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जल संरक्षण में इंदौर ने किया नवाचार

नदी, तालाबों के साथ भूजल का भी संरक्षण
इंदौर छह बार से स्वच्छता में नंबर 1 का खिताब हासिल कर रहा इंदौर शहर अब नदी, तालब व भूजल संरक्षण में मिसाल बन रहा है। इंदौर में 82 हजार अधिक घरों व प्रतिष्ठानों में जल पुर्नभरण इकाईयां लगाकर लाखों लीटर वर्षा का जल भूमि में उतारा गया है। जिले में 101 अमृत सरोवर तैयार किए गए और कई तालाबों को पुर्नजीवित किया गया है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र में ये तालाब जहां कृषि के लिए जलापूर्ति कर रहे है, वहीं भूजल स्तर को बढ़ा रहे है। इंदौर में वृहद स्तर पर जल संरक्षण के लिए किए गए कार्यो के कारण इस वर्ष चौथे राष्ट्रीय जल पुरस्कार में इस बार इंदौर को चार केटेगरी में पुरस्कार मिलने की संभावना है।
जल संरक्षण के कार्यों से मिला पुरस्कार
2018- चोरल नदी को पुर्नजीवित करने पर सर्वश्रेष्ठ जिले का पुरस्कार
2020- जल सरंक्षण के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ जिले का पुरस्कार
2022- देश की पहली वाटर प्लस सिटी का पुरस्कार
2023- जल पुर्नभरण इकाईयां लगाने पर इनोवेशन कैटेगरी में वल्ड वाटर डाइजेस्ट अवार्ड
ये पुरस्कार मिलना संभावित
चौथे राष्ट्रीय जल जल संरक्षण पुरस्कार में चार वर्ग में शार्टलिस्ट
-बेस्ट अर्बन लोक बाडी : सर्वश्रेष्ठ जिला, सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत, जनजागरुकता अभियान में एक निजी स्कूल।
1 लाख घरों में हुई वाटर रिचार्जिग की जियो टैगिंग
इंदौर नगर निगम पिछली बारिश के पूर्व चार माह तक शहर में जल पुर्नभरण के लिए मुहिम चलाई और शहर के 82 हजार 658 संस्थान, घर, औघोगिक क्षेत्र, स्कूल, कालेज, धार्मिंक सहित अन्य स्थानों पर वाटर रिचार्जिग की इकाइयां स्थापित की। इसके अलावा 1 लाख 7 हजार घरों की जियो टैगिंग भी की गई। इसके अलावा निगम द्वारा औद्योगिक क्षेत्र, यूनिवर्सिटी, कान्ह कैचमेंट एरिया, पीपल्याहाला सहित 10 से 12 स्थानों पर रिवर्स बोरवेल के माध्यम से करोड़ो लीटर बारिश के पानी को भूजल में उतारा।
जल पुर्नभरण इकाइयां स्थापित करने के कार्यो का यह असर कि शहर में जिन कालोनियों में पहले भूजल स्तर 200 मीटर था वहां पर 40 से 50 मीटर पर पानी मिलने लगा। इसके अलावा इंदौर शहर में 10 स्थानों पर भूजल स्तर की निगरानी के लिए पीजोमीटर भी स्थापित किए गए।
नालों के पानी को रोका और फिर कलकल बहने लगी कान्ह सरस्वती
कान्ह सरस्वती नदी के 14 किलोमीटर के कैचमेंट एरिया का पुर्नजीवन करने के लिए नालों से अतिक्रमण हटा उनका गहरीकरण किया। इसमें काली मिट्टी की परत को हटाकर जमीन में पानी पहुंच सके उस लेयर तक खोदाई की गई। इसका असर यह रहा कि इस वर्ष शरुआती बारिश में ही बिलावली व लिंबोदी तालाब जल्द भर गए। कान्ह- सरस्वती नदी में मिलने वाले चार हजार से ज्यादा नालाें के आउटफाल बंद किए गए। इससे गंदा पानी नदी में मिलने से रोका गया। विभिन्न क्षेत्र के कुएं व बाउंडियों की सफाई कर जल स्त्रोत बढ़ाए।
10 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बने, 200 उद्यानों में उपचारित पानी
निगम द्वारा शहर में 10 स्थानों वर सीवरेज के पानी के पुर्नउपयोग के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए। यहां से उपचारित 110 एमएलडी पानी प्रतिदिन उपयोग किया जा रहा है। इस पानी से निगम के 200 उद्यानों की सिंचाई की जाती है। यह पानी कृषि कार्य, सड़कों की धुलाई में उपयोग हो रहा है। इसके अलावा इस पानी को शालीमार टाउनशिप व डेली कालेज में बागवानी व पौधों के लिए पाइप लाइन कनेक्शन डालकर दिया जा रहा है।
462 जल संरक्षण इकाइयां हुई तैयार
इंदौर जिले में विगत तीन वर्षो में ग्रामीण स्तर पर 101 अमृत सराेवर तालाब तैयार किए गए। 462 जल संरक्षण इकाइयां, तालाबों पर चेकडेम बनाए गए। जनभागीदारी से 90 तालाबों का गहरीकण किया गया। 2 हजार किसाोंके खेतों पर निजी फल उद्यान बनवाए गए और 600 स्थानों पर सामुदायिक पौधारोपण किया गया। 100 नए चेकडेम इकाइंया तैयार की गई।

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