धर्म समाज

अभी कुंभ राशि वालों पर चल रहा शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण

  • जानिए कब मिलेगा उन्हें मोक्ष 
ज्योतिष शास्त्र में शनि को न्याय का देवता और फल प्रदाता माना जाता है। शनि हर ढाई साल में अपनी राशि बदलते हैं। शनि के राशि बदलते ही कुछ राशियों पर शनि की साढ़े साती का प्रभाव शुरू हो जाता है। शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव व्यक्ति के कर्मों के आधार पर अच्छा या बुरा हो सकता है। वर्तमान में कुंभ, मीन और मकर राशि पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है। कुंभ राशि के लिए शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण शुरू हो गया है। क्या आप जानते हैं कुंभ राशि वालों को शनि के प्रकोप और साढ़ेसाती के प्रभाव से कब मुक्ति मिलेगी?
कुंभ राशि वालों के लिए शनि की साढ़ेसाती 24 जनवरी, 2020 से शुरू हो गई है। कुंभ राशि के लोग शनि की महादशा से 3 जून, 2027 को मुक्त हो जाएंगे और कुंभ राशि के लोग 23 फरवरी, 2028 को शनि की साढ़ेसाती से मुक्त हो जाएंगे, जब शनि मार्गी हो जाएंगे। इस प्रकार कुम्भ राशि के जातक 23 फरवरी 2028 को शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव से मुक्त हो जायेंगे।
वर्तमान में कुंभ राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का चल रहा दूसरा चरण- शनि की साढ़ेसाती को कष्टकारी माना गया है। दूसरे चरण के दौरान जातक को मानसिक, शारीरिक व आर्थिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। इस अवधि में रिश्तों में उतार-चढ़ाव बढ़ जाता है। सेहत का खास ध्यान रखना पड़ता है।
शनि की साढ़ेसाती के होते हैं तीन चरण- शनि की साढ़ेसाती तीन चरण की होती है। वर्तमान में मीन राशि वालों पर पहला चरण, कुंभ राशि वालों पर दूसरा और मकर राशि वालों पर तीसरा चरण चल रहा है। जबकि कर्क व वृश्चिक राशि वालों पर शनि ढैय्या का प्रभाव है। शनि ढैय्या ढाई साल की होती है।
शनि उपाय- शनि ग्रह को प्रसन्न करने के लिए शनिवार को किसी शनि मंदिर जाकर शनि दर्शन दर्शन करने चाहिए। पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
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शुक्रवार के दिन महालक्ष्मी की कृपा पाने के लिए करें ये काम

सनातन धर्म में हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को मनाया जाता है, उस शुक्रवार को धन की देवी माता लक्ष्मी को मनाया जाता है, इस दिन देवी मां को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा आराधना की जाती है और भगवान व्रत का पालन किया जाता है। आदि भी होते हैं लेकिन इसी के साथ अगर कुछ खास बातों का ध्यान रखा जाए तो महालक्ष्मी की कृपा एक सदा कृपा बनी रहती है, आपकी बेरी होती है और तीन चीजें मिलती हैं तो आज हम आपको बताते हैं कि किन बातों का ध्यान रखें आप मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करते हैं कर सकते हैं तो आइए जानते हैं।
इन बातों का विशेष ध्यान-
ज्योतिष के अनुसार तुलसी में माता लक्ष्मी का वास होता है ऐसे में रोजाना सुबह स्नान के बाद तुलसी पर जल निर्भयता करती है इससे घर में सुख समृद्धि आती है इसके अलावा रात्रिकाल दीपक जलाते हैं ऐसे करने से बरकत बनी रहती है। सुबह और शाम सूरज से पहले घर की सफाई करें और मुख्य द्वार पर घी का दीपक जरूर जलाएं।
ऐसा करने से हर विपदा का नाश हो जाता है और घर में लक्ष्मी का वास हो जाता है जिससे वास्तु दोष दूर रहते हैं। इसके अलावा एक बुजुर्ग का सम्मान जरूर करें। साथ ही महिलाओं का अपमान न करें। जो लोग इन बातों का ध्यान रखते हैं उन्हें जीवन में कभी भी आर्थिक, मानसिक और शारीरिक पहलू का सामना नहीं करना पड़ता है जिससे लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
सप्ताह में हर शुक्रवार के दिन श्रीसूक्त का पाठ अवश्य करें। ऐसा करने से देवी आकर्षक हो जाती है और घर में अन्न धन के भंडार भरती है। इसके प्रतिदिन गाय की सेवा करें गाय को रोटी और चारा खिलाएं। ऐसा होता है लक्ष्मी को आकर्षित करने से। साथ ही संत को रिश्ते में लाभ मिलता है। भूलकर भी रात के समय रसोई में जूठे बर्तनों को ना छोड़ें वरना माता लक्ष्मी और अन्नपूर्णा देवी रूठ जाती हैं।
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कब हैं खरमास, जानें तिथि-महत्व और पूजा मंत्र

धार्मिक दृष्टि से खरमास के महीने सभी शुभ कार्य विशेषकर विवाह आदि पर रोक लग जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जब सूर्य धनु राशि में गोचर करते हैं, तब खरमास की शुरुआत होती है। इस साल खरमास की शुरुआत 16 दिसंबर 2023 से हो रही है।
साथ ही इसका समापन अगले साल जनवरी के मध्य 15 तारीख को होगा। ऐसे में इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी का होना बेहद जरूरी है, तो आइए जानते हैं।
खरमास की तिथि-
खरमास का आरंभ- 16 दिसंबर 2023
खरमास का समापन- 15 जनवरी 2024
खरमास के दौरान इस स्तुति का करें पाठ-
॥ विष्णु शान्ताकारं मंत्र ॥
”शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् ।
लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम् ॥
यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे: ।
सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा: ।
ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो
यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम:”॥
खरमास के दौरान भगवान सूर्य के इन मंत्रों का करें जाप-
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
ॐ सूर्याय नम:
ॐ घृणि सूर्याय नम:
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा.
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:
खरमास का धार्मिक महत्व-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि खरमास में भगवान सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा करने से शांति और समृद्धि का वरदान मिलता है। खरमास के दौरान बहुत सी ऐसी चीजें हैं, जिनसे बचना चाहिए। इस दौरान सनातन धर्म में सभी प्रकार के शुभ कार्य पूर्ण रूप से वर्जित माने गए हैं।
इसलिए भूलकर कर भी ऐसी चीजें न करें, जिससे स्वंय का नुकसान हो जाए, जितना हो सके इस महीने भगवान विष्णु की स्तुति करें।
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नया साल शुरू होते ही 2 जनवरी को बुध ग्रह होंगे मार्गी

  • इन राशि वालों को मिलेगा शुभ समाचार
ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह को राजकुमार ग्रह की संज्ञा दी गई है। मिथुन और कन्या राशि के स्वामी बुध देव हैं और उन्हें बुद्धि के कारक ग्रह भी माना गया है। ज्योतिष के मुताबिक, बुध देव जब भी एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो इसका प्रभाव सभी राशियों पर होता है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, बुध देव 28 दिसंबर को धनु राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। इससे पहले बुध देव 13 दिसंबर को दोपहर 12.38 बजे वक्री हो जाएंगे और वक्री चाल में ही वृश्चिक राशि में गोचर करेंगे। इसके बाद 2 जनवरी को बुध देव एक बार फिर अपनी चाल बदलेंगे और मार्गी होंगे। ऐसे में तीन राशि वालों पर बुध देव मेहरबान हो सकते हैं।
कन्या राशि-
बुध देव कन्या राशि में उच्च के होते हैं। कन्या राशि वाले लोगों को इस दौरान आर्थिक लाभ हो सकता है। फिलहाल केतु भी कन्या राशि में विराजमान हैं और ऐसे में कन्या राशि वालों को अचानक धन लाभ भी हो सकता है। परिवार में कोई शुभ कार्य हो सकता है। करियर और कारोबार में भी मन मुताबिक सफलता मिलेगी। किसी नए काम की शुरुआत कर सकते हैं।
मकर राशि-
मकर राशि के जातकों पर साढ़े साती का अंतिम चरण चल रहा है। ऐसे में शनिदेव की कृपा बरस सकती है। जनवरी 2024 में शुक्र देव मकर राशि पर मेहरबान रहेंगे। वहीं बुध के मार्गी होने से भी मकर राशि के जातकों को फायदा होगा। कारोबार में लाभ होगा। करियर में भी अच्छा प्रमोशन हो सकता है।
वृश्चिक राशि-
वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल देव हैं। वृश्चिक राशि के जातक स्वभाव से गुस्सैल होते हैं। वृश्चिक राशि वालों को अपनी वाणी पर काबू रखना चाहिए। मधुरभाषी बने रहेंगे तो कई काम आसानी से पूरे हो जाएंगे। कारोबार में भी लाभ होगा। 15 जनवरी से किसी नए प्रोजेक्ट की शुरुआत कर सकते हैं।

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कालाष्टमी 5 दिसंबर को, करें यह उपाय

मार्ग शीर्ष महीना 28 नवंबर से शुरू हुआ। यह महीना बहुत ही पवित्र महीना माना जाता है। कालाष्टमी 5 दिसंबर, मंगलवार को है और इसे कालभिरब जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन जो लोग भैरव बाबा की पूजा करते हैं उन्हें उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। भैरव भगवान शिव का अंश हैं और जिस किसी में भी भगवान शिव का अंश है वह आपके दुख-दर्द को चुटकी बजाते ही दूर कर सकता है। अगर आप अपने जीवन में हर तरह की सुख-शांति और तरक्की चाहते हैं तो भैरव बाबा के ये उपाय अपनाएं। यह ज्योतिषीय चमत्कारी इलाज बहुत ही कारगर है। कृपया मुझे बताएं कि मैं कोलभैरोव को कैसे खुश कर सकता हूं।
रविवार, बुधवार या गुरुवार के दिन एक रोटी लें और उसे अपनी तर्जनी और मध्यमा उंगली से तेल में डुबाकर उस पर रेखाएं बना दें। यह रोटी दो रंग वाले कुत्तों में से किसी एक को खिला दें। ऐसा माना जाता है कि अगर कुत्ता यह रोटी खा ले तो उसे भैरव नाथ का आशीर्वाद मिल जाता है। यदि आपका कुत्ता रोटी सूँघकर हिलता है, तो इस उपचार को जारी रखें। हालाँकि, रविवार, बुधवार और गुरुवार ये तीन दिन भैरव नाथ के दिन माने जाते हैं।
शनिवार की शाम को कड़वे तेल में उड़द के पकौड़े बनाएं और रात भर ढककर रखें। मैं सुबह जल्दी उठता हूं, 6 से 7 साल के बीच के किसी व्यक्ति से कुछ कहता हूं, घर से निकलता हूं और रास्ते में जो पहला कुत्ता दिखता है उसे खाना खिलाता हूं। सावधान रहें कि पकौड़े डालने के बाद अपने कुत्ते की ओर न देखें। यह केवल रविवार को उपलब्ध है.
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1 और 2 दिसंबर को पुष्य नक्षत्र, मांगलिक कार्य के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त

दीपावली के बाद एक बार फिर पुष्य नक्षत्र के रूप में महामुहूर्त आ रहा है। पंचांगीय गणना से 1 व 2 दिसंबर को पुष्य नक्षत्र की साक्षी रहेगी। इन दो दिनों में शुभ मांगलिक कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ समय रहेगा।
इन दो दिनों में हर प्रकार की खरीदी स्थाई समृद्धि प्रदान करने वाली मानी गई है। ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला ने बताया 27 नक्षत्रों में पुष्य नक्षत्र को राजा की संज्ञा दी गई है। इस नक्षत्र की साक्षी में शुभ मांगलिक कार्य व खरीदी का विशेष महत्व है।
इसलिए दीपावली से पहले पुष्य नक्षत्र आने पर लोग दीपोत्सव के लिए खरीदी करते हैं। इस बार दीपावली के बाद एक बार फिर दो दिन पुष्य नक्षत्र की साक्षी रहेगी।
1 दिसंबर शुक्रवार को शाम 5 बजकर 3 मिनट से पुष्य नक्षत्र की शुरुआत होगी, जो अगले दिन 2 दिसंबर शनिवार को दिवस पर्यंत रहेगा।
शुक्रवार के दिन पुष्य नक्षत्र होने से यह शुक्र पुष्य कहलाएगा। वहीं शनिवार के दिन इसकी मौजूदगी शनिपुष्य के नाम से जानी जाएगी। पुष्य नक्षत्र में सोना खरीदने का विशेष महत्व है। इसके अलावा भूमि, भवन, वाहन, सोने-चांदी के आभूषण तथा सिक्के, इलेक्ट्रानिक्स उत्पाद आदि की खरीदी के लिए भी यह दोनों दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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इस दिन मनाई जाएगी कृष्ण पक्ष की उत्पन्ना एकादशी

  • जानिए सही तिथि और धार्मिक महत्व
श्री कृष्ण का प्रिय महीना मार्गशीर्ष शुरू हो चुका है और यह 26 दिसंबर 2023 तक रहेगा। मार्गशीर्ष माह में भगवान कृष्ण की पूजा करने की परंपरा है। ऐसे में मार्गशीर्ष महीने की एकादशी का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। इस दिन व्रत रखा जाता है और भगवान विष्णु और कृष्ण की पूजा की जाती है। माह में दो बार एकादशी आती है। एक शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष की। एक वर्ष में कुल 24 एकादशियां आती हैं। शास्त्रों में शुभ मानी जाने वाली कृष्ण पक्ष उत्पन्ना एकादशी 8 दिसंबर को मनाई जाएगी।
उत्पन्ना एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त-
एकादशी तिथि की शुरुआत 8 दिसंबर 2023 को 05:06 बजे होगी।
एकादशी तिथि का समापन 9 दिसंबर 2023 को 06:31 बजे होगा।
पारण का शुभ समय - 10 दिसंबर 2023 को सुबह 06:10 बजे से प्रातः 07:13 बजे तक।
उत्पन्ना एकादशी का महत्व-
सनातन धर्म में उत्पन्ना एकादशी का बहुत विशेष महत्व है। इस दिन भक्त पूरे श्रद्धा भाव के साथ भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस दिन पूरे मन से व्रत रखते हैं, उनकी सभी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। साथ ही भगवान विष्णु उन्हें वैकुंठ धाम में स्थान देते हैं।
भगवान विष्णु इस सृष्टि के पालनकर्ता हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी के दिन में उपवास रखा जाता है और फिर शाम को फल या दूध से बना प्रसाद ग्रहण किया जाता है। इसके अलावा भगवान विष्णु को भोग लगाया गया भोग खाकर भी व्रत खोला जाता है।

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संकष्टी चतुर्थी इस विधि से करें पूजा, श्री गणेश होंगे प्रसन्न

हिंदू धर्म में कई सारे व्रत और त्यौहार मनाए जाते हैं लेकिन श्री गणेश को समर्पित चतुर्थी का पर्व बेहद ही खास माना जाता है जिसके लिए भगवान गणेश की पूजा महत्वपूर्ण होती है। जो कि हर माह के दोनों पक्षों में बंद है।
संकष्टी चतुर्थी को भगवान गणेश की पूजा करने का विशेष दिन माना जाता है। इस महीने की संकष्टी चतुर्थी आज यानी 30 नवंबर दिन गुरुवार को मनाई जा रही है। इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से हर तरह के दुखों से मुक्ति मिलती है साथ ही श्री गणेश की कृपा भी प्राप्त होती है ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख में संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा विधि के बारे में बता रहे हैं। ।।
श्री गणेश पूजन विधि-
आज संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए प्रातः स्नान आदि करें, इसके बाद व्रत पूजन का संकल्प लेकर लाल वस्त्र धारण करें। अब पूजन स्थल की साफ सफाई करके पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करें। गणपति को फूलों की माला के साथ ही फूलों से सजाएं। पूजा में तिल, गुड़, लोध, तांबे के कलश में पानी, धूप, चंदन और प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रखा जाता है।
भगवान गणेश की पूजा करते समय मां दुर्गा की प्रतिमा भी प्रस्तुत करें और गणपति को रोली पुष्प और जल निर्जीव बनाएं। इसके बाद भोग मंत्रों का जाप करें, व्रत रखने वाले लोग पूजा के बाद फल, मूंगफली, खेड, दूध या साबूदाना का सेवन कर सकते हैं। अब सांध्यकाल में चंद्रमा के दर्शन कर उनकी पूजा करें और व्रत कथा का पाठ करें। फिर अपना व्रत खोलें।
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खरमास में इन बातों का रखें खास ध्यान

हिंदू पंचांग के अनुसार खरमास को अतिमहत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि खरमास लगने पर सभी तरह के मांगलिक कार्यों को करने की मनाही होती है, जैसे, शादी-ब्याह, मुंडन, तिलक, सगाई इत्यादि. ऐसे में खरमास लगने पर कुछ विशेष बातों का ख्याल रखना बेहद जरूरी होता है. मान्यतानुसार जब सूर्य देव बृहस्पति देव की राशि धनु और मीन में प्रवेश करते हैं तो इस राशि परिवर्तन के कारण ही खरमास लग जाते हैं. जानिए विशेषतौर पर खरमास के दौरान किन कार्यों को करने की मनाही होती है और किन उपायों को इस समय में अपनाया जा सकता है. 
खरमास की तिथि और उपाय-
हिंदू पंचांग के मुताबिक मार्च में 15 तारीख से खरमास लगेंगे. इस दिन सुबह 5 बजकर 17 मिनट से ही खरमास की शुरूआत हो जाएगी क्योंकि सूर्य मीन राशि में गोचर कर जाएंगे और आने वाली 14 अप्रैल तक इस राशि में ही रहेंगे. इस पूरे उपक्रम को मीन संक्रांति भी कहा जाता है और यह पूरी अवधि खरमास होगी. खरमास में खासतौर से सभी राशियों के जातकों को सावधानी बरतने की आवश्यक्ता होती है. ऐसे में कुछ कामों को करने से परहेज करने और कुछ जरूरी बातों का ख्याल रखने के लिए कहा जाता है.
खरमास में ना करने वाले काम-
माना जाता है कि खरमास लगने के बाद खरमास खत्म होने तक बहुत से काम हैं जिन्हें करने से बचना चाहिए. इस चलते खरमास की अवधि में नया मकान, गाड़ी, गहने और किसी भी तरह की संपत्ति, चाहे वो चल हो या अचल, नहीं खरीदनी चाहिए. इसके साथ ही, नये व्यापार की शुरूआत के लिए यह समय उपयुक्त नहीं माना जाता. विशेषकर शादी, मुंडन, गृह प्रवेश और लगन-सगाई खरमास के दौरान नहीं किए जाते हैं. 
ये उपाय आएंगे काम-
खरमास के दौरान कुछ उपाय किए जा सकते हैं. राशियों के जातक इस दौरान तुलसी पूजा कर सकते हैं. खरमास में तुलसी पूजा करने पर घर में सुख-शांति बनी रहती है. इसके साथ ही, सूर्य देव की उपासना कर सकते हैं. मान्यतानुसार सूर्य देव की खरमास के दौरान उपासना करना और उन्हें अर्घ्य देना बेहद शुभ होता है. सूर्य देव को अर्घ्य देने वाले पानी में कुमकुम, अक्षत और पीले पुष्प डाले जा सकते हैं. खरमास के दौरान भगवान विष्णु और सूर्यदेव की पूजा करना भी फलदायी हो सकता है. 
 
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कुंभ राशि वाले इन मामलों में भाग्यशाली नहीं रहेंगे

  • इस क्षेत्र में बाधाएँ उत्पन्न होंगी
आज आप बेझिझक अपनी भावनाएं व्यक्त कर सकते हैं। आप ऑफिस की किसी समस्या का समाधान निकाल सकते हैं और अपने करियर को आगे बढ़ा सकते हैं। आर्थिक तौर पर आप महत्वपूर्ण निर्णय लेने में सफल रहेंगे, लेकिन स्वास्थ्य में भी लाभ होगा।
कुंभ लव राशिफल-
रिश्तों में आपकी ईमानदारी बेजोड़ है। आज का दिन अद्भुत पल लेकर आएगा जिसे आप और आपका साथी दोनों संजोकर रखेंगे। प्यार दिखाएँ और आप व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों तरह से एक-दूसरे को पूरा करेंगे। धैर्य रखें और कभी भी बहस में न पड़ें। शायद आपकी पूर्व प्रेमिका फिर से जीवित हो जाएगी और इससे आपका प्यार फिर से जाग उठेगा। हालाँकि, विवाहित कुंभ राशि वालों को सावधान रहने की ज़रूरत है कि वे अपने पारिवारिक जीवन को बर्बाद न करें।
कुंभ करियर राशिफल-
इस समय कामकाज में छोटी-मोटी रुकावटें देखने को मिल सकती हैं। किसी विदेशी ग्राहक को यह समझाने का प्रयास करें कि कुछ परियोजनाएँ अपेक्षित परिणाम नहीं ला सकती हैं। टीम का नेतृत्व करते समय टीम लीडरों और प्रबंधकों को सावधान रहना चाहिए। हम कार्यालय की सभी समस्याओं का समाधान करते हैं। विद्यार्थी अपनी परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं, लेकिन उन्हें सामान्य से थोड़ा अधिक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होगी। कुंभ राशि वाले कुछ लोग बेहतर सेवाओं के पैकेज के लिए नए संस्थानों की ओर भी रुख करते हैं।
कुंभ आर्थिक राशिफल-
पैसों के मामले में आज आपको किस्मत का साथ नहीं मिलेगा। आज आर्थिक परेशानियां रहेंगी, लेकिन सामान्य जनजीवन प्रभावित नहीं होगा। कुंभ राशि वाले कुछ लोग निवेश में रुचि लेंगे, लेकिन शेयर बाज़ार या सट्टा व्यापार बिल्कुल भी सबसे अच्छा विकल्प नहीं है। हालाँकि, आप म्यूचुअल फंड पर भी विचार करना चाह सकते हैं। आप किसी मित्र के साथ मिलकर आर्थिक समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। व्यापारियों के लिए धन जुटाना कठिन होगा, लेकिन कुछ व्यापारी आज अच्छा मुनाफा कमाएंगे।
कुंभ सेहत राशिफल-
काम और निजी जीवन के बीच संतुलन बनाए रखें। कुछ वृद्ध कुंभ राशि वालों को नींद की समस्या की शिकायत हो सकती है और उन्हें अपने आहार में सावधानी बरतनी चाहिए। रसोई में काम करने वाली महिलाओं को सब्जियां काटते समय सावधानी बरतनी चाहिए। यदि आप धूम्रपान छोड़ने के लिए तैयार हैं, तो अब समय आ गया है। डाइट के अलावा हल्का व्यायाम या योगा करें, बहुत फायदेमंद रहेगा।
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माता लक्ष्मी के करें ये उपाय, नहीं होगी धन की कमी

अगर आपको मां लक्ष्मी की कृपा मिल जाए तो सब कुछ शुभ संकेत है। हालाँकि, यदि ऐसा नहीं होता है, तो जीवन में विभिन्न समस्याएं उत्पन्न होती हैं। मेरे पास घर पर पैसे नहीं हैं, घर आते ही मेरा सिर भारी हो जाता है और मैं हमेशा गुस्से में रहता हूं। ऐसे में ज्योतिषशास्त्र मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए चमत्कारी उपाय बताता है। अगर आप परेशानी में हैं और लाख कोशिशों के बावजूद भी घर की शांति भंग है, घर में सुख-समृद्धि नहीं है और तरक्की के सारे रास्ते बंद हैं तो इन उपायों को आजमाएं।
अगर किसी कारण से घर में पैसा नहीं है तो इसका असर घर की मानसिक शांति पर पड़ता है। अगर आपके घर में पैसों की कमी है और यह समस्या दूर नहीं हो पा रही है तो आपको मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए यह करना चाहिए। सूर्यास्त के बाद मुख्य द्वार के दोनों ओर कावगी दीपक जलाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे घर में सकारात्मक भावनाएं आती हैं और देवी लक्ष्मी इस उपचार से घर में प्रवेश करेंगी। इससे परिवार की आर्थिक तंगी दूर हो गई।
मुझे कुछ समझ नहीं आता, लेकिन घर पहुंचते ही मेरा सिर भारी हो जाता है और सोचने की ताकत खत्म हो जाती है। इसका मतलब है कि आपके घर में नकारात्मक तत्व हैं। अपने घर के चारों ओर से नकारात्मक ऊर्जा और अंधकार को दूर करने के लिए छत पर तिल के तेल का दीपक जलाएं। इससे आपका घर जगमगा उठेगा और घर आने पर आपको अधिक आराम महसूस होगा।
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संकष्टी चतुर्थी कल, जानिए...शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश की पूजा के बिना कोई भी शुभ कार्य शुरू नहीं होता है। वहीं संकष्टी चतुर्थी भगवान श्रीगणेश को समर्पित है। इस चतुर्थी पर भगवान श्रीगणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है। संकष्टी चतुर्थी व्रत मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाया जाता है, जिसे गणाधिप संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है। कई लोग भगवान गणेश का आशीर्वाद पाने और अपने जीवन की उन कठिनाइयों को दूर करने के लिए भी इस दिन व्रत रखते हैं, जो चंद्रमा के दर्शन मात्र से ही परेशान हो जाती हैं। तो आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी पूजा का शुभ समय, विधि और चंद्रोदय का समय।
संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त-
कार्तिक माह, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत- 30 नवंबर, दोपहर 02 बजकर 24 मिनट पर
कार्तिक माह, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि समाप्त- 01 दिसंबर, दोपहर 03 बजकर 31 तक
चन्द्रमा दर्शन समय- शाम 07 बजकर 54 मिनट
पूजा की विधि-
1- भगवान गणेश जी का जलाभिषेक करें
2- गणेश भगवान को पुष्प, फल चढ़ाएं और पीला चंदन लगाएं
3- तिल या बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं
4- संकष्टी चतुर्थी कथा का पाठ करें
5- ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करें
6- पूरी श्रद्धा के साथ गणेश जी की आरती करें
7- चंद्रमा के दर्शन करें और अर्घ्य दें
8- व्रत का पारण करें
9- क्षमा प्रार्थना करें
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कल से इन राशियों की बदलेगी किस्मत, शुक्र दिलाएगा बड़ा लाभ

सभी ग्रह लगातार अपनी चाल बदल रहे हैं, जिसका असर राशि चक्र की 12 राशियों पर पड़ता है। कल 30 नवंबर को शुक्र ग्रह बदलेगा चाल। शुक्र को धन, सौंदर्य, प्रेम और महानता का कारक माना जाता है, जो अपनी मूल त्रिकोण राशि में प्रवेश करेगा। शुक्र का तुला राशि में गोचर कुछ राशियों के लिए बेहद शुभ माना जा रहा है। रात्रि 1:06 बजे शुक्र देव तुला राशि में प्रवेश करेंगे। शुक्र को तुला राशि का स्वामी ग्रह माना जाता है। ऐसे में शुक्र का तुला राशि में गोचर इन राशियों के लिए बेहद लाभकारी माना जा रहा है।
मेष राशि-
शुक्र के तुला में प्रवेश करने से मेष राशि के जातकों को विशेष रूप से फायदा मिलेगा। यह समय किसी प्रॉपर्टी या बिजनेस में निवेश करने के लिए अच्छा माना जा रहा है। वहीं, परिवार के सदस्यों के साथ आपके संबंध गहरे होंगे। आपका मान-सम्मान बढ़ेगा और धन का आगमन भी होगा। लव लाइफ में रोमांस भी बना रहेगा। सिंगल लोगों के जीवन में किसी स्पेशल की एंट्री हो सकती है।
तुला राशि-
अपनी स्वराशि में शुक्र के प्रवेश करने से तुला राशि वालों को बम्पर लाभ मिल सकता है। रुके हुए काम बनने लगेंगे। शुक्र की कृपा से जीवन में प्रेम बना रहेगा। धन की कमी नहीं होगी और रुका हुआ धन वापस भी मिलेगा। अपनी सेहत का ख्याल रहें। वहीं, करियर लाइफ से जुड़ा आपको ऐसा कोई सरप्राइज मिल सकता है, जिससे यात्रा पर भी जाना पड़ सकता है।
मिथुन राशि-
मिथुन राशि के लोगों के लिए शुक्र ग्रह का यह गोचर बेहद ही लकी माना जा रहा है। आकस्मिक धन लाभ होने के योग बन रहे हैं। आपका स्वास्थ्य बेहतर रहेगा । जीवनसाथी के साथ संबंध और गहरे होंगे। विदेश यात्रा पर जाने का योग भी बनता दिख रहा है। कुल मिलाकर ये समय आपके लिए अच्छा रहने वाला है।
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वास्तु शास्त्र के अनुसार किस दिशा में रखना चाहिए पैसा

हर व्यक्ति के जीवन में वास्तु शास्त्र बेहद महत्व रखता है। इसमें व्यक्ति के जीवन से जुड़ी हर चीज के लिए नियम बनाये गए हैं। जिनका पालन करने से जीवन में खुशियां आती हैं, वहीँ अगर वास्तु शास्त्र के नियम का पालन नहीं किया जाए तो जीवन में कई समस्या आती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में वह स्थान महत्वपूर्ण माना जाता है जहां धन रखा जाता है , जी हाँ घर में जिस जगह पर पैसे रखे जाते है उस जगह का खास ख्याल रखना चाहिए। गलत स्थान पर पैसा रखने से माँ लक्ष्मी नाराज हो सकती है। तो जानिए आपको घर में किस दिशा में रखना चाहिए अपना पैसा:
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में अगर पैसा या खजाना सही दिशा में रखा जाए तो धन-संपदा बढ़ती है, लेकिन अगर इसे गलत दिशा में रखा जाए तो नुकसान का सामना करना पड़ता है और सारी जमा पूंजी धीरे-धीरे खत्म हो जाती है। वास्तु के अनुसार घर के दक्षिण-पूर्व कोने में कभी भी पैसा या कीमती सामान नहीं रखना चाहिए। इससे धन में कमी आती है और अनावश्यक खर्चे भी बढ़ते हैं जिससे व्यक्ति कर्ज में डूब जाता है।
इसके अलावा दक्षिण दिशा में तिजोरी या पैसा रखने से आर्थिक हानि की समस्या दूर होती है और सौभाग्य भी आता है। वास्तु के अनुसार, पश्चिम दिशा में खजाना या पैसा रखने का मतलब है पैसा कमाने के लिए अधिक प्रयास करना और कोई परिणाम नहीं मिलना। वास्तु शास्त्र के अनुसार सुरक्षित या समृद्ध स्थान के लिए उत्तर दिशा सबसे उपयुक्त दिशा मानी जाती है। इस दिशा में धन रखने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे धन में लगातार वृद्धि होती है।
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संकष्टी चतुर्थी पर बन रहा शुभ संयोग, करें ये उपाय

हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है। चतुर्थी महीने में दो बार आती है, एक बार शुक्ल पक्ष में और एक बार कृष्ण पक्ष में। यह दिन पूरी तरह से भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है। इस शुभ दिन पर लोग प्रार्थना करते हैं और उपवास करते हैं। प्रत्येक चतुर्थी संकष्टी का अपना नाम, कहानी और पृष्ठभूमि होती है। इस महीने गणदीप संकष्टी चतुर्थी मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में आती है।
हिंदू धर्म में, भगवान गणेश को शुभ शगुन और समस्याओं को दूर करने वाले के रूप में पूजा जाता है। भक्तों का मानना ​​है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से विघ्न दूर होते हैं और भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि दयालु भगवान पूजा और उपवास के माध्यम से विश्वासियों की दिल की इच्छाओं को पूरा करते हैं।
गणदीप संकष्टी चतुर्थी का भविष्य के लिए अनोखा ज्योतिषीय महत्व है क्योंकि इस विशेष दिन पर तीन शुभ योग बनते हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर 3:01 बजे शुरू होता है और अगले दिन सुबह 6:56 बजे समाप्त होता है और कहा जाता है कि यह बड़ी सफलता देता है। शुभ योग, जो सुबह शुरू होता है और रात 8:15 बजे तक रहता है, और शुक्र योग, जो रात 8:15 बजे शुरू होता है। और रात्रि 8:04 बजे तक रहता है। अगले दिन की दोपहर में, संरेखण और वृद्धि का यह शुभ कंपन। यह आकाश को प्रतिबिंबित करता है.
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मासिक शिवरात्रि 11 दिसंबर को, 2 अद्भुत संयोग में करें भोलेनाथ की पूजा

हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि पर्व के साथ-साथ हर माह मनाई जाने वाली मासिक शिवरात्रि का भी विशेष महत्व है। इस दिन भगवान भोलेनाथ की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, जिन लोगों की शादी में रुकावट आ रही है या शादी का रिश्ता बार-बार टूट जाता है। ऐसे लोगों को मासिक शिवरात्रि व्रत जरूर करना चाहिए।
मासिक शिवरात्रि को लेकर पौराणिक मान्यता-
भगवान भोलेनाथ की महिमा और शिव आराधना के बारे में विस्तार से जिक्र शिव पुराण में मिलता है। शिव पुराण के मुताबिक, कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। यही कारण है कि इस दिन हर माह मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है।
2 अद्भुत संयोग में करें शिव पूजा-
पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, इस बार मासिक शिवरात्रि पर सुकर्मा योग के साथ दो अद्भुत संयोग निर्मित हो रहे हैं। पंचांग के मुताबिक, मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 11 दिसंबर को सुबह 07.10 बजे शुरू होगी और 12 दिसंबर को सुबह 06.24 मिनट पर समाप्त होगी। इस दौरान सुकर्मा योग
शाम को 08.59 मिनट तक है। इस दौरान शिव जी की पूजा करने से मनोवांछित फल प्राप्त होता है। वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग योग दोपहर में 12.14 मिनट से शुरू होगा, जो अगले दिन सुबह 07.14 बजे तक रहेगा।

डिसक्लेमर
इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/जयोतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेंगी।
 
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दिसंबर में शादी के सिर्फ 9 शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में देवउठनी एकादशी से सभी शुभ कार्य जैसे शादी-विवाह, मुंडन, जनेऊ आदि की शुरुआत हो जाती है। दिसंबर माह जल्द ही शुरू होने वाला है और इस माह में विवाह मुहूर्त की बात की जाए तो सिर्फ 15 दिसंबर तक ही शादी के लिए शुभ मुहूर्त हैं। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, 15 दिसंबर 2023 से 15 जनवरी 2024 तक खरमास लगने के कारण विवाह आदि शुभ कार्य वर्जित होंगे।
दिसंबर में कब-कब विवाह के शुभ मुहूर्त-
3 दिसंबर रविवार, 4 दिसंबर सोमवार, 5 दिसंबर मंगलवार, 6 दिसंबर बुधवार, 7 दिसंबर गुरुवार, 8 दिसंबर शुक्रवार, 9 दिसंबर शनिवार, 11 दिसंबर सोमवार, 15 दिसंबर शुक्रवार
पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, 15 दिसंबर के बाद अगले साल जनवरी माह में मकर संक्रांति के बाद ही विवाह किए जा सकते हैं। वहीं दिसंबर माह में तिथि की बात की जाए तो द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, एकादशी और त्रयोदशी तिथियां पर ही शादी की जा सकती है। ये तिथियां शादी के लिए सर्वोत्तम हैं।
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मंगलवार व्रत करने से दूर होंगे सारे कष्ट

हिंदू धर्म सप्ताह का हर दिन किसी भी देवी देवता की आराधना में उनकी पूजा की जाती है। और व्रत आदि भी होते हैं।माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु की कृपा बरसती है। लेकिन आज हम आपको अपने इस लेख में बता रहे हैं कि किन लोगों को विशेष रूप से मंगलवार का व्रत करना चाहिए ताकि उन्हें हनुमान जी का आशीर्वाद मिले और साथ ही अमल का नाश हो तो आइए जानते हैं।
इन लोगों को जरूर करना चाहिए मंगलवार व्रत-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल देव हैं ऐसे में इन राशियों के जातकों को मंगलवार के दिन व्रत अवश्य करना चाहिए माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से जीवन के कष्टों और वृद्धों से मुक्ति मिल जाती है वही कर्क राशि में मंगल ग्रह का जन्म होता है ऐसा माना जाता है कि इस राशि के जातक को भी हनुमान जी का व्रत करना चाहिए ऐसा करने से लोगों को हनुमान जी और मंगल देव की कृपा मिलती है और जीवन के कष्टों से राहत मिलती है।
यदि ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष के लिए आप विशेष रूप से इस व्रत का शुभारम्भ कर सकते हैं तो विशेष रूप से मंगलवार से इस व्रत का शुभारम्भ करें। प्राप्त होता है और कष्टों का निवारण हो जाता है।
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