दुनिया-जगत

पाकिस्तान दिवस सैन्य परेड खराब मौसम के कारण स्थगित कर दिया

इस्लामाबाद। जैसा कि देश ने गुरुवार को पाकिस्तान दिवस मनाया, आज आयोजित होने वाली ऐवान-ए-सद्र में सशस्त्र बलों की पाकिस्तान दिवस सैन्य परेड खराब मौसम के कारण शनिवार 25 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई है. दुनिया न्यूज ने बताया।
दुनिया न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार को होने वाली पाकिस्तान डे परेड को मौसम की स्थिति के कारण स्थगित कर दिया गया था।
दुनिया न्यूज ने बताया कि इससे पहले, पाकिस्तानी सेना ने सीमित पैमाने पर पाकिस्तान दिवस पर सशस्त्र बलों की वार्षिक परेड आयोजित करने का फैसला किया था, जो सरकार के मितव्ययिता अभियान में शामिल थी, जिसका उद्देश्य आर्थिक संकट को दूर करना था।
सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति भवन में होने वाली परेड अब 25 मार्च को होगी।
सैन्य परेड प्रत्येक वर्ष 23 मार्च को मनाया जाता है। यह आयोजन 1940 के लाहौर संकल्प को मनाने के लिए उत्सव के केंद्र में है, जिसमें ब्रिटिश शासित भारत के मुसलमानों के लिए एक स्वतंत्र देश की स्थापना का आह्वान किया गया था।
पाकिस्तान सैन्य दिवस मनाने के लिए हर साल हजारों पाकिस्तानी इस्लामाबाद के शकरपेरियन मैदान में इकट्ठा होते हैं।
पाकिस्तान बड़े पैमाने पर आर्थिक संकट से जूझ रहा है, रुपये में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की जा रही है, विदेशी मुद्रा भंडार कम हो रहा है और दशकों से उच्च मुद्रास्फीति है। वित्तीय संकट को देखते हुए, प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने इस साल फरवरी में व्यय को कम करने के लिए संघीय सरकार के स्तर पर बड़े पैमाने पर मितव्ययिता अभियान की शुरुआत की, जबकि सालाना 200 अरब पाकिस्तानी रुपये बचाने की महत्वाकांक्षी योजना पर नजर रखी।
अल्लामा मुहम्मद इकबाल के मकबरे पर गार्ड ऑफ चेंज और माल्यार्पण समारोह आयोजित किया गया। एयर वाइस मार्शल सैयद इमरान माजिद अली, एयर ऑफिसर कमांडिंग, पीएएफ एयरमैन अकादमी, कोरंगी क्रीक मुख्य अतिथि थे। (एएनआई)
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अमेरिकी राष्ट्रपति ने दुनियाभर के मुसलमानों को दी रमजान की मुबारकबाद

वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस्लाम के पाक महीने रमजान की शुरुआत पर दुनियाभर के मुसलमानों को शुभकामनाएं दीं।
इस्लामी कैलेंडर के नौंवे महीने रमजान के दौरान, मुसलमान सुबह से शाम तक रोज़ा रखते हैं और सांसारिक सुखों से दूर रहते हैं।
राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रथम महिला जिल बाइडन ने बुधवार को एक बयान में कहा, ‘‘ हमारे साथी अमेरिकियों और दुनियाभर के मुसलमानों को रमदान करीम की शुभकामनाएं। हम आपके लिए सुखद व शांतिपूर्ण रमजान की कामना करते हैं।’’
बयान के अनुसार, अमेरिका इस पवित्र समय के दौरान परेशानियों में घिरे पीड़ित मुस्लिम समुदायों के लिए अपने समर्थन की पुष्टि करता है।
दंपति ने कहा, ‘‘ हम तुर्किये तथा सीरिया के लोगों (जहां भीषण भूकंप से भारी नुकसान हुआ है) और पाकिस्तान (जहां पिछले साल गर्मी में आई बाढ़ में भारी तबाही मची थी) के साथ खड़े रहेंगे।’’
बयान में कहा गया, ‘‘अमेरिका उन मुसलमानों के साथ एकजुटता से खड़ा है जो लगातार उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं जिनमें पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना में उइगर, बर्मा में रोहिंग्या और दुनिया भर में उत्पीड़न का सामना कर रहे अन्य मुस्लिम समुदाय शामिल हैं।’’
दंपति ने कहा, ‘‘ आज सभी संस्कृतियों व धर्म के लोग एकसाथ आएं और अधिक समान, अधिक न्यायपूर्ण, अधिक सहिष्णु तथा अधिक दयालु राष्ट्र बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराएं।’’
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क्रीमिया में ट्रेन से ले जा रहे रूसी क्रूज मिसाइलों को यूक्रेन ने किया नष्ट

कीव। यूक्रेन की सेना के खुफिया विभाग ने क्रीमिया में ट्रेन के जरिए ले जाई जा रही रूसी क्रूज मिसाइलों को नष्ट करने का दावा किया है। रूस द्वारा नियुक्त क्रीमिया के गवर्नर ने प्रायद्वीप के उत्तरी शहर जांकोई में एक घटना होने की पुष्टि की है। हालांकि, गवर्नर ने क्रूज मिसाइलों को निशाना बनाकर हमला किए जाने का उल्लेख नहीं किया है। इस संबंध में किसी भी खबर की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की जा सकी है। यूक्रेन की सेना की खुफिया एजेंसी ने अपनी वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एक अस्पष्ट बयान में कहा है कि एक विस्फोट से कई क्रूज मिसाइलें नष्ट हो गईं।
बयान में यूक्रेन को स्पष्ट रूप से इस हमले के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है। सेना की खुफिया एजेंसी ने कहा कि मिसाइलों को ट्रेन के जरिए ले जाया जा रहा था और इन्हें पनडुब्बी के जरिए प्रक्षेपित किया जाना था। रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप पर 2014 में कथित तौर पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया था। इस घटना की दुनिया के कई देशों ने निंदा की थी। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने क्रीमिया सहित रूस द्वारा कब्जा किए गए यूक्रेन के पूरे क्षेत्र पर फिर से अधिकार करने का संकल्प लिया है।
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बांग्लादेश ने शुरु किया आधुनिक सुविधाओं से युक्त सबमरीन

ढाका। बांग्लादेश बंदरगाह पर पनडुब्बियों और युद्धपोतों को सुरक्षित जेटी फैसिलिटी प्रदान करने के लिए आधुनिक सुविधाओं से युक्त सबमरीन बेस को शुरू किया है। चीन की मदद से बने सबमरीन बेस को कॉक्स बाजारा के पेकुआ में स्थापित किया गया है। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने निवास गणभवन से बीएनएस शेख हसीना नाम के सबमरीन बेस का उद्घाटन किया। 1.21 अरब डॉलर की लागत से बने इस बेस में एक बार में कुछ छह पनडुब्बी और आठ युद्धपोतों को तैनात किया जा सकता है। बंगाल की खाड़ी पर बना यह बेस आपातकाल में पनडुब्बियों की सुरक्षित और तेज आवाजाही में भी मदद करेगा। हालांकि, भारत के लिए सबमरीन बेस को खतरे के तौर पर देखा जा रहा है।
प्रधानमंत्री हसीना ने 3 मार्च 2017 को बीएनएस शेख हसीना नाम के इस सबमरीन बेस की आधारशिला रखी थी। यह बांग्लादेश की अब तक की सबसे उल्लेखनीय नौसैनिक कूटनीति उपलब्धियों में से एक है। 2009 में सत्ता में आने के बाद से ही शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने पिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की तैयार की गई रक्षा नीति के अनुसार फोर्सेज गोल 2030 को लागू करना शुरू कर दिया है। इस बेस की आधारशिला रखते हुए हसीना ने कहा था कि नौसेना को एक आधुनिक और ताकतवर फोर्स में बदलने के लिए सरकार ढांचागत विकास और युद्धपोतों को शामिल करने जैसे काम को जारी रखे हुए है।
2016 में शी जिनपिंग बांग्लादेश का दौरा करने वाले 30 वर्षों में पहले चीनी राष्ट्रपति बने। बांग्लादेश की भारत के साथ अधिक निकटता के कारण चीन ने पहले इस देश को उपेक्षित छोड़ा हुआ था। क्षेत्रीय विशेषज्ञों के अनुसार, शी जिनपिंग की यात्रा के बाद बांग्लादेश ने चीन से दो पनडुब्बियां खरीदी। इसके बाद चीन ने बांग्लादेश के लिए पनडुब्बी बेस बनाने का वादा किया था, जो बाद में भारत के लिए चिंता का विषय बन गया। हाल के वर्षों में बांग्लादेश ने अपनी रक्षा क्षमताओं का विस्तार किया है। पड़ोसी म्यांमार के करीब एक नया एयरबेस बनाया है। देश भर में कई नई सैन्य छावनियां खोली हैं और अपने नौसैनिक बेड़े में नए फ्रिगेट जोड़े हैं।
एक अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने पड़ोसी म्यांमार और भारत के साथ बांग्लादेश के लंबे समय से चले आ रहे समुद्री सीमा विवादों का निपटारा कर दिया है। इसके बाद बांगलादेश के लिए बंगाल की खाड़ी में तेल की खोज के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों से बोली मंगाने का रास्ता खुल गया है।
चीन की मदद से बना बांग्लादेश का सबमरीन बेस भारत के लिए ज्यादा खतरा नहीं पैदा करेगा। बांग्लादेश भारत का मित्र देश है। बांग्लादेश की नौसैनिक ताकत भारत के मुकाबले काफी कम है। हालांकि, इनके चीन कनेक्शन से भारत के लिए मुश्किलें जरूर खड़ी हो सकती हैं। इस बेस के जरिए चीन भारतीय नौसेना की जासूसी कर सकता है। चीन की कोशिश किसी न किसी तरह बंगाल की खाड़ी में अपनी मौजूदगी को बनाए रखना है। इसके बाद वह भारत के ऊपर दबाव डालने की रणनीति अपना सकता है।
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राष्ट्रपति शी जिनपिंग और राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात

आखिर क्यों रूस से नजदीकियां बढ़ा रहा चीन, जानिए
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग रूस के तीन दिवसीय दौरे पर थे। यह यात्रा 20 मार्च को शुरू हुई थी। शी जिनपिंग की अगवानी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने की। शी जिनपिंग की यात्रा को लेकर वर्ल्ड पॉलिटिक्स में कई तर्क दिए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस यात्रा से ड्रैगन ने पश्चिमी देशों को संदेश दिया है कि वे विश्व पटल पर यूक्रेन के पीछे खड़ा है। इस स्टोरी में हम आपको बताएंगे कि शी जिनपिंग और पुतिन के बीच मुलाकात के क्या मायने है। इस यात्रा से चीन क्या हासिल करना चाहता है। आइए जानते हैं-
चीन-रूस मैत्री
रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के करीब एक साल बाद शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन मास्को में मिले। रूस और चीन औपचारिक तौर पर दोस्त नहीं है। यानी हथियारों और आपूर्ति के मामले में एक-दूसरे के प्रति प्रतिबद्ध नहीं हैं। हालांकि दोनों देशों के बीच पिछले कुछ सालों में निकटता आई है। एक तरफ यूक्रेन पर हमले के बाद कई देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। दूसरी तरफ चीन और रूस के बीच ये नजदीकियां बढ़ी हैं।
मध्य एशिया पर प्रभुत्व की होड़
रूस और चीन के बीच शुरुआत से ही मधुर संबंध नहीं रहे हैं। 1960 के दशक में दोनों देश एक-दूसरे के दुश्मन थे। 1969 में रूस-चीन के बीच सीमा विवाद के कारण परमाणु युद्ध की स्थिति बन गई थी। मध्य एशिया लंबे समय से रूस के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है। हालांकि यह क्षेत्र बाद में भू-राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से चीन के लिए महत्वपूर्ण हो गया। इस कारण दोनों देशों के बीच मध्य एशिया पर हावी होने की होड़ लगी रहती है। कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान जो कभी सोवियत संघ का हिस्सा थे। सुरक्षा के लिए रूस पर निर्भर हैं। वहीं, चीन इन देशों में रेलवे, हाइवे और पाइपलाइन बना रहा है। इस तरह ये दोनों देश मध्य एशिया पर प्रभुत्व के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
जिनपिंग और पुतिन के बीच संबंध
यूक्रेन हमले के बाद शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन ने कई बार अपनी मित्रता का इजहार किया है। दोनों ने कई बार कहा है कि हमारी दोस्ती की कोई सीमा नहीं है। जिनपिंग कह चुके हैं कि पुतिन मेरे सबसे अच्छे दोस्त हैं। 2018 में दोनों रूस में इकोनॉमिक फोरम के दौरान साथ में चाय पीते हुए नजर आए थे। 2019 में चीन राष्ट्रपति के जन्मदिन पर पुतिन ने उन्हें एक विशेष केक और आइसक्रीम का एक डिब्बा गिफ्ट में दिया था। दोनों ने यह संदेश देने की कोशिश की कि इन उपहारों और एक-दूसरे को दिखाए गए स्नेह के कारण हमारी दोस्ती बढ़ रही है।
रूस और चीन के बीच आर्थिक संबंध कैसे हैं?
2014 में रूस ने क्रीमिया पर अधिकार कर लिया था। तब यूएस राष्ट्रपति बराब ओबामा ने रूस पर कई बैन लगाए थे। चीन ने इन प्रतिबंधों के दौरान रूस की सहायता की थी। पिछले साल रूस ने यूक्रेन पर अटैक किया था। उसके बाद कई पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए। इस दौरान चीन ने उन वस्तुओं की आपूर्ति की जो रूस पश्चिमी देशों से खरीदता था। चीन ने रूस को स्मार्टफोन, कंप्यूटर चिप्स और सेना के लिए इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं के लिए कच्चे माल की आपूर्ति की। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद चीन और रूस के बीच व्यापार बढ़ा है।
व्यादिमीर पुतिन को चीन से क्या उम्मीद है?
यूक्रेन के साथ युद्ध ने रूस की अर्थव्यवस्था को बदतर कर दिया है। पुतिन का मुख्य उद्देश्य चीन-रूस मित्रता के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है। रूस के लिए चीन बढ़ते निवेश और बिजनेस के लिए सही विकल्प है। पश्चिम देशों ने रूस से तेल और प्राकृतिक गैस की खरीद पर प्रतिबंध लगा दिया है। चीन ने इस गिरावट के दौरान ऊर्जा खरीदकर एक तरह से रूस की मदद की। अमेरिका का कहना है कि चीन ने रूस को युद्ध सामग्री और हथियार दिए थे। हालांकि चीन ने इस दावे को खारिज कर दिया।
रूस-यूक्रेन युद्ध में चीन की क्या भूमिका है?
रूस-यूक्रेन युद्ध में चीन ने तटस्थता दिखाने की कोशिश की है। चीन ने रूस की स्थिति का समर्थन किया है। इस युद्ध के लिए अमेरिका और नाटो देशों को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं, चीन चाहता है कि रूस पश्चिम देशों के साथ-साथ यूएस का मुकाबला करने के लिए समर्थन करे। चाइना का रुख है कि अमेरिका उनके बढ़ते दबदबे का विरोध करता है। शी जिनपिंग ने अमेरिका के कथित प्रयासों के खिलाफ कई बार कड़ा रुख अपनाया है। इस बीच रूस और चीन के राष्ट्रपतियों की मुलाकात से सबसा ध्यान खींचा है। इस मुलाकात से विश्व राजनीति में क्या बदलाब आएगा, यह देखना अहम होगा।
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अफगानिस्तान : घोर प्रांत में ग्रेनेड विस्फोट, एक महिला और पांच बच्चों की मौत

काबुल स्थित खामा प्रेस ने सोमवार को अफगानिस्तान के मध्य घोर प्रांत में एक ग्रेनेड विस्फोट के परिणामस्वरूप एक मां और पांच बच्चों सहित कुल छह लोगों की जान गंवा दी। विस्फोट 19 मार्च को घोर प्रांत की राजधानी फिरोजकोह के पास स्थित घोरकंद गांव में स्थित एक आवासीय घर के अंदर हुआ था।
सूबे के सूचना और संस्कृति निदेशक अब्दुलहई ज़ीम के अनुसार, जिन्होंने पत्रकारों से बात की, त्रासदी तब सामने आई जब बच्चे अपने घर के अंदर हथगोले से खेल रहे थे। अफ़ग़ानिस्तान में, युद्ध के दशकों से बची हुई बिना विस्फोट वाली सैन्य आपूर्ति के परिणामस्वरूप अक्सर हताहत होते हैं, विशेषकर बच्चों में।
मोर्टार शेल ने ली दो बच्चों की जान
लोगर प्रांत में 17 मार्च को एक दुखद घटना देखी गई, जिसमें दो बच्चों की जान चली गई और दो अन्य एक अस्पष्ट मोर्टार शेल की चपेट में आने से घायल हो गए।
कई दशकों के युद्ध के परिणामों से अफगानिस्तान के लोग, विशेषकर महिलाएं और बच्चे अत्यधिक प्रभावित हुए हैं। युद्ध और राजनीतिक अस्थिरता के वर्षों के दौरान अपने प्रियजनों को खोने और भयानक परिस्थितियों को सहन करने के अलावा, वे इसके बाद के बोझ को भी झेल रहे हैं।
बारूदी सुरंगों, मोर्टार के गोले और अन्य सैन्य उपकरणों के घातक खतरों के बारे में माताओं और बच्चों को शिक्षित करने के लिए पर्याप्त उपायों की अनुपस्थिति अफगानिस्तान में आबादी को ऐसी घटनाओं के लिए अतिसंवेदनशील बना देती है।
अफगानिस्तान में महिलाओं और बच्चों की स्थिति चिंताजनक है
तालिबान 2.0 के अधिग्रहण के बाद अफगानिस्तान में महिलाओं और बच्चों की स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि उनके अधिकारों और स्वतंत्रता के उल्लंघन की खबरें हैं। तालिबान का 1990 के दशक में अपने पिछले शासन के दौरान महिलाओं के अधिकारों को दबाने का इतिहास रहा है।
जबरन विवाह, लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध और सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी पर प्रतिबंध की खबरें आई हैं। कई परिवार अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं, महिलाओं और बच्चों को अक्सर मौजूदा स्थिति के कारण होने वाली आर्थिक तंगी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
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तानाशाह के देश से बड़ी खबर : उत्तर कोरिया की प्रमुख वेबसाइटें बंद

सियोल। उत्तर कोरिया की कुछ प्रमुख वेबसाइटें, जिनमें देश के राज्य मीडिया आउटलेट और विदेश मंत्रालय शामिल हैं, मंगलवार को किसी कारण से बंद हो गईं। योनहाप समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, सुबह 9 बजे तक ये वेबसाइटें बंद रहीं। समस्या के कारण का पता नहीं चल सका है।
जनवरी 2022 में में उत्तर की प्रमुख वेबसाइटों को इसी तरह की समस्या का सामना करना पड़ा था। उस समय लगभग छह घंटे के लिए इंटरनेट बंद हो गया था।  (आईएएनएस)
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कोलंबिया में हेलीकॉप्टर दुर्घटना, हादसे में चार सैनिकों की मौत

बोगोटा। कोलंबिया में एक सैन्य हेलीकॉप्टर चोको विभाग की राजधानी क्विब्डो में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसके कारण चार सैनिकों की मौत हो गई। कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने रविवार को यह जानकारी दी। पेट्रो ने पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया पर कहा, क्विब्डो में विमान दुर्घटना में कोई भी जीवित नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि जब हादसा हुआ तब हेलीकॉप्टर आपूर्ति कर रहा था। वहीं, चोको विभाग की गवर्नर फरलिन पेरिया ने कहा कि दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है।
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इमरान खान के खिलाफ बढ़ रहे कानूनी मामले

इस्लामाबाद। तोशखाना मामले में इस्लामाबाद न्यायिक परिसर में सुनवाई के दौरान इमरान खान के समर्थकों द्वारा की गई हिंसा के बाद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
इमरान खान के खिलाफ दायर मामलों की कुल संख्या 80 हो गई है।
विवरण के अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री और उनकी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के सदस्यों के खिलाफ इस्लामाबाद के गोलरा शरीफ पुलिस स्टेशन में सरकारी वाहनों को आग लगाने, पुलिस अधिकारियों पर हमला करने और उनके आधिकारिक हथियार छीनने का मामला दर्ज किया गया है।
न्यायिक परिसर में न्यायाधीशों के सामने पेश होने के लिए इस्लामाबाद जाने के तुरंत बाद पंजाब पुलिस ने जमां पार्क, लाहौर में खान के आवास पर छापा मारा था।
पंजाब के कार्यवाहक सूचना मंत्री आमिर मीर ने जबरन और अवैध ऑपरेशन के पीटीआई के दावों को खारिज कर दिया, और कहा कि सर्च वारंट के बाद ही अभियान चलाया गया।
"हमने एक ऑपरेशन चलाया। घर के चारों ओर रेत के सैकड़ों बैग लगाए गए थे। हमने परिसर से अवैध हथियार, पेट्रोल बम, धनुष और पत्थर के गोले बरामद किए, जिनका इस्तेमाल पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों पर हमला करने के लिए किया जा रहा था।"
"इमरान खान के घर और उसके आसपास के क्षेत्र को हथियारबंद लोगों द्वारा अवैध रूप से पहरा देने के कारण नो-गो क्षेत्र में बदल दिया गया। हम इसकी इजाजत नहीं दे सकते। आवास के अंदर और आसपास मौजूद बदमाशों ने हमारे दर्जनों पुलिस अधिकारियों पर हमला किया, और उन्हें घायल कर दिया।"
लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, सुरक्षा बलों ने इस्लामाबाद से पीटीआई के 17 से अधिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है और पार्टी के कई नेताओं के आवासों पर छापा मारा गया है।
तोशखाना मामले में न्यायाधीशों के सामने पेश होने के लिए खान अपने हजारों समर्थकों के साथ रविवार को लाहौर से इस्लामाबाद गए थे।
उनके कम से कम 4,000 समर्थक सेक्टर जी-11 न्यायिक परिसर पहुंचे थे।
खान पर पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) के समक्ष प्रस्तुत अपनी संपत्ति घोषणाओं में डिपॉजिटरी से प्राप्त उपहारों के विवरण को छिपाने का आरोप है।
हालांकि, उनके कोर्ट आगमन पर, पुलिस और कार्यकर्ताओं में हिंसक झड़पें हुई। खान के समर्थक उनके साथ अदालत परिसर में जाना चाहते थे, जिसकी इजाजत नहीं थी।
इस घटना ने अदालत को पूर्व प्रधानमंत्री के गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट को रद्द करने और उनकी उपस्थिति को चिह्न्ति करने के बाद 30 मार्च तक मामले की सुनवाई स्थगित करने के लिए मजबूर किया।
विशेषज्ञों का मानना है कि खान की कानूनी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। मौजूदा सरकार इस साल के अंत में होने वाले आम चुनाव से पहले उन्हें दौड़ से बाहर देखने के उद्देश्य से कानूनी रास्ते से उनकी लोकप्रियता और उनकी राजनीतिक प्रासंगिकता से निपटने की कोशिश कर रही है।    (आईएएनएस)
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भारत की फटकार के बाद जागे ब्रिटेन के अफसर

उच्चायोग में खालिस्तानी उपद्रव की निंदा की, बोले- बर्दाश्त के बाहर
नई दिल्ली। इस घटना के बाद शीर्ष ब्रिटिश अधिकारियों ने कहा है कि ब्रिटेन सरकार यहां भारतीय उच्चायोग की सुरक्षा को 'गंभीरता' से लेगी। अधिकारियों ने उच्चायोग में तोड़फोड़ को अपमानजनक और पूरी तरह से अस्वीकार्य करार दिया।
लंदन में स्थित भारतीय उच्चायोग पर तिरंगा का अपमान करने और तोड़फोड़ की घटना की ब्रिटेन के अधिकारियों ने निंदा की है। भारत सरकार की तरफ से कड़ी आपत्ति जताए जाने के बाद ब्रिटेन के अधिकारी सतर्क हो गए हैं। अधिकारियों ने कहा है कि भारतीय उच्चायोग की सुरक्षा को गंभीरता से लिया जाएगा। मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।  
बता दें कि भारत में खाालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के खिलाफ कार्रवाई चल रही है। इससे खालिस्तान समर्थक तमतमाए हुए हैं और उनके द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। लंदन में भारतीय उच्चायोग में हुए विरोध प्रदर्शन भी इन्हीं विरोध प्रदर्शनों का हिस्सा था। यहां खालिस्तानी समर्थकों ने उच्चायोग पर लगे तिरंगा को उतार दिया। खालिस्तानी झंडा फहराने लगे। हालांकि, तुरंत उच्चायोग के एक भारतीय अधिकारी ने खालिस्तानी समर्थकों को ऐसा करने से रोक दिया। बताया जाता है कि खालिस्तानी समर्थकों ने इस दौरान तोड़फोड़ भी की। इस मामले में ब्रिटिश पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया है। 
इस घटना के बाद शीर्ष ब्रिटिश अधिकारियों ने कहा है कि ब्रिटेन सरकार यहां भारतीय उच्चायोग की सुरक्षा को 'गंभीरता' से लेगी। अधिकारियों ने उच्चायोग में तोड़फोड़ को अपमानजनक और पूरी तरह से अस्वीकार्य करार दिया। मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने कहा कि सुरक्षा कर्मचारियों के दो सदस्यों को मामूली चोटें आईं, जिन्हें अस्पताल में इलाज की आवश्यकता नहीं है। मामले की जांच शुरू हो गई है। उधर, लंदन के मेयर सादिक खान ने इस पूरे घटना की निंदा की। उन्होंने ट्वीट किया, 'इस तरह के व्यवहार के लिए हमारे शहर में कोई जगह नहीं है।' 
भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त एलेक्स एलिस ने भी इस घटना को 'अपमानजनक' बताया। विंबलडन के विदेश कार्यालय मंत्री लॉर्ड तारिक अहमद ने कहा कि वह हैरान हैं और सरकार भारतीय उच्चायोग की सुरक्षा को "गंभीरता से" लेगी। उन्होंने ट्वीट किया, 'यह उच्चायोग और उसके कर्मचारियों की अखंडता के खिलाफ पूरी तरह से अस्वीकार्य कार्रवाई है।' 
सरकार ने ब्रिटिश उच्चायुक्त को किया तलब
लंदन में हुई घटना के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने ब्रिटेन की उच्चायुक्त को तलब किया है और लंदन में हुई घटना पर नाराजगी जाहिर की है। विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि जिस वक्त भारतीय उच्चायोग परिसर में यह घटना हुई, उस वक्त वहां से सुरक्षाकर्मी पूरी तरह से नदारद थे। इसे लेकर ब्रिटिश उच्चायुक्त से स्पष्टीकरण मांगा गया है। सरकार ने कहा है कि यह विएना कन्वेंशन का भी उल्लंघन है। सरकार ने ब्रिटिश उच्चायुक्त से घटना के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। 
खालिस्तानी समर्थकों को भारतीय उच्चायोग के ने ऐसे दिया जवाब
लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग ने खालिस्तानियों को कड़ा जवाब देते हुए एक विशाल तिरंगा उच्चायोग पर लहरा दिया है। बता दें कि रविवार को कुछ खालिस्तान समर्थकों ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग से भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को उतारने की कोशिश की और खालिस्तान के समर्थन में नारेबाजी की। हालांकि भारतीय उच्चायोग के एक अधिकारी ने गजब की हिम्मत दिखाते हुए खालिस्तानियों का विरोध किया और खालिस्तानी झंडे को फहराने की कोशिश कर रहे युवक से खालिस्तानी झंडा लेकर फेंक दिया। घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब देखा जा रहा है और लोग भारतीय उच्चायोग के अधिकारी की हिम्मत की तारीफ कर रहे हैं। वहीं घटना के बाद खालिस्तानियों को कड़ा जवाब देते हुए भारतीय उच्चायोग पर एक विशाल तिरंगा झंडा फहराया गया है। 
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खैबर पख्तूनख्वा में आठ आतंकी ढेर, दो मासूम भी मारे गए

बलूचिस्तान में 7 लोगों की गोली मारकर हत्या
पाकिस्तान इस समय इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। वहीं दूसरी ओर आतंकवाद की नई लहर ने सुरक्षा बलों के हौंसले पस्त कर दिए हैं। इस बीच खबर है कि सेना की मीडिया आईएसपीआर (इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस) ने एक बयान में कहा है कि अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में खुफिया जानकारी के आधार पर चलाए गए एक अभियान में सुरक्षा बलों ने आठ आतंकवादियों को मार गिराया। बुधवार को अभियान के दौरान क्रॉसफायर में दो बच्चों की भी मौत हो गई। 
बयान में कहा गया है कि सुरक्षा बलों ने दक्षिणी वजीरिस्तान जिले के जांगरा इलाके में आतंकियों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी मिलने के बाद बुधवार को एक अभियान के दौरान आतंकवादियों को मार गिराया। सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच गोलीबारी में दो बच्चों की भी मौत हो गई। इस ऑपरेशन के दौरान दो जवान घायल भी हुए हैं। बयान में कहा गया है कि मारे गए लोगों के कब्जे से हथियार और गोला-बारूद बरामद किए गए हैं।
आतंकी हमलों में वृद्धि के बाद पाकिस्तान सरकार ने आतंकवादियों के खिलाफ अपना अभियान तेज किया है। पिछले सप्ताह अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली उत्तरी वजीरिस्तान जिले के दत्ता खेल इलाके में खुफिया सूचना के आधार पर चलाए गए अभियान में छह आतंकवादी मारे गए थे। आतंकवादियों के कब्जे से हथियार और गोला-बारूद बरामद किए गए थे। एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार के अनुसार, सुरक्षा बलों ने पिछले तीन महीनों के दौरान 1,007 अभियानों में 150 से ज्यादा आतंकवादियों को मार गिराया है और कम से कम 6,921 आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है।
वहीं दूसरे मामले में अशांत बलूचिस्तान प्रांत में हथियारबंद लोगों ने एक वाहन पर गोलीबारी की, जिसमें एक कबायली नेता समेत सात लोगों की मौत हो गई। बलूचिस्तान में अर्धसैनिक बल लेवीज फोर्सेज ने बताया कि यह घटना झोब शहर से करीब 80 किलोमीटर दूर स्थित मुर्घा किबजई में बृहस्पतिवार को हुई। पुलिस ने बताया कि मरने वाले सात लोगों में कबायली नेता अहमद खान किबजई और उनके दो भाई शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि किबजई, उनके भाई और चार अन्य एक वाहन में यात्रा कर रहे थे, तभी हथियारबंद लोगों ने स्वचालित हथियारों का इस्तेमाल करते हुए उन पर गोलियां चला दीं। किसी भी समूह ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। पुलिस ने कहा कि किबजई की स्थानीय लोगों के साथ दुश्मनी थी, जो उसकी मौत का एक संभावित कारण हो सकता है। 
बलूचिस्तान प्रांत में बिगड़ती कानून-व्यवस्था ने संघीय सरकार के लिए समस्याओं को और जटिल बना दिया है, जो पाकिस्तान की जर्जर अर्थव्यवस्था को ठीक करने की कोशिश कर रही है। हाल के दिनों में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के साथ मिलकर पूरे पाकिस्तान में कई आतंकी हमले किए हैं। पिछले साल नवंबर में टीटीपी ने जून 2022 में सरकार के साथ हुए अनिश्चितकालीन संघर्ष विराम को रद्द कर दिया था और अपने लड़ाकों को सुरक्षा बलों पर हमले करने का आदेश दिया था।
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के.आर. पार्वती बनीं ताजिकिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अधिकारी

संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कविलमदम रामास्वामी पार्वती को ताजिकिस्तान में विश्व निकाय का शीर्ष अधिकारी नियुक्त किया है। पार्वती ने पिछले महीने विनाशकारी भूकंप के बाद तुर्की में विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के राहत अभियान का नेतृत्व किया था।
गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने बुधवार को रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर के रूप में पार्वती की नियुक्ति की घोषणा की।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, तुर्की में डब्ल्यूएफपी के निदेशक के रूप में, उन्होंने विनाशकारी भूकंपों के तुरंत बाद पीड़ितों को खाद्य सहायता प्रदान करने के लिए आपातकालीन प्रतिक्रिया का नेतृत्व किया।
इससे पहले वह लाइबेरिया में डब्ल्यूएफपी की निदेशक और अफगानिस्तान में उप निदेशक रह चुकी हैं।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय मानवीय और विकास कार्यों में अपने 30 से अधिक वर्षों के करियर के दौरान, पार्वती ने एशिया प्रशांत, पश्चिम अफ्रीका, डब्ल्यूएफपी के क्षेत्रीय और वैश्विक मुख्यालय के साथ काम किया।
संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि उनके अनुभव में रणनीतिक योजना, जोखिम प्रबंधन, संघर्ष विश्लेषण और मानवीय पहुंच वार्ता शामिल है।
उनके पास ब्रिटेन के क्रैनफील्ड विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से संगठनात्मक प्रदर्शन प्रबंधन में मास्टर डिग्री है।  (आईएएनएस)
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उ. कोरिया ने द. कोरिया-जापान शिखर सम्मेलन से पहले दागी मिसाइल

सियोल। दक्षिण कोरिया और जापान के नेताओं के बीच लंबित द्विपक्षीय मुद्दों और क्षेत्रीय सुरक्षा पर होने वाली शिखर वार्ता से कुछ ही घंटे पहले उत्तर कोरिया ने गुरुवार को पूर्वी सागर की ओर लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल दागी।
योनहाप न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण कोरियाई ज्वॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ (जेसीएस) ने कहा कि उसने प्योंगयांग के सुनान क्षेत्र से सुबह 7.10 बजे प्रक्षेपण का पता लगाया। पानी में गिरने से पहले मिसाइल ने लगभग 1 हजार किमी तक उड़ान भरी।
एक महीने पहले, उत्तर कोरिया ने ह्वासोंग-15 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) का परीक्षण किया था।
पर्यवेक्षकों ने प्योंगयांग द्वारा ठोस-ईंधन आधारित आईसीबीएम लॉन्च करने की संभावना जताई है। जो आग लगाने में तेज है और टेक-ऑफ से पहले स्पॉट करना कठिन है।
जेसीएस ने एक बयान में कहा, दक्षिण कोरिया और अमेरिका के खुफिया अधिकारी उत्तर के मिसाइल विकास कार्यक्रम से संबंधित हालिया गतिविधियों पर विचार कर एक व्यापक विश्लेषण कर रहे हैं।
जेसीएस ने कहा, हम उत्तर कोरिया की ओर से बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च की कड़ी निंदा करते हैं, जो न केवल कोरियाई प्रायद्वीप पर, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में भी शांति और स्थिरता को नुकसान पहुंचाता है, और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का स्पष्ट उल्लंघन है।
बाद में दिन में, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल और जापानी प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा ने टोक्यो में एक शिखर सम्मेलन आयोजित करने की योजना बनाई, जिसमें उत्तर के परमाणु और मिसाइल खतरों के एजेंडे पर उच्च होने की उम्मीद है।
उत्तर के बढ़ते परमाणु और मिसाइल खतरों ने सियोल और टोक्यो को अपने ऐतिहासिक झगड़ों से आगे बढ़ने और सुरक्षा चुनौती का सामना करने के लिए मिलकर काम करने के लिए नई गति दी है। उत्तर कोरिया ने मंगलवार को छोटी दूरी की दो बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं थीं। (आईएएनएस)
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इमरान खान के कोर्ट में सरेंडर करने पर जज गिरफ्तारी रोकने को तैयार

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के एक न्यायाधीश ने गुरुवार को कहा कि अगर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान अदालत में आत्मसमर्पण कर देते हैं तो वो तोशखाना मामले में उनकी गिरफ्तारी रोक देंगे।
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, अतिरिक्त जिला एवं सत्र (एडीएसजे) न्यायाधीश जफर इकबाल ने पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) के उस संदर्भ पर यह टिप्पणी की जिसमें खान के खिलाफ राजकीय उपहारों का ब्योरा छिपाने के लिए आपराधिक कार्यवाही की मांग की गई थी।
सत्र अदालत 28 फरवरी को पीटीआई अध्यक्ष को मामले में अभियोग लगाने के लिए तैयार थी, लेकिन उनके वकील ने न्यायाधीश से अनुरोध किया था कि उन्हें सुनवाई से छूट दी जाए क्योंकि उन्हें कई अन्य अदालतों में पेश होना है।
उनके अभियोग को पहले कई बार टाला गया था।
न्यायाधीश ने बाद में खान के लिए गैर-जमानती वारंट जारी किया था और पुलिस को उसे 7 मार्च तक अदालत में पेश करने का निर्देश दिया था।
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री गिरफ्तारी से बचने में कामयाब रहे और बाद में वारंट रद्द करने के लिए इस्लामाबाद हाई कोर्ट (आईएचसी) का दरवाजा खटखटाया।
आईएचसी ने पीटीआई प्रमुख को कुछ राहत देते हुए उन्हें 13 मार्च तक सत्र अदालत में पेश होने के लिए कहा था, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री एक बार फिर पेश नहीं हुए।
नतीजतन, एडीएसजे इकबाल ने सोमवार को खान के लिए गैर-जमानती वारंट फिर से जारी किया और पुलिस को उन्हें 18 मार्च तक अदालत में पेश करने का निर्देश दिया।
डॉन ने बताया कि हालांकि, मंगलवार को जब पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने के लिए लाहौर में उनके जमां पार्क स्थित आवास पर पहुंची, तो उन्हें प्रतिरोध का सामना करना पड़ा, जिसके कारण पीटीआई समर्थकों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच दोतरफा लड़ाई हुई।
बुधवार को अदालत के हस्तक्षेप के बाद अंतत: संघर्ष शांत हुआ।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
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इस साल के अंत में जीसीसी-ईरान शिखर सम्मेलन

चीन बना रहा मेजबानी करने की योजना 
वॉल स्ट्रीट जर्नल (डब्ल्यूएसजे) के अनुसार, चीन इस साल के अंत में बीजिंग में ईरान के साथ छह खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) देशों के नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने की तैयारी कर रहा है।
यह सऊदी अरब और ईरान के बीच राजनयिक संबंधों को फिर से शुरू करने के लिए चीनी मध्यस्थता के कुछ दिनों बाद आया है।
बीजिंग में खाड़ी-ईरानी शिखर सम्मेलन रियाद और तेहरान में दूतावासों को फिर से खोलने के बाद आयोजित किया जाएगा, एक ऐसा कदम जिसमें दो महीने से कम समय लगने की उम्मीद है और सऊदी अरब और ईरान के विदेश मंत्रियों की एक बैठक से पहले निष्कर्ष निकाला जाएगा। समझौता।
डब्ल्यूएसजे की रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2022 में रियाद में खाड़ी नेताओं की मुलाकात के दौरान बीजिंग में "अभूतपूर्व" खाड़ी-ईरानी शिखर सम्मेलन का विचार चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा सामने रखा गया था।
शी की कूटनीतिक पहल से पता चलता है कि बीजिंग मध्य पूर्व में एक नए शक्ति दलाल के रूप में अपने लिए एक केंद्रीय भूमिका निभा रहा है, एक रणनीतिक क्षेत्र जहां दशकों से संयुक्त राज्य अमेरिका सबसे प्रभावशाली बाहरी खिलाड़ी रहा है।
डब्ल्यूएसजे ने बताया कि चीन का ध्यान अब विशेष रूप से ऊर्जा प्रवाह और व्यापार पर नहीं है, और क्षेत्र की राजनीति में बीजिंग का प्रवेश बीजिंग और वाशिंगटन के बीच प्रतिस्पर्धा में एक नए अध्याय का संकेत देता है।
सात साल के तनावपूर्ण संबंधों के बाद, ईरान और सऊदी अरब बीजिंग में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की देखरेख में पिछले शुक्रवार को हुई वार्ता की एक श्रृंखला के बाद राजनयिक संबंधों को बहाल करने और अपने दूतावासों को फिर से खोलने पर सहमत हुए।
जनवरी 2016 में, सऊदी अरब ने ईरान के साथ अपने संबंधों को तोड़ दिया, तेहरान में रियाद दूतावास और मशहद में इसके वाणिज्य दूतावास पर हमलों के बाद, आतंकवाद सहित आरोपों पर सऊदी शिया धर्मगुरु निम्र बाकिर अल-निम्र के राज्य के निष्पादन के विरोध में।
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बिजली विनिमय बढ़ाएंगे पाकिस्तान, ईरान

तेहरान। पाकिस्तान और ईरान ने अपने बिजली विनिमय को बढ़ाने के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, तेहरान में एक समारोह में अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें ईरानी ऊर्जा मंत्री अली-अकबर मेहरबियन और पाकिस्तानी समकक्ष खुर्रम दस्तगीर खान शामिल हुए।
सौदे के तहत, पहले चरण में 200 मेगावाट तक पहुंचने के लिए नव निर्मित 132 किलोवोल्ट ट्रांसमिशन लाइनों के माध्यम से दोनों देशों के बीच बिजली विनिमय क्षमता 100 मेगावाट (मेगावाट) बढ़ जाएगी।
दूसरे चरण में, दोनों देश बिजली विनिमय क्षमता को 400 मेगावाट तक बढ़ाने के लिए पाकिस्तान में 70 किमी की 230 किलोवोल्ट बिजली संचरण लाइनें बनाएंगे।
मेहरबियन ने कहा कि ईरान का बिजली नेटवर्क वर्तमान में कई पड़ोसी देशों से जुड़ा हुआ है, जिससे देश के बिजली नेटवर्क की स्थिरता में सुधार हुआ है। (आईएएनएस)
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इस्लामिक स्टेट ने अफगानिस्तान में पत्रकारों पर हमले की जिम्मेदारी ली

इस्लामिक स्टेट ने अफगानिस्तान के बल्ख क्षेत्र में शनिवार को हुए एक विस्फोट की जिम्मेदारी ली है जिसमें स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार एक व्यक्ति की मौत हो गई और आठ अन्य घायल हो गए। इस्लामिक स्टेट के टेलीग्राम अकाउंट के अनुसार, अफगानिस्तान स्थित खामा प्रेस द्वारा रिपोर्ट किए गए अनुसार, उत्तरी अफगानिस्तान में बल्ख प्रांत की राजधानी मजार-ए-शरीफ में एक सांस्कृतिक केंद्र में विस्फोट हुआ, जहां पत्रकारों का जमावड़ा हो रहा था।
बल्ख पुलिस के लिए तालिबान द्वारा नियुक्त प्रवक्ता मोहम्मद आसिफ वजीरी के अनुसार, बल्ख प्रांत की राजधानी मजार-ए-शरीफ के तेबयान फरहंग केंद्र में सुबह करीब 11 बजे विस्फोट हुआ, जब पत्रकार पुरस्कार समारोह के लिए इकट्ठा हो रहे थे। इस घटना में कथित तौर पर कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई और आठ अन्य घायल हो गए। हालांकि, तेबयान सांस्कृतिक केंद्र ने बताया, "घटना में तीन लोग मारे गए, और पत्रकारों सहित 30 अन्य घायल हो गए"।
बल्ख प्रांत में तीन दिनों में विस्फोट की यह दूसरी घटना थी; खामा न्यूज के मुताबिक, पहला आत्मघाती हमला था, जिसमें बल्ख के गवर्नर मुल्ला दाऊद मुजमल की मौत हुई थी। दोनों घटनाओं की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली।
तालिबान के मुख्य प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद के अनुसार, "इस्लाम के दुश्मनों द्वारा" मुज़मल को मार डाला गया था। उन्होंने कहा कि एक जांच चल रही है लेकिन कोई अन्य जानकारी नहीं दी। चूंकि तालिबान ने अगस्त 2021 के मध्य में सत्ता पर कब्जा कर लिया था, क्योंकि 20 साल के युद्ध के बाद अमेरिका और नाटो सेना अफगानिस्तान से पीछे हट गई थी, मुजमल तालिबान के सबसे वरिष्ठ अधिकारियों में से एक है जिसकी हत्या की गई है।
तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार का सबसे बड़ा विरोधी, आईएस-खुरासान, तालिबान नेताओं के साथ-साथ स्थानीय और विदेशियों को भी निशाना बनाता है। बल्ख, हेरात और काबुल के अफगान प्रांतों पर समूह द्वारा हमले हाल ही में बढ़ गए हैं।
चरमपंथी इस्लामिक स्टेट ऑफ़ खुरासान (ISK) और अन्य उग्रवादियों ने तालिबान के इस दावे के बावजूद कि देश की लड़ाई खत्म हो गई है, काबुल शहर और अन्य स्थानों पर क्रूरता से हमला किया है। खामा प्रेस के अनुसार, अफगानिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत रिचर्ड बेनेट के अनुसार, मजार-ए-शरीफ में पत्रकारों पर हमला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के लिए एक झटका है।
बेनेट ने कहा कि वह मजार-ए-शरीफ में तेबयान सांस्कृतिक केंद्र में पत्रकारों को सम्मानित करने के इरादे से हुए हमले को गौर से देख रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपोर्टेयर के अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान में पत्रकारों के लिए अधिक सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है।
अगस्त 2021 में जब से तालिबान ने देश पर नियंत्रण किया है, आतंकवादी समूह ने यहां अपने हमले तेज कर दिए हैं। तालिबान के गश्ती दल और शिया अफगान दोनों को अतीत में निशाना बनाया गया है।
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अमेरिकी बैंकिंग प्रणाली फलती-फूलती रहेगी : जो बिडेन

सिलिकॉन वैली बैंक के पतन के बाद व्यापक अराजकता और अस्थिरता के बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन नागरिकों को आश्वस्त करने के लिए सोमवार को एक संबोधन देने के लिए तैयार हैं कि कठिन परिस्थितियों के बावजूद अमेरिकी बैंकिंग प्रणाली कैसे फलती-फूलती रहेगी। द गार्जियन के अनुसार, बिडेन ने एक बयान में कहा, "अमेरिकी लोगों और अमेरिकी व्यवसायों को भरोसा हो सकता है कि उनकी बैंक जमा राशि वहां होगी।"
उन्होंने कहा, "मैं इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार लोगों को पूरी तरह से जवाबदेह ठहराने और बड़े बैंकों के निरीक्षण और नियमन को मजबूत करने के अपने प्रयासों को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हूं, ताकि हम फिर से इस स्थिति में न हों।" एसवीबी की अचानक विफलता से किसी भी संभावित संक्रमण को रोकने के लिए आपातकालीन प्रोटोकॉल।
उपायों में यह सुनिश्चित करना शामिल है कि दिवालिया बैंक के जमाकर्ता सोमवार की सुबह तक अपने धन का उपयोग करने में सक्षम हैं। अमेरिकी ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन, फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल और फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (FDIC) के अध्यक्ष मार्टिन ग्रुएनबर्ग द्वारा एक संयुक्त बयान के माध्यम से कार्रवाई की घोषणा की गई।
जेनेट येलेन ने एसवीबी असफलता को संबोधित किया
बयान में कहा गया है, "सोमवार, 13 मार्च से जमाकर्ताओं के पास उनके सभी पैसे की पहुंच होगी। सिलिकॉन वैली बैंक के संकल्प से जुड़े किसी भी नुकसान को करदाता द्वारा वहन नहीं किया जाएगा।" सीबीएस के साथ एक बातचीत में, येलेन ने यूएसए की बैंकिंग प्रणाली को "सुरक्षित," "अच्छी तरह से पूंजीकृत," और "लचीला" बताया।
"अमेरिकियों को हमारी बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा और सुदृढ़ता में विश्वास हो सकता है। मैं स्पष्ट कर दूं कि वित्तीय संकट के दौरान, प्रणालीगत बड़े बैंकों के निवेशक और मालिक थे जिन्हें जमानत दे दी गई थी … और जो सुधार किए गए हैं, उनका मतलब है कि हम फिर से ऐसा नहीं करने जा रहे हैं,” उसने कहा, ट्रेजरी प्रभावित जमाकर्ताओं के लिए "चिंतित" रहता है और "उनकी जरूरतों को पूरा करने" के लिए अथक रूप से काम कर रहा है।
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