धर्म समाज

मार्गशीर्ष मास का पहला प्रदोष व्रत, जानिए...तिथि, मुहूर्त और व्रत के नियम

सनातन धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन प्रदोष व्रत को बहुत ही खास माना गया है जो कि हर माह में दो बार पड़ता है। यह तिथि भगवान शिव को समर्पित होती है इस दिन भक्त शिव की विधिवत पूजा करते हैं और दिनभर उपवास आदि भी रखते हैं
माना जाता है कि ऐसा करने से महादेव की कृपा बरसती है और जीवन की दुख परेशानियां भी दूर हो जाती है साथ ही सुखी जीवन का आशीर्वाद मिलता है। मार्गशीर्ष मास के पहले प्रदोष व्रत की तारीख और मुहूर्त की जानकारी आइए जानते हैं।
गुरु प्रदोष व्रत की तारीख-
हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 28 नवंबर को सुबह 6 बजकर 23 मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन 29 नवंबर को सुबह 8 बजकर 39 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में मार्गशीर्ष मास का प्रदोष व्रत 28 नवंबर दिन गुरुवार को किया जाएगा। गुरुवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने के कारण ही इसे गुरु प्रदोष के नाम से जाना जा रहा है।
गुरु प्रदोष व्रत के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त यानी प्रदोष पूजा मुहूर्त शाम को 5 बजकर 24 मिनट से लेकर शाम को 8 बजकर 6 मिनट तक रहेगा। ऐसे में भक्तों को पूजा पाठ के लिए 2 घंटे 2 4 मिनट का समय प्राप्त हो रहा है
प्रदोष व्रत के नियम-
प्रदोष व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठें। सूर्योदय से पहले स्नान करें और फिर उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प लें।
व्रत का संकल्प लेने के बाद पूजा स्थाल की अच्छा से साफ सफाई करें और भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें। जल में कच्चा दूध, दही, शहद और गंगाजल मिलाकर अभिषेक करना है।
इसके बाद शिव परिवार का पूजन करें और फिर भगवान शिव को बेलपत्र, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें। साथ ही माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
इसके बाद प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें और शिव चालीसा का पाठ करें। सबसे अंत में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
पूजा के पाठ भोजन बनाकर सबसे पहले गाय को खिलाएं। इसके बाद खुद भोजन करके अपना उपवास खोलें।
और भी

उत्पन्ना एकादशी 26 नवंबर को, ऐसे करें भगवान विष्णु को प्रसन्न

हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन एकादशी तिथि को खास माना गया है जो कि भगवान विष्णु को समर्पित होती है इस दिन भक्त भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं पंचांग के अनुसार हर माह में दो एकादशी व्रत पड़ते हैं ऐसे साल में कुल 24 एकादशी आती है। अभी मार्गशीर्ष मास चल रहा है और इस माह पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्न एकादशी के नाम से जाना जा रहा है इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है और जीवन की परेशानियां दूर हो जाती हैं इस बार उत्पन्ना एकादशी का व्रत 26 नवंबर दिन मंगलवार को किया जाएगा तो आज हम आपको पूजा विधि बता रहे हैं।
उत्पन्ना एकादशी की पूजा विधि-
आपको बता दें कि एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें। इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण कर हाथ में जल, चावल और पुष्प लेकर व्रत पूजा का संकल्प करें। अब पूजा स्थल पर साफ सफाई करके एक लकड़ी की चौकी रखें। इसके बाद शुभ मुहूर्त में इस पर लाल वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान की प्रतिमा को तिलक लगाएं और हार पुष्प अर्पित कर घी का दीपक भी जलाएं।
अबीर, रोली, चंदन, हल्दी, चावल आदि चीजें भगवान को अर्पित कर पूजा के दौरान ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करें। पूजा के बाद अपनी इच्छा अनुसार भगवान को भोग लगाएं। इसमें तुलसी जरूर डालें। अब विधिवत प्रभु की आरती करें और दिनभर व्रत के नियमों का पालन करें। अगले दिन व्रत का पारण कर गरीबों को दान दें। मान्यता है कि इस विधि से एकादशी व्रत करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और घर में सुख शांति बनी रहती है।
और भी

प्रयागराज महाकुंभ 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक

महाकुंभ के आयोजन की तैयारियां जोरों शोरों पर चल रही है और इसे लेकर लोगों में काफी उत्साह भी देखने को मिल रहा है आपको बता दें कि यूपी यानी उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 12 वर्षों के बाद साल 2025 में महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है। इस बार महाकुंभ में 40 से 45 करोड़ श्रद्धालुओं और भक्तों के आने का अनुमान लगाया जा रहा है।
जिसे देखते हुए सुविधाओं के इंतजाम भी उसी स्तर से किए जा रहे हैं। पंचांग के अनुसार इस बार महाकुंभ का मेला पौष पूर्णिमा से आरंभ होकर महाशिवरात्रि तक चलेगा। प्रयागराज में इससे पहले साल 2013 में महाकुंभ मेले का आयोजन किया गया था। लेकिन इस बार लगने जा रहे महाकुंभ मेला उससे भी कहीं अधिक दिव्य और विराट होने वाला है। क्योंकि इस महाकुंभ की तैयारियों पर स्वयं पीएम मोदी और सीएम योगी की नजरें बनी हुई हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा महाकुंभ की विशेष तिथियों के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं, तो आइए जानते हैं।
कब से कब तक चलेगा महाकुंभ मेला-
आपको बता दें कि इस बार प्रयागराज महाकुंभ पौष पूर्णिमा यानी की 13 जनवरी 2025 से आरंभ होगा। जो कि महाशिवरात्रि यानी 26 फरवरी तक चलेगा। इस बार के महाकुंभ में शादी स्नान की कुल 6 तिथियां होंगी। जिसमें साधु संतों के अखाड़े स्नान करेंगे इस दौरान महाकुंभ में सबसे अधिक भीड़ देखने को मिलती है।
शादी स्नान की प्रमुख तिथि-
आपको बता दें कि महाकुंभ का पहला शाही स्नान 13 जनवरी को होगा। इस दौरान पौष पूर्णिमा होगी। इसके 14 जनवरी को दूसरा भव्य शाही स्नान किया जाएगा। ​इस दिन मकर संक्रांति पड़ेगी। 29 जनवरी को मौनी अमावस्या होगी। इस दिन भी शाही स्नान के साथ दान भी होगा। 3 फरवरी को माह महीने में बसंत पंचमी मनाई जाएगी और इसी दिन चौथा प्रमुख शाही स्नान किया जाएगा। 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा के दिन पांचवा बड़ा स्नान होगा। 26 फरवरी के दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। जिसमें आखिरी शाही स्नान होगा। इसके बाद मेला धीरे धीरे समापन की ओर चल पड़ेगा।
और भी

भैरव अष्टमी पर ऐंद्र योग का संयोग, पूजन से होगी उच्चपद की प्राप्ति

अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर 23 नवंबर को भैरव अष्टमी मनाई जाएगी। इस बार भैरव अष्टमी ऐंद्र योग के महासंयोग में आ रही है। इस योग में भगवान भैरव का पूजन उच्चपद प्रदान करने वाला माना गया है।
इस दृष्टि से इस योग में उज्जैन में विराजित अष्ट महाभैरव का पूजन महाफलदायी रहेगा। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया पौराणिक मान्यता तथा एवं भैरव तंत्र के ग्रंथों में मार्गशीर्ष (अगहन) मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मध्य रात्रि में भगवान महाभैरव के प्राकट्य की मान्यता है।
इस बार भैरव अष्टमी 23 नवंबर शनिवार के दिन ऐंद्र योग में आ रही है शनिवार का दिन भी भैरव की साधना के लिए उपयुक्त माना जाता है। ऐंद्र योग में विशिष्ट साधना उच्च पद दिलवाती है इस दृष्टि से अष्ट भैरव का पूजन करना चाहिए।
चारों प्रहर की पूजा विशिष्ट फल प्रदान करेगी-
साधना तंत्र व भैरव तंत्र में जो मूल उपासक या साधक होते हैं, वह भैरव की अलग-अलग प्रकार से साधना उपासना करते हैं। इसमें वैदिक व तामसी दोनों ही प्रकार की पूजन का उल्लेख है। भैरव मूल रूप से तमोगुण के अधिष्ठात्र हैं, अर्थात तमोगुण का आधिपत्य भैरव के पास है।
यह शिव के अंश है इस दृष्टि से भैरव की रात्रि काल में की गई साधना विशेष फल प्रदान करती है लेकिन सामान्य भक्त चार प्रहर में भगवान की पूजा अर्चना कर सकते हैं। महाभैरव भक्त की सरल हृदय से की गई प्रार्थना को स्वीकार करते हुए, मनोकामना पूर्ण करते हैं।
स्कंद पुराण में अष्ट भैरव यात्रा का उल्लेख-
स्कंद पुराण के अवंती खंड में अष्ट महाभैरव की यात्रा का उल्लेख प्राप्त होता है। पौराणिक मान्यता में भैरव के अलग-अलग प्रकार के नाम का प्राचीन उल्लेख बताया जाता है। पौराणिक मान्यता में भैरव से संबंधित कथाओं का उल्लेख मिलता है, लेकिन वर्तमान में अष्ट महाभैरव में कालभैरव, विक्रांत भैरव, आनंद भैरव, बटुक भैरव, दंडपाणि भैरव, आताल पाताल भैरव आदि का उल्लेख है।
बालरूप में विराजित हैं आताल पातल भैरव-
पौराणिक मान्यता के अनुसार अष्ट महाभैरव में बाल स्वरूप में जिन भैरव की कथा मिलती है, वह सिंहपुरी स्थित आताल पाताल भैरव के रूप में स्थापित हैं। यहां पर अलग-अलग मान्यताओं के चलते नवनाथों का भी आगमन संबंधित कथाओं में प्राप्त होता है। आगम ग्रंथ में इसका उल्लेख कहीं-कहीं प्राप्त होता है। आताल पाताल भैरव इसलिए भी विशेष है क्योंकि यहां पर विश्व की सबसे बड़ी गाय के गोबर से बने कंडों की होली बनाई जाती है।
और भी

मासिक जन्माष्टमी 22 नवंबर को, जानिए...मुहूर्त एवं पूजा विधि

हिंदू धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाएं जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बेहद ही खास माना जाता है जो कि माह में पड़ता है। यह तिथि भगवान कृष्ण को समर्पित होती है इस दिन भक्त भगवान कृष्ण की विधिवत पूजा करते हैं और उपवास आदि भी रखते हैं
मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान कृष्ण की कृपा से जीवन में सुख शांति बनी रहती है और कष्टों का निवारण हो जाता है। इस बार मासिक जन्माष्टमी 22 नवंबर दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी तो आज हम आपको पूजा की विधि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
मासिक जन्माष्टमी की तारीख और मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार मार्गशीर्ष माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 22 नवंबर को शाम 6 बजकर 7 मिनट पर हो रहा है और इस तिथि का समापन अगले दिन यानी की 23 नवंबर को शाम 7 बजकर 56 मिनट पर हो जाएगा। वही उदया तिथि के अनुसार इस बार 22 नवंबर दिन शुक्रवार को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत किया जाएगा।
मासिक जन्माष्टमी की पूजा विधि-
आपको बता दें कि मासिक जन्माष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद लाल वस्त्र धारण करें। अब घर के मंदिर में एक चौकी रखें उस पर लाल वस्त्र बिछाएं। इसके बाद भगवान कृष्ण की प्रतिमा को स्थापित करें। प्रतिमा के समक्ष घी का दीपक जलाएं और व्रत पूजा का संकल्प करें। पंचामृत या गंगाजल से भगवान को स्नान कराएं। इसके बाद भगवान कृष्ण को नए वस्त्र पहनाएं और बाद में श्रृंगार भी करें। श्री कृष्ण को रोली से तिलक लगाएं। तुलसी के पत्ते, माखन, मिश्री, फल और पुष्प अर्पित करें इस दौरान भगवान कृष्ण के मंत्रों का जाप करें अंत में आरती कर पूजा का समापन करें।
और भी

जल्द वक्री होने जा रहा है बुध, करियर में आएगा बड़ा बदलाव

  • ज्योतिषाचार्य से जानिए सरल उपाय...
इंदौर। बुध ग्रह 26 नवंबर 2024 की सुबह 07:39 बजे वृश्चिक राशि में वक्री हो जाएंगे। ज्योतिष में बुध ग्रह को बुद्धि, संवाद, व्यापार और रिश्तों का प्रतिनिधि माना जाता है। बुध का वक्री होना कई राशियों पर खास प्रभाव डाल सकता है, जिससे जीवन के कई पहलुओं में उतार-चढ़ाव आ सकते हैं।
इस विशेष समय के दौरान कुछ राशियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जबकि कुछ के लिए यह समय अवसरों से भरा होगा। आइए पंडित हर्षित मोहन शर्मा से जानते हैं कि बुध वृश्चिक राशि में वक्री होने से विभिन्न राशियों पर क्या असर पड़ेगा और उन्हें किन उपायों की आवश्यकता हो सकती है।
मेष राशि-
मेष राशि के जातकों के लिए बुध ग्रह तीसरे और छठे भाव का स्वामी है। अब यह आठवें भाव में वक्री हो रहे हैं। इस दौरान कार्यस्थल पर काम का बोझ बढ़ सकता है, जिससे आप व्यस्त रहेंगे। व्यापार में लाभ और हानि दोनों का सामना करना पड़ सकता है।
आर्थिक दृष्टिकोण से भी यह समय कठिन हो सकता है। निजी जीवन में रिश्तों में विश्वास की कमी हो सकती है, जिससे आपको अधिक धैर्य की आवश्यकता होगी। स्वास्थ्य के लिहाज से आंखों और दांतों में समस्या हो सकती है।
उपाय : प्रतिदिन “ॐ भौमाय नमः” का 19 बार जाप करें।
वृषभ राशि-
वृषभ राशि के जातकों के लिए बुध ग्रह दूसरे और पांचवे भाव का स्वामी है। अब यह सातवें भाव में वक्री हो रहे हैं। इस समय आप नए लोगों से मिलेंगे और कुछ दोस्त बनेंगे, लेकिन उनके साथ रिश्तों में उतार-चढ़ाव रह सकते हैं। करियर में औसत परिणाम मिल सकते हैं, लेकिन व्यापार में आपको अच्छा लाभ मिलेगा।
आर्थिक जीवन में यात्राओं से लाभ हो सकता है। निजी जीवन में आपको अपने साथी के साथ सामंजस्य बनाए रखने की आवश्यकता होगी। स्वास्थ्य के लिहाज से कमर दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
उपाय : गुरुवार को गुरु ग्रह के लिए यज्ञ/हवन करें।
मिथुन राशि-
मिथुन राशि के जातकों के लिए बुध पहले और चौथे भाव के स्वामी हैं और अब यह छठे भाव में वक्री हो रहे हैं। इस दौरान घर-परिवार में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। करियर में सहकर्मियों के साथ विवाद होने की संभावना है। व्यापार में प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है और लोन लेने की स्थिति भी बन सकती है।
आर्थिक दृष्टिकोण से खर्चों का सामना करना पड़ सकता है। निजी जीवन में रिश्तों में तनाव हो सकता है और स्वास्थ्य में पेट और कमर की समस्याएं हो सकती हैं।
उपाय : प्रतिदिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
कर्क राशि-
कर्क राशि के जातकों के लिए बुध ग्रह बारहवें और तीसरे भाव का स्वामी है और अब यह पांचवे भाव में वक्री हो रहे हैं। इस समय आपके ऊपर से भरोसा उठ सकता है, लेकिन आप इसे फिर से हासिल करने में सक्षम हो सकते हैं। करियर में काम का दबाव बढ़ सकता है, जिससे तनाव हो सकता है।
व्यापार में अगर आप शेयर बाजार से जुड़े हैं तो अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। आर्थिक दृष्टिकोण से खर्चे आय से ज्यादा हो सकते हैं, जिससे तनाव हो सकता है। निजी जीवन में अहंकार से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। स्वास्थ्य के लिहाज से संतान के स्वास्थ्य पर खर्च हो सकता है।
उपाय : प्रतिदिन “ॐ सोमाय नमः” का 21 बार जाप करें।
सिंह राशि-
सिंह राशि के जातकों के लिए बुध ग्रह ग्यारहवें और दूसरे भाव का स्वामी है। अब यह चौथे भाव में वक्री हो रहे हैं। इस दौरान घर-परिवार में समस्याओं को हल करने की कोशिश करेंगे, लेकिन करियर में नौकरी में बदलाव की संभावना हो सकती है।
व्यापार में प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है और बिनेस पार्टनर के साथ भी समस्याएं हो सकती हैं। आर्थिक दृष्टिकोण से पैसे का आनंद लेने में कठिनाई हो सकती है। निजी जीवन में रिश्तों में मधुरता की कमी हो सकती है। स्वास्थ्य में पैरों में दर्द की समस्या हो सकती है।
उपाय : प्रतिदिन आदित्य हृदयम स्त्रोत का जाप करें।
कन्या राशि-
कन्या राशि के जातकों के लिए बुध ग्रह लग्न और दसवें भाव का स्वामी है और अब यह तीसरे भाव में वक्री हो रहे हैं। इस दौरान काम में प्रयासों के परिणाम में देरी हो सकती है और भाग्य भी कमजोर रह सकता है। करियर में नौकरी में बदलाव की संभावना हो सकती है।
व्यापार में नए प्रयासों से लाभ की संभावना कम है। आर्थिक दृष्टिकोण से, लापरवाही से धन हानि हो सकती है। निजी जीवन में पार्टनर के साथ रिश्तों में कमी हो सकती है। स्वास्थ्य में तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
उपाय : प्रतिदिन “ॐ गं गणपतये नमः” का 11 बार जाप करें।
तुला राशि-
तुला राशि के जातकों के लिए बुध का वक्री होना उनके दूसरे भाव में प्रभाव डालेगा। इस दौरान आप बच्चों की प्रगति को लेकर चिंतित रह सकते हैं। करियर में काम के सिलसिले में यात्रा करनी पड़ सकती है, लेकिन ये यात्राएं आपकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरेंगी।
व्यापार में मुनाफा कम हो सकता है और पार्टनरशिप में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। आर्थिक जीवन में भी आप अपनी कमाई बचाने में असमर्थ हो सकते हैं। रिश्तों में संतुलन बनाए रखने के लिए साथी की बातों को ध्यान से सुनें। स्वास्थ्य के लिहाज से, आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है।
उपाय : प्रतिदिन “ॐ गुरवे नमः” का 21 बार जाप करें।
वृश्चिक राशि-
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बुध का वक्री होना उनके लग्न भाव में प्रभाव डालेगा। इस दौरान उन्हें अपने प्रयासों में बाधाएं आ सकती हैं, लेकिन अंत में सफलता मिल सकती है। करियर में नौकरी बदलने का विचार हो सकता है।
व्यापार में अपेक्षित लाभ नहीं मिल सकता और योजनाओं में गिरावट देखने को मिल सकती है। आर्थिक दृष्टिकोण से, धन कमाने में परेशानियां आ सकती हैं। रिश्तों में उतार-चढ़ाव आ सकते हैं, इसलिए आपको संयम और परिपक्वता की आवश्यकता होगी। स्वास्थ्य में सिरदर्द और कपकपी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
उपाय : प्रतिदिन “ॐ हनुमते नमः” का 11 बार जाप करें।
धनु राशि-
धनु राशि के जातकों के लिए बुध का वक्री होना उनके बारहवें भाव में प्रभाव डालेगा। इस समय लंबी यात्राओं के दौरान समस्याएं आ सकती हैं और महत्वपूर्ण निर्णय लेने से बचना चाहिए। कार्यस्थल पर सहकर्मियों से समस्या हो सकती है, जिनकी जलन आपके प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती है।
व्यापार में भी साझेदार से सहयोग की कमी हो सकती है। आर्थिक जीवन में आय के अवसर कम हो सकते हैं और खर्चों में वृद्धि हो सकती है। रिश्तों में अहंकार से बचें, अन्यथा यह आपके संबंधों को प्रभावित कर सकता है। स्वास्थ्य में मोटापे की संभावना बढ़ सकती है।
उपाय : प्रतिदिन "ॐ राहवे नमः" का 22 बार जाप करें।
मकर राशि-
मकर राशि के जातकों के लिए बुध का वक्री होना उनके ग्यारहवें भाव में प्रभाव डालेगा। इस दौरान आपको काम में अच्छे परिणाम मिल सकते हैं, और आपकी इच्छाओं की पूर्ति हो सकती है। नौकरी में नए अवसर मिल सकते हैं।
व्यापार में अच्छे लाभ की संभावना है। आर्थिक दृष्टिकोण से भी आपको भाग्य का साथ मिलेगा। निजी जीवन में, आप अपने पार्टनर के साथ अच्छे संबंध बनाए रखेंगे। स्वास्थ्य के लिहाज से, आप ऊर्जावान और फिट महसूस करेंगे।
उपाय : प्रतिदिन “ॐ शिव ॐ शिव ॐ” का 22 बार जाप करें।
कुंभ राशि-
कुंभ राशि के जातकों के लिए बुध का वक्री होना उनके दसवें भाव में प्रभाव डालेगा। इस दौरान कार्य के सिलसिले में यात्रा करनी पड़ सकती है, लेकिन अच्छे कर्म करना जरूरी होगा। करियर में आप पेशेवर तरीके से काम करेंगे और सकारात्मक परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।
व्यापार में शेयर बाजार से अच्छे लाभ की संभावना है, और पैतृक संपत्ति से भी लाभ हो सकता है। आर्थिक जीवन में इस समय अत्यधिक लाभ मिलने की संभावना है। रिश्तों में आपसी तालमेल अच्छा रहेगा और स्वास्थ्य भी फिट रहेगा।
उपाय : प्रतिदिन “ॐ केतवे नमः” का 22 बार जाप करें।
मीन राशि-
मीन राशि के जातकों के लिए बुध का वक्री होना उनके नौवें भाव में प्रभाव डालेगा। इस दौरान आपको जीवन में सुख-सुविधाओं की कमी महसूस हो सकती है और भाग्य का साथ भी कम रहेगा। संपत्ति से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। करियर में कार्यों की योजना पेशेवर तरीके से बनानी चाहिए ताकि सफलता मिल सके। व्यापार में बाधाएं आ सकती हैं और लाभ कम हो सकता है।
आर्थिक जीवन में भी समस्याएं आ सकती हैं, जिससे आप धन संभालने में मुश्किल महसूस करेंगे। निजी जीवन में रिश्तों में खुशियों की कमी हो सकती है। यात्रा करते समय सावधानी बरतें, क्योंकि दुर्घटनाओं की संभावना हो सकती है।
उपाय : प्रतिदिन “ॐ शनैश्चराय नमः” का 44 बार जाप करें।

डिसक्लेमर-
'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'
और भी

मासिक शिवरात्रि 29 नवंबर को, भोलेनाथ को ऐसे करें प्रसन्न

हिन्दू धर्म में मासिक शिवरात्रि का बहुत अधिक महत्व होता है. मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने से लोगों को हर इच्छा पूरी होती है| भगवान शिव की कृपा से कुंवारी कन्याओं को भी मनचाहा वर पाने का आशीर्वाद प्राप्त होता है|
पंचांग के अनुसार, मासिक शिवरात्रि मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 29 नवंबर को सुबह 8 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 30 नवंबर को सुबह 10 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होती. ऐसे में मार्गशीर्ष माह की मासिक शिवरात्रि 29 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी. क्योंकि मासिक शिवरात्रि की पूजा रात के समय होती है|
मासिक शिवरात्रि का महत्व-
अगर आपकी शादी में देरी हो रही है, तो मासिक शिवरात्रि के दिन ये उपाय भी कर सकते हैं क्योंकि मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने से मनचाहा जीवनसाथी मिलता है और विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से शिवलिंग का अभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करने से पापों का नाश होता है और मन शांत होता है. इसके अलावा दूध से अभिषेक करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है
भगवान शिव को ऐसे करें प्रसन्न-
मासिक शिवरात्रि के दिन गन्ने के रस, पंचामृत, कच्चे दूध, गंगाजल, शहद, शुद्ध घी, दही से शिवलिंग का अभिषेक करें.
पूजा के दौरान शिवलिंग पर पुष्प, बिल्वपत्र, धतूरा, श्रीफल, भांग, चंदन आदि चढ़ाएं.
पूजा के दौरान अथर्गलास्तोत्रम्, शिव तांडव स्त्रोत, शिव पुराण, शिवाअष्टक, शिव चालीसा का जाप करें.
भौलेनाथ को खीर और मिठाई का भोग लगाएं.
शीशम के पेड़ के सामने सुख-शांति की कामना करें.
मां पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं और ‘ॐ सृष्टिकर्ता मम विवाह कुरु कुरु स्वाहा’ मंत्र का जाप करें.
दान करने से मिलता है पुण्य-
मासिक शिवरात्रि के दिन व्रत रखने से मन को शांत किया जा सकता है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है. बेलपत्र भगवान शिव को बहुत प्रिय है. बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. गरीबों को भोजन दान करने से पुण्य मिलता है और भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. मासिक शिवरात्रि के दिन शिव मंदिर जाकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करें.
विवाह की बाधा होगी दूर-
मंत्र जाप: “ॐ सृष्टिकर्ता मम विवाह कुरु कुरु स्वाहा” इस मंत्र का जाप करने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और शिव परिवार की पूजा करने से विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान होता है. मां पार्वती को लाल फूल चढ़ाएं और उनसे मनचाहा जीवनसाथी पाने की प्रार्थना करें. इन उपायों को करने से भगवान शिव आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करेंगे और विवाह संबंधी बाधाएं दूर होंगी
और भी

भैरव अष्टमी 22 को, व्रत करने से सभी कार्य होंगे सिद्ध

  • कालाष्टमी के दिन करें ये उपाय
रवि योग और इंद्र योग में 22 नवंबर को भैरव अष्टमी मनाई जाएगी। भैरव अष्टमी को देवाधिदेव महादेव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा की जाती है। भैरव अष्टमी का व्रत करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर काल भैरव देव की पूजा की जाती है। भैरव अष्टमी का व्रत करने से साधक को विशेष कार्य में सफलता और सिद्धि मिलती है।
तंत्र विद्या सीखने वाले साधक कालाष्टमी पर काल भैरव देव की कठिन उपासना करते हैं। धार्मिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान काल भैरव का जन्म हुआ था। इस दिन भगवान शिव के रौद्र स्वरूप काल भैरव की पूजा विधि-विधान के साथ की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा-पाठ, दान करने से काल भैरव प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
कालाष्टमी पर शुभ योग-
इस दिन ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही इंद्र योग का निर्माण होगा। इसके अलावा, रवि योग बनेगा। इन योग में भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी।
काल भैरव मंदिरों में तैयारियां शुरू-
भैरव अष्टमी में सप्ताहभर शेष है। नगर के प्रमुख भैरव मंदिर नया बाजार चौराहा, सराफा बाजार, माधवगंज, स्टेशन पुल के नीचे मंशापूर्ण हनुमान मंदिर व सिटी सेंटर स्थित महाबली हनुमान मंदिर में विराजित भैरव सहित अन्य मंदिरों में तैयारियां शुरु हो गई हैं। हनुमान जी की तरह भैरवजी की प्रतिमा पर भी सिंदूर का चोला अर्पित किया जाता है। मूंग व उड़द की दाल के मंगौड़े, इमरती, कचौड़ी का भोग अर्पित होता है। भैरव अष्टमी के साथ 56 भोग व भंडारों का भी आयोजन किया जाएगा।
भैरव अष्टमी पर यह रहेगा शुभ मुहूर्त-
वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 नवंबर को शाम छह बजकर सात मिनट पर शुरू होगी। इस तिथि का समापन 23 नवंबर को शाम सात बजकर 56 मिनट पर होगा। काल भैरव देव की पूजा निशा काल में होती है। इसलिए 22 नवंबर को कालाष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भी मनाई जाएगी।
कालाष्टमी के दिन करें ये उपाय-
काले तिल का दान- कालाष्टमी के दिन काले तिल का दान करना काल भैरव को बहुत प्रिय होता है. मान्यता है कि काले तिल का दान करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है|
लोहे की वस्तुओं का दान- कालाष्टमी के मौके पर काल भैरव के प्रसन्न करने के लिए लोहे की कील, लोहे की चम्मच आदि का दान करने से व्यक्ति को शत्रुओं से मुक्ति मिलती है और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है|
काले कुत्ते को रोटी खिलाएं- काला कुत्ता काल भैरव का वाहन माना जाता है. इसलिए कालाष्टमी के दिन काले कुत्ते को रोटी खिलाने से काल भैरव प्रसन्न होते हैं. यदि काला कुत्ता न मिले तो किसी अन्य कुत्ते को भी रोटी खिला सकते हैं|
सरसों के तेल का दीपक- कालाष्टमी के दिन सरसों के तेल का दीपक जलाकर काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है|
काल भैरव मंत्र का जाप- कालाष्टमी के दिन “ॐ क्लीं कालिकायै नमः” इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को काल भैरव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सभी संकट दूर होते हैं|
और भी

CM विष्णुदेव साय ने मां दंतेश्वरी की पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की

रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने मां दंतेश्वरी की पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने मां दंतेश्वरी की पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने आज दंतेवाड़ा में बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी की  पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की। इस दौरान मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या देवी साय और परिवार के अन्य सदस्य उपस्थित थे। इस अवसर पर विधायक श्री चैतराम अटामी, राज्य महिला आयोग की सदस्य श्रीमती ओजस्वी मण्डावी तथा अन्य जनप्रतिनिधियों सहित मुख्यमंत्री के सचिव श्री राहुल भगत, कमिश्नर बस्तर श्री डोमन सिंह सहित अन्य अधिकारीगण भी उपस्थित थे।
और भी

घर की किस दिशा में मनी प्लांट लगाना शुभ होता है...जानिए

वास्तुशास्त्र हम सभी के जीवन में अहम भूमिका अदा करता है इसमें व्यक्ति के जीवन से जुड़ी हर एक चीज़ को लेकर नियम और दिशा के बारे में बताया गया है। वास्तु अनुसार घर में मनी प्लांट को अगर सही दिशा व स्थान पर लगाया जाए
तो माता लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती है और सुख समृद्धि व धन की वर्षा करती है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं कि घर की किस दिशा में मनी प्लांट लगाना शुभ होता है तो आइए जानते हैं।
अधिकतर लोग मनी प्लांट को कहीं पर भी लगा देते हैं लेकिन ऐसा करने से बचना चाहिए। ज्योतिष और वास्तु अनुसार ऐसा करना अनुचित माना गया है। अगर आप इस पौधे की चमत्कारिक शक्तियों काल लाभ पाना चाहते हैं तो इसे सही दिशा में लगाना ही उचित होगा। वासतु अनुसार मनी प्लांट को लगाने की सबसे उचित दिशा दक्षिण पूर्व की दिशा मानी जाती है।
इस दिशा को अग्निकोण कहा जाता है और यह बहुत शुभ होती है। इस दिशा में मनी प्लांट लगाने से घर परिवार में सुख शांति बनी रहती है और लक्ष्मी जी की अपार कृपा प्राप्त होती है। मनी प्लांट को कभी भी सीधा धूप में नहीं रखना चाहिए ऐसा करने से वह सूख सकता है। इसके अलावा हर चार महीने में मनी प्लांट की मिट्टी की गुड़ाई करनी चाहिए उसमें खाद डालना चाहिए। इससे पौधा हरा भरा बना रहता है।
और भी

घर में नकारात्मक ऊर्जा को कम करने के लिए लगाएं ये पौधे

फेंगशुई एक चीनी वास्तु विज्ञान है। फेंगशुई की मदद से आप जीवन में अपनी संभावनाएं बढ़ा सकते हैं। अक्सर गलत आदतों या वास्तु की कमी के कारण नकारात्मक शक्तियां बढ़ती हैं। इसका असर हमारे दैनिक जीवन पर भी देखने को मिलता है. फेंगशुई विद्या के अनुसार कुछ पौधे घर के लिए बहुत शुभ माने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि घर में कुछ पौधे लगाने से नकारात्मक भावनाओं से छुटकारा पाया जा सकता है। साथ ही पौधे लगाकर आप अपने घर में ऑक्सीजन की मात्रा भी बढ़ा सकते हैं। जानिए इन शुभ पौधों के बारे में.
पीस लिली- सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए पीस लिली लगाने पर विचार करें। अपने ऑफिस या घर में पीस लिली का पौधा लगाने से सौभाग्य और समृद्धि बनी रहेगी और प्रगति का मार्ग प्रशस्त होगा।
जेड प्लांट- जेड प्लांट बहुत भाग्यशाली माने जाते हैं। माना जाता है कि इस पौधे को घर के प्रवेश द्वार पर रखने से सकारात्मक ऊर्जा आती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है। यह पौधा न केवल ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाता है बल्कि खुशी और खुशहाली भी बढ़ाता है।
मनी प्लांट- सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के लिए आज ही अपने घर में मनी प्लांट लाएं। मनी प्लांट को भाग्यशाली माना जाता है। मान्यता के अनुसार मनी प्लांट लगाने से पैसों की समस्या दूर हो जाती है।
तुलसी- हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है. माना जाता है कि तुलसी का पौधा लगाने और उसके सामने दीपक जलाने से आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
बांस- बांस घर के लिए बेहद किफायती पेड़ माना जाता है। घर की पूर्व दिशा में बांस का पेड़ लगाने से आपके घर में सुख-समृद्धि बनी रहेगी और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा।
और भी

मंत्री रामविचार नेताम ने महामंडलेश्वर श्री मनमोहनदास जी श्री राधे राधे बाबा का लिया आशीर्वाद

रायपुर। मंत्री रामविचार नेताम ने महामंडलेश्वर श्री मनमोहनदास जी श्री राधे राधे बाबा का आशीर्वाद लिया। X पर मंत्री नेताम ने लिखा, आज रायपुर एयरपोर्ट परिसर में आदरणीय महामंडलेश्वर श्री मनमोहनदास जी श्री राधे राधे बाबा (संयुक्त राष्ट्रीय महामंत्री, संत समिति, केंद्रीय बोर्ड) से सौजन्य भेंट का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस अवसर पर सामाजिक समरसता, आध्यात्मिक उन्नति, और मानसिक शांति जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर गहन चर्चा हुई। उनके प्रेरक विचारों और मार्गदर्शन ने आध्यात्मिक जीवन को सुदृढ़ करने की नई ऊर्जा प्रदान की।
और भी

साढ़ेसाती और ढैय्या से छुटकारा पाने शनिवार के दिन घर में करें ये काम

शनिवार को शनिदेव की पूजा करने की विशेष महत्वता है, क्योंकि शनिवार का दिन शनि ग्रह (शनि देवता) से संबंधित होता है। हिन्दू धर्म में शनि को न्यायाधीश, कर्मफलदाता और कठिनाइयों का निवारण करने वाला माना जाता है। उनका संबंध न केवल व्यक्ति की मेहनत और कर्मों से है, बल्कि वे जीवन में आने वाली समस्याओं, कष्टों और संघर्षों से भी जुड़े हुए हैं। शनिवार को शनिदेव की पूजा से कई लाभ हो सकते हैं, और यह पूजा विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी होती है जिनकी कुंडली में शनि दोष (जैसे शनि की महादशा, अंतर्दशा, साढ़ेसाती या ढैय्या) हो।शनिवार को शनिदेव की पूजा करने के कारण और लाभ-
कर्मों का फल: शनि देवता का प्रमुख कार्य व्यक्ति के कर्मों का हिसाब रखना है। वे अच्छे कर्मों के लिए पुरस्कार और बुरे कर्मों के लिए दंड देते हैं। शनिवार को पूजा करने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में आए संकट दूर हो सकते हैं और अच्छे कर्मों का फल मिलता है।
सनातन धर्म में शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है। शनिदेव लोगों को उनके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। शनिवार का दिन शनिदेव की पूजा के लिए बहुत ही खास माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन शनिदेव की पूरे विधि-विधान से पूजा करने से साढ़ेसाती और ढैय्या जैसे दोष दूर हो जाते हैं। साथ ही जीवन में आने वाली हर समस्या से छुटकारा मिलता है। शनि देव की पूजा के दौरान आरती और मंत्रों का जाप करने का विशेष महत्व है।
साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति-
जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव होता है, उन्हें शनिवार के दिन विशेष रूप से शनि पूजा करनी चाहिए। इससे शनि का अशुभ प्रभाव कम होता है और जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान होता है।
कष्टों और संकटों से राहत: शनि देव को कर्मफलदाता माना जाता है, जो व्यक्ति की मेहनत और संघर्ष के अनुसार उसे फल देते हैं। यदि जीवन में लगातार कष्ट, बेरोजगारी, ऋण, या अन्य समस्याएं आ रही हैं तो शनिवार को शनि देव की पूजा करने से इन संकटों में कमी आ सकती है।
और भी

कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर लोगों ने लगाई गंगा में आस्था की डुबकी

पटना। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर शुक्रवार को राजधानी पटना समेत विभिन्न क्षेत्रों पर हजारों श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई। इस मौके पर मंदिरों में भी पूजा-अर्चना करने वालों का तांता लगा हुआ है। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा नदी में स्नान करने से जीवन के सारे पाप धूल जाते हैं तथा स्वास्थ्य एवं समृद्धि में वृद्धि होती है। पटना के एनआईटी घाट, कृष्णा घाट, एलसीटी घाट, बांस घाट, दीघा-पाटलिपुल घाट, दीघा घाट, कलेक्ट्रेट घाट तथा कटैया घाट पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। पटना के अलावे राज्य के अन्य क्षेत्रों से आए लोग इन घाटों पर तो गंगा में डुबकी लगा रहे हैं और दान कर रहे है।
पटना के जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह और पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजीव मिश्रा ने भीड़ को देखते हुए चाक चौबंद व्यवस्था करने का निर्देश पहले ही दे दिया था। जिला प्रशासन की ओर से पर्याप्त इंतजाम किए गए थे। घाटों पर अतिरिक्त पुलिस बल और दंडाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा नदी में स्नान करने और स्नान दान का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा में स्नान करने के लिए बिहार ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों से भी यहां लोग आते है। हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला क्षेत्र के समीप गंगा-गंडक संगम पर भी लाखों लोग कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर जुटे हुए है। लोग संगम में डुबकी लगाकर मोक्ष की कामना कर रहे हैं। गंगा के अलावा राज्य के अन्य क्षेत्रों में कोसी, गंडक सहित अन्य नदियों के घाटों पर भी लोग स्नान कर स्वास्थ्य एवं समृद्धि की कामना कर रहे हैं।
कार्तिक पूर्णिमा को लेकर बक्सर और सुल्तानगंज में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। मां गंगा नदी में डुबकी लगाने के लिए भारी संख्या में श्रद्घालु ट्रेन से भी पहुंच रहे हैं। इधर, मंदिरों में भी अन्य दिनों की अपेक्षा पूजा-अर्चना करने वालों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है। लोग सुबह से ही स्नान कर मंदिरों में पूजा अर्चना कर रहे हैं।
और भी

केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू ने श्रीराम कथा श्रवण किया

मुंगेली. केंद्रीय राज्य मंत्री और बिलासपुर सांसद तोखन साहू आज मुंगेल जिले के दौरान लोरमी में आयोजित नौ दिवसीय श्री राम कथा के समापन अवसर पर शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कथा वाचक पं. सागर मिश्रा से कथा श्रवण किया कर आशिर्वाद लिया.
उन्होंने कहा, “प्रत्येक वर्ष की तरह इस बार भी लोरमी के मानस मंच में श्री राम कथा का आयोजन हुआ है, जो नगर के लिए बड़े गर्व की बात है. यहां के युवा समाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं, यह सच में प्रेरणादायक है.” इसके साथ ही उन्होंने आयोजकों को धन्यवाद देते हुए मानस मंच समिति को अपने सांसद निधि से भवन निर्माण के लिए 11 लाख रुपये की राशि देने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि इस राशि से मंच के भवन को और सुंदर तथा सुविधाजनक बनाया जाएगा, ताकि भविष्य में ऐसे धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों का और बेहतर आयोजन किया जा सके.
लोरमी में अपने प्रवास के दौरान तोखन साहू ने मीडिया से बात करते हुए झारखंड विधानसभा चुनाव के बारे में भी बयान दिया. उन्होंने कहा, “इस बार झारखंड में भारतीय जनता पार्टी की सरकार प्रचंड बहुमत से बनेगी. पिछले पांच वर्षों में झारखंड की जनता ने बहुत तकलीफें सही हैं, और पूर्व सरकार ने जो वादे किए थे, वे पूरे नहीं हुए. इसके कारण आम जनता में आक्रोश है, जो इस बार भाजपा की सरकार को मजबूत बहुमत दिलवाएगा.”
और भी

मुख्यमंत्री महादेव घाट के कार्तिक पुन्नी मेला में हुए शामिल

  • हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराएं जीवन में उल्लास भी भरती हैं : CM विष्णुदेव साय
रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने गुरुवार को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर राजधानी रायपुर के पवित्र खारून नदी के तट महादेव घाट पहुंचकर श्री हाटकेश्वर महादेव और मां काली के दर्शन किए। उन्होंने श्री हाटकेश्वर महादेव और मां काली की पूजा अर्चना कर प्रदेशवासियों के खुशहाली की कामना की। मुख्यमंत्री श्री साय ने पवित्र महादेव घाट में कार्तिक स्नान के लिए जुटे श्रद्धालुओं का अभिवादन कर सभी को कार्तिक पूर्णिमा की शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री श्री अरूण साव और विधायक श्री मोतीलाल साहू सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर महादेव घाट में आयोजित होने वाला पुन्नी मेला बहुत लोकप्रिय है। दूर-दूर से लोग इसमें बड़ी श्रद्धा के साथ हिस्सा लेने आते हैं। श्री साय ने कहा कि हमारी सांस्कृतिक, धार्मिक परंपराएं न केवल हमारी आस्था को मजबूत करती हैं अपितु हमारे जीवन में उल्लास भी भरती हैं। 
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि श्रीरामलला दर्शन योजना के माध्यम से हमने प्रदेशवासियों को अपने आराध्य भगवान श्री राम के दर्शन के लिए अयोध्या भेजने की निःशुल्क की व्यवस्था की है। श्री साय ने मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना के शीघ्र शुरू किए जाने की जानकारी देते हुए बताया कि इससे 60 वर्ष से अधिक आयु के नागरिक तीर्थ यात्रा पर जा सकेंगे। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि आज से हमने प्रदेश के 25 लाख से अधिक किसानों से धान खरीदी की शुरूआत कर दी है। जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर देश भर से आए जनजाति कलाकारों ने राजधानी में मनमोहक नृत्यों की प्रस्तुति दी। उन्होंने आज नई औद्योगिक विकास नीति 2024-30 लागू होने की जानकारी भी लोगों के साथ साझा की।
और भी

कार्तिक पूर्णिमा आज, जानिए...क्या करें क्या न करें

सनातन धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को बहुत ही खास माना गया है जो कि हर माह में एक बार पड़ती है पंचांग के अनुसार अभी कार्तिक माह चल रहा है और इस माह पड़ने वाली पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा के नाम से जाना जा रहा है इस दिन स्नान दान, पूजा पाठ और तप जप का विधान होता है मान्यता है कि पूर्णिमा तिथि पर स्नान दान व पूजा पाठ करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और देवी देवताओं की कृपा प्राप्त होती है
इस साल कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर दिन शुक्रवार यानी कल मनाई जा रही है इसी दिन देव दीपावाली और गंगा स्नान भी किया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से पुण्य फलों में वृद्धि होती है साथ ही हम आपको अपने इस लेख द्वारा बताएंगे कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं, तो आइए जानते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा पर क्या करें क्या न करें-
कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन पर गंगा स्नान करें अगर आप गंगा स्नान करने नहीं जा सकते हैं तो इस दिन नहाने वाले पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें और भगवान का ध्यान करें ऐसा करने से लाभ मिलता है इसके अलावा पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा जरूर करें इससे धन लाभ के योग बनते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान करना भी अच्छा माना जाता है ऐसा करने से सुख समृद्धि बढ़ती है। इसके अलावा इस दिन दान पुण्य के कार्य करना भी अच्छा माना जाता है पूर्णिमा पर अन्न, धन, जल, वस्त्र आदि का दान करें इसके अलावा कथा का पाठ भी करें।
कार्तिक पूर्णिमा पर न करें ये काम-
कार्तिक पूर्णिमा के दिन चांदी का दान करने से बचना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन अगर चांदी का दान किया जाए तो कुंडली का चंद्रमा कमजोर होकर अशुभ फल प्रदान करता है जिससे जातक को मानसिक तनाव व अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा कार्तिक पूर्णिमा के दिन काले रंग के वस्त्रों को भी धारण करने से बचना चाहिए। माना जाता है कि इस रंग के वस्त्र पहनने से अशुभता जीवन में पड़ती है जिससे आर्थिक परेशानियां झेलनी पड़ सकती है। पूर्णिमा के दिन घर आए गरीब को खाली हाथ नहीं भेजना चाहिए वरना कंगाली और अन्न की कमी का सामना करना पड़ सकता है। कार्तिक पूर्णिमा पर भूलकर भी किसी का अपमान न करें वरना भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी क्रोधित हो सकती है और व्यक्ति को आर्थिक व शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
और भी

बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व आज, करें ये काम

  • भगवान की होगी कृपा
सनातन धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन बैकुंठ चतुर्दशी को बहुत ही खास माना गया है जो कि हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मनाई जाती है। आपको बता दें कि बैकुंठ चतुर्दशी का त्योहार भगवान शिव और श्री हरि विष्णु को समर्पित होता है इस साल बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व आज यानी 14 नवंबर दिन गुरुवार को मनाया जा रहा है
इस दिन भगवान शिव और श्री हरि विष्णु की पूजा अर्चना करने का विधान होता है मान्यता है कि इनकी पूजा करने से स्वर्ग लोक में स्थान प्राप्त होता है, और सारे काम बनते चले जाते हैं साथ ही जीवन के दुख और कष्टों से भी छुटकारा मिलता है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बैकुंठ चतुर्दशी के दिन किए जाने वाले कुछ कार्य बता रहे हैं जिनसे आप भगवान शिव और श्री हरि विष्णु की कृपा प्राप्त कर सकते हैं तो आइए जानते हैं।
बैकुंठ चतुर्दशी की तिथि और शुभ समय-
हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर यह पर्व मनाया जाता है इस बार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 14 नवंबर को सुबह 9 बजकर 43 मिनट से आरंभ हो चुका है और यह अगले दिन यानी की 15 नवंबर को शाम 6 बजकर 19 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। ऐसे में इस साल 14 नवंबर को ही बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा।
बैकुंठ चतुर्दशी के दिन कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। जिसमें सर्वार्थ सिद्धि योग की शुरुआत सुबह 6 बजकर 35 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट पर हो रही है वही रवि योग सुबह 6 बजकर 35 मिनट से लेकर अगले दिन यानी की 15 नवंबर तक रहेगी। तीसरा सिद्धि योग सुबह 11 बजकर 30 मिनट से लेकर अगले दिन तक रहेगा।
बैकुंठ चतुर्दशी पर करें ये काम-
आपको बता दें कि आज बैकुंठ चतुर्दशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद भगवान सूर्यदेव को जल अर्पित करें इसके बाद भगवान शिव और विष्णु जी की विधिवत पूजा करें माना जाता है कि आज के दिन शिव और विष्णु की पूजा से अत्यंत पुण्य प्राप्त होता है और भाग्य भी चमक जाता है। इस दिन भगवत गीत का पाठ करना लाभकारी माना जाता है इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है और पाप कर्मों का अंत हो जाता है। बैकुंठ चतुर्दशी के दिन सूक्त का पाठ भी अत्यंत लाभकारी और पुण्यदायी माना गया है इससे कष्टों में कमी आती है। आज के दिन भगवान विष्णु की पूजा कर उनके मंत्र और स्तोत्र का पाठ करने से धन लाभ की प्राप्ति होती है और दुखों का निवारण हो जाात है। बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा कमल के पुष्प से जरूर करें ऐसा करने से श्री हरि प्रसन्न होते हैं और पुण्य प्रदान करते हैं।
और भी
Previous123456789...121122Next