धर्म समाज

सावन के दूसरे सोमवार पर इस विधि से करें शिवलिंग का अभिषेक

सावन का महीना बहुत पवित्र माना जाता है. यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है. इस पूरे महीने में भक्तजन भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के उनकी विशेष पूजा अर्चना करते हैं और सावन के सोमवार के व्रत रखते हैं. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सावन के महीने में रुद्राभिषेक करने का भी विशेष महत्व माना जाता है.
सावन के दूसरे सोमवार पर इस विधि से करें शिवलिंग का रुद्राभिषेक-
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस बार सावन में सोमवार के व्रत रखने के लिए भक्तों को पूरे 5 सोमवार मिल रहे हैं. शिव पूजन में भगवान शिव को सर्वप्रथम पंचामृत से स्नान कराकर भस्म आदि लगाने के बाद भांग, बेलपत्र, सफेद कनेर का पुष्प, सफेद मदार का पुष्प, धतूरा, शमी के पत्ते, विशेष रूप से चढ़ाकर पूजन करें. पूजन के बाद “ॐ नमः शिवाय मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए.
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पुत्रदा एकादशी 16 अगस्त को

हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन विवाहित महिलाएं पुत्र प्राप्ति के लिए एकादशी का व्रत करती हैं। साथ ही भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए आम लोग एकादशी का व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति को सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है। मृत्यु के बाद भी व्यक्ति वैकुंठ लोक में पहुंचता है। यह व्रत हर साल सावन के महीने में रखा जाता है। हालांकि, तारीख को लेकर श्रद्धालु असमंजस में हैं. आइए और हमें सावन पुत्रदा एकादशी की सही तिथि और शुभ समय बताएं।
पंचांग के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 15 अगस्त को सुबह 10:26 बजे से हो रहा है. इसके अलावा यह तिथि 16 अगस्त को सुबह 9 बजकर 39 मिनट पर समाप्त हो रही है.
सनातन धर्म में एकादशी के पर्व का विशेष महत्व है। यह त्यौहार प्रत्येक पक्ष की एकादशी के दिन मनाया जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार, निशा काल में कालाष्टमी, दुर्गाष्टमी, कृष्णाष्टमी, प्रदोष व्रत आदि त्योहारों पर पूजा की जाती है। वहीं, एकादशी समेत अन्य त्योहारों के लिए तिथि की गणना सूर्योदय से की जाती है। इस साल एकादशी 15 अगस्त को सुबह 10:26 बजे शुरू होगी. इसलिए 16 अगस्त को एकादशी मनाई जाएगी. सीधे शब्दों में कहें तो सावन पुत्रदा एकादशी 16 अगस्त को मनाई जाती है।
सावन पुत्रदा एकादशी का पारण 17 अगस्त को शाम 05:51 से 08:05 तक किया जा सकता है. इस समय अपने दैनिक कार्यों को पूरा करने के बाद गंगाजल युक्त जल से स्नान करें। इसके बाद भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें। पूजा समाप्त करने के बाद अपना व्रत खोलें. इस दौरान ब्राह्मणों को दान अवश्य दें।
सूर्योदय- प्रातः 06:04 बजे.
सूर्यास्त- 18:58.
चंद्रोदय- 16:22.
चन्द्रास्त- देर रात 3:03 बजे (17 अगस्त)
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4:35 से 5:19 तक.
विजय मुहूर्त- 14:40 से 15:32 तक.
गोधूलि बेला- 18:58 से 19:21 तक.
निशिता मुहूर्त- 12:09 से 12:53 तक.
 
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सावन में रुद्राभिषेक के लिए पांच दिन हैं उत्तम

  • राहु, केतु और शनि भी हो जाएंगे शांत
सावन महीने की शुरुआत हो चुकी है। यह माह 22 जुलाई से शुरू होकर 19 अगस्त तक चलने वाला है। इस पूरे महीने शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। कहा जाता है कि इस माह भगवान शिव को प्रसन्न करना आसान होता है।
सावन के महीने में कांवड़ यात्रा भी निकाली जाती है। कांवड़ यात्री पवित्र नदियों से जल भरकर अपने कांवड़ में लाते हैं और अपने आसपास के शिवालयों में शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।
रुद्राभिषेक करने की सही तिथि-
सावन में रुद्राभिषेक का खास महत्व होता है। लेकिन किस दिन रुद्राभिषेक किया जाना चाहिए, इसे लेकर कन्फ्यूजन बना रहता है। आइए, जानते हैं कि सावन में रुद्राभिषेक के लिए उत्तम दिन कौन-सा है।
सावन के महीने में रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। शिवलिंग का अभिषेक तो किया ही जाता है, लेकिन रुद्राभिषेक करने के खास महत्व होता है। कहा जाता है कि इससे जीवन में चल रही परेशानियां दूर हो जाती हैं। इस बार सावन के महीने में ऐसी कई शुभ तिथियां आने वाली हैं, जिस दिन रुद्राभिषेक किया जा सकता है।
सावन में इस दिन करें रुद्राभिषेक-
सावन शिवरात्रि का दिन भगवान शिव के रुद्राभिषेक के लिए काफी खास माना जाता है। इस दिन व्रत रखना चाहिए।
इस दिन शिव जी की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। इस साल 2 अगस्त 2024 को सावन शिवरात्रि पड़ रही है।सावन माह की शिवरात्रि और सोमवार के साथ-साथ नागपंचमी पर भी रुद्राभिषेक करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन रुद्राभिषेक करना बहुत शुभ माना जाता है।
इस साल सावन मास में नागपंचमी पर्व 9 अगस्त 2024 को मनाया जाने वाला है।
सावन सोमवार का दिन भी रुद्राभिषेक के लिए उत्तम होता है। इस बार सावन का दूसरा सोमवार 29 जुलाई को पड़ रहा है।
सावन का तीसरा सोमवार 5 अगस्त, चौथा सोमवार 12 अगस्त और पांचवां सोमवार 19 अगस्त को पड़ रहा है।
शास्त्रों में मिलता है रुद्राभिषेक का वर्णन-
इन सभी तिथियों पर शिवजी का रुद्राभिषेक करने से जीवन में शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। साथ ही कोई बड़ी सफलता प्राप्त होती है। ऐसे परिवार पर हमेशा भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। कहा जाता है कि रुद्राभिषेक करने से रोगों से छुटकारा मिलता है। इतना ही नहीं, इससे सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। यदि आप सावन शिवरात्रि, सावन सोमवार या सावन प्रदोष के दिन रुद्राभिषेक विधि-विधान से करेंगे, तो आपको चमत्कारिक बदलाव देखने को मिलेंगे। शास्त्रों में रुद्राभिषेक को शिव जी को प्रसन्न करने का रामबाण उपाय बताया गया है।
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सावन का पहला प्रदोष व्रत गुरुवार 1 अगस्त को

  • मृगशिरा नक्षत्र समेत बनेंगे कई शुभ संयोग
सावन का महीना भगवान शिव को प्रिय माना जाता है। इसकी शुरुआत 22 जुलाई से हो चुकी है, जो कि 19 अगस्त तक चलेगा। इस माह की हर तिथि बहुत पवित्र मानी जाती है।
हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है, जो कि भगवान शिव को समर्पित होता है। ऐसे में सावन प्रदोष व्रत और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। इस व्रत को करने से शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।
सावन का पहला प्रदोष व्रत-
धार्मिक मान्यता है कि सावन प्रदोष व्रत पर शिवजी का जलाभिषेक करना चाहिए। इससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। व्रत पर इस बार कई शुभ संयोग बनने जा रहे हैं। इन शुभ संयोग में भगवान शिव की पूजा करने से दोगुना फल प्राप्त होता है। आइए, जानते हैं कि सावन प्रदोष व्रत किस दिन रखा जाएगा। सावन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 1 अगस्त 2024 को दोपहर 3:28 से शुरू हो रही है। इस तिथि का समापन 2 अगस्त को दोपहर 3:26 का होगा। ऐसे में सावन का पहला प्रदोष व्रत 1 अगस्त गुरुवार को रखा जाएगा। गुरुवार के दिन पड़ने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा।
सावन प्रदोष व्रत पर शुभ संयोग-
सावन के पहले प्रदोष व्रत पर शुभ मुहूर्त 2 अगस्त की शाम 7:12 से लेकर 9:18 तक रहेगा।
2 अगस्त के दिन सुबह 10:24 तक मृगशिरा नक्षत्र रहने वाला है, यह पूजा के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है।
इस दिन आर्द्रा नक्षत्र का योग भी बन रहा है। सावन कृष्ण प्रदोष व्रत पर हर्षण योग भी बन रहा है, जो कि 2 अगस्त सुबह 11:45 तक रहेगा।
प्रदोष व्रत पर 3:28 पर शिव वास योग भी रहेगा, यदि बहुत शुभ माना जाता है। इस समय भगवान शिव, नंदी पर सवार होते हैं।
सावन प्रदोष व्रत पर 2 अगस्त के दिन दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 54 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा।

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'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
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गुरुवार के दिन हल्दी का दान करने से बरसती है श्री हरि की कृपा

  • विवाह में आ रही बाधाओं के लिए करें ये उपाय
सनातन धर्म में प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी देवता को समर्पित है. गुरुवार का दिन भी कई मायनों में बहुत खास है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरुवार का दिन विष्णु भगवान का होता है. इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करने से श्री हरि की कृपा बरसती है.
गुरुवार के दिन पीले रंग की चीजों का दान करने से विष्णु भगवान के आशीर्वाद से सभी तरह की परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है.भाग्य साथ नहीं दे रहा है या कोई भी समस्या चल रही है ऐसे में गुरुवार का व्रत रखने से सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है और भाग्योदय भी होता है. मान्यता है गुरुवार को व्रत रखने से शारीरिक कष्ट दूर होते हैं।
गुरुवार के दिन इन चीजों का करे दान-
गुरुवार के दिन विष्णु भगवान को पीली चीजों का भोग लगाना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार गुरुवार के दिन भगवान विष्णु को केले और पीले रंग की मिठाई का भोग लगा कर इस प्रसाद को गरीबों में बांट देना चाहिए. ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है और नौकरी और व्यापार से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं.
इस दिन किसी ब्राह्मण को पीले रंग के वस्त्रों का दान करना पुण्यकारी होता है. ऐसा करने से कार्यों में आ रही सारी रुकावटें दूर होती हैं और सारे काम बनने लगते हैं.
गुरुवार के दिन स्नान और पूजा के बाद किसी ब्राम्हण या जरूरतमंद व्यक्ति को चने की दाल, हल्दी, पीले वस्त्र, पीले फूल, कांसे या पीतल के बर्तन या सोने का दान करना चाहिए. इससे घर में सुख-समृद्धि आती है. 
गुरुवार के दिन गरीबों को चावल और दाल बांटने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है.
गुरुवार के दिन हल्दी का दान करना शुभ माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार गुरुवार के दिन हल्दी के दान से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और शीघ्र विवाह के योग बनते हैं.
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9 अगस्त को मनाई जाएगी नाग पंचमी

  • कालसर्प दोष दूर करने के लिए करें नाग देवता की पूजा
सावन महीने की शुरुआत होते ही त्योहारों की शुरुआत हो जाती है। सावन का पूरा महीना भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। इस दौरान ऐसे कई दिन आते हैं, जब महादेव की विशेष आराधना की जाती है। ऐसे में इस महीने भगवान शिव के प्रिय माने जाने वाले नाग देवता की भी पूजा की जाती है। आइए जानते हैं कि इस साल नाग पंचमी पर्व कब मनाया जाएगा।
नाग पंचमी 2024 तिथि-
हर साल सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, इस साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 9 अगस्त 2024 को पड़ रही है।
उदया तिथि के अनुसार, 9 अगस्त को ही नाग पंचमी पर्व मनाया जाएगा। इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5:00 बजे से लेकर सुबह 8:00 बजे तक रहेगा। इस दौरान आप नाग देवता की पूजा कर सकते हैं।
कालसर्प दोष से मिलेगा छुटकारा-
माना जाता है कि यदि इस दिन विधि विधान से नाग देवता की पूजा की जाए, तो कालसर्प दोष से छुटकारा मिलता है।
साथ ही सांप के काटने का भय भी दूर हो जाता है, इसलिए इस दिन जरूर नाग देवता की आराधना करें।
नाग पंचमी के दिन नाग देवता को दूध से स्नान कराया जाता है। इस दिन नाग देवता को दूध भी पिलाया जाता है।
नाग पंचमी के दिन घर के मुख्य द्वार पर सांप की प्रतिमा बनाने की परंपरा है।
कहा जाता है सांप की प्रतिमा बनाने से नाग देवता के घर में प्रवेश करने का भय नहीं रहता।
राहु केतु दोष से मुक्ति-
कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। वहीं, यदि कुंडली में राहु और केतु की दशा चल रही है, तो इस दिन नाग देवता की पूजा करनी चाहिए। इस उपाय से राहु केतु दोष से मुक्ति मिलेगी।

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कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाई जाएगी, जानिए...तिथि और शुभ मुहूर्त

रक्षाबंधन के बाद जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी पर्व भगवान कृष्ण को समर्पित होता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था।
हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान कृष्ण की विधि-विधान से पूजा करने से सभी समस्या दूर होती है। आइए, जानते हैं कि इस साल जन्माष्टमी पर्व कब मनाया जाएगा, इसका शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है।
जन्माष्टमी 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त-
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 26 अगस्त को सुबह 3:40 पर शुरू होगी। यह अगले दिन 27 अगस्त को सुबह 2:19 पर समाप्त होगी। ऐसे में जन्माष्टमी व्रत 26 अगस्त सोमवार के दिन रखा जाएगा। इस दिन पूजा के लिए शुभ समय मध्य रात्रि 12:02 से रात्रि 12:45 तक रहेगा। व्रत का पारण आप 27 अगस्त को सुबह 5:55 के बाद कर सकते हैं।
जन्माष्टमी महत्व-
बता दें कि भगवान श्री कृष्ण, श्री हरि के सातवें अवतार हैं, जिन्होंने धर्म की स्थापना के लिए पृथ्वी पर जन्म लिया था। भगवान कृष्ण ने कंस का वध किया था। उन्होंने महाभारत के युद्ध में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। धार्मिक मान्यता के अनुसार, कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की उपासना की जाती है।
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सावन के इन दोनों मूलांकों को भगवान शिव का आशीर्वाद

सावन का महीना भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस महीने में भगवान शिव के साथ माता पार्वती की विशेष रूप से पूजा की जाती है। उनके लिए सावन सोमवार और मंगला गौरी व्रत भी रखे जाते हैं। इस व्रत के पुण्य से साधक की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूरी होंगी। साथ ही जीवन पर हावी सभी चिंताएं और परेशानियां दूर हो जाती हैं। ज्योतिष गणना के अनुसार, सावन का महीना कई राशियों के लिए अनुकूल रहेगा। इस माह साधकों पर भगवान शिव की विशेष कृपा बरसेगी। उनकी कृपा से साधक की हर इच्छा पूरी होती है। इनमें मूलांक 2 वाले लोगों को खास तौर पर फायदा होगा।
आधार की गणना जन्म तिथि से की जाती है। 1 से 9 तारीख तक जन्म लेने वाले लोगों का मूलांक 01 से 09 तक होता है। इसके अलावा 11 से 31 तारीख तक जन्म लेने वाले लोगों का मूलांक जोड़ से निर्धारित होता है। यदि किसी व्यक्ति का जन्म 15 तारीख को हुआ है तो इस प्रकार 15 जोड़कर मूलांक निकाला जाता है। 15=1+5=6, यानी घंटा। 15 तारीख को जन्मे व्यक्तियों का मूलांक 6 होता है।
ज्योतिषियों के अनुसार मन का कारक चंद्रमा मूलांक 2 का स्वामी है। कर्क राशि का स्वामी चंद्रदेव है तथा देवों के देव महादेव हैं। इसलिए सावन के महीने में मूलांक 2 वाले लोगों पर भगवान शिव की विशेष कृपा रहती है। भगवान शिव की कृपा से मूलांक 2 वाले लोगों के सभी बिगड़े काम बनने लगेंगे। आपको शुभ कार्यों में भी सफलता मिलेगी। अंक ज्योतिष के अनुसार 2, 11, 20 या 29 तारीख को जन्मे लोगों का मूल अंक 2 होता है। मूलांक 2 वाले लोगों को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सावन के महीने में पूरे विधि-विधान से महादेव की पूजा करनी चाहिए। साथ ही पूजा के दौरान भगवान शिव का दूध, दही, घी और पंचामृत से अभिषेक करें। इस उपाय को करने से साधक पर भगवान शिव की कृपा अवश्य बरसती है।
अंक ज्योतिष के अनुसार 8, 17 या 26 तारीख को जन्मे लोगों का मूल अंक 8 होता है। इस मूल अंक के स्वामी न्याय के देवता शनिदेव हैं। वहीं मकर और कुंभ राशि के स्वामी शनिदेव हैं और देवों के देव महादेव हैं। इस साल का अंक भी 8 है। सीधे शब्दों में कहें तो 2024 में शनिदेव विशेष प्रभाव डालेंगे। सावन महीने की 8, 17 या 26 तारीख को जन्मे लोगों पर भगवान शिव की विशेष कृपा होती है। उनकी कृपा से साधक का हर कार्य सिद्ध होता है। आप अपनी इच्छित व्यावसायिक और व्यावसायिक सफलता भी प्राप्त कर सकते हैं। अगर आप निवेश के बारे में सोच रहे हैं तो अब अच्छा समय है। इस मूलांक के लोगों को काले तिल, साबुत उड़द-उरद, अपराजिता पुष्प आदि द्रव्यों को मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। गंगा जल के साथ.
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सावन के महीनो में ये 7 दिन बहुत खास...

भगवान शिव का प्रिय महीना सावन शुरू हो गया है. इस दौरान शिव व्रत रखते हैं और कांवर यात्रा करते हैं। इसके अलावा सावन में नौकायन अभिषेक का भी बहुत महत्व है। रुद्राभिषेक करने से आपको भगवान बोहलेनाथ की असीम कृपा प्राप्त होगी। अगर आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है तो वह भी दूर हो जाएगा। ज्योतिष में शिवलिंग के अभिषेक से अन्य ग्रह भी प्रसन्न होते हैं। सावन में आप हर दिन शिवलिंग का जलाभिषेक कर सकते हैं, लेकिन इस सावन में रुद्राभिषेक करने के लिए सात दिन बहुत खास माने गए हैं। कृपया विस्तार से बताएं कि सावन माह में सोमवार का विशेष महत्व है। इस दौरान श्रद्धालु उपवास और प्रार्थना करते हैं। दुशांबे सावन में रुद्राभिषेक करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है और जीवन में हर्ष और उल्लास का आगमन होता है। 2024 में सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई को था. इस सोमवार के बाद 8 जुलाई, 5 अगस्त, 12 अगस्त और 28 अगस्त को व्रत रखा जाएगा। आजकल आपको रोइंग बिशेक खेलना है। दुशांबे सावन के अलावा 2 अगस्त को सावन शिवरात्रि और 9 अगस्त को नाग पंचमी के दिन भी रुद्राभिषेक किया जाना तय था
अगर आप रुडर्बी शेक बनाना चाहते हैं तो शुद्ध पानी, दूध, दही, पिसी चीनी, घी और शहद पहले से तैयार कर लें. रुद्राभिषेक के दौरान सबसे पहले शिवलिंग पर स्वच्छ जल चढ़ाना चाहिए। इसके बाद शिवलिंग पर दूध, दही, घी और शहद भी चढ़ाना चाहिए। आखिरी बार शिवलिंग को साफ जल दें. यदि आप इस प्रकार रुद्राभिषेक करेंगे तो आप पर भगवान शिव की कृपा बनी रहेगी
भगवान शिव के प्रिय माह सावन में शिव लिंग पर रुद्राभिषेक करने से आपको कई चिंताओं और कष्टों से मुक्ति मिल सकती है। यदि आपके पारिवारिक या वैवाहिक जीवन में समस्याएं हैं, यदि आप किसी कारण से व्यावसायिक रूप से विकसित नहीं हो पा रहे हैं, या यदि आप स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हैं, तो रुद्राभिषेक करने से इन सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है। इसके अलावा रुद्राभिषेक करने से राहु-केतु और शनि जैसे क्रूर ग्रह भी शांत होंगे और कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिलेगी। भगवान शिव की कृपा से आपको किसी भी प्रकार के भय से मुक्ति मिल सकती है।
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सावन में शिव जी को जरूर चढ़ाएं मुट्ठी भर गेहूं, मिलेंगे शुभ परिणाम

भगवान शिव को समर्पित सावन के पवित्र महीने की शुरआत हो गई है. सावन में भगवान शिव की पूजा और शिवलिंग अभिषेक का विशेष विधान है. शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि सावन का महीने भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय है और इस माह में अगर श्रद्धा एवं पूर्ण भक्तिभाव से भगवान शिव का ध्यान किया जाए तो वह जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और अपनी कृपा बरसाने लगते हैं.
यही कारण है कि सावन को मनोकामना पूर्ति का महीना कहा जाता है. जहां एक ओर सावन का धार्मिक महत्व है तो वहीं इस माह का ज्योतिष में भी खास स्थान मौजूद है. आज हम आपको बताएंगे सावन में शिवलिंग पर गेंहू चढ़ाना बहुत शुभ होता है. साथ ही, गेहूं से जुड़े उपाय करने से भी कई लाभ मिल सकते हैं.
सावन में शिवलिंग पर गेहूं क्यों चढ़ाना चाहिए?
शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि जहां भगवान विष्णु के निद्रा में जाने से भगवान शिवसृष्टि का संचालन करते हैं तो वहीं, बिना भगवान विष्णु के माता लक्ष्मी की शक्तियां भी क्षीण हो जाती हैं. ऐसे में माता पार्वती पर धान्य के साथ-साथ धन संचालन का भार भी आ जाता है.
शिवलिंग में समस्त शिव परिवार स्थापित है. ऐसे में अगर सावन के दौरान शिवलिंग पर गेहूं चढ़ाया जाए तो इससे माता पार्वती की कृपा होती है और घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं रहती है. साथ ही, संतान प्राप्ति के योग बनते हैं और संतान का भविष्य उज्जवल होता जाता है.
इसके अलावा, सावन में शिवलिंग पर गेहूं चढ़ाने के साथ ही अगर गेहूं का दान भी किया जाए तो इससे भी घर में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है. अगर अप सावन के दौरान बैल या गाय को गेहूं खिलाते हैं तो इससे ग्रह शांत बने रहते हैं और पारिवारिक सुख मिलता है.
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24 जुलाई को गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत

  • हर बुरे संकट से मुक्ति दिलाते हैं विघ्नहरता
सावन भगवान शिव और माता पार्वती जी को समर्पित है. वहीं चतुर्थी तिथि पार्वती पुत्र भगवान गणेश जी को समर्पित है. भगवान गणेश जी की पूजा करने के लिए चतुर्थी तिथि का व्रत सबसे उत्तम माना जाता है. हिन्दू धर्म में सावन की गणेश चतुर्थी का बहुत अधिक महत्व होता है. इसे गजानन संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है.
किसी भी शुभ काम से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. गणपति बप्पा अपने भक्तों के सभी विघ्न हर लेते हैं, इसलिए उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. चतुर्थी तिथि भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित होती है. इस दिन बप्पा की विधिवत पूजा की जाती है और उनके लिए निमित्त व्रत भी रखा जाता है. भगवान गणेश की पूजा के लिए चतुर्थी तिथि का व्रत सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.
गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत-
पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 24 जुलाई को सुबह 7 बजकर 30 मिनट पर शुरू हो जाएगी. 25 जुलाई को सुबह 04 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में 24 जुलाई को गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा
संकष्टी चतुर्थी का महत्व-
संकष्टी चतुर्थी का मतलब होता है संकट हरने वाली चतुर्थी. संकष्टी संस्कृत भाषा से लिया गया शब्द है, जिसका अर्थ है कठिन समय से मुक्ति पाना. दुखों से छुटकारा पाने के लिए इस दिन गणपति जी की अराधना की जाती है. गणेश पुराण के अनुसार चतुर्थी तिथि के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना फलदायी होता है. इस दिन उपवास करने का और भी अधिक महत्व होता है. भगवान गणेश को समर्पित यह व्रत कठिनाइयों और बुरे समय से मुक्ति दिलाता है. कई जगहों पर इस चतुर्थी तिथि को संकट हारा कहते हैं तो कहीं इसे संकट चौथ के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत करने से मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
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भूतेश्वरनाथ में हजारों शिव भक्तों की उमड़ी भीड़

गरियाबंद। आज सोमवार के दिन से सावन का महीना शुरू हो चुका है। जगह-जगह शिवालयों में शिव भक्तों का सुबह से ही जमावड़ा लगा हुआ है। मंदिरों में भक्त भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर बोलबम के जयकारे लगा रहे हैं।
वहीं विश्व के विशालतम प्राकृतिक शिवलिंग भूतेश्वरनाथ में आज दिनभर कांवड़ियों तथा भगवान शिव के भक्तों का ताता लगा हुआ है। सुबह बाढ़ के चलते जो कांवड़ यात्री नहीं पहुंच पा रहे थे नाले में पानी कम होने के बाद वे भूतेश्वरनाथ पहुंच गए। इसके बाद दिनभर शिव भक्तों की भीड़ इस विशाल शिवलिंग पर जल चढ़कर मनोकामना मांगती नजर आई।
सावन के आज पहले सोमवार पर दूर-दूर से भक्त गरियाबंद के भूतेश्वर नाथ शिवलिंग के दर्शन के लिए पहुंचे। दोपहर 1:30 बजे तक लगभग 30000 श्रद्धालुओं ने भूतेश्वर महादेव पहुंचकर दर्शन किया, तो वहीं लगभग 1000 कांवड़ यात्री भी अपने क्षेत्र की नदियों का जल लेकर यहां पहुंचे है।
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भगवान शिव का रुद्राभिषेक कैसे किया जाता, जानिए...

रुद्राभिषेक का सीधा संबंध भगवान शिव से है और इसे रुद्र का अवतार भी माना जाता है। रुद्राभिषेक का अर्थ है रुद्र का पवित्रीकरण, इस प्रकार भगवान शिव का पवित्रीकरण। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार मनुष्य द्वारा किए गए पाप ही दुख का कारण बनते हैं। ऐसा माना जाता है कि किसी व्यक्ति की कुंडली में मौजूद पापों को दूर करने के लिए रुद्राभिषेक करने से निश्चित लाभ प्राप्त होते हैं। इसके अलावा, इस गतिविधि के माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपने निजी जीवन से जुड़े दुखों से आसानी से मुक्त हो सकता है। बुलना को बहुत मेहमाननवाज़ माना जाता है। विश्वासियों की भक्ति देखकर वह तुरंत उन्हें आशीर्वाद देते हैं और उनके दुःख दूर कर देते हैं।
अभिषेक जूस, अभिषेक शहद, अभिषेक दही, अभिषेक दूध, अभिषेक पंचामृत, अभिषेक घी।
शिव लिंग के रुद्राभिषेक के बाद, शिव लिंग पर चंदन का लेप लगाएं और पान, सुपारी, सुपारी, भोग और अन्य पूजा सामग्री चढ़ाएं। शिवलिंग के पास धूप और दीपक जलाएं। महाद मंत्र का 108 बार जाप करें और पूरे परिवार के साथ भगवान शिव की आरती करें। रुद्राभिषेक जल को एक पात्र में भरकर पूरे घर में बिखेर दें। इसलिए सभी को इस जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए।
रुद्राभिषेक करने का सबसे अच्छा तरीका है कि किसी शिव मंदिर में जाएं और वहां शिवलिंग पर अभिषेक करें।
किसी नदी या पहाड़ के किनारे स्थित शिव मंदिर में जाकर शिव लिंग का रुद्राभिषेक करना अत्यंत लाभकारी हो सकता है।
मंदिर के गर्भगृह में शिव लिंग का अभिषेक भी फलदायी रहेगा।
अगर आपके घर में शिवलिंग स्थापित है तो आप घर पर ही भगवान शिव का रुद्राभिषेक कर सकते हैं।
वैकल्पिक रूप से, यदि आपको कोई शिवलिंग नहीं मिल रहा है, तो आप अपने अंगूठे को शिवलिंग मानकर उस अंगूठे पर भी रुद्राभिषेक कर सकते हैं
यदि आप जल से रुद्राभिषेक बनाते हैं तो तांबे के पात्र का प्रयोग करें। रुद्राभिषेक के दौरान रुद्राष्टाध्याय मंत्र का जाप करना लाभकारी पाया गया है।
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सावन का पहला सोमवार व्रत, जानिए...पूजा की विधि

सनातन धर्म में श्रावण मास को बेहद ही खास बताया गया है जो कि शिव का प्रिय महीना होता है इस महीने भक्त भगवान शिव की भक्ति में लीन रहते हैं और पूजा पाठ करते हैं सावन माह में पड़ने वाला सोमवार अद्भुत माना जाता है सावन सोमवार के दिन उपवास रखते हुए भक्त विधि विधान के साथ शिव शंकर की पूजा और भक्ति करते हैं
माना जाता है कि ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है इस साल श्रावण मास का आरंभ 22 जुलाई दिन सोमवार से हो चुका है और इसका समापन 19 अगस्त को हो जाएगा। आज यानी 22 जुलाई को सावन का पहला सोमवार है जो कि शिव पूजा को समर्पित है तो आज हम आपको शिव पूजा की विधि और पूजन सामग्री लिस्ट की जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
सावन सोमवार पूजा सामग्री लिस्ट-
सावन के पहले सोमवार की पूजा के लिए भगवान शिव की प्रतिमा, शिवलिंग की पूजा के लिए बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देसी घी, शहद, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, गाय का दूध और गंगाजल। इसके बाद महादेव के वस्त्र, माता पार्वती के श्रृंगार का सामान, छोटी इलायची, मौली, रूई, जनेउ, चंदन, केसर, अक्षत, इत्र, वस्त्र, दही, चीनी, कपूर, धूप, दीपक, लौंग, रक्षा सूत्र, भस्म, शिव चालीसा, शिव आरती किताब, हवन सामग्री और दान का सामान भी शामिल करें।
शिव पूजा की सरल विधि-
सावन सोमवार के पहले दिन भगवान शिव की पूजा करना उत्तम माना जाता है। सावन सोमवार पर सुबह उठकर स्नान करें इसके बाद किसी शिव मंदिर में जाए या अपने घर पर ही उचित अनुष्ठानों के साथ रुद्राभिषेक पूजा करें। बिल्व पत्र, धतूरा, गंगा जल और दूध को शामिल कर पंचामृत तैयार करें और शिवलिंग का अभिषेक करें भगवान शिव को घी चीनी का भोग लगाना चाहिए। फिर प्रार्थना और आरती करें पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद सभी को बांट दें।
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श्रावण में 72 साल बाद दुर्लभ संयोग, इस शुभ मुहूर्त में करें शिव पूजा

सनातन धर्म में श्रावण मास को बेहद ही खास बताया गया है जो कि शिव का प्रिय महीना होता है इस महीने भक्त भगवान शिव की भक्ति में लीन रहते हैं और पूजा पाठ करते हैं सावन माह में पड़ने वाला सोमवार अद्भुत माना जाता है सावन सोमवार के दिन उपवास रखते हुए भक्त विधि विधान के साथ शिव शंकर की पूजा और भक्ति करते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है
इस साल श्रावण मास का आरंभ 22 जुलाई दिन सोमवार से हो चुका है और आज सावन का पहला सोमवार है इसका समापन 19 अगस्त को हो जाएगा। ऐसे में सावन के पहले सोमवार के दिन शिव भक्त शिवालय जाएं और वहां भगवान ​भोलेनाथ की विधिवत पूजा करें मान्यता है कि ऐसा करने से महादेव की कृपा बरसती है लेकिन शिव पूजा को हमेशा ही मुहूर्त में करना अच्छा माना जाता है इससे व्रत पूजा का पूर्ण फल मिलता है तो आज हम आपको शिव पूजा का शुभ मुहूर्त बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
शिव पूजा का शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल श्रावण तिथि का आरंभ रविवार यानी की 21 जुलाई की दोपहर 3 बजकर 46 मिनट पर हो चुका है लेकिन उदया तिथि के अनुसार सावन के पहले सोमवार का व्रत 22 जुलाई यानी आज रखा जा रहा है। ऐसे में सावन के पहले सोमवार पर भगवान शिव का जलाभिषेक आप दोपहर 1 बजकर 11 मिनट से पहले ही कर लें। पूरे महीने सावन है ऐसे में शाम के समय भी भगवान शिव का जलाभिषेक भक्त कर सकते हैं और पूजा का फल प्राप्त कर सकते हैं।
सावन में शिव पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप-
- "ॐ नमः शिवाय"
- “ओम त्रयम्बकं यजामहे.”
सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमेव बंधनान्
मृत्योर्मुक्षेय माममृतात्”.
-''ओम तत्पुरुषाय विद्महे
महादेवाय दिमाही
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्''.
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गुरु पूर्णिमा पर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने संत युधिष्ठिर लाल से लिया आशीर्वाद

रायपुर। गुरु पूर्णिमा के अवसर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने शदाणी दरबार तीर्थ स्थल पहुंचकर संत युधिष्ठिर लाल से आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर सिंधी काउंसिल ऑफ इंडिया छत्तीसगढ़ इकाई के अध्यक्ष ललित जैसिंघ भी उपस्थित थे।
सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने X पोस्ट में लिखा- गुरू पूर्णिमा के अवसर पर अवसर पर शदाणी दरबार में श्री शदारामजी साहब का पूजन कर आशीर्वाद लिया साथ ही सिंधी समाज के धर्म गुरु पूज्य श्री युधिष्ठिर लाल जी महराज से मुलाकात की। सभी पर गुरुओं का आशीर्वाद बना रहे यही कामना है।
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सावन का पहला सोमवार, मंदिरों में लगी है भक्तों की कतार

  • सुरक्षा के व्यापक इंतजाम
गाजियाबाद। श्रावण मास का पहला सोमवार आते ही भक्तों की लंबी-लंबी कतार मंदिरों के बाहर देखने को मिल रही है। गाजियाबाद के दूधेश्वर नाथ मंदिर में सुबह 4 बजे से ही भक्तों ने लाइन लगाना शुरू कर दिया था।
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच श्रद्धालु भोले शिव का जलाभिषेक कर रहे हैं। किसी तरीके की कोई अव्यवस्था न हो इसलिए पुलिस ने पहले से ही इसकी तैयारियां चाक चौबंद कर रखी थीं। इस वर्ष सावन का पवित्र महीना 22 जुलाई से 19 अगस्त तक रहेगा। सावन भगवान शिव और चंद्र देव का महीना माना जाता है। वैसे तो सावन का पूरा महीना ही शुभ है, लेकिन इसमें सोमवार का महत्व अधिक है। इस बार सावन की शुरुआत और समापन दोनों सोमवार के दिन हो रही है। इस बार सावन में सोमवार भी पांच आएंगे।
सावन की शुरुआत चंद्रमा के नक्षत्र 'श्रवण' में हो रही है। यानी इस बार सावन में शिवजी की कृपा ज्यादा मिलेगी और चन्द्रमा के कारण अधिक से अधिक समस्याओं से छुटकारा मिलेगा। गाजियाबाद पुलिस की तरफ से रूट डायवर्जन प्लान पहले ही जारी कर दिया गया था। दूधेश्वर नाथ मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने के चलते पुलिस ने वहां पर बैरिकेडिंग कर वाहनों के आवागमन को पूरी तरीके से बंद कर रखा है और साथ ही साथ भक्तगण लाइन में आए इसके लिए बैरिकेडिंग के जरिए रास्ता बनाया गया है। साथ ही साथ पूरे इलाके में सीसीटीवी इंस्टॉल है। जिनके जरिए पुलिस कंट्रोल रूम से चप्पे चप्पे पर निगाह रखे हुए है।
आज से ही कांवड़ियों की आवाजाही काफी ज्यादा बढ़ जाएगी। जिसको देखते हुए सुरक्षा और यातायात व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए हैं। हजारों की संख्या में कांवड़िए गंगा जी का जल लेने हरिद्वार जाते हैं और फिर वापस आकर अपने-अपने शिवालियों पर इस जल से शिवजी का जलाभिषेक करते हैं।
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श्री श्री 108 श्री सत्यनारायण बाबा धाम कोसमनारा में दर्शन के लिए पहुंचे CM विष्णुदेव साय

  • प्रदेशवासियों की सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना
रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय रविवार को रायगढ़ प्रवास के दौरान ग्राम कोसमनारा स्थित श्री श्री 108 श्री सत्यनारायण बाबा धाम दर्शन के लिए पहुंचे। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव ने श्री श्री 108 श्री सत्यनारायण बाबा और भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना की। इस अवसर पर वित्त मंत्री श्री ओ.पी चौधरी भी उपस्थित रहे।
कोसमनारा स्थित श्री श्री 108 श्री सत्यनारायण बाबा धाम आस्था का केंद्र के रूप में विख्यात है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा सत्यनारायण और भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए पहुंचते है। बाबा सत्यनारायण पूरे दिन भोलेनाथ की तपस्या और ध्यान में लीन रहते है और आधी रात में केवल एक बार सामान्य अवस्था में आते हैं।  इस दौरान बाबा फल और दूध ग्रहण करते हैं तथा आश्रम में मौजूद भक्तों से मिलते हैं और उनकी समस्याएं सुनकर उसका समाधान इशारों में ही बता देते हैं। बाबा सन् 1998 से तपस्या में लीन है और 2003 में उन्हे 108  की उपाधि मिली, तब से बाबा धाम की प्रसिद्धि के साथ श्रद्धालुओ की संख्या बढ़ी है।
इस अवसर पर श्री गुरुपाल भल्ला, श्री महेश साहू, श्री विवेक रंजन सिन्हा, श्री ज्ञानू गौतम, श्री मनीष शर्मा, कलेक्टर श्री कार्तिकेया गोयल, सीईओ जिला पंचायत श्री जितेंद्र यादव उपस्थित रहे।
गरजते बादल, तेज धूप और कड़कड़ाती ठंड के बीच तपस्या में लीन रहते है श्री सत्यनारायण बाबा-
रायगढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 7 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम कोसमनारा में श्री श्री 108 श्री सत्यनारायण बाबा वर्षा, ग्रीष्म एवं ठंड तीनों मौसम में खुले जगह पर ही लगातार भगवान भोलेनाथ की तपस्या में लीन रहते हैं। स्थानीय लोगों से प्राप्त जानकारी अनुसार सत्यनारायण बाबा लगभग 25 वर्ष से अधिक समय से खुले जगह पर विराजमान होकर तपस्या कर रहे हैं। लोगों ने बताया की बाबा जिस जगह पर तपस्या कर रहे हैं, पहले वह एक बंजर जगह थी। इस बंजर जमीन पर बाबा ने कुछ पत्थरों को इकट्ठा कर शिवलिंग का रूप देकर अपनी जीभ काटकर  समर्पित कर दी थी और उस समय से लगातार तपस्या में लीन हैं।
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