खेल

बैडमिंटन प्लेयर सायना नेहवाल पति पारुपल्ली कश्यप से हुईं अलग

  • कहा- ‘ बहुत सोचने के बाद हमने फैसला लिया’
भारतीय बैडमिंटन की स्टार खिलाड़ी और ओलंपिक कांस्य पदक विजेता सायना नेहवाल ने अपने पति और पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी पारुपल्ली कश्यप से अलगाव की घोषणा की है. यह जोड़ा लगभग सात वर्षों से विवाहबंधन में था. रविवार देर रात सायना ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक इमोशनल पोस्ट शेयर कर इस खबर की पुष्टि की, जिसने खेल जगत को हैरानी में डाल दिया.
सायना ने अपने पोस्ट में लिखा कि कई बार ज़िंदगी हमें अलग राहों पर ले जाती है. काफी सोच-विचार के बाद हमने अलग होने का फैसला किया है. हम अपने और एक-दूसरे के लिए शांति, आत्मविकास और मानसिक संतुलन को चुन रहे हैं. मैं इन यादों के लिए आभारी हूं और भविष्य के लिए शुभकामनाएं देती हूं. इस दौरान हमें समझने और हमारी निजता का सम्मान करने के लिए धन्यवाद.”
7 साल पहले हुई थी शादी
सायना और कश्यप की शादी दिसंबर 2018 में हुई थी. दोनों की मुलाकात हैदराबाद स्थित पुलेला गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी में हुई थी, जहां से उन्होंने साथ में करियर की शुरुआत की थी.
बैडमिंटन में दोनों की शानदार उपलब्धियां
सायना नेहवाल ने 2008 में वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप जीतने के बाद ओलंपिक में डेब्यू किया था और उसी साल क्वार्टर फाइनल तक पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी थीं.
2012 के लंदन ओलंपिक में उन्होंने कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा.
उन्हें 2009 में अर्जुन पुरस्कार, 2010 में राजीव गांधी खेल रत्न और 2016 में पद्म भूषण से नवाजा गया.
सायना अब तक की इकलौती भारतीय महिला खिलाड़ी हैं जिन्होंने विश्व नंबर-1 रैंकिंग हासिल की है.
वहीं, पारुपल्ली कश्यप ने 2014 में कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतकर 32 सालों बाद भारत को इस स्पर्धा में पुरुष एकल में गोल्ड दिलाया था. 2012 के लंदन ओलंपिक में वे क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे थे और 2013 में उन्होंने विश्व रैंकिंग में छठा स्थान हासिल किया था. कश्यप ने 2024 में संन्यास लिया और अब वे कोचिंग में सक्रिय हैं.
सायना और कश्यप की यह जुदाई खेल प्रेमियों के लिए एक भावुक पल है, लेकिन दोनों ने सकारात्मकता और शांति को प्राथमिकता देते हुए आगे बढ़ने का फैसला लिया है.
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छत्तीसगढ़ में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं

  • अंतरराष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चौंपियनशिप में सुखदेव ने जीता स्वर्ण पदक
रायपुर। छत्तीसगढ़ की प्रतिभाएं आज विभिन्न खेलों के माध्यम से राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राज्य को गौरवान्वित कर रही हैं।  राज्य शासन द्वारा खिलाड़ियों को खेल प्रशिक्षण, आधारभूत संरचना तथा प्रोत्साहन राशि सहित आवश्यक संसाधन प्रदान कर हर संभव सहयोग सुनिश्चित किया जा रहा है, जिससे प्रदेश के प्रतिभावान खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन देश एवं विदेश में कर सकें। 
महासमुंद जिले के लिए खेल जगत से एक और गर्व की खबर आई है। फॉर्चून फाउंडेशन समाजसेवी संस्था द्वारा संचालित फॉर्चून नेत्रहीन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय करमापटपर, बागबाहरा खुर्द के पूर्व छात्र सुखदेव ने 7वीं ओपन पैरा एथलेटिक्स इंटरनेशनल चौंपियनशिप 2025 में स्वर्ण पदक जीतकर पूरे छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया है। कांतिराव एथलेटिक्स स्टेडियम, बेंगलुरु (कर्नाटक) में 11 से 12 जुलाई तक आयोजित इस चौंपियनशिप में सुखदेव ने 1500 मीटर दौड़ को महज 4.36 मिनट में पूरा कर स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
गौरतलब है कि नेत्रहीन सुखदेव ने फॉर्चून फाउंडेशन करमापटपर, बागबाहरा खुर्द में रहकर प्रशिक्षक श्री निरंजन साहू के मार्गदर्शन में निरंतर अभ्यास करते हुए यह बड़ी उपलब्धि हासिल की है। वर्तमान में सुखदेव भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) बेंगलुरु में नियमित अभ्यास कर रहे हैं। इससे पहले भी सुखदेव खेलो इंडिया पैरा गेम्स 2025, नई दिल्ली में 400 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक तथा 23वीं राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चौंपियनशिप चेन्नई में भी 1500 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। सुखदेव जैसे होनहार पैरा खिलाड़ी प्रदेश के युवाओं के लिए प्रेरणा हैं।   
छत्तीसगढ़ सरकार खेल एवं खिलाड़ियों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और विशेष रूप से दिव्यांग खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है।  सरकार का लक्ष्य है कि प्रदेश के हर खिलाड़ी को उचित मंच और अवसर मिले, ताकि वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ का नाम रोशन कर सकें।
सुखदेव की इस उपलब्धि पर महासमुंद कलेक्टर श्री विनय कुमार लंगेह, सीईओ जिला पंचायत श्री एस. आलोक, उप संचालक समाज कल्याण संगीता सिंह, खेल एवं युवा कल्याण अधिकारी मनोज धृतलहरे, जिला शिक्षा अधिकारी विजय लहरे सहित प्रशिक्षक निरंजन साहू एवं पैरा स्पोर्ट्स संघ के पदाधिकारियों ने भी उन्हें बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।
सुखदेव की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि अगर लगन और मेहनत सच्ची हो तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती और छत्तीसगढ़ की मिट्टी में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। यह उपलब्धि निःसंदेह जिले के अन्य दिव्यांग खिलाड़ियों को भी खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने हेतु प्रेरित करेगी।
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विदेश में छत्तीसगढ़ की बेटियां बढ़ाएंगी मान

  • बीजापुर की चंद्रकला और जांजगीर-चांपा की शालू एशिया कप सॉफ्टबॉल चौंपियनशिप में
रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की सरकार राज्य के युवाओं के लिए शिक्षा, रोजगार, खेल जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विशेष अवसर उपलब्ध करा रही है। छत्तीसगढ़ की बेटियाँ आज खेल के मैदान से लेकर हर क्षेत्र में अपनी मेहनत, निष्ठा और जज्बे से नया इतिहास रच रही हैं। राज्य सरकार खिलाड़ियों को हरसंभव सहयोग और प्रोत्साहन देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। बीजापुर जिले की धरती एक बार फिर खेल जगत में अपनी प्रतिभा का परचम लहराने जा रही है। जिले के आवापली गांव की होनहार खिलाड़ी चंद्रकला तेलम का चयन भारतीय सॉफ्टबॉल टीम में एशिया कप सॉफ्टबॉल चौंपियनशिप 2025 के लिए हुआ है।  जो 14 से 20 जुलाई तक शियान, चीन में आयोजित होगी। चंद्रकला के साथ ही जांजगीर-चांपा जिले के पामगढ़ की शालू डहरिया भी भारतीय टीम का हिस्सा होंगी, जो पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है।
खास बात यह है कि भारतीय टीम के कोच के रूप में बीजापुर जिले के श्रम निरीक्षक श्री सोपान कर्णेवार की नियुक्ति हुई है। इससे पहले भी श्री कर्णेवार के कोचिंग में जिले के अनेक खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर चुके हैं। भारतीय टीम का गठन कई कठिन चयन परीक्षाओं के बाद हुआ है। चंद्रकला तेलम को अनंतपुर (आंध्र प्रदेश), नागपुर, श्रीनगर एवं इंदौर में आयोजित चयन परीक्षण और विशेष कोचिंग कैंप में उत्कृष्ट प्रदर्शन के आधार पर चुना गया है। भारतीय दल को नई दिल्ली में अंतिम प्रशिक्षण के बाद 13 जुलाई को शियान, चीन के लिए रवाना किया जाएगा।
बीजापुर और जांजगीर-चांपा जिले के कलेक्टर ने भी टीम को शुभकामनाएँ देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है। गौरतलब है कि इस टूर्नामेंट की विजेता एवं उपविजेता टीम को वर्ल्ड कप सॉफ्टबॉल चौंपियनशिप में भाग लेने का अवसर मिलेगा।चंद्रकला और शालू डहरिया की यह उपलब्धि जिले की अन्य बेटियों को भी खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी।
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सचिन तेंदुलकर ने अल्कराज की खेल शैली की तारीफ की

हैदराबाद। क्रिकेट के दिग्गज सचिन तेंदुलकर ने लंदन में प्रतिष्ठित विंबलडन टेनिस चैंपियनशिप में अपनी पत्नी और क्रिकेट जगत के अन्य दिग्गजों के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस अनुभव को याद करते हुए, सचिन ने कहा कि यह अविश्वसनीय था। उन्होंने कहा, "जैसे लोग कहते हैं कि लॉर्ड्स क्रिकेट का घर है, वैसे ही यह टेनिस का मक्का है। मैं विंबलडन देखते हुए बड़ा हुआ हूँ, और सात-आठ साल की उम्र से ही, जब मैंने टेनिस को समझना और समझना शुरू किया, तब से हमेशा पहले विंबलडन और फिर बाकी ग्रैंड स्लैम ही मेरे लिए सबसे बेहतरीन रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "तो मेरे लिए, यह सर्वश्रेष्ठ है। मैंने कई टेनिस खिलाड़ियों से बात की है, और वे सभी इस टूर्नामेंट को शीर्ष पर रखते हैं।"
विंबलडन के प्रतिष्ठित माहौल और उसके आकर्षण के बारे में, सचिन ने कहा कि उन्हें सेंटर कोर्ट का रॉयल बॉक्स खास तौर पर पसंद आया, जहाँ का माहौल बेजोड़ था। उन्होंने कहा, "यह बैठकर मैच देखने के लिए सबसे अच्छी जगह है। लेकिन मैचों के अलावा, आप बहुत से लोगों से मिलते हैं और कई तरह की बातचीत करते हैं।"
"फैशन की बात करें तो यहाँ कई फैशन आइकन, हॉलीवुड सितारे, फुटबॉलर और एथलीट मौजूद हैं। यहाँ आना हमेशा एक सुखद अनुभव होता है क्योंकि आपको जीवन की कई नई चीज़ों से परिचित होने का मौका मिलता है। और मेरे लिए, सीखना कभी बंद नहीं होता—मैं अभी भी सीख रहा हूँ।"
अपने पसंदीदा टेनिस खिलाड़ियों, भूतपूर्व और वर्तमान, के बारे में सचिन ने कहा कि वह जॉन मैकेनरो के प्रशंसक रहे हैं। उन्होंने कहा, "मुझे याद है कि मेरे सभी दोस्त ब्योर्न बोर्ग का समर्थन करते थे, लेकिन किसी कारण से, मैं हमेशा मैकेनरो का समर्थन करता था। मैं उनकी तरह हेडबैंड भी पहनता था, उम्मीद करता था कि जब मैं अपने दोस्तों के साथ घूमूँ तो लोग मुझे मैकेनरो कहेंगे।"
"हालाँकि, हाल के वर्षों में, यह रोजर फेडरर ही हैं। मुझे राफेल नडाल, नोवाक जोकोविच, सभी को खेलते हुए देखना अच्छा लगता है, लेकिन किसी न किसी तरह, रोजर सबसे आगे हैं। मौजूदा खिलाड़ियों में, कार्लोस अल्काराज़ मुझे सचमुच प्रभावित करते हैं—उनकी ऊर्जा संक्रामक है," सचिन ने कहा, जिनका टेनिस के प्रति प्रेम जगजाहिर है।
"मुझे अल्काराज़ के पैरों में स्फूर्ति, उनका रवैया और फ्रेंच ओपन में दिखाई गई उनकी मानसिक दृढ़ता बहुत पसंद है। कभी हार न मानने वाली मानसिकता एक सच्चे चैंपियन की पहचान होती है। सभी टेनिस खिलाड़ी चैंपियन नहीं बनते, लेकिन जिस तैयारी और कड़ी मेहनत से वे गुजरते हैं—उसका मैं बहुत सम्मान करता हूँ," उन्होंने कहा।
उच्च स्तरीय क्रिकेट और टेनिस के बीच समानताओं के बारे में, सचिन ने कहा कि अगर उन्हें समानताओं के बारे में बात करनी हो, तो मुख्य तत्व हाथ-आँखों का समन्वय, गेंद की समझ, खेल के प्रति जागरूकता और विरोधियों से एक कदम आगे रहना हैं।
"फुटवर्क, ख़ास तौर पर, बेहद अहम है। क्रिकेट में, ख़ासकर जब आप बल्लेबाज़ी कर रहे हों, तो समन्वित फुटवर्क मायने रखता है—और टेनिस में भी यही बात लागू होती है। लोग अक्सर सोचते हैं कि विकेटों के बीच दौड़ना बस एक सीधी दौड़ है, लेकिन असल में यह इस बारे में है कि आप कितनी तेज़ी से रुक सकते हैं, मुड़ सकते हैं और फिर से तेज़ी पकड़ सकते हैं," इस महान भारतीय क्रिकेटर ने कहा।
"टेनिस खिलाड़ी भी इसी तरह एक-दूसरे को असंतुलित या ग़लत पैर से पकड़ने की कोशिश करते हैं। यह कोर्ट पर तेज़ और सहज गति के बारे में है। तभी आप अपने शॉट खेलने और आक्रामक होने के लिए सबसे अच्छी स्थिति में होते हैं। ये वो चीज़ें हैं जो मुझे दोनों में समान लगती हैं," उन्होंने कहा।
डबल्स पार्टनर के रूप में वह किस क्रिकेटर को चुनेंगे, इस बारे में सचिन ने याद दिलाया कि उन्होंने पहले युवराज सिंह के साथ डबल्स खेला था। उन्होंने कहा, "हमने 2003 विश्व कप के अपने कुछ साथियों के खिलाफ़ टीम बनाई थी, और हम चैंपियन बने थे। इसलिए मैं फिर से युवराज को चुनूँगा—इसमें कोई शक नहीं।"
अपनी प्लेइंग इलेवन के लिए टेनिस खिलाड़ी चुनने पर, सचिन ने कहा कि यह स्विट्जरलैंड के महान खिलाड़ी रोजर फेडरर को ही होना चाहिए क्योंकि उनका क्रिकेट से गहरा नाता है—उनकी माँ दक्षिण अफ़्रीकी हैं। उन्होंने कहा, "लेकिन रोजर के अलावा, लिएंडर पेस, महेश भूपति, रोहन बोपन्ना और सानिया मिर्ज़ा भी हैं, जिन्होंने यहाँ बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। भारतीय निश्चित रूप से क्रिकेट को पसंद करते हैं, और इन खिलाड़ियों ने भारतीय टेनिस के लिए जो किया है वह अद्भुत है। इसलिए कहने की ज़रूरत नहीं कि वे हमेशा प्रबल दावेदार रहेंगे।"
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टेक्सास सुपर किंग्स को सात विकेट से रौंदकर फाइनल में एमआई न्यूयॉर्क

  • एमएलसी 2025
नई दिल्ली। एमआई न्यूयॉर्क ने मेजर लीग क्रिकेट-2025 (एमएलसी) के फाइनल में जगह बना ली है। टीम ने शनिवार को क्वालीफायर-2 में टेक्सास सुपर किंग्स के खिलाफ सात विकेट से दमदार जीत दर्ज की। अब खिताबी मैच में एमआई न्यूयॉर्क का सामना वाशिंगटन फ्रीडम से होगा। यह मैच 14 जुलाई को खेला जाना है।
डलास में खेले गए इस मुकाबले में टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी टेक्सास सुपर किंग्स ने पांच विकेट खोकर 166 रन बनाए। टीम ने 29 के स्कोर पर समित पटेल (9) के रूप में अपना अहम विकेट गंवा दिया। इसके बाद कप्तान फाफ डु प्लेसिस ने मोर्चा संभाला, लेकिन दूसरे छोर पर कोई बल्लेबाज उनका साथ नहीं दे सका।
फाफ डु प्लेसिस जिस समय आउट हुए, उस वक्त तक टीम 85 रन बना सकी थी, जिसमें 59 रन कप्तान के ही थे। फाफ डु प्लेसिस ने अपनी इस पारी में 42 गेंदों का सामना करते हुए एक छक्का और सात चौके जड़े।
टीम 85 के स्कोर तक अपने पांच विकेट गंवा चुकी थी। यहां से अकील हुसैन ने डेवोन फेरीरा के साथ छठे विकेट के लिए 81 रन की अटूट साझेदारी करते हुए टीम को मजबूत स्कोर तक पहुंचा दिया। अकील हुसैन 32 गेंदों में 55 रन बनाकर नाबाद रहे। उनकी इस पारी में चार छक्के और इतने ही चौके शामिल रहे। वहीं, फेरीरा ने 20 गेंदों में 32 रन की नाबाद पारी खेली।
विपक्षी टीम की ओर से ट्रिस्टन लुस ने सर्वाधिक तीन विकेट झटके, जबकि रुशिल उगरकर ने दो विकेट चटकाए। इसके जवाब में एमआई न्यूयॉर्क ने एक ओवर शेष रहते जीत दर्ज कर ली। सलामी बल्लेबाज मोनांक पटेल ने 39 गेंदों में दो छक्कों और पांच चौकों की मदद से 49 रन की पारी खेली। मोनांक 13वें ओवर की दूसरी गेंद पर आउट हुए, उस समय टीम का स्कोर 83/3 था।
यहां से कप्तान निकोलस पूरन ने किरोन पोलार्ड के साथ मिलकर 89 रन की साझेदारी करते हुए टीम को जीत दिलाई। निकोलस पूरन ने 36 गेंदों में नाबाद 52 रन बनाए। उनकी इस पारी में तीन छक्के और चार चौके शामिल रहे, जबकि पोलार्ड ने 22 गेंदों में तीन छक्कों और चार चौकों के साथ ताबड़तोड़ 47 रन जड़े। विपक्षी टीम की ओर से अकील हुसैन, जिया-उल-हक और नूर अहमद को एक-एक विकेट हाथ लगा।
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तेलंगाना की दीप्ति ने पैरा एथलेटिक्स में जीता स्वर्ण पदक

हैदराबाद। तेलंगाना की दीप्ति जीवनजी ने बेंगलुरु के श्री कांतीरवा स्टेडियम में आयोजित राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स मीट में महिलाओं की 400 मीटर दौड़ (T11, 12, 12 और T20) में 56.70 सेकंड का समय निकालकर स्वर्ण पदक जीता।
गुजरात की दामोर तेजल अमराजी (58.70 सेकंड) और हरियाणा की भुवी अग्रवाल (1:09.60 सेकंड) ने पोडियम स्थान हासिल किया।
पुरुषों की भाला फेंक (F12 और F64) में, दो बार के पैरालंपिक पदक विजेता हरियाणा के सुमित अंतिल ने 72.25 मीटर के शानदार थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीतकर अपना दबदबा कायम रखा।
उनके हमवतन मंजीत ने 54.56 मीटर के सराहनीय प्रयास के साथ रजत पदक जीता, जबकि एसएससीबी के प्रदीप कुमार ने 45.17 मीटर के थ्रो के साथ कांस्य पदक जीता।
F40 और F41 भाला फेंक वर्ग में, हरियाणा का स्वर्णिम अभियान जारी रहा जब पेरिस पैरालंपिक चैंपियन नवदीप सिंह ने 42.63 मीटर भाला फेंककर शीर्ष स्थान हासिल किया। हरियाणा के ही प्रिंस ने 31.90 मीटर के प्रयास के साथ रजत पदक जीता और दिल्ली के रितेंद्र ने 30.85 मीटर के थ्रो के साथ पोडियम स्थान हासिल किया। भाला फेंक F46 वर्ग में राजस्थान के सुंदर सिंह गुज्जर 64.53 मीटर के थ्रो के साथ विजयी हुए, उन्होंने हरियाणा के रिंकू हुड्डा (63.98 मीटर) और उत्तर प्रदेश के अजीत सिंह (63.25 मीटर) को मामूली अंतर से पीछे छोड़ा।
ट्रैक पर, उत्तर प्रदेश की प्रीति पाल ने महिलाओं की 100 मीटर (T35, T37 और T42) में 15 सेकंड के प्रभावशाली समय के साथ स्वर्ण पदक जीतकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके बाद गुजरात की बीना मोर्डिया ने 17.20 सेकंड का समय निकाला, जबकि हरियाणा की अवनी ने 20.40 सेकंड के साथ कांस्य पदक जीता। महिलाओं की 100 मीटर (T12 और T13) श्रेणी में उत्तर प्रदेश की सिमरन ने अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखते हुए 12.30 सेकंड में दौड़ पूरी कर स्वर्ण पदक जीता। वह ओडिशा की जानकी ओरम (14.20 सेकंड) और गोवा की साक्षी काले (14.90 सेकंड) से आगे रहीं।
पुरुषों की शॉटपुट (F56 और F57) में, सर्विसेज स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड (SSCB) ने क्लीन स्वीप किया, जिसमें होकाटो सेमा ने 14.88 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता, उसके बाद सोमन राणा (14.66 मीटर) और
शुभम जुयाल (13.58 मीटर) रहे।
भाला फेंक (F33, F53 और F54) में उत्तर प्रदेश के प्रदीप कुमार ने स्वर्ण, ओडिशा के कमलाकांत नायक ने रजत और दिल्ली के अभिषेक चमोली ने कांस्य पदक जीता। पुरुषों की लंबी कूद (T13) में दिल्ली के
सुजीत ने 6.54 मीटर की छलांग लगाकर स्वर्ण पदक जीता, जबकि गुजरात के चौहान प्रदीप माफ़जी (5.71 मीटर) और आंध्र प्रदेश के श्रीहरि बोड्डू (5.64 मीटर) क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे।
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विश्व चैंपियन तादेज पोगाकर की शानदार जीत

हैदराबाद। तादेज पोगाकर (यूएई एमिरेट्स-एक्सआरजी) ने इस साल के टूर डी फ्रांस में दूसरे चरण में जीत के साथ पीली जर्सी में वापसी की। उन्होंने अपने चिर प्रतिद्वंद्वी जोनास विंगेगार्ड (विस्मा-लीज ए बाइक) को स्टेज 7 में मुर-डी-ब्रिटेन के प्रतिष्ठित फिनिश क्लाइम्ब पर हराया। पोगाकर ने तनावपूर्ण सात-अप स्प्रिंट में अपने किसी भी प्रतिद्वंद्वी की तुलना में अधिक दम दिखाया, क्योंकि ब्रिटेन के ऑस्कर ओनली (पिकनिक पोस्टएनएल) ने ऑस्ट्रिया के फेलिक्स गैल (डेकाथलॉन एजी2आर ला मोंडियाल) और अमेरिकी माटेओ जोर्गेनसन (विस्मा) से आगे तीसरे स्थान पर रहकर प्रभावित किया।
दो बार के ओलंपिक चैंपियन रेम्को इवेनेपोल (सौडल क्विक-स्टेप) शेष सामान्य वर्गीकरण के पसंदीदा में से एकमात्र थे जो ब्रिटनी में अंतिम चढ़ाई के कठिन दोहरे अंकों वाले रैंप पर पोगाकर और विंगेगार्ड की बराबरी कर सके। लेकिन जैसे-जैसे होम स्ट्रेट की ओर ढलान कम होती गई और ज़्यादा राइडर्स पीछे हटने लगे, बेल्जियम का यह राइडर स्प्रिंट फ़िनिश में केवल छठा स्थान ही हासिल कर सका।
ओवरनाइट रेस लीडर मैथ्यू वैन डेर पोएल (एल्पेसिन-डेसुनिंक) – जो 2021 में मुर-डी-ब्रिटेन में जीतने वाले आखिरी राइडर थे – एक मिनट से ज़्यादा पीछे रहे, पोगाकर फिर से रेस में आगे निकल गए। स्लोवेनियाई राइडर अब स्टेज 5 के विजेता इवेनेपोएल पर 54 सेकंड की बढ़त बनाए हुए हैं, जबकि फ़्रांसीसी केविन वौक्वेलिन (आर्केआ-बी एंड बी होटल्स) 1:11 मिनट के साथ तीसरे स्थान पर हैं।
विंगेगार्ड – जिन्होंने पोगाकर की लगातार चढ़ाई में काफ़ी अच्छा प्रदर्शन किया – 1:17 मिनट के साथ चौथे स्थान पर हैं, जबकि डचमैन वैन डेर पोएल गुरुवार की ब्रेकअवे रेस में अपनी मुख्य भूमिका के कारण स्पष्ट रूप से कमज़ोर होने के कारण पाँचवें स्थान पर खिसक गए।
अथक विश्व चैंपियन के अलावा, ओनली दिन के सबसे बड़े विजेता रहे। युवा स्कॉटिश पर्वतारोही ने सामान्य वर्गीकरण (जीसी) में चार स्थान की छलांग लगाकर सातवाँ स्थान हासिल किया। पोगाकर के यूएई टीम के साथी जोआओ अल्मेडा को फाइनल से पहले तेज़ ढलान पर एक भयानक दुर्घटना का सामना करना पड़ा।
पुर्तगाली पर्वतारोही अल्मेडा का पिछला पहिया फट गया, जिससे वह और उनके लगभग एक दर्जन सवार ब्रिटनी से होकर गुज़रने वाले 197 किलोमीटर के चरण में लगभग छह किलोमीटर शेष रहते पीली जर्सी समूह के पीछे तेज़ गति से डेक से टकरा गए।
चरण 6 के विजेता बेन हीली (ईएफ एजुकेशन-ईज़ीपोस्ट) भी इस दुर्घटना में शामिल थे। आयरिश पर्वतारोही जल्दी से वापस दौड़ में शामिल हो गए, लेकिन शीर्ष 10 से बाहर हो गए। ऑस्ट्रेलिया के जैक हैग (बहरीन विक्टोरियस) को दौड़ से हटना पड़ा, जबकि उनके कोलंबियाई टीम के साथी सैंटियागो बुइट्रागो, अल्मेडा की तरह, 13 मिनट से ज़्यादा समय गँवाने के बाद रैंकिंग में नीचे गिर गए।
टूर डी फ़्रांस में अपने करियर की 18वीं जीत के साथ, पोगाकर हरी जर्सी की रैंकिंग में फिर से शीर्ष पर पहुँच गए हैं, जबकि उनके बेल्जियम टीम के साथी टिम वेलेंस ने लगातार दो चरणों से पहले पोल्का डॉट जर्सी बरकरार रखी है, जो सप्ताहांत में स्प्रिंटर्स के लिए उपयुक्त होनी चाहिए।
28 वर्षीय पोगाकर ने कहा, "मैं इस जीत से बेहद खुश हूँ।" उन्होंने कहा, "आज, हमने लगभग अच्छा प्रदर्शन किया। यह दुर्भाग्यपूर्ण था कि जोआओ [अल्मेडा] दुर्घटनाग्रस्त हो गए, और मुझे उम्मीद है कि वह ठीक होंगे। अगर वह ठीक हैं, तो यह एक बेहतरीन दिन है, लेकिन अगर वह ठीक नहीं हैं, तो यह जीत उनके लिए है। अभी, मैं बस यही कामना करता हूँ कि वह ठीक हों।"
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भारत अगले तीन वर्षों तक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी प्रतियोगिताओं की मेजबानी करेगा

नई दिल्ली।  2027 और 2028 के लिए आईएसएसएफ के वैश्विक कैलेंडर को अंतिम रूप देने के बाद, भारत को अगले तीन लगातार वर्षों के लिए प्रमुख अंतरराष्ट्रीय शूटिंग प्रतियोगिताओं के लिए मेजबान देश के रूप में आधिकारिक तौर पर पुष्टि की गई है। नेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ( एनआरएआई ) को हाल ही में जारी एक विज्ञप्ति में, अंतर्राष्ट्रीय शूटिंग स्पोर्ट फेडरेशन ( आईएसएसएफ ) ने पुष्टि की है कि, भारत 2027 में आईएसएसएफ विश्व कप (राइफल / पिस्टल / शॉटगन) की मेजबानी करेगा और वे 2028 में आईएसएसएफ जूनियर विश्व चैम्पियनशिप (राइफल / पिस्टल / शॉटगन) की मेजबानी करेंगे, एनआरएआई की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार ।
इससे निशानेबाजी के खेल के लिए एक विश्वसनीय और सक्षम वैश्विक गंतव्य के रूप में भारत की स्थिति और मजबूत हो गई है।
इस गति को आगे बढ़ाते हुए, भारत इस नवंबर में पहली बार शूटिंग लीग ऑफ इंडिया (एसएलआई) के आयोजन की भी मेजबानी करेगा, जो निशानेबाजी एथलीटों के लिए एक पेशेवर लीग मंच बनाने की एक महत्वाकांक्षी और अग्रणी पहल है।
एनआरएआई के अध्यक्ष कलिकेश नारायण सिंह देव ने उत्साह व्यक्त करते हुए कहा, "एलए ओलंपिक को अपना लक्ष्य मानते हुए, हर साल कम से कम एक अंतरराष्ट्रीय आयोजन की मेजबानी करना एक शानदार अवसर है। इससे वरिष्ठ एथलीटों की तैयारी को बढ़ावा मिलता है और जूनियर खिलाड़ियों को घरेलू स्तर पर उच्च स्तरीय प्रतिस्पर्धा के माहौल का अमूल्य अनुभव मिलता है। भारतीय निशानेबाजी लीग का शुभारंभ हमारे प्रयासों को एक नया रोमांचक आयाम देता है। हम आईएसएसएफ के विश्वास के लिए उनके आभारी हैं और हम भारत को अपने प्रिय खेल का वैश्विक केंद्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। "
एनआरएआई के महासचिव के. सुल्तान सिंह ने कहा, "यह घोषणा आईएसएसएफ के एनआरएआई और विश्व स्तरीय आयोजनों की भारत की क्षमता में विश्वास का प्रमाण है । भारत अब वैश्विक निशानेबाजी कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। मैं भारत सरकार, खेल मंत्रालय, भारतीय खेल प्राधिकरण और हमारे सभी हितधारकों को उनके अटूट समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूँ। भारतीय निशानेबाजी लीग की शुरुआत खेल के विकास के लिए हमारे दृष्टिकोण को और रेखांकित करती है।"
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इंग्लैंड ने असाधारण धैर्य दिखाते हुए पहले दिन 251/4 का स्कोर बनाया

लंदन। जो रूट की नाबाद 99 रनों की पारी की बदौलत इंग्लैंड ने गुरुवार को लॉर्ड्स टेस्ट के पहले दिन अपनी पारंपरिक आक्रामक बल्लेबाजी शैली को त्यागकर भारतीय गेंदबाजों के लगातार दबाव के बीच पारंपरिक लंबी प्रारूप की बल्लेबाजी का सहारा लिया और चार विकेट पर 251 रन बनाए।
स्टंप्स के समय रूट 191 गेंदों का सामना कर चुके थे और अपने 37वें टेस्ट शतक से एक रन दूर थे। वह बेन स्टोक्स (102 गेंदों पर नाबाद 39) के साथ बल्लेबाजी कर रहे थे और दोनों ने पाँचवें विकेट के लिए नाबाद 79 रन जोड़े।
बाज़बॉल युग में केवल दूसरी बार घरेलू मैच में बल्लेबाजी करने का फैसला करते हुए, इंग्लैंड ने धीमी सतह पर आक्रामक होने के बजाय धैर्य रखना चुना, जो कप्तान स्टोक्स के नेतृत्व में उनका सामान्य तरीका है।
खेल की पूर्व संध्या पर सतह हरी-भरी दिखाई दे रही थी, लेकिन टॉस से पहले सपाट दिख रही थी, क्योंकि प्रशंसकों का सैलाब इस प्रतिष्ठित मैदान पर उमड़ पड़ा था। श्रृंखला 1-1 से बराबर होने के साथ, तीसरे टेस्ट से पहले पिच चर्चा का मुख्य विषय रही थी।
छह गेंदबाज़ी विकल्पों के साथ, भारत ने ज़्यादा मुफ़्त गेंदबाज़ी नहीं की, हालाँकि एजबेस्टन के हीरो आकाश दीप को यहाँ अपने पहले मैच में लय हासिल करने में काफ़ी मशक्कत करनी पड़ी। दोपहर के सत्र में कोई विकेट नहीं मिलने के बाद, रवींद्र जडेजा ने चाय के बाद पहली ही गेंद पर ओली पोप (104 गेंदों पर 44 रन) को आउट कर दिया, उनकी गेंद लेंथ से बाहर की ओर मुड़ी हुई थी। पाँच ओवर बाद, जसप्रीत बुमराह ने अपनी जादुई पारी से हैरी ब्रुक के डिफेंस को भेद दिया।
दोपहर के सत्र में, ऋषभ पंत चोटिल हो गए जब बुमराह की एक कोणीय डाउन-लेग गेंद उनके बाएँ हाथ की उँगलियों पर लगी, जिससे उन्हें मैदान छोड़ना पड़ा। उनकी जगह ध्रुव जुरेल ने मैदान में आकर अच्छा प्रदर्शन किया। हालाँकि, पंत की चोट गंभीर नहीं है और शुक्रवार को उनके विकेटकीपिंग की ज़िम्मेदारी फिर से संभालने की उम्मीद है।
भारत ने इंग्लैंड की रन गति पर नियंत्रण बनाए रखा, लेकिन रूट और पोप चाय के समय मेजबान टीम को दो विकेट पर 153 रन तक पहुँचाने में कामयाब रहे। अपने अति-आक्रामक रवैये के लिए मशहूर इंग्लैंड के लिए, उनके मानकों के हिसाब से यह सत्र काफ़ी शांत रहा, जहाँ रूट और पोप ने पारंपरिक टेस्ट मैचों की बल्लेबाज़ी रणनीति अपनाई। वे ऑफ स्टंप के बाहर की गेंदों को छोड़ने में संतुष्ट थे ताकि कोई नुकसान न हो। बीच के सत्र में 24 ओवरों में कुल 70 रन बने।
रूट ने फाइन लेग क्षेत्र में चौका लगाकर अपना अर्धशतक पूरा किया।
सुबह, भारतीय ऑलराउंडर नितीश कुमार रेड्डी ने एक घटनापूर्ण ओवर में दो विकेट झटके जिससे लंच तक इंग्लैंड का स्कोर दो विकेट पर 83 रन हो गया। उम्मीद के मुताबिक, प्रसिद्ध कृष्णा की जगह भारतीय प्लेइंग इलेवन में एकमात्र बदलाव के तौर पर बुमराह को शामिल किया गया।
बुमराह, आकाशदीप और मोहम्मद सिराज की तिकड़ी ने कुछ सवाल उठाए, लेकिन इंग्लैंड की सलामी जोड़ी बेन डकेट (40 गेंदों पर 23 रन) और जैक क्रॉली (43 गेंदों पर 18 रन) ने पहले घंटे तक टिके रहकर 13 ओवरों में बिना किसी नुकसान के 39 रन बनाए। मैदान की अनोखी ढलान के कारण, भारतीय गेंदबाजों को रन बनाते समय मैदान के उतार-चढ़ाव से अभ्यस्त होने में कुछ समय लगा।
बुमराह ने पवेलियन एंड और नर्सरी एंड, दोनों से गेंदबाजी की, जबकि एजबेस्टन में मैच में 10 विकेट लेने वाले आकाश दीप ने नर्सरी एंड से नई गेंद से गेंदबाजी की। कप्तान शुभमन गिल पहले घंटे के बाद आकाश दीप को वापस ला सकते थे, लेकिन उन्होंने नर्सरी एंड से रेड्डी को गेंद थमा दी, और उन्होंने निराश नहीं किया।
पहला विकेट काफी भाग्यशाली रहा, जब डकेट ने लेग साइड पर एक शॉर्ट गेंद को विकेटकीपर के हाथों में थमा दिया। अगली गेंद पर पोप आउट हो सकते थे, लेकिन गिल गली में एक मुश्किल मौके का फायदा नहीं उठा सके। ओवर की आखिरी गेंद पर क्रॉली का विकेट गिरा। यह एक खूबसूरत गेंद थी जो लेंथ से बाहर सीम करती हुई गेंद पर बाहरी किनारा लेकर कीपर के पास गई।
हालाँकि इस पवित्र मैदान की दर्शक क्षमता 30,000 से थोड़ी ज़्यादा है, लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे पूरा लंदन इस आयोजन स्थल पर उमड़ पड़ा हो, और पास के सेंट जॉन्स वुड ट्यूब स्टेशन से प्रशंसकों का एक विशाल समुद्र उमड़ पड़ा। टेस्ट क्रिकेट को भले ही कुछ देशों में नियमित दर्शकों की कमी का सामना करना पड़ रहा हो, लेकिन इस श्रृंखला में अब तक खचाखच भरे दर्शकों ने इस बात की पुष्टि की है कि इस देश में यह पारंपरिक प्रारूप अभी भी फल-फूल रहा है। इस बड़े मुकाबले के लिए भारत से भी प्रशंसक आए हैं, और बेंगलुरु के एक परिवार ने मैदान के बाहर दलालों से तीन टिकट 1200 पाउंड तक खर्च कर दिए।
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छत्तीसगढ़ के लाल अनिमेष कुजूर ने रचा नया इतिहास, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने दी बधाई

रायपुर। छत्तीसगढ़ के युवा धावक अनिमेष कुजूर ने ग्रीस के एथेंस में आयोजित ड्रोमिया इंटरनेशनल स्प्रिंट मीट में 100 मीटर दौड़ को मात्र 10.18 सेकेंड में पूरा कर भारत के लिए नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड कायम किया है। उनकी इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने सोशल मीडिया हैंडल 'एक्स' पर पोस्ट कर उन्हें बधाई दी।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि हम सभी के लिए यह अत्यंत गर्व और खुशी का क्षण है कि छत्तीसगढ़ के अनिमेष कुजूर ने ग्रीस में आयोजित ड्रोमिया इंटरनेशनल स्प्रिंट मीट में 100 मीटर दौड़ को मात्र 10.18 सेकेंड में पूरा कर नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड कायम किया है। इससे पहले अनिमेष ने दक्षिण कोरिया में हुए एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 200 मीटर दौड़ को 20.32 सेकेंड में पूरा कर एक और राष्ट्रीय रिकॉर्ड अपने नाम किया था। उन्होंने युवा खिलाड़ी अनिमेष को बधाई देते हुए कहा कि आपकी यह ऐतिहासिक उपलब्धि हर युवा को आगे बढ़ने की प्रेरणा देगी। छत्तीसगढ़ को आप पर गर्व है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अनिमेष की यह उपलब्धि युवा शक्ति के आत्मविश्वास और सपनों की उड़ान का प्रतीक है। उनका यह प्रदर्शन न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश के लिए गौरव की बात है। प्रदेश सरकार युवाओं की प्रतिभा को पहचानने और प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
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विंबलडन 2025 : कोर्ट पर गिरे नोवाक जोकोविच

  • कहा- "मेरा शरीर अब पहले जैसा नहीं रहा"
लंदन। विंबलडन-2025 के क्वार्टर फाइनल में नोवाक जोकोविच ने फ्लावियो कोबोली के खिलाफ मुकाबले को अपने नाम किया। जीत हासिल करने से ठीक पहले जोकोविच कोर्ट पर गिर पड़े, जिसने वहां मौजूद फैंस को चिंतित कर दिया।
24 बार के मेजर चैंपियन नोवाक जोकोविच कुछ देर बाद अपने पैरों पर वापस उठे और 6-7(6), 6-2, 7-5, 6-4 से जीत हासिल करते हुए अगले दौर में जगह बनाई। जीत के बाद नोवाक जोकोविच ने पत्रकारों से कहा, "यह बहुत अजीब था। घास पर ऐसा होता है। मेरे करियर में ग्रास-कोर्ट पर ऐसा कई बार हुआ है। स्पष्ट है कि मेरा शरीर अब पहले जैसा नहीं रहा, इसलिए चोट का असर मुझे अगले दिन महसूस होगा। तो देखते हैं। मैं उम्मीद कर रहा हूं कि अगले 24 से 48 घंटे में जो कुछ भी हुआ है, वह ज्यादा गंभीर न हो, ताकि मैं दो दिनों में बिना दर्द के अपना सर्वश्रेष्ठ खेल सकूं।"
अपनी 102वीं विंबलडन जीत के साथ, जोकोविच के इस सीजन का रिकॉर्ड 26-8 हो गया है। वह 25वें मेजर खिताब से दो कदम दूर हैं। अगर 38 वर्षीय जोकोविच इस खिताब को जीत लेते हैं, तो वह ग्रास कोर्ट मेजर में रोजर फेडरर के आठ खिताबों के रिकॉर्ड की बराबरी कर लेंगे।
अगर जोकोविच खिताब जीत लेते हैं, तो टूर्नामेंट के ओपन एरा इतिहास में सबसे उम्रदराज चैंपियन भी बन जाएंगे। इसी के साथ वह रोजर फेडरर के साल 2017 में बनाए गए रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ देंगे, जिन्होंने 35 साल की उम्र में खिताब जीता था।
जोकोविच ने कहा, "मैं 38 वर्षीय खिलाड़ी के रूप में इस बात से बहुत संतुष्ट हूं कि मैं अभी जिस तरह से चल-फिर रहा हूं और खेल रहा हूं, यह मुझे बहुत पसंद है। मेरी टीम में लगभग 10 लोग हैं, जो मेरे ऑन-कोर्ट और ऑफ-कोर्ट करियर, तैयारी और रिकवरी के हर पहलू पर रोजाना काम करते हैं।"
उन्होंने कहा, "कभी-कभी मैं इन रोजमर्रा के कामों से थक जाता हूं, लेकिन प्रदर्शन को बेहतर करने के लिए मुझे करना पड़ता है। कोर्ट से बाहर, जिम में या फिर ट्रीटमेंट टेबल पर कई-कई घंटे बिताने पड़ते हैं, बस इस कोशिश में कि जो कुछ भी मेरे पास है, उसके साथ मैं सर्वश्रेष्ठ दे सकूं।"
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भारत ए पुरुष हॉकी टीम ने आयरलैंड पर 6-0 की जीत के साथ यूरोप दौरे पर अपनी दूसरी जीत दर्ज की

भारत ए पुरुष हॉकी टीम ने मौजूदा यूरोप दौरे के दूसरे मैच में भी अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखते हुए आयरलैंड पर 6-0 की शानदार जीत दर्ज की। उत्तम सिंह ने एक बार फिर भारत ए टीम के लिए पहला गोल किया, उसके बाद कप्तान संजय ने। इसके बाद मिडफील्डर मोहम्मद राहील मौसीन ने लगातार दो प्रभावशाली गोल दागे, जिसके बाद अमनदीप लाकड़ा और वरुण कुमार ने एक-एक गोल दागा, जिससे भारत ए ने आयरलैंड को 6-0 से हराकर देश के लिए अपनी दूसरी जीत दर्ज की।
मैच के तुरंत बाद, कोच शिवेंद्र सिंह ने कहा, "आयरलैंड के खिलाफ हमारे दो मैच वाकई अच्छे रहे हैं, और मैं खिलाड़ियों के प्रदर्शन से खुश हूँ। हम अगली बार फ्रांसीसी टीम से खेलेंगे और उम्मीद है कि हम भी उतना ही प्रभावशाली प्रदर्शन करेंगे।"मंगलवार को, भारत ने हॉकी क्लब ओरांजे-रूड में आयरलैंड पर 6-1 की शानदार जीत के साथ अपने यूरोप दौरे की शुरुआत की। उत्तम सिंह ने टीम के लिए पहला गोल किया और बाद में अमनदीप लाकड़ा ने टीम की बढ़त को और मज़बूत किया। इसके बाद आदित्य लालागे ने लगातार दो गोल दागकर टीम को जीत दिलाई।
फॉरवर्ड सेल्वम कार्ति और बॉबी सिंह धामी ने भी एक-एक गोल दागकर टीम में जगह बनाई। आयरलैंड केवल एक सांत्वना गोल ही कर सका क्योंकि भारत ने अपनी रक्षापंक्ति को मज़बूत बनाए रखा।भारत अगले दो हफ़्तों तक फ़्रांस, इंग्लैंड, बेल्जियम और मेज़बान नीदरलैंड के खिलाफ खेलेगा।ये मैच खिलाड़ियों की गहराई और तैयारी की परीक्षा लेंगे क्योंकि राष्ट्रीय टीम भारतीय सीनियर टीम के लिए एक मज़बूत प्रतिभा पूल तैयार करना चाहती है। इस दौरे के साथ, हॉकी इंडिया का लक्ष्य भारतीय पुरुष राष्ट्रीय टीम के लिए प्रतिभा पूल को मज़बूत करना और भारतीय हॉकी सितारों की अगली पीढ़ी को अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने का मौका देना है।
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श्रीलंका ने बांग्लादेश पर 2-1 से सीरीज़ जीत ली

पल्लेकेले। श्रीलंकाई बल्लेबाज कुशल मेंडिस ने अपना छठा वनडे शतक जड़ा, जिसकी बदौलत मेजबान टीम ने मंगलवार को पल्लेकेले अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में बांग्लादेश पर 99 रनों की आसान जीत दर्ज की। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, इस जीत के साथ, श्रीलंका ने तीन मैचों की वनडे सीरीज़ 2-1 से अपने नाम कर ली।
मेंडिस ने सिर्फ़ 115 गेंदों में 124 रनों की शानदार पारी खेली, जिससे श्रीलंका ने सीरीज़ के निर्णायक मैच में 285/7 का स्कोर बनाया, और यह बांग्लादेश के लिए बहुत ज़्यादा साबित हुआ क्योंकि जवाब में बांग्लादेश 186 रनों पर ढेर हो गया। श्रीलंका ने 2-1 से सीरीज़ जीत ली, जिसमें मेंडिस ने अपना छठा वनडे शतक लगाया और तीनों मैचों में 225 रन बनाकर उन्हें प्लेयर ऑफ़ द सीरीज़ चुना गया।
दाएँ हाथ के इस बल्लेबाज़ के लिए यह एक तरह से आत्म-संतुष्टि का मौका था क्योंकि कोलंबो में सीरीज़ के दूसरे मैच में वह 56 रन पर आउट हो गए थे, जबकि श्रीलंका लक्ष्य का पीछा करते हुए अच्छी स्थिति में था। बांग्लादेश ने 16 रनों से जीत दर्ज करके सीरीज़ बराबर कर ली।
मेंडिस इस जीत में योगदान देकर बेहद खुश थे, खासकर सीरीज़ के दूसरे मैच में मिली हार से उपजी निराशा के बाद। "आज की पारी से बहुत खुश हूँ। कोलंबो में जो हुआ उससे मैं निराश था। मुझे शुरुआत तो मिली थी, लेकिन मैं अंत तक नहीं खेल सका। यहाँ मैं पूरी पारी खेलने के लिए दृढ़ था और बहुत संतुष्ट हूँ," उन्होंने मैच के बाद आईसीसी के हवाले से कहा।
बांग्लादेश के कप्तान मेहदी हसन मिराज, जो पल्लेकेले मुकाबले में 28 रन बनाकर दोहरे अंक तक पहुँचने वाले छह बल्लेबाजों में से एक थे, ने रन चेज़ के दौरान किसी भी सार्थक साझेदारी की कमी पर अफसोस जताया क्योंकि एशियाई टीम जवाब में 40वें ओवर में आउट हो गई।
मेहदी ने कहा, "हम श्रीलंका जैसी साझेदारियाँ नहीं बना पाए। 100 रन पर तीन विकेट गंवाने के बाद उन्होंने एक बड़ी साझेदारी की। बीच के ओवरों में साझेदारियाँ अहम होती हैं। हमने कुछ 40 रन बनाए, लेकिन वनडे क्रिकेट में ऐसी साझेदारियों के बिना जीतना मुश्किल है।" अब दोनों टीमें तीन मैचों की टी20 सीरीज़ में आमने-सामने होंगी, जिसका पहला मैच गुरुवार को पल्लेकेले में खेला जाएगा। (एएनआई)
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भारत ए ने आयरलैंड पर 6-1 की शानदार जीत के साथ यूरोप दौरे की शुरुआत की

आइंडहोवन। भारत ए पुरुष हॉकी टीम ने नीदरलैंड के आइंडहोवन स्थित हॉकी क्लब ओरांजे-रूड में आयरलैंड पर 6-1 की शानदार जीत के साथ अपने यूरोप दौरे की शुरुआत की। भारत ने चारों क्वार्टरों में शानदार प्रदर्शन किया और कोई भी गलती नहीं की। उत्तम सिंह ने टीम के लिए पहला गोल किया और बाद में अमनदीप लाकड़ा ने टीम की बढ़त को और मजबूत किया। इसके बाद आदित्य लालागे ने लगातार दो गोल दागकर शानदार प्रदर्शन किया। फॉरवर्ड सेल्वम कार्ति और बॉबी सिंह धामी ने भी एक-एक गोल दागकर स्कोरशीट में जगह बनाई। आयरलैंड केवल एक सांत्वना गोल ही कर सका क्योंकि भारत ने अपने डिफेंस को कड़ा बनाए रखा।
भारत का अगला मुकाबला 9 जुलाई, 21:30 IST को आयरलैंड से होगा, जहाँ वे एक और सकारात्मक परिणाम की उम्मीद करेंगे और यूरोप दौरे में अपनी लय को बनाए रखेंगे। इसके बाद, वे अगले दो हफ़्तों में फ़्रांस, इंग्लैंड, बेल्जियम और मेज़बान नीदरलैंड के खिलाफ खेलेंगे।
भारत ए टीम आयरलैंड, फ़्रांस और नीदरलैंड के खिलाफ दो-दो मैच और इंग्लैंड और बेल्जियम के खिलाफ एक-एक मैच खेलेगी। इन कड़े मुकाबलों से भारत के प्रतिभा पूल की गहराई और तैयारी की परीक्षा होने की उम्मीद है क्योंकि राष्ट्रीय टीम सीनियर टीम के लिए एक मज़बूत टीम बनाने की कोशिश कर रही है।
हॉकी इंडिया द्वारा आयोजित यूरोप दौरे में कुछ शीर्ष यूरोपीय टीमों के खिलाफ कुल आठ मैच होंगे और इसका उद्देश्य उभरते और अनुभवी खिलाड़ियों के मिश्रण को मूल्यवान अंतरराष्ट्रीय अनुभव प्रदान करना है। इस टीम में युवा और अनुभवी खिलाड़ियों का अच्छा मिश्रण है और इसका नेतृत्व संजय कर रहे हैं, जिनका मानना ​​है कि यूरोप दौरा टीम के लिए एक शानदार विचार है। (एएनआई)
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india-Pakistan मैच जैसा माहौल होता है सेंटर कोर्ट पर : विराट कोहली

हैदराबाद पूर्व भारतीय कप्तान और दिग्गज क्रिकेटर विराट कोहली ने कहा कि वह पिछले कुछ समय से टेनिस के दिग्गज नोवाक जोकोविच के संपर्क में हैं। कोहली ने कहा, "हमने एक-दूसरे को संदेश भेजे हैं और वह बहुत दयालु और विनम्र रहे हैं। मैं नोवाक जोकोविच और कार्लोस अल्काराज़ को फाइनल में देखना पसंद करूँगा और मुझे उम्मीद है कि नोवाक यह मैच जीतेंगे। उनके करियर के इस पड़ाव पर यह एक बड़ी उपलब्धि होगी।"
कोहली स्टार स्पोर्ट्स और जियोसिनेमा के विंबलडन 2025 विशेषज्ञ विजय अमृतराज के साथ विशेष बातचीत कर रहे थे, जो 7 जुलाई को जोकोविच और एलेक्स डी मिनौर के बीच मुकाबले को देखने के लिए अनुष्का शर्मा के साथ मौजूद थे। कोहली ने विंबलडन में अपने अनुभव भी साझा किए और जोकोविच के प्रति अपनी प्रशंसा व्यक्त की। उन्होंने आगे कहा, "वह निश्चित रूप से सर्वकालिक महानतम खिलाड़ियों में से एक माने जाएँगे- अगर महानतम नहीं भी तो जिनके नाम सबसे ज़्यादा ग्रैंड स्लैम खिताब हैं। उन्होंने जो कड़ी मेहनत की है, उसके लिए वह वाकई इसके हक़दार हैं। मुझे उम्मीद है कि वह फ़ाइनल में कार्लोस से खेलेंगे और जीतेंगे।"
विंबलडन में अपने पहले अनुभव के बारे में बात करते हुए, कोहली ने कहा कि वापस आना बहुत अच्छा रहा।
"अनुष्का और मैं 2015 में आए थे - वह अद्भुत सेंटर कोर्ट पर हमारा पहला अनुभव था। विंबलडन की असली ख़ासियत का अनुभव करना ही बहुत ख़ास है। हमने हमेशा वापस आने की योजना बनाई थी, लेकिन कई कारणों से हम ऐसा नहीं कर पाए। अब हमारे पास थोड़ा समय है, और हम फिर से यहाँ हैं," कोहली ने बताया।
सेंटर कोर्ट की तुलना लॉर्ड्स से करते हुए, कोहली ने कहा कि क्रिकेट स्टेडियमों में भी दबाव होता है, लेकिन सेंटर कोर्ट ज़्यादा दबाव वाला लगा।
कोहली ने कहा, "दुनिया भर में क्रिकेट खेलने के लिए शानदार स्टेडियम हैं, और बहुत सारे लोग मैच देख रहे होते हैं, इसलिए हमेशा काफ़ी दबाव रहता है। लेकिन मैं कहूँगा कि खिलाड़ियों और दर्शकों के बीच की दूरी के कारण यह सेंटर कोर्ट जितना डरावना नहीं होता। जब हम बल्लेबाज़ी कर रहे होते हैं, तो दर्शक बहुत दूर होते हैं, इसलिए आप अपनी जगह पर खो सकते हैं और अपना मनचाहा खेल खेल सकते हैं। आपको सीधे अपने कानों में टिप्पणियाँ, जयकार या हूटिंग सुनाई नहीं देती।"
उन्होंने आगे कहा, "सिर्फ़ तभी जब आप बाउंड्री पर फ़ील्डिंग कर रहे हों, तब आप उन्हें सुन सकते हैं, लेकिन तब भी, उस समय अपने व्यक्तिगत कौशल से सफल होने या असफल होने का कोई दबाव नहीं होता। लेकिन टेनिस में, सब कुछ दांव पर होता है- एक अंक खेल बदल सकता है।"
कोहली ने कहा, "इन खिलाड़ियों को, ख़ासकर सेंटर कोर्ट पर, जो दबाव महसूस होता होगा, वह बहुत ज़्यादा होता है। मैं टेनिस खिलाड़ियों का बहुत सम्मान करता हूँ क्योंकि वे संयम, फ़िटनेस और मानसिक मज़बूती बनाए रख पाते हैं। यहाँ दबाव और डर का माहौल एक अलग ही स्तर पर होता है।"
उन्होंने आगे कहा, "क्रिकेट में इसका एकमात्र समकक्ष विश्व कप का कोई बेहद तनावपूर्ण मैच होगा—जैसे भारत-पाकिस्तान मुकाबला, सेमीफ़ाइनल या फ़ाइनल—जहाँ आपके पैर सचमुच दबाव से काँप रहे हों। लेकिन ये खिलाड़ी क्वार्टर फ़ाइनल से लेकर फ़ाइनल तक उस स्तर की तीव्रता का सामना करते हैं, जिसे संभालना बहुत मुश्किल होता है।"
ख़तरनाक क्षणों में मानसिकता पर बोलते हुए, कोहली ने कहा कि हर खेल की अपनी चुनौतियाँ होती हैं।
कोहली ने कहा, "क्रिकेट में, सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है इंतज़ार करना। आप सुबह वार्म-अप करते हैं, फिर चेंजिंग रूम में बैठते हैं, यह नहीं जानते कि आप कब बल्लेबाज़ी करेंगे—बस इंतज़ार करते हैं, अनुमान लगाते हैं, खेल को समझते हैं। टेनिस में, स्थिति अलग होती है। आपको ठीक-ठीक पता होता है कि आप किस स्थिति में जा रहे हैं, और आपको पहले मिनट से ही खेल की गति पर नियंत्रण रखना होता है।"
उन्होंने कहा, "क्रिकेट इस लिहाज से अलग है—खासकर बल्लेबाज़ के लिए—क्योंकि आपको सिर्फ़ एक ही मौका मिलता है। एक गलती और दिन भर के लिए आपका खेल खत्म। बाकी समय आप मैदान के किनारे तालियाँ बजाते हुए बिताते हैं। टेनिस में, आप दो सेट हारकर भी वापसी कर सकते हैं—और हमने कई चैंपियन खिलाड़ियों को पिछले कुछ सालों में ऐसा करते देखा है।"
कोहली ने निष्कर्ष निकाला, "हालांकि दोनों खेल कठिन हैं, लेकिन मैं कहूँगा कि तीव्रता के मामले में यह (टेनिस) कहीं ज़्यादा चुनौतीपूर्ण है। अगर मैं दर्शकों के इतने पास कोर्ट पर होता, तो मुझे यह बहुत ज़्यादा डराने वाला लगता।"
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नेशनल फुटबॉल खिलाड़ी किरण पिस्दा का जिला प्रशासन बालोद ने किया सम्मानित

  • शॉल और प्रतीक चिन्ह भेंट कर दी शुभकामनाएं
रायपुर। बालोद जिले की होनहार नेशनल फुटबॉल खिलाड़ी सुश्री किरण पिस्दा ने अपनी खेल प्रतिभा से न केवल जिले बल्कि पूरे प्रदेश और देश का नाम रोशन किया है। उनकी इस उपलब्धि पर जिला प्रशासन बालोद ने मंगलवार को संयुक्त जिला कार्यालय के सभाकक्ष में उनका गरिमामय सम्मान समारोह आयोजित कर उन्हें सम्मानित किया।
भारतीय महिला फुटबॉल टीम ने हाल ही में एएफसी एशियन कप के लिए क्वालिफाई किया है, जिसमें बालोद जिले की किरण पिस्दा का चयन होना पूरे प्रदेश के लिए गौरव की बात है। जिला प्रशासन ने किरण को शॉल और प्रतीक चिन्ह भेंट कर उन्हें बधाई एवं उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर अपर कलेक्टर श्री चंद्रकांत कौशिक, डिप्टी कलेक्टर श्रीमती प्राची ठाकुर सहित परिवार व जिले के लोगों ने किरण की इस सफलता पर हर्ष व्यक्त करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।
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श्रीलंका बनाम बांग्लादेश : पल्लेकेले में खेला जाएगा निर्णायक मैच

  • बारिश डाल सकती है खलल
नई दिल्ली। श्रीलंका और बांग्लादेश के बीच पल्लेकेले में मंगलवार को तीसरा वनडे मैच खेला जाना है। श्रीलंका ने सीरीज का पहला मैच 77 रन से अपने नाम किया था, जबकि अगला मुकाबला बांग्लादेश ने 16 रन से जीता। ऐसे में यह मैच निर्णायक है। यहां मंगलवार को बारिश की आशंका जताई गई है।
पल्लेकेले इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम एक हाई-स्कोरिंग ग्राउंड है, लेकिन यहां की पिच तेज गेंदबाजों को भी मदद करती है। हालांकि, लगातार बारिश ने यहां मुकाबलों को प्रभावित किया है। तीसरे वनडे मैच के दौरान यहां बारिश का पूर्वानुमान है। बारिश के चलते यहां पिछले पांच वनडे मुकाबलों के ओवरों में कटौती करनी पड़ी है, जबकि पिछला वनडे मैच रद्द करना पड़ा था।
श्रीलंका अपनी गेंदबाजी और निचले क्रम की बल्लेबाजी को मजबूत करने के लिए मिलान रतनायके को प्लेइंग इलेवन में वापस ला सकता है। वहीं, बांग्लादेशी टीम में हसन महमूद की जगह तस्कीन अहमद ले सकते हैं।
बांग्लादेश और श्रीलंका के बीच साल 1986 से अब तक कुल 59 वनडे मैच खेले गए हैं, जिसमें 44 मुकाबले श्रीलंका ने जीते, जबकि 13 में उसे हार का सामना करना पड़ा। इनके अलावा दो मुकाबले बेनतीजा रहे।
पिछले 10 मुकाबलों को देखा जाए, तो पांच मैच श्रीलंका के नाम रहे, जबकि इतने ही मुकाबले बांग्लादेश ने भी जीते हैं। वनडे सीरीज से पहले दोनों देशों के बीच दो मुकाबलों की टेस्ट सीरीज खेली गई थी, जिसे श्रीलंका ने 1-0 से अपने नाम किया। वनडे सीरीज के बाद दोनों देश तीन मुकाबलों की टी20 सीरीज भी खेलेंगे।
श्रीलंका की टीम: निशान मदुष्का, पथुम निसांका, कुसल मेंडिस (विकेटकीपर), कामिंदु मेंडिस, चरिथ असलांका (कप्तान), जेनिथ लियानाज, डुनिथ वेलालागे, वानिंदु हसरंगा, महेश दीक्षाना, दुष्मंथा चमीरा, असिथा फर्नांडो, सदीरा समरविक्रमा, जेफ्री वेंडरसे, अविष्का फर्नांडो, दिलशान मदुशंका, मिलान रतनायके, ईशान मलिंगा।
बांग्लादेश की टीम: परवेज हुसैन एमोन, तंजीद हसन तमीम, नजमुल हुसैन शांतो, तौहीद हृदोय, मेहदी हसन मिराज (कप्तान), शमीम हुसैन, जेकर अली (विकेटकीपर), तनजीम हसन साकिब, हसन महमूद, तनवीर इस्लाम, मुस्तफिजुर रहमान, लिटन दास, तस्कीन अहमद, मोहम्मद नईम, रिशद हुसैन, नाहिद राणा।
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भारत बनाम इंग्लैंड : तीन बल्लेबाज जो इस सीरीज में बना चुके हैं 300 प्लस रन

नई दिल्ली। भारत और इंग्लैंड के बीच पांच मुकाबलों की टेस्ट सीरीज खेली जा रही है, जिसके शुरुआती दो मुकाबलों ने फैंस का जमकर मनोरंजन किया है। इस दौरान रनों की बरसात देखने को मिली है। आइए, उन तीन खिलाड़ियों के बारे में जानते हैं, जो इस सीरीज में 300 से ज्यादा रन जोड़ चुके हैं।
शुभमन गिल (585 रन): गिल ने चार पारियों में अब तक 146.25 की औसत के साथ कुल 585 रन बनाए हैं। इस दौरान गिल के बल्ले से 12 छक्के और 63 चौके निकले हैं। गिल ने लीड्स में खेले गए टेस्ट की पहली पारी में 147 रन बनाए थे। अगली इनिंग में उनके बल्ले से महज आठ रन निकले।
इसके बाद एजबेस्टन टेस्ट में गिल ने 269 रन जड़े। अगली पारी में उन्होंने 161 रन बना दिए। इसी मैच में उन्होंने बतौर कप्तान भारत को एजबेस्टन में पहली जीत दिलाई। जेमी स्मिथ (356 रन): इंग्लैंड के इस विकेटकीपर-बल्लेबाज ने सीरीज के शुरुआती दो मुकाबलों में 356 रन बना लिए हैं। इस दौरान उनका औसत 178 रहा। स्मिथ सीरीज में 11 छक्के और 39 चौके जड़ चुके हैं।
जेमी ने लीड्स टेस्ट की पहली पारी में 40 रन बनाए। इसके बाद अगली पारी में वह 44 रन बनाकर नाबाद रहे। दूसरे टेस्ट में उन्होंने शानदार बल्लेबाजी की। स्मिथ ने पहली पारी में नाबाद 184 रन जड़ते हुए हैरी ब्रूक (158) के साथ छठे विकेट के लिए 303 रन जोड़े। दोनों बल्लेबाजों ने टीम को उस वक्त संभाला, जब इंग्लैंड 84 रन तक अपने पांच विकेट गंवा चुकी थी। अगली पारी में स्मिथ ने 88 रन जड़े, लेकिन टीम को हार से नहीं बचा सके।
ऋषभ पंत (342 रन): भारत के इस विकेटकीपर-बल्लेबाज ने चार पारियों में 85.50 की औसत के साथ 342 रन बना लिए हैं, जिसमें 13 छक्के और 36 चौके शामिल हैं। पंत ने लीड्स टेस्ट की दोनों पारियों में शतक लगाए। उन्होंने पहली पारी में 134, जबकि दूसरी पारी में 118 रन जड़े। पंत इंग्लैंड में टेस्ट की दोनों पारियों में शतक जड़ने वाले पहले भारतीय भी बन गए। इसके बाद एजबेस्टन टेस्ट की पहली पारी में पंत महज 25 रन पर आउट हो गए थे, जिसके बाद अगली पारी में उन्होंने अर्धशतक लगाते हुए 65 रन बनाए।
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