धान का कटोरा

बीजापुर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का संबोधन

रायपुर। सभी ढोल बजाकर नाचते गाते आ रहे थे। कितना उत्साह का क्षण है। आज बीजापुर जिले में बहुत सारे कार्यों का लोकार्पण हुआ। लगभग 557 करोड़ के 252 कार्यों का लोकार्पण एवं भूमिपूजन किया गया है। आप सभी को इसके लिए बधाई और शुभकामनाएं।
5 साल पहले जब यहां मुझे बुलाया जाता था तो सड़क मार्ग से आते थे, कार्यक्रम में भाषण देते हुए धीरे से कोई कहता था भैया ! जल्दी खत्म करो वापस जाना है। लेकिन आज बीजापुर बदल रहा है। बीजापुर में बदलाव आया है। बीजापुर के लोगों में विश्वास बढ़ा है।
आज स्थिति में बड़ा बदलाव आया है। बड़ी संख्या में कैंप खुले हैं जो इससे पहले कभी नहीं खुले थे। इतनी सड़कें बनी हैं जो पहले कभी नहीं बने थे। बहुत सारे मोटरसाइकिल खरीदे गए, जो पहले नहीं थे। 1000 से अधिक ट्रैक्टर खरीदे गए हैं, जो पहले नहीं थे।
पहले जब मैं भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में आया था, यहां के लोग दो ही चीज मांगते थे। या तो हमारे यहां धान खरीदी केंद्र, बैंक खोल दो और दूसरा स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोल दो।
आज भी धान खरीदी केंद्र की मांग आई है क्योंकि खेती के रकबे में वृद्धि हुई है। किसानों की संख्या में वृद्धि हुई है। धान जितना पहले खरीदते थे उससे दो गुना, ढाई गुना धान आज बीजापुर जिले में हो रहा है। 14-14 स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल खुला है। जो स्कूल बंद थे, वह फिर से शुरू हो गए हैं। लगभग 300 स्कूल बंद थे, आज 200 से स्कूल अधिक प्रारंभ हो गए हैं।
पहले सरकारी नौकरी में भर्ती की बात दूर थी, लोग पढ़ाई नहीं कर पाते थे। आज बस्तर फाइटर में अकेले बीजापुर से 300 नौजवानों को नौकरी मिली है। शिक्षकों की भर्ती हुई है।
पहले गरीबों तक राशन तक नहीं पहुंच पाता था। अंदरूनी क्षेत्रों कोई राशन कार्ड नहीं, कोई सामग्री नहीं मिलती थी। मुझे कलेक्टर साहब ने बताया कि इन 5 वर्षों में अंदरूनी क्षेत्रों में भी 20 हजार से अधिक राशन कार्ड बने। आज 20 से अधिक अस्पताल खुल गए हैं। इलाज हो रहा है, डॉक्टर तैनात है। बीजापुर में ऑपरेशन हो रहे हैं, स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ी हैं। इससे बड़ी बात क्या होगी।
आम जनता की सुविधा बढ़ी है। हमारे आदिवासियों को पट्टा नहीं मिल पाता था हमने व्यक्तिगत, वनाधिकार और सामुदायिक पट्टे दिए। देवगुड़ी का भी हमने सामुदायिक पट्टा दिया। देवताधामी के लिए भी हमने पट्टा दे दिया। पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति के लोगों के लिए पट्टा जारी किया है। सोलर पंप लगे हैं। लाइट पहुंच रही हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में, शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा काम बीजापुर में हुआ है। उससे बड़ी बात यह है कि किसानों का कर्ज माफ हुआ है।
खेती किसानी में लोगों का रुझान बढ़ा है। उत्पादन बढ़ा है। पिछले साल भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में आए थे, ऐसे तालाब जो पुराने राजा, महाराजाओं के समय में बने थे सबके संधारण कार्य के लिए पैसा मांगा गया। हमने सभी  तालाबों के संधारण की स्वीकृति दी। चाहे बीजापुर हो या भोपालपट्टनम हो, सब जगह खेती अच्छे से हो रहा है सबके चेहरे पर प्रसन्नता है। पहले जिन चेहरों पर तनाव थे, आज उन चेहरों पर हंसी है। शाम को कहीं मीटिंग हो तो घर जाना भी मुश्किल हो जाता था, अब बड़ा परिवर्तन आया है। पहले यहां साइकिल का शोरूम भी दुर्लभ था, वहां आज आठ-आठ ट्रैक्टर के शोरूम हैं। मोटरसाइकिल के शोरूम खुल रहे हैं, क्योंकि आज बिक्री हो रही है।
यहां 170 पंचायत हैं, हजारों गांव है। हर पंचायत में आज ट्रैक्टर हैं। बहुत बड़ी बात है। 5 साल में यहां सरकार ने जो परिवर्तन लाया है वह बहुत बड़ी बात है। पहले ढाई हजार में तेंदूपत्ता बेचते थे आज 4000 में बेच रहे हैं, महुआ, कोदो-कुटकी रागी आज बेचा जा रहा है। पहले कपड़े बाहर से आते थे।  इन पांच वर्षों में यहां कपड़े बनने लगे, प्रोसेसिग यूनिट्स लगे। लोगों की आय में वृद्धि हुई है। लोगों की शिक्षा में सुधार हुआ है। स्वास्थ्य में सुधार हुआ है। जो हमारे आस्था के केंद्र है उसे हमने विकसित करने का काम किया है। लोगों की शिक्षा में, स्वास्थ्य में सुधार हुआ है। आस्था को संजोने का काम भी कर रहा है। आज तीजा है इसकी छुट्टी हमने घोषित की है। हमने आपका विश्वास भी अर्जित किया है। जल, जंगल जमीन पर जो आपका हक था वो आपको मिल रहा है। लगातार रोजगार देने की कोशिश हम लोग कर रहे हैं। महिला समूहों को रोजगार से जोड़ा जा रहा है। आपके जिले में 6 करोड़ रुपए का गोबर बेचा गया है। हमने पेसा कानून लागू किया। इस प्रकार से दुर्गम से दुर्गम क्षेत्रों में आवागमन की सुविधा हम लोग उपलब्ध करा रहे हैं। आज बहुत से अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार किया। हास्टल के बच्चों की आदान राशि में हमने वृद्धि की। ओल्ड पेंशन लागू किया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं के मानदेय में वृद्धि की। सभी वर्गों के लिए हमने काम किया है। बस्तर विकास की ओर चल पड़ा है। आदिवासियों की जमीन आपसे छीनी गई थी। इसे वापस किया गया है। बच्चे अभी मुझे पोयम सुना रहे थे। फर्राटे से इंग्लिश बोल रहे थे। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के जिन स्कूलों में गोलियों की आवाज आती थीं वहां बच्चे पोयम गा रहे हैं।

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