धान का कटोरा

एक वर्षीय बच्ची में हाइब्रिड पर वेंट्रिकुलर वीएसडी डिवाइस क्लोजर

रायपुर। सिर्फ 5 किलो की बच्ची को हाइब्रिड पर.वेंट्रिकुलर वीएसडी डिवाइस क्लोजर द्वारा बचाकर एनएच एमएमआई के डॉक्टरों की टीम ने फिर एक बार अपना कौशल दर्शाया। गंभीर कुपोषण से ग्रस्त एक वर्ष की छोटी बच्ची का ओडिसा में एनएच एमएमआई नारायणा सुपरस्पैशलिटी हॉस्पिटल द्वारा आयोजित एक बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजी शिविर में परीक्षण किया गया जिसमें यह पाया गया कि उसका वजन सिर्फ 5 किलोग्राम ही हैए जिसमें ;14 एमएमद्ध वीएसडी ;इसमें दिल के निचले कक्षों के बीच दीवार में एक छेद होता हैद्ध जिसके साथ बहुत अधिक पीए प्रेशर; फेफडों में उच्च रक्तचापद्ध पाया गया।
आगे इलाज के लिए उस बच्ची को एनएच एमएमआई नारायणा सुपरस्पैशलिटी हॉस्पिटलए रायपुर में लाया गयाए जाँच और परीक्षण के बादए बच्ची में गंभीर रूप से कुपोषण और वीएसडी के निदान की पुष्टि हुई और अब वीएसडी को बंद करने की जरूरत थी। लेकिन ओपन हार्ट सर्जरी में जोखिम बोहोत अधिक था और लंबे समय तक अस्पताल में जीवित रखना भी मुश्किल था। इस जोखिम को कम करने के लिए हर संभव प्रयास किया गया।
वीएसडी बंद करना एक अच्छा विकल्प थाए लेकिन वीएसडी बहुत बड़ा था और इसीलिए उसके अनुसार एक बहुत बड़े उपकरण के साथ उसके डेलेवेरी सिस्टम की आवश्यकता थी। क्योंकि यह बच्ची ज्यादा छोटी थी और वीएसडी अधिक बड़ा था जिसमें परक्यूटेनियस क्लोजर तकनीकी द्वारा प्रक्रिया करना संभव नहीं था। इसलिए एक नई तकनीक की योजना बनाई गई। हृदय की एक दीवार ;राइट वेंट्रिकल फ्री वालद्ध मे सीधे पंचर करके डिवाइस से बंद कर दिया गया थाए फिर उपकरण लगाने के बाद सर्जन द्वारा पंचर को बंद कर दिया गया। टीईई एक तरह की इकोकार्डियोग्राफी हैए जिसमें अन्नप्रणाली द्वारा एक ट्रांसड्यूसर के साथ एक प्रोब डाली जाती है। यह वास्तविक समय में हृदय और डिवाइस प्लेसमेंट की एक स्पष्ट छवि प्रदान करता है।
इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूर्ण करने में 45.50 मिनट लगे। ऑपरेशन के बाद अब बच्ची स्वस्थ है और प्रक्रिया के सातवें दिन ही उसे छुट्टी भी दे दी गई। योजनाए निष्पादन और पोस्ट ऑपरेटिव देखभाल से इस तरह की प्रक्रिया के लिए टीम के सदस्यों के बीच अत्यधिक सामंजस्य की आवश्यकता होती है। इस प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए एनएच एमएमआई नारायणा सुपरस्पैशलिटी हॉस्पिटल के कार्डियक साइन्सेस की टीम ने अपना पूरा समर्पण दिया जिसमे कार्डियक सर्जन ;डॉ हरि कुमारए डॉ सुमितद्धए कार्डियक एनेस्थेसिस्ट ;डॉ अरुण अंडपनए डॉ राकेश चंदए डॉ धर्मेशद्ध और कार्डियोलॉजिस्ट ;डॉ सुमंत शेखर पाढ़ीए डॉ किंजल बख्शीद्ध शामिल थे। यह एक वर्ष की बच्चीए हमारे राज्य में इस तरह की दुर्लभ प्रक्रिया से गुजरने वाले सबसे छोटे बच्चों में से एक है। तपानी घोष; फैसिलिटी डायरेक्टर. एनएच एमएमआई नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटलद्ध का इस प्रक्रिया को सफलता पूर्वक संपन्न करने में संपूर्ण सहयोग रहा।

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