दत्तात्रेय जयंती आज, जानिए...शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
14-Dec-2024 1:51:54 pm
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- भगवान दत्तात्रेय जयंती की मुख्यमंत्री साय ने दी शुभकामनाएं
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था, दत्तात्रेय में ईश्वर और गुरु दोनों रूप समाहित हैं. जिसकी वजह से इन्हें श्रीगुरुदेवदत्त भी कहा जाता है. श्रीमदभागवत ग्रंथों के अनुसार, दत्तात्रेय जी ने 24 गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की थी. शास्त्रों के अनुसार, इस दिन पूजा-पाठ करने से और उपवास का पालन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं|
दत्तात्रेय जंयती पूजा का शुभ मुहूर्त-
वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 14 दिसंबर को शाम 4 बजकर 58 मिनट पर होगी. जिसका समापन 15 दिसंबर दोपहर 2 बजकर 31 मिनट पर होगी. इसलिए दत्तात्रेय जयंती 14 दिसंबर को मनाई जाएगी. वहीं भगवान दत्तात्रेय की पूजा गोधूलि मुहूर्त में की जाती है जिसकी शुरुआत शाम 5 बजकर 23 मिनट पर होगी और समापन 5 बजकर 51 मिनट पर होगा|
दत्तात्रेय जंयती पूजा विधि-
दत्तात्रेय जंयती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ वस्त्र पहनें. उसके बाद व्रत और पूजा का संकल्प लें. शाम को एक चौकी के ऊपर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान दत्तात्रेय की प्रतिमा स्थापित करें. उन्हें गंगाजल से स्नान करवाएं. सबसे पहले भगवान को सफेद चंदन और कुंकुम से तिलक करें, फिर फूल और माला अर्पित करें. शुद्ध घी का दीपक जलाएं. साथ ही उन्हें तुलसी पत्र और पंचामृत जरूर अर्पित करें, जो साधक इस दिन उपवास का पालन करते हैं, उन्हें व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए. इसके बाद अंत में आरती करें . पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना करें।
इन मंत्रों का करें जाप-
दत्तात्रेय जंयती के दिन पूजा के समय इस मंत्र जाप जरूर करें. अगर हो सके तो कम से कम 108 बार इस मंत्र का जाप करें. इसके अलावा मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें|
ॐ द्रांदत्तात्रेयाय नम:।।
दिगंबरा-दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा।।
ऊं ह्रीं विद्दुत जिव्हाय माणिक्यरुपिणे स्वाहा।।
ॐ दिगंबराय विद्महे योगीश्रारय् धीमही तन्नो दत: प्रचोदयात।।
दत्तात्रेय जयंती का महत्व-
शास्त्रों के अनुसार, भगवान दत्तात्रेय तीन मुख धारण करते हैं. इनके पिता महर्षि अत्रि थे और इनकी माता का नाम अनुसूया था.उनकी तीन भुजाएं और तीन मुख हैं. भगवान दत्तात्रेय की पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है. भगवान दत्तात्रेय ने प्रकृति, मनुष्य और पशु-पक्षी सहित चौबीस गुरुओं का निर्माण किया था. मान्यता है कि इनके जन्मदिवस पर इनकी पूजा करने से और उपवास रखने से शीघ्र फल मिलते हैं और भक्तों को कष्टों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है।
भगवान दत्तात्रेय जयंती की मुख्यमंत्री ने दी शुभकामनाएं
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भगवान दत्तात्रेय की 14 दिसम्बर को जयंती के अवसर पर सभी प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने भगवान दत्तात्रेय से प्रदेशवासियों के सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना की है। मुख्यमंत्री साय ने कहा है कि भगवान दत्तात्रेय ने हमें अहंकार को त्यागकर ज्ञान के माध्यम से जीवन को सफल बनाने का संदेश दिया है। भगवान दत्तात्रेय को ब्रम्हा, विष्णु और शिव तीनों देवताओं का अंश माना जाता है। माना गया है कि भगवान दत्तात्रेय की पूजा से तीनों देव प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख और समृद्धि बनी रहती है।