श्रद्धालुओ की भीड़ को देखते हुए मंदिरों में इसके लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। सुरक्षा के मद्देनजर सीसीटीवी कैमरे और बैरिकेडिंग लगाई गई है।
इस मौके पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने देश एवं प्रदेशवासियों को महाशिवरात्रि के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए सभी के मंगलमय एवं सुखमय जीवन की कामना की है। उन्होंने अपने बधाई संदेश में कहा, "मैं देवादिदेव महादेव से सभी के कल्याण और देश व प्रदेश की खुशहाली एवं समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हूँ।"
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि देवाधिदेव महादेव की आराधना को समर्पित पावन पर्व महाशिवरात्रि की प्रदेश वासियों एवं सभी श्रद्धालुओं को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं। भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की कृपा से सभी के मनोरथ पूर्ण हों, सृष्टि का कल्याण हो। हर-हर महादेव।
यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने लिखा कि ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ देवाधिदेव महादेव भगवान शिव जी और माता पार्वती जी के विवाह के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले पवित्र पर्व महाशिवरात्रि की समस्त शिव भक्तों, देश व प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। भगवान शिव जी से प्रार्थना है कि आप सभी के जीवन में ज्ञान, समृद्धि एवं धन-वैभव की वर्षा करें।
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महाशिवरात्रि पर भोले बाबा का हुआ अद्भुत श्रृंगार

  • मंदिरों के बाहर सुबह से लगीं लंबी लाइनें
अमेठी। महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान शिव के मंदिरों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है। लोग सुबह से ही दर्शन-पूजन के लिए लंबी लाइनें लगाकर खड़े हैं। श्रद्धालु मंदिरों में जलाभिषेक करने के बाद शिव लिंग को बेल-पत्र अर्पित कर रहे हैं। महाशिवरात्रि को लेकर कल रात से ही तैयारियां शुरू कर दी गईं थीं। मंदिरों की साफ-सफाई करने के साथ ही सज्जा की जाने लगी थी।
लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर में भगवान शिव-पार्वती का अद्भुत श्रृंगार हुआ। मनकामेश्वर मंदिर में भगवान शिव व माता पार्वती का अद्भुत श्रृंगार किया गया। महाशिवरात्रि के अवसर पर प्रदेश के विभिन्न शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ने को लेकर पहले से ही तैयारियां की गई थीं। कई शहरों में यातायात में बदलाव किया गया है। मंदिर वाले मार्गों में वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। शिवभक्तों ने मंदिर मे दिया जलाकर और आरती कर भगवान शिव की आराधना की।
मोहन रोड बुद्धेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन के लिए अपनी बारी का इंतजार करते शिवभक्त। बुद्धेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक करते शिव भक्त। सीतापुर के श्यामनाथ मंदिर में भगवान शिव का श्रृंगार व शिवलिंग का जलाभिषेक करते शिव भक्त।
बाराबंकी के रामनगर तहसील क्षेत्र में स्थित पौराणिक तीर्थ स्थल श्री लोधेश्वर महादेवा में शिवभक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है। महाशिवरात्रि के मौके पर मंदिर के कपाट नहीं बंद किए गए और पूरी रात जलाभिषेक चलता रहा। सुबह 3:00 के बाद भीड़ इतनी बढ़ गई कि मंदिर से लेकर मुख्य सड़क तक श्रद्धालुओं की कतार लग गई। अपने आराध्य को जल गंगाजल, शहद, पुष्प, दूध, दही, फल, मिष्ठान अर्पित करने के लिए श्रद्धालु भक्ति भाव से महादेवा में मौजूद है और हर हर महादेव का उद्घोष कर रहे हैं।
हर-हर महादेव के जयकारों से गूंजे शिवालय-
अमेठी में महाशिवरात्रि पर्व पर जिले के सभी शिवालयों पर आस्था का सैलाब उमड़ा दिखाई पड़ा। भोर से ही क्षेत्र स्थित सभी शिवालय बोल बम, ओम नमः शिवाय और हर-हर महादेव के जयकारों से गूंज उठे। शिव भक्तों ने भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर विधि विधान से रुद्राभिषेक किया। जगह- जगह अखंड भंडारे एवं फलाहार वितरण का भी आयोजन भी किया जा रहा हैं।
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मुख्यमंत्री मोहन यादव ने की श्री महाकाल की पूजा-अर्चना

  • महाशिवरात्रि पर महाकालेश्वर मंदिर में विशेष पूजा
उज्जैन। महाशिवरात्रि के मौके पर आज मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपनी पत्नी के साथ उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकाल की पूजा-अर्चना की।. कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा- "आज मैंने फैसला किया है और प्रार्थना की है कि बाबा महाकाल का आशीर्वाद इस राज्य के लोगों पर बना रहे।" वह लोगों पर नज़र रखने की उम्मीद करता है।
सीएम मोहन यादव ने लिखा- मैंने विश्व की समृद्धि और कल्याण के लिए प्रार्थना की। सर्वत्र शिव उन्होंने कहा कि विक्रमादित्य से लेकर राजा शोरसेन यादव के काल तक मैं इस बाबा महाकाल मंदिर में पूजा करता हूं तो कृतज्ञ हो जाता हूं। बाबा महाकाल सबको आशीर्वाद दें, मैं इसी आशीर्वाद की तलाश में था। समस्त प्रदेशवासियों, देशवासियों एवं विश्व भर के सनातन संस्कृति के लोगों को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ।
महाशिवरात्रि पर महाकालेश्वर मंदिर में विशेष पूजा-
शिवरात्रि के अवसर पर उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। यहां देश-विदेश से श्रद्धालु पूजा-अर्चना और दर्शन के लिए आते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान के दर्शन मात्र से ही मोक्ष मिल जाता है। यह दिन शिव प्रेमियों के लिए बहुत खास है और महाकालेश्वर मंदिर सबसे पुराने और पवित्र मंदिरों में से एक माना जाता है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव स्वयं यहां प्रकाश स्तंभ के रूप में प्रकट हुए थे। आज महाकाल का विशेष श्रृंगार किया जाता है और इस दिन की सेवा का यहां विशेष महत्व है।
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शाही स्नान के साथ महाशिवरात्रि पर्व पर राजिम कुंभ कल्प का समापन कल

राजिम। गरियाबंद जिले में त्रिवेणी संगम पर स्थित पवित्र धार्मिक नगरी राजिम जो आस्था के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यहां प्रत्येक साल माघ पूर्णिमा के शुभ अवसर पर विशाल मेला लगता है। 15 दिनों तक आयोजित इस मेले में लाखों की संख्या में साधू-संत एवं देश विदेश से श्रद्धालु भगवान राजीव लोचन एवं व श्री कुलेश्वर नाथ महादेव जी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं और राजीव लोचन व श्री कुलेश्वर नाथ महादेव जी के दर्शन कर अपना जीवन धन्य मानते हैं। प्रसिद्ध राजिम कुंभ कल्प 24 फरवरी से शुरू इस मेले का समापन 8 मार्च महाशिवरात्रि पर्व स्नान के साथ समापन होगा। जिसमें कल साधु संत कल शाही कुंड में शाही स्नान करेंगे।
साथ ही नगर में साधु संतो की शोभा यात्रा भी निकाली जाएगी।पवित्र धार्मिक नगरी त्रिवेणी संगम राजिम में प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक 15 दिनों का मेला लगता है। राजिम में तीन नदियों का संगम है, इसलिए इसे त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है। यहां मुख्य रूप से तीन नदियां बहती हैं, जिनके नाम क्रमशः महानदी, पैरी नदी और सोंढूर हैं। जिसका 15 दिन लगने वाले इस राजिम कुंभ कल्प मेले का समापना कल महाशिवरात्रि के पर्व स्नान के साथ होगा। साथ ही नगर में साधु संतो की शोभा यात्रा भी निकाली जाएगी।
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एक ही दिन में दो बड़े ग्रहों का गोचर, इन 4 राशियों को मिलेगा लाभ

ग्रहों के गोचर की दृष्टि से मार्च का महीना विशेष रूप से खास है। 7 मार्च का दिन ज्योतिष शास्त्र के लिहाज से बेहद अहम है। इस दिन पहला गोचर सुबह 9:21 मिनट पर होगा। जब बुध मीन राशि में प्रवेश करेंगे। वहीं, सुबह 10:33 मिनट पर शुक्र ग्रह कुंभ राशि में विराजमान हो जाएंगे। इन दोनों ग्रहों का गोचर 4 राशियों के लिए फलदायी साबित होगा।
वृषभ राशि- बुध का गोचर आपके 11वें भाव में और शुक्र का गोचर 10वें भाव में होगा। दोनों ही गोचर करियर के लिहाज से खास साबित होंगे। इस अवधि में काम की सराहना होगी। प्रमोशन या पदोन्नति मिल सकती है। जो जातक नौकरी खोज रहे हैं। उन्हें नए अवसर मिल सकते हैं। व्यक्तिगत और प्रेम जीवन के लिहाज से गोचर फलदाई साबित होंगे।
कर्क राशि- बुध ग्रह का गोचर 9वें और शुक्र का गोचर 8वें भाव में होगा। विदेश यात्रा का अवसर प्राप्त हो सकता है। करियर के लिहाज से समय अनुकूल होगा। सहकर्मियों और बॉस का साथ मिलेगा। आपके विचार सराहे जाएंगे। यह गोचर अप्रत्याशित धन लाभ दे सकता है।
वृश्चिक राशि- बुध का गोचर 5वें भाव और शुक्र का गोचर चतुर्थ भाव में होगा। गोचर का प्रभाव पेशेवर जीवन में लाभ देगा। इस अवधि में कोई भी फैसला लेने में जल्दबाजी न दिखाएं। धन संचित करने में कामयाब होंगे। पार्टनर के साथ सौहार्दपूर्ण समय का आनंद लेंगे। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।
धनु राशि- बुध का गोचर चतु्र्थ भाव और शुक्र का गोचर धनु राशि के तीसरे भाव में होगा। करियर में उल्लेखनीय परिणाम प्राप्त होंगे। नौकरी में अनुकूल बदलाव प्राप्त हो सकता है। नेटवर्किंग के क्षेत्र से जुड़े जातकों के लिए समय अनुकूल होगा। आर्थिक स्थिरता बनेगी। प्रेम जीवन की समस्या इस दौरान दूर होगी।

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साल का पहला चंद्र ग्रहण 25 मार्च को

नई दिल्ली। चंद्र ग्रहण का वैज्ञानिक महत्व के अलावा धार्मिक और खगोलीय महत्व भी है. साल का पहला चंद्र ग्रहण 25 मार्च सोमवार को होली के अवकाश पर लगेगा। ज्योतिष शास्त्र का मानना ​​है कि ग्रहों की स्थिति में बदलाव का सभी राशियों पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में कृपया मुझे बताएं कि इस चंद्र ग्रहण के दौरान मुझे किन नक्षत्रों पर ध्यान देना चाहिए।
इस चंद्र ग्रहण के दौरान सिंह राशि के लोगों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में आपको अपने प्रतिद्वंद्वी पर ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा आपको धैर्य रखने की भी जरूरत है। आपको स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन इसके लिए आपको स्वस्थ जीवनशैली अपनानी होगी और योग और ध्यान करना होगा। आप काम में दबाव महसूस कर सकते हैं, लेकिन धैर्य रखने की कोशिश करें। साथ ही रोमांटिक रिश्तों में चिंता पैदा हो जाती है।
इस चंद्र ग्रहण का मिथुन राशि पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से आप थकान और तनाव महसूस कर सकते हैं। साथ ही कामकाज जैसे फैसले लेते समय सावधानी बरतें। बिजनेस में भी उतार-चढ़ाव आ सकता है। ऐसे में नए जोखिमों से बचें। प्यार की बात करें तो आपके रोमांटिक रिश्ते में दिक्कतें आ सकती हैं। समस्या को सुलझाने के लिए अपने पार्टनर से खुलकर बात करें।
वृश्चिक राशि वालों के लिए चंद्र ग्रहण का समय अच्छा नहीं है। इस दौरान आपको नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। सफलता पाने के लिए दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है। कोशिश करें कि इस दौरान आप ज्यादा गुस्सा न करें। कृपया झगड़ों से बचें. कृपया वाहन चलाते समय सावधान रहें। चोट लगने का खतरा है.
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उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि की धूम, 2.30 बजे खुलेंगे पट

उज्जैन। उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में शिवरात्रि पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। वास्तव में, सभी उत्सवों का आनंद यहीं निहित है। हालाँकि, यहाँ देखा जाने वाला महाशिवरात्रि का उत्साह भक्तों के बीच भावनाओं को जगाता है।
यहां महाशिवरात्रि उत्सव नौ दिनों तक चलता है और इसे शिवनवरात्रि के नाम से जाना जाता है। 8 मार्च को महाशिवरात्री बड़े ही धूमधाम से मनाई जा रही है. इसी वजह से मंदिर के कपाट दोपहर 2:30 बजे खुलते हैं. गुरुवार से शुक्रवार की रात को. इसके बाद बाबा मोहकाल के दर्शन का सिलसिला 44 घंटे तक बिना किसी रुकावट के चलता रहता है। 9 मार्च को शयन आरती के बाद रात 11 बजे मंदिर की चौकी बंद कर दी जाएगी।
मंदिर के कपाट दोपहर 2:30 बजे खुलते हैं। गुरुवार से शुक्रवार तक. इसके बाद सुबह 7.30 बजे बाबा की भस्म आरती की जाएगी और बाल भोग लगाया जाएगा। सुबह 10.30 बजे भोग आरती होगी। दोपहर 12 बजे राजकीय पूजा होगी और शाम 4 बजे होलकर राज्य पूजा होगी। शाम 7:30 बजे के बाद भगवान को मीठे दूध का भोग लगाया जाता है. इसके बाद कोटेश्वर महादेव की पूजा के साथ शिवरात्रि पूजा शुरू होती है।
8 मार्च को महाशिवरात्रि पर्व के अवसर पर बड़ी संख्या में भक्त दर्शन का आनंद लेने के लिए महाकालेश्वर मंदिर पहुंचेंगे। इस पृष्ठभूमि में, प्रशासन एक डायवर्जन और पार्किंग योजना लेकर आया है। गुरुवार शाम 16 बजे से शहर के बारह मार्गों पर सभी प्रकार के वाहनों का प्रवेश वर्जित रहेगा. अन्यथा हर दिशा से वाहन शहर में प्रवेश कर जाते हैं. उनके लिए अलग से पार्किंग स्थल बनाए गए हैं।
खरीफाटक से महाकाल घाटी जंक्शन तक वाहनों का प्रवेश वर्जित है। जंतर-मंतर से जयसिंहपुर और चारधाम में वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। शंकराचार्य चौराहे से नृसिंह घाट और दानी गेट तक, भुही माता से नृसिंह घाट तक, दौलतगंज से लोहा पुल तक, कंठाल से छत्री चौक तक, दानी गेट से गणगौर दरवाजा तक, केडी गेट से कमरी मार्ग तक और भार्गव से वाहनों को जाने की अनुमति नहीं है। तिराहा से टंकी चौराहा। .
पार्किंग कहाँ है?
इंदौर, देवास और मक्सी रोड की ओर से आने वाली गाड़ियाँ जंतर-मंतर, लालपुल होते हुए खरीफाटक जंक्शन से कर्कराज पार्किंग क्षेत्र में अपने वाहन पार्क कर सकती हैं।
नागदा की ओर से आने वाले वाहन साडूमाता बावड़ी से रातड़िया रोड होते हुए राठौड़ क्षत्रिय तेली समाज परिसर में अपने वाहन पार्क करेंगे।
मुल्लापुर, भैरूपुरा के ऊपर कार्तिक मेले में बड़नगर पार्क से वाहन। मक्सी की ओर से आने वाले वाहनों को पंड्याहेड़ी होते हुए इंपीरियल होटल के पीछे पार्क करना होगा। यहां से, एक बस लें जो आपको कर्कराज पार्किंग स्थल तक ले जाएगी।
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फुलेरा दूज पर इस विधि से करें पूजा, जानें शुभ मुहर्त

पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को पूर्णा दोज का त्योहार मनाया जाता है. इस अवसर पर श्री राधा कृष्ण की पूजा करने की परंपरा है। मथुरा में फुलेला दूज पर फूलों की होली मनाई जाती है। इस बार फुलेला दूज फाल्गुन माह में 12 मार्च को मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन श्री राधा कृष्ण की पूजा और व्रत करने से वैवाहिक जीवन खुशियों से भरा रहेगा और श्री राधा कृष्ण भी प्रसन्न रहेंगे। कृपया मुझे बताएं कि पुर्ला दोज में श्री राधा कृष्ण की पूजा कितनी फलदायी है।
होला दोज पूजा विधि-
फुलेला दूज के दिन ब्रह्म बेला में उठकर श्री राधा कृष्ण का ध्यान करके अपने दिन की शुरुआत करें। इसके बाद स्नान कर साफ कपड़े पहन लें। अब सूर्य देव को जल अर्पित करें. श्री राधा कृष्ण को गंगा जल, दही, जल, दूध और शहद का लेप करें। उसे तैयार करो और उसे विशेष बनाओ। इस बार उन्हें कुर्सी पर लाल कपड़ा बिछाकर बैठाएं। टोकरी से पुष्प वर्षा. बाद में, साधारण दीया, धूप, फल और साबुत अनाज जैसे विशेष प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। तेल का दीपक जलाएं और आरती और मंत्र का जाप करें। फिर मक्खन, चीनी, आटा, फल और मिठाइयाँ डालें। सुनिश्चित करें कि आप अपने प्रसाद में तुलसी दल भी शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण तुलसी दल के बिना भोजन स्वीकार नहीं करते हैं। अंत में लोगों को प्रसाद वितरित किया जाता है।
फुलेरा दूज 2024 शुभ समय-
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 11 मार्च 2024 को सुबह 10:44 बजे शुरू होती है और 12 मार्च 2024 को सुबह 7:13 बजे समाप्त होती है।सनातन धर्म में उदया तिथि का विशेष महत्व है। ऐसे में फोला डॉग फेस्टिवल 21 मार्च को होगा. इस दिन श्री राधा कृष्ण की पूजा करने का उचित समय सुबह 9:32 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक है।
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