धर्म समाज

सोमवती अमावस्या स्नान के लिए पुलिस ने रूट प्लान घोषित किया

  • एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोबले ने अधिकारियों को दिये आवश्यक दिशा-निर्देश
उत्तराखंड। सोमवार को होने वाले सोमवती अमावस्या स्नान के लिए पुलिस ने रूट प्लान घोषित कर दिया है. रविवार की रात 12 बजे से सोमवार को स्नान समाप्ति तक शहर में भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित रहेगा. एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोबले ने अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये हैं.
एसपी ट्रैफिक पंकज गैरोला ने बताया कि सोमवती स्नान को लेकर रूट प्लान जारी कर दिया गया है। कई राज्यों से आने वाले वाहनों के लिए रूट और पार्किंग स्थल तय कर दिए गए हैं. दिल्ली, मेरठ, मुजफ्फरनगर से स्नान के लिए आने वाले वाहन नारसन, मंगलौर, कोर कॉलेज, ख्याति ढाबा, गुरुकुल कांगड़ी, शंकराचार्य चौक होते हुए हरिद्वार आएंगे और अलकनंदा, दीनदयाल, पंतद्वीप, चमकधार द्वीप पर पार्क होंगे।
अधिक दबाव बढ़ने के कारण मंगलौर से नगला को अमरती अंडरपास, लंढौरा, लक्सर, सुल्तानपुर, फेरुपुर, एसएम तिराहा से श्रीयंत्र पुलिया पार्किंग बैरागी कैंप की ओर मोड़ दिया जाएगा। पंजाब, हरियाणा से आने वाले वाहन सहारनपुर, मंडावर, भगवानपुर, सालियर, बिजौली चौक, एनएच 344, नगला अमरती, कोर कॉलेज, बहादराबाद बाईपास, हरिलोक तिराहा, गुरुकुल कांगड़ी होते हुए हरिद्वार आएंगे और अलकनंदा, दीनदयाल, दीनदयाल पर पार्क होंगे।
दिल्ली से आने वाली पर्यटक बसें, ट्रैक्टर-ट्रॉलियां ऋषिकुल ग्राउंड, सेफ पार्किंग, हरीराम इंटर कॉलेज में पार्क की जाएंगी। नजीबाबाद, यूपी से आने वाले छोटे वाहनों को चिड़ियापुर, श्यामपुर, चंडी चौक, चंडी चौक होते हुए दीनदयाल, पंतद्वीप, चमगादड़ टापू पर पार्क किया जाएगा। देहरादून-ऋषिकेश की ओर से आने वाले वाहनों को नेपाली फार्म, रायवाला, दूधाधारी तिराहा से मोतीचूर पार्किंग स्थल तक भेजा जाएगा।
नजीबाबाद, यूपी से हरिद्वार आने वाले हल्के वाहन/बसें रोडवेज बस स्टैंड गौरी शंकर पार्किंग में रुकेंगी। नजीबाबाद से देहरादून जाने वाले वाहन 4.2.25 से गौरी शंकर, हनुमान चौक, दक्षिणी काली तिराहा, भीमगोरा, बैराज, हाईवे, चंडीघाट चौक अंडरपास से यू-टर्न लेकर देहरादून के लिए प्रस्थान करेंगे। आवश्यक सेवाओं के अलावा नजीबाबाद से हरिद्वार की ओर आने वाले भारी वाहनों को मंडावली से लक्सर, पथरी, सिंहद्वार होते हुए बालावाली पुल तक भेजा जाएगा।
देहरादून-ऋषिकेश, विक्रम की ओर से आने वाले ऑटो को जयराम मोड़ से यू-टर्न लेकर वापस भेजा जाएगा। ज्वालापुर से आने वाले ऑटो विक्रम शिवमूर्ति तिराहा से तुलसी चौक होते हुए देवपुरा तिराहा वापस आएंगे। जगजीतपुर से आने वाले सिंहद्वार से लौटेंगे। कनखल से आने वाले लोग तुलसी चौक से होकर लौटेंगे। बीएचईएल की ओर से आने वाले विक्रम/ऑटो, ई-रिक्शा टिबड़ी गेट, पुराना रानीपुर मोड से भगत सिंह चौक होते हुए ऋषिकुल तिराहा के अंदर वापस आएंगे।
सोमवार 8 अप्रैल को होने वाले सोमवती अमावस्या स्नान पर्व की तैयारियों का जायजा लेने के लिए एडीजी एपी अंशुमन और आईजी गढ़वाल करण सिंह नाग्याल शनिवार को हरिद्वार पहुंचे। मेला नियंत्रण भवन में बैठक कर आवश्यक निर्देश दिये गये. मेले के क्षेत्र को पांच सुपर जोन, 16 जोन और 39 सेक्टर में बांटा गया है.
मेला नियंत्रण भवन पहुंचने पर एडीजी एपी अंशुमन और आईजी गढ़वाल करण सिंह नाग्याल को सलामी दी गई। एडीजी एपी अंशुमन ने कहा कि चुनाव के बीच पड़ने वाली सोमवती अमावस्या का स्नान काफी चुनौतीपूर्ण होता है. स्नानार्थियों के लिए भारी भीड़ होने की संभावना है। सभी तैयारियां पूरी रखें. अनावश्यक भीड़भाड़ को समाप्त कर यातायात योजना को ठोस ढंग से क्रियान्वित करें।
आईजी करण सिंह नाग्याल ने कहा कि मेला क्षेत्र से अस्थायी अतिक्रमण हटाया जाए। मनसा देवी, चंडी देवी रोपवे का भी भौतिक निरीक्षण किया जाय। एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोबले ने सोमवती स्नान उत्सव को लेकर यातायात और भीड़ नियंत्रण का खाका साझा किया और बैकअप प्लान के बारे में जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि सुरक्षा की दृष्टि से मेला क्षेत्र को पांच सुपर जोन, 16 जोन तथा 39 सेक्टर में बांटा गया है। बैठक में एसपी ग्रामीण स्वप्न किशोर सिंह, एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार सिंह, एएसपी संचार विपिन कुमार, एएसपी अपराध/यातायात पंकज कुमार गैरोला, सीओ सिटी जूही मनराल आदि मौजूद रहे।
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कब मनाया जाएगा ईद-उल-फितर का पर्व, जानें महत्व

ईद-उल-फितर का त्योहार मुस्लिम समुदाय के लिए बेहद खास है. यह त्यौहार न केवल देश में बल्कि देश के बाहर भी बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। ईद-उल-फितर को ईद शिरीन भी कहा जाता है। मुस्लिम समुदाय के लोग रमजान के पूरे महीने रोजा रखते हैं और खुदा की इबादत करते हैं। आपकी जानकारी के लिए: ईद-उल-फितर की तारीख केवल चंद्रमा को देखकर ही निर्धारित की जा सकती है। इस साल रमजान 12 मार्च 2024 से शुरू हुआ। साथ ही हम आपको बताएंगे कि इस बार ईद किस दिन होगी।
ईद-उल-फितर 2024 कब है?-
ईद-उल-फितर दसवें इस्लामी महीने शव्वाल के पहले दिन और पवित्र रमजान महीने के आखिरी दिन चांद दिखने के बाद मनाया जाता है। ईद की सही तारीख अभी तय नहीं हुई है. अनुमान है कि ईद 10 अप्रैल को मनाई जाएगी जब 29वें दिन के अंत में चंद्रमा दिखाई देगा। यदि इसे 30वें महीने के उपवास की समाप्ति के बाद मनाया जाता है, तो 11 अप्रैल को ईद मनाना संभव है। ईद की तारीख चांद देखकर तय की जाती है.
ईद-उल-फितर का अर्थ-
मुस्लिम समुदाय के लोग ईद के महीने में रोजा रखने की ताकत देने के लिए खुदा का शुक्रिया अदा करते हैं. ईद के दिन सुबह लोग प्रार्थना करते हैं और उसके बाद ईद का जश्न शुरू हो जाता है। इस समारोह में लोग नए कपड़े पहनते हैं। वे एक-दूसरे को गले लगाते हैं और बधाई देते हैं। उपहारों का आदान-प्रदान भी होगा। इस दिन खासतौर पर मीठी सेवइयां बनाई जाती हैं. इसके अलावा, लोग अपनी आय का कुछ हिस्सा प्रसाद के माध्यम से दान करते हैं, जिससे इस त्योहार का महत्व और भी बढ़ जाता है।
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अक्षय तृतीया 10 मई को, जानिए...पूजा का शुभ मुहूर्त

अक्षय तृतीया, जिसे आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है, महत्वपूर्ण महत्व रखती है और इसे हिंदुओं के लिए एक पवित्र दिन माना जाता है। यह वैशाख माह के शुक्ल पक्ष के दौरान होता है। बुधवार और रोहिणी नक्षत्र के साथ अक्षय तृतीया का संयोग विशेष रूप से शुभ माना जाता है। 'अक्षय' शब्द का तात्पर्य शाश्वत या कभी न घटने वाला है। इसलिए, माना जाता है कि इस दिन किए गए जप, यज्ञ, पितृ-तर्पण या दान-पुण्य जैसे किसी भी आध्यात्मिक अभ्यास से शाश्वत लाभ मिलते हैं जो व्यक्ति के साथ अनिश्चित काल तक बने रहते हैं।
इसके अलावा, अक्षय तृतीया को सौभाग्य और सफलता लाने वाला माना जाता है। बहुत से लोग इस दिन सोना खरीदना पसंद करते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि सोना खरीदने से समृद्धि आती है और भविष्य में धन में वृद्धि होती है। चूंकि यह अक्षय दिन है, इसलिए माना जाता है कि इस अवसर पर खरीदा गया सोना कभी कम नहीं होता, बल्कि समय के साथ बढ़ता रहता है।
यह दिन हिंदू त्रिदेवों के संरक्षक देवता भगवान विष्णु से जुड़ा है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रेता युग, हिंदू ब्रह्मांड विज्ञान के चार युगों में से एक, अक्षय तृतीया पर शुरू हुआ था। आमतौर पर, अक्षय तृतीया और भगवान विष्णु के छठे अवतार की जयंती, परशुराम जयंती एक साथ आती है, हालांकि तृतीया तिथि के शुरुआती समय के आधार पर, परशुराम जयंती अक्षय तृतीया से एक दिन पहले पड़ सकती है।
इस वर्ष, अक्षय तृतीया 10 मई, 2024 को है, जो शुक्रवार है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान परशुराम, नर-नारायण और हयग्रीव का अवतार हुआ था। इसके अतिरिक्त सतयुग, त्रेतायुग और कलियुग की शुरुआत भी अक्षय तृतीया से ही मानी जाती है। अक्षय का अर्थ है कभी न ख़त्म होने वाली खुशी, जो कभी कम नहीं होती, शाश्वत और सफलता, और तृतीया का अर्थ है 'तीसरा'।
अक्षय तृतीया तिथि-
पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 10 मई 2024 को सुबह 4:17 बजे शुरू होगी और 11 मई 2024 को सुबह 2:50 बजे समाप्त होगी.
पूजा मुहूर्त-
10 मई 2024 को अक्षय तृतीया के दौरान पूजा का शुभ समय सुबह 5:45 बजे से दोपहर 12:05 बजे तक है. इस दिन लक्ष्मी-नारायण और कलश पूजा की जाती है और नए उद्यम शुरू करना शुभ माना जाता है, क्योंकि पूरा दिन शुभ माना जाता है।
खरीदारी का मुहूर्त-
माना जाता है कि अक्षय तृतीया पर शुभ अनुष्ठान करने के साथ-साथ सोना-चांदी और संपत्ति खरीदने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने का शुभ समय 11 मई 2024 को सुबह 5:45 बजे से 2:50 बजे तक है।
चौघड़िया मुहूर्त-
प्रातःकाल का मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत)- प्रातः 5:45 से प्रातः 10:30 तक
दोपहर का मुहूर्त (चार)- शाम 4:51 बजे से शाम 6:26 बजे तक
दोपहर का मुहूर्त (शुभ)- दोपहर 12:05 बजे से दोपहर 1:41 बजे तक
रात्रि मुहूर्त (लाभ)- रात्रि 9:16 बजे से रात्रि 10:40 बजे तक।
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शनि प्रदोष व्रत पर ऐसे करें शिव पूजा, जानें पूजा विधि

सनातन धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन प्रदोष व्रत को बेहद ही खास माना गया है जो कि शिव पूजा को समर्पित होता है इस दिन भक्त भगवान शिव की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं पंचांग के अनुसार हर माह की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है जो कि माह में दो बार आता है।
अभी चैत्र मास चल रहा है और इस माह का प्रदोष व्रत 6 अप्रैल दिन शनिवार यानी आज किया जाएगा। शनिवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जा रहा है इस दिन शिव साधना अगर विधि विधान से की जाए तो सुख समृद्धि और संपन्नता का आशीर्वाद मिलता है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा शिव पूजा की संपूर्ण विधि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
शनि प्रदोष व्रत पूजा विधि-
आपको बता दें कि प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद संध्याकाल के समय शुभ मुहूर्त में पूजन करें। पूजा में गाय के कच्चे दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल आदि लेकर शिव का अभिषेक करें। इसके बाद बेलपत्र पर चंदन लगाकर भगवान शिव को अर्पित करें फिर पुष्प, धतूरा, आक के पुष्प आदि शिवलिंग पर चढ़ाएं।
इन सभी चीजों को अर्पित करने के बाद शिव को प्रसन्न करने के लिए शनि प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें। इसके बाद भगवान शिव की आरती करें और भोग लगाएं। आप चाहें तो इस दिन शिव चालीसा और मंत्र का जाप भी कर सकते हैं ऐसा करने से भोलेबाबा की कृपा प्राप्त होती है और सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
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चैत्र नवरात्रि में करें ये उपाय, कई परेशानियों से मिलेगा छुटकारा

नई दिल्ली। साल भर में दो बार नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। पहली नवरात्रि चैत्र माह में मनाई जाती है वहीं दूसरी नवरात्रि आश्विन माह में मनाई जाती है। साल 2024 में 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है और इसका समापन 17 अप्रैल को होगा। नवरात्रि को लेकर देशभर में अलग ही उत्साह और उल्लास देखने को मिलता है। चैत्र नवरात्रि मां दुर्गा की पूजा का पर्व है। इस दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के नौ दिनों तक भक्तजन मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के उपाय करते रहते हैं। अगर आप भी जीवन के संकटों से छुटकारा पाना चाहते हैं तो आपको इस बार चैत्र नवरात्रि के दौरान कुछ उपाय जरूर करना चाहिए।
आर्थिक तंगी से छुटकारा पाने के लिए करें यह उपाय-
चैत्र नवरात्रि के 9 दिन न केवल आध्यात्मिकता और आत्मिक शुद्धि का समय है, बल्कि समृद्धि और सुख शांति प्राप्ति का भी अवसर है। यदि आप आर्थिक तंगी से परेशान हैं, तो चैत्र नवरात्रि के दौरान आप मां दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कुछ विशेष उपाय कर सकते हैं। नवरात्रि के दौरान एक चांदी का सिक्का अपनी तिजोरी में रख दें। सबसे पहले चांदी के सिक्के को गंगाजल से धोकर मां दुर्गा को अर्पित करें। इसके बाद सिक्के को अपनी तिजोरी में सबसे सुरक्षित स्थान पर रखें। ऐसा माना जाता है कि इस उपाय को करने से मां दुर्गा आपकी आर्थिक समस्याओं को दूर करेंगे और आपके घर में धन-धान्य की वृद्धि हो करेंगी।
सकारात्मक ऊर्जा पाने के लिए करें यह उपाय-
चैत्र नवरात्रि, मां दुर्गा की पूजा का पावन पर्व न केवल आध्यात्मिकता और आत्मिक शुद्ध का समय है, बल्कि घर में सुख शांति लाने का भी अवसर है। यदि आपके घर में अक्सर लड़ाई झगड़े होते रहते हैं और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव रहता है, तो आप चैत्र नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा को लाल फूल चढ़कर और फिर घर की पूर्व दिशा में मिट्टी में गाड़कर नकारात्मकता दूर कर सकते हैं। यह माना जाता है कि लाल रंग सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है और मां दुर्गा को लाल फूल चढ़ाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।वहीं, पूर्व दिशा को सूर्योदय की दिशा माना जाता है, जो नई शुरुआत और सकारात्मक का प्रतीक है। इसलिए घर की पूर्व दिशा में फूल गाड़ने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सकारात्मक का वातावरण बनता है।
मन शांत और एकाग्रता बढ़ाने के लिए करें यह उपाय-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दौरान विधि विधान से मां दुर्गा की पूजा करने और दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से बिगड़े काम बनने लगते हैं और भाग्य का पूर्ण साथ मिलता है। दुर्गा सप्तशती मां दुर्गा का महिमा मंडित ग्रंथ है। इसका पाठ करने से मन को शांति मिलती है, पापों का नाश होता है और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। इतना ही नहीं दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
वैवाहिक सुख पाने के लिए करें यह उपाय-
नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा को मोगरा के फूल अर्पित करें। मां दुर्गा को मोगरा का फूल अत्यंत प्रिय है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा को मोगरा का फूल चढ़ाने से घर में सुख समृद्धि आती है और धन-धान्य की वृद्धि होती है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा को मोगरा का फूल चढ़ाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मकता दूर होती है। इसके अलावा मोगरा का फूल प्रेम और वैवाहिक सुख का प्रतीक है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा को मोगरा का फूल चढ़ाने से अविवाहित लोगों को योग्य जीवन साथी मिलता है। इस फूल को मां दुर्गा को अर्पित करने से पति-पत्नी के बीच प्रेम और बंधन मजबूत होता है।
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शनि प्रदोष व्रत : इस उपाय से शनि साढ़ेसाती से मिलेगी मुक्ति

सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन प्रदोष व्रत बेहद ही खास माना जाता है जो कि शिव पूजा को समर्पित होता है। पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है इस बार यह तिथि आज यानी 6 अप्रैल दिन शनिवार को पड़ी है शनिवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने के कारण ही इसे शनि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जा रहा है
आज शिव और शनि की पूजा करने से साधना को उत्तम भक्तों की प्राप्ति होती है। लेकिन इसी के साथ ही अगर शनि प्रदोष व्रत के दिन शिव पूजन के समय शिव तांडव स्तोत्र का पाठ भक्ति भाव से किया जाए तो शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से राहत मिलती है और जीवन की परेशानियां दूर हो जाती है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ये चमत्कारी पाठ।
शिव तांडव स्तोत्र पाठ-
जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् ।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥॥
जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी
विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि ।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥॥
धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि
क्वचिद्दिगम्बरे(क्वचिच्चिदम्बरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥॥
जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा
कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥॥
सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः ।
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥॥
ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा
निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् ।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥॥
करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल
द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके ।
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥॥
नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्
कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः ।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः
कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ॥॥
प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा
वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् ।
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे ॥॥
अगर्व सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी
रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम् ।
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ॥॥
जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस
द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् ।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ॥॥
दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्
गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम ॥॥
कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् ।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥॥
निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः ॥॥
प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् ॥॥
इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् ।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ॥॥
पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं
यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः ॥॥
इति श्रीरावण कृतम्
शिव ताण्डव स्तोत्र संपूर्णम।
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8 अप्रैल को साल की पहली सोमवती अमावस्या, जानिए महत्व...

  • इस दिन किया दान होता है महापुण्यदायी
8 अप्रैल को साल की पहली सोमवती अमावस्या है। यानी सोमवार को अमावस्या का संयोग बन रहा है, इसलिए इसे सोमवती अमावस्या कहते हैं। ऐसा संयोग साल में 2 या कभी-कभी 3 बार बन जाता है। ऐसी अमावस्या को पुराणों में महापर्व कहा गया है, क्योंकि इस अमावस्या पर किए गए स्नान-दान से महापुण्य मिलता है। सोमवती अमावस्या पर पूजा-पाठ, व्रत, स्नान और दान करने से कई यज्ञों का फल मिलता है। तीर्थ स्नान करने से कभी खत्म नहीं होने वाला पुण्य मिलता है। महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त होगा।
सनातन ऋषि ने नारद जी को हर महीने आने वाली अमावस्या का महत्व बताया है। ऋषि के मुताबिक सोमवार को अमावस्या पड़ने पर सोमवती अमावस्या का संयोग बनता है। इस योग में किया गया दान महापुण्यदायी होता है। यानी इस तिथि में किए दान से हर तरह का शुभ फल मिलता है। सोमवती अमावस्या पर किए गए श्राद्ध से पितरों का तृप्ति मिलती है।
अब दो बार और बनेगा सोमवती अमावस्या का संयोग-
8 अप्रैल के बाद सोमवती अमावस्या का अगला संयोग 2 सितंबर को बनेगा। ये भाद्रपद महीने की अमावस्या होगी। मन्वादि तिथि होने के कारण इस दिन स्नान-दान का महत्व और ज्यादा बढ़ जाएगा। उसके बाद साल का आखिरी संयोग 30 दिसंबर को बनेगा। ये पौष महीने की अमावस्या रहेगी।
पितरों की तृप्ति लिए पीपल पेड़ की पूजा-
पीपल के पेड़ में पितर और सभी देवताओं का वास होता है, इसलिए सोमवती अमावस्या के दिन जो दूध में पानी और काले तिल मिलाकर सुबह पीपल को चढ़ाते हैं। उन्हें पितृदोष से मुक्ति मिल जाती है। इसके बाद पीपल की पूजा और परिक्रमा करने से सभी देवता प्रसन्न होते हैं।
ऐसा करने से हर तरह के पाप भी खत्म हो जाते हैं। ग्रंथों में बताया गया है कि पीपल की परिक्रमा करने से महिलाओं का सौभाग्य भी बढ़ता है, इसलिए शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत भी कहा गया है।
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मीन राशि में 25 अप्रैल को मार्गी होंगे बुध देव

  • इन राशि वालों पर आ सकती है चौतरफा मुसीबत
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह को राजकुमार ग्रह कहा जाता है और बुध देव को बुद्धि, ज्ञान का भी कारक माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार बुध देव 25 अप्रैल 2024 को शाम 05.49 बजे मीन राशि में मार्गी होंगे। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, मीन बुध की नीच राशि है और इसके कारण जातकों की निर्णय लेने की क्षमता कमजोर हो जाती है। मीन राशि में बुध के मार्गी होने के कारण मेष राशि वालों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
मेष राशि का स्वभाव-
हिंदू ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, मेष राशि को राशि चक्र में पहली राशि माना जाता है। आमतौर पर मेष राशि वालों को उग्र माना जाता है। ऐसे लोग काफी ज्यादा ऊर्जावान होते हैं और कभी भी थकान महसूस नहीं करते हैं। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के अनुसार मेष राशि के जातकों के लिए बुध तीसरे और छठे भाव के स्वामी हैं और बुध देव मेष राशि वालों के 12वें भाव में मार्गी होने करने जा रहे हैं।
मेष राशि वालों के बनेंगे यात्रा योग-
बुध देव के मीन राशि में मार्गी होने से मेष राशि वालों को करियर को लेकर चिंता हो सकती है। ट्रांसफर भी हो सकता है। हालांकि इस दौरान धन लाभ के भी योग बन सकते हैं। पैतृक संपत्ति में धन लाभ हो सकता है। यदि किसी कारण विपरीत स्थिति निर्मित होती है तो कर्ज भी लेना पड़ सकता है। नौकरी का दबाव ज्यादा हो सकता है जिसके चलते आप असंतुष्ट दिखाई दे सकते हैं।
प्रेम जीवन में मिलेगी असफलता
मेष राशि वालों को इस दौरान प्रेम संबंधों में नाकामी मिलेगी। प्रेमिका से विवाद हो सकता है। घर-परिवार में अहंकार के कारण विवाद हो सकता है। परिवार में उत्पन्न होने वाली समस्याएं तनाव दे सकती है। विवाद से बचने का प्रयास करें। अपनी वाणी पर काबू रखें। इस दौरान स्वास्थ्य में भी गिरावट महसूस होगी। जीवन में अशांति महसूस होगी। बुध देव के मीन राशि में मार्गी होने से जीवन में जो भी दुष्प्रभाव आएंगे, उनसे बचने के लिए मेष राशि वालों को शनिवार का व्रत करना चाहिए और राहु ग्रह को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ या हवन करना चाहिए।

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नवरात्रि के नौ दिनों में गलती से भी न करें ये काम

सनातन धर्म में पर्व त्योहारों को बेहद ही खास माना गया है और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन नवरात्रि को बेहद महत्वपूर्ण बताया गया है जो कि साल में चार बार आती है जिसमें दो गुप्त नवरात्रि होती है तो वही दो अन्य नवरात्रि जिसमें शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि शामिल है। पंचांग के अनुसार अभी चैत्र का महीना चल रहा है और इस माह पड़ने वाली नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि के नाम से जाना जाता है जो कि देवी साधना का महापर्व होता है
इस दौरान भक्त देवी मां दुर्गा के नौ अलग अलग रूपों की पूरे नौ दिनों तक पूजा करते हैं और उपवास आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से देवी का आशीर्वाद मिलता है इस साल नवरात्रि का आरंभ 9 अप्रैल से होने जा रहा है और समापन 17 अप्रैल को हो जाएगा। नवरात्रि के नौ दिनों में देवी साधना और व्रत करना लाभकारी होता है लेकिन कुछ ऐसे काम होते हैं जिन्हें इस दौरान भूलकर भी नहीं करना चाहिए वरना मां दुर्गा नाराज़ हो सकती हैं तो आज हम आपको उन्हीं कार्यों के बारे में बता रहे हैं।
नवरात्रि पर गलती से भी न करें ये काम-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि देवी साधना का महापर्व होता है ऐसे में इस दौरान भूलकर भी मातृ शक्ति का अपमान नहीं करना चाहिए। महिलाओं से किसी भी प्रकार का वाद विवाद न करें। उन्हें कोई अभद्र टिप्पणी न करें माना जाता है कि महिलाओं का अपमान करने से देवी मां नाराज़ हो जाती है और दरिद्रता आती है। नवरात्रि के नौ दिनों में शुद्ध और सात्विक भोजन ही करना चाहिए।
इस दौरान लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा का सेवन भूलकर भी ना करें वरना आप पाप के भागीदार कहलाएंगे। नवरात्रि के दौरान बिस्तर का त्याग करना चाहिए। इस दौरान भूलकर भी बिस्तर पर ना सोएं। ऐसा करने से माता का आशीर्वाद मिलता है। वैसे तो हमेशा ही घर के प्रवेश द्वार को साफ रखना चाहिए लेकिन नवरात्रि के दिनों में मुख्य द्वार को जरूर साफ सुथरा बनाएं रखें। ऐसा करने से माता घर में आती है और सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। इस दौरान बाल और नाखून कटवाने से बचना चाहिए।
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पापमोचनी एकादशी पर पापों से मुक्ति दिलाने वाली एकादशी आज

  • एकादशी पर गलती से भी ना करें ये काम
सनातन धर्म में व्रत त्योहारों की कमी नहीं है और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन एकादशी को बेहद ही खास माना जाता है जो कि हर माह में दो बार आती है ऐसे साल में कुल 24 एकादशी व्रत पड़ते हैं जो कि भगवान विष्णु को समर्पित होते हैं
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी की तिथि श्री हरि विष्णु की प्रिय तिथियों में से एक मानी जाती है इस दिन भक्त भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं पंचांग के अनुसार अभी चैत्र मास चल रहा है और इस माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जा रहा है जो कि इस साल 5 अप्रैल दिन शुक्रवार यानी आज मनाई जा रही है ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि पापमोचनी एकादशी के दिन क्या करें और क्या ना करें।
पापमोचनी एकादशी पर क्या करें क्या ना करें-
आपको बता दें कि पापमोचनी एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें और भगवान विष्णु की विधिवत पूजा कर उनके मंत्रों का जाप करें साथ ही विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करें ऐसा करने से लाभ मिलता है। एकादशी के दिन अन्न का दान करना उत्तम माना जाता है ऐसे में आप आज के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, मिठाई, फल, वस्त्र, पुस्तक आदि का दान जरूर करें। इस दिन इन चीजों का दान करने से घर में सुख समृद्धि और संपन्नता आती है। पापमोचनी एकादशी के दिन पवित्र नदी और सरोवर में में दीप दान जरूर करें इसके अलावा आप तुलसी या पीपल के वृक्ष के नीचे भी दीपदान कर सकते हैं ऐसा करने से कष्टों का समाधान हो जाता है और सुख में वृद्धि होती है साथ ही सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
एकादशी पर गलती से भी ना करें ये काम-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है और इसमें माता लक्ष्मी वास करती है ऐसे में एकादशी के दिन भगवान विष्णु को भोग लगाते समय तुलसी जरूर अर्पित करें माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान भोग ग्रहण नहीं करते हैं लेकिन एकादशी के दिन भूलकर भी तुलसी के पत्तों को तोड़ने की गलती ना करें। वरना लक्ष्मी नाराज़ हो सकती है और तंगहाली का सामना करना पड़ेगा। इसके लिए आप एक दो दिन पहले ही तुलसी तोड़कर रख लें।किसी भी एकादशी व्रत में चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से दोष लगता है एकादशी तिथि पर चावल का सेवन करने की मनाही होती है।
पापमोचनी एकादशी के दिन गलती से भी काले रंग के वस्त्र ना पहनें। इससे भगवान विष्णु नाराज़ हो सकते हैं। आप इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करें इसे शुभ माना जाता है। इसके अलावा आज के दिन किसी का दिल ना दुखाएं और ना ही किसी जीव जन्तु को परेशान करें। ऐसा करने से आप पाप का भागी बनते हैं। एकादशी के दिन मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को जीवनभर परेशानियां उठानी पड़ सकती हैं।
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घर में इस फूल को उगाने से मिलते है ये लाभ

हिंदू धर्म में हरसिंघार को बहुत पवित्र माना जाता है। वास्तु शास्त्र भी कहता है कि यह पौधा घर में सौभाग्य लाता है। ऐसे में अगर आप हरसिंघार फूल के पौधे के कुछ उपाय करते हैं तो आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव देख सकते हैं। इनमें से कुछ सरल उपाय हमारे साथ साझा करें।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हरसिंघार का पौधा समुद्र मंथन के दौरान उत्पन्न हुआ था और इस पौधे की स्थापना भगवान इंद्र ने स्वर्ग में की थी। यह भी माना जाता है कि जिस घर में यह पौधा होता है वहां देवी लक्ष्मी सदैव वास करती हैं। हालांकि अन्य फूलों के जमीन पर गिर जाने के बाद उन्हें पूजा के लिए इस्तेमाल करना शुभ नहीं माना जाता है, लेकिन हरसिंघार में ऐसी मान्यता है कि पूजा में केवल उन्हीं फूलों का इस्तेमाल करना चाहिए जो पेड़ से खुद टूटकर गिरे हों।
जल्द ही शहनाई बजेगी-
अगर किसी के विवाह में बाधाएं आ रही हैं तो उन्हें ये उपाय करने चाहिए। ऐसा करने के लिए मंगलवार के दिन पारिजात के साथ फूलों को नारंगी कपड़े में हल्दी की गांठ के साथ बांध लें और घर के मंदिर में माता गौरी की तस्वीर के पास रख दें। यदि आप इस उपाय को अपनाते हैं तो जल्द ही आपकी शादी के योग बनने लगेंगे।
आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी-
हरसिंघार पौधे की जड़ का एक छोटा सा टुकड़ा लें और इसे अपने घर के पैसे वाले डिब्बे में रखें। इस तरह आप पैसों की समस्या को दूर कर सकते हैं. इसके अलावा अगर आप हरसिंघार के फूलों का गुलदस्ता लाल कपड़े में लपेटकर मंगलवार के दिन लक्ष्मी माता के मंदिर में चढ़ाते हैं तो आपको प्रमोशन मिल सकता है।
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इस महीने कब हैं एकादशी, जानें सही तिथि और पूजा विधि

नई दिल्ली। सनातन धर्म में एकादशी का बड़ा धार्मिक महत्व है. एक वर्ष में 24 एकादशियाँ होती हैं। एक शुक्ल पक्ष में और दूसरा कृष्ण पक्ष में। इस शुभ दिन पर भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। वे आशीर्वाद के लिए मंदिरों में भी जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त इस दिन पूरी श्रद्धा से श्रीहरि की पूजा करते हैं उनके घर में कभी दरिद्रता नहीं आती। साथ ही तिजोरी धन से भरी रहती है।
अप्रैल में एकादशी आती है.
पापमोचनी एकादशी (कृष्ण पक्ष)-
एकादशी तिथि प्रारंभ- 4 अप्रैल 2024 - 16:14 बजे से.
एकादशी तिथि समाप्त- 5 अप्रैल 2024 - 13:28 बजे.
पारण का समय- 6 अप्रैल 2024 - 05:36 से 08:05 तक.
कामदा एकादशी (शुक्ल पक्ष)-
एकादशी तिथि प्रारंभ- 18 अप्रैल 2024- 17:31 बजे तक.
एकादशी की समाप्ति तिथि 19 अप्रैल 2024 को 20:04 बजे है.
पारण का समय- 20 अप्रैल 2024- 05:50 से 08:26 तक.
इस विधि से करें एकादशी का पूजन-
एक वेदी लें और उसमें श्रीयंत्र के साथ भगवान विष्णु, भगवान कृष्ण और लड्डू गोपाल की मूर्ति रखें।
मूर्ति के सामने देशी तेल का दीपक जलाएं और शीघ्र और पूरी श्रद्धा से एकादशी मनाने का वचन दें।
श्रीहरि को स्नान कराएं-
गोपियाँ चंदन और हल्दी का तिलक लगाती हैं।
पीले फूलों की माला चढ़ाएं-
“ओम नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप 108 बार और श्री कृष्ण महामंत्र का भी 108 बार जाप करें।
भगवान को पंचामृत और तुलसी दल अवश्य अर्पित करें।
शाम के समय भी भगवान विष्णु की पूजा करें।
पीली मिठाइयाँ, फल आदि चढ़ाएँ।
पूजा आरती संपन्न करें-
अगर आप व्रत के दौरान भूख बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं तो शाम के समय फल और डेयरी उत्पाद खा सकते हैं।
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शनि प्रदोष व्रत 6 अप्रैल को, नहीं हो रही शादी तो करें ये उपाय

देवों के देव महादेव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत करना शुभ माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत को यदि विधि-विधान से किया जाता है तो विवाह में आ रही बाधा दूर हो जाती है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, अप्रैल माह में प्रदोष व्रत 6 अप्रैल को हैं और इस दिन शनिवार होने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इस दिन यदि साधन शिवशक्ति की पूजा करते हैं तो विवाह में आ रही बाधा दूर हो जाती है।
पूजा का शुभ मुहूर्त-
पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का 6 अप्रैल, सुबह 10.19 बजे आरंभ होगी और इस तिथि का समापन 7 अप्रैल को सुबह 6.53 बजे होगा।
इस स्रोत का करें पाठ-
।।जानकीकृतं पार्वती स्तोत्र।।
जानकी उवाच
शक्तिस्वरूपे सर्वेषां सर्वाधारे गुणाश्रये।
सदा शंकरयुक्ते च पतिं देहि नमोsस्तु ते।।
सृष्टिस्थित्यन्त रूपेण सृष्टिस्थित्यन्त रूपिणी।
सृष्टिस्थियन्त बीजानां बीजरूपे नमोsस्तु ते।।
हे गौरि पतिमर्मज्ञे पतिव्रतपरायणे।
पतिव्रते पतिरते पतिं देहि नमोsस्तु ते।।
सर्वमंगल मंगल्ये सर्वमंगल संयुते।
सर्वमंगल बीजे च नमस्ते सर्वमंगले।।
सर्वप्रिये सर्वबीजे सर्व अशुभ विनाशिनी।
सर्वेशे सर्वजनके नमस्ते शंकरप्रिये।।
परमात्मस्वरूपे च नित्यरूपे सनातनि।
साकारे च निराकारे सर्वरूपे नमोsस्तु ते।।
क्षुत् तृष्णेच्छा दया श्रद्धा निद्रा तन्द्रा स्मृति: क्षमा।
एतास्तव कला: सर्वा: नारायणि नमोsस्तु ते।।
लज्जा मेधा तुष्टि पुष्टि शान्ति संपत्ति वृद्धय:।
एतास्त्व कला: सर्वा: सर्वरूपे नमोsस्तु ते।।
दृष्टादृष्ट स्वरूपे च तयोर्बीज फलप्रदे ।
सर्वानिर्वचनीये च महामाये नमोsस्तु ते।।
शिवे शंकर सौभाग्ययुक्ते सौभाग्यदायिनि।
हरिं कान्तं च सौभाग्यं देहि देवी नमोsस्तु ते।।
फलश्रुति
स्तोत्रणानेन या: स्तुत्वा समाप्ति दिवसे शिवाम्।
नमन्ति परया भक्त्या ता लभन्ति हरिं पतिम्।।
इह कान्तसुखं भुक्त्वा पतिं प्राप्य परात्परम्।
दिव्यं स्यन्दनमारुह्य यान्त्यन्ते कृष्णसंनिधिम्।।
(श्री ब्रह्मवैवर्त पुराणे जानकीकृतं पार्वतीस्तोत्रं सम्पूर्णम्।।)

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गृह क्लेश से मुक्ति के लिए हर गुरुवार करें ये काम

गुरुवार का दिन विष्णु पूजा को समर्पित किया गया है इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु का आशीर्वाद मिलता है लेकिन इसी के साथ ही अगर असाज के दिन विष्णु शतनाम स्तोत्र का पाठ किया जाए तो भगवान प्रसन्न हो जाते हैं साथ ही गृहक्लेश से भी राहत मिलती है तो आज हम आपके लिए लेकर आए ये चमत्कारी पाठ।
श्री विष्णु शतनाम स्तोत्र-
नारद उवाच।
ओं वासुदेवं हृषीकेशं वामनं जलशायिनम् ।
जनार्दनं हरिं कृष्णं श्रीवक्षं गरुडध्वजम् ॥ १ ॥
वाराहं पुण्डरीकाक्षं नृसिंहं नरकान्तकम् ।
अव्यक्तं शाश्वतं विष्णुमनन्तमजमव्ययम् ॥ २ ॥
नारायणं गदाध्यक्षं गोविन्दं कीर्तिभाजनम् ।
गोवर्धनोद्धरं देवं भूधरं भुवनेश्वरम् ॥ ३ ॥
वेत्तारं यज्ञपुरुषं यज्ञेशं यज्ञवाहकम् ।
चक्रपाणिं गदापाणिं शङ्खपाणिं नरोत्तमम् ॥ ४ ॥
वैकुण्ठं दुष्टदमनं भूगर्भं पीतवाससम् ।
त्रिविक्रमं त्रिकालज्ञं त्रिमूर्तिं नन्दिकेश्वरम् ॥ ५ ॥
रामं रामं हयग्रीवं भीमं रौद्रं भवोद्भवम् ।
श्रीपतिं श्रीधरं श्रीशं मङ्गलं मङ्गलायुधम् ॥ ६ ॥
दामोदरं दयोपेतं केशवं केशिसूदनम् ।
वरेण्यं वरदं विष्णुमानन्दं वसुदेवजम् ॥ ७ ॥
हिरण्यरेतसं दीप्तं पुराणं पुरुषोत्तमम् ।
सकलं निष्कलं शुद्धं निर्गुणं गुणशाश्वतम् ॥ ८ ॥
हिरण्यतनुसङ्काशं सूर्यायुतसमप्रभम् ।
मेघश्यामं चतुर्बाहुं कुशलं कमलेक्षणम् ॥ ९ ॥
ज्योतीरूपमरूपं च स्वरूपं रूपसंस्थितम् ।
सर्वज्ञं सर्वरूपस्थं सर्वेशं सर्वतोमुखम् ॥ १० ॥
ज्ञानं कूटस्थमचलं ज्ञानदं परमं प्रभुम् ।
योगीशं योगनिष्णातं योगिनं योगरूपिणम् ॥ ११ ॥
ईश्वरं सर्वभूतानां वन्दे भूतमयं प्रभुम् ।
इति नामशतं दिव्यं वैष्णवं खलु पापहम् ॥ १२ ॥
व्यासेन कथितं पूर्वं सर्वपापप्रणाशनम् ।
यः पठेत्प्रातरुत्थाय स भवेद्वैष्णवो नरः ॥ १३ ॥
Do these astro upay on Thursday
सर्वपापविशुद्धात्मा विष्णुसायुज्यमाप्नुयात् ।
चान्द्रायणसहस्राणि कन्यादानशतानि च ॥ १४ ॥
गवां लक्षसहस्राणि मुक्तिभागी भवेन्नरः ।
अश्वमेधायुतं पुण्यं फलं प्राप्नोति मानवः ॥ १५ ॥
इति श्री विष्णु शतनाम स्तोत्र ||
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सपरिवार आशुतोष राणा ने महाकालेश्वर मंदिर में की पूजा-अर्चना

मुंबई। अभिनेता आशुतोष राणा परिवार के साथ मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना करने पहुंचे। अभिनेता का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह मंदिर के नंदी हॉल में व्हाइट कुर्ता पाजामा और नेहरू जैकेट में मंदिर में पूजा करते हुए नजर आ रहे हैं। अभिनेता का मंदिर के पदाधिकारियों और सदस्यों ने स्वागत सत्कार किया। हालांकि, यह पहली दफा नहीं है कि जब वह महाकलेश्वर मंदिर आए। वो कई बार यहां आ चुके हैं।
अपने 31 वर्ष के फिल्मी करियर में अभिनेता ने 'दुश्मन' और 'संघर्ष' जैसी फिल्मों में अपनी अदाकारी का जलवा बिखेरकर एक शानदार अभिनेता की छवि गढ़ी है। इसके अलावा वह 'घुलम', 'ज़ख्म', 'बादल' एंड 'राज़ जैसी फिल्मों में भी अभिनय कर चुके हैं। हाल ही में वह 'पठान', 'वॉर', 'सिंमब्या', 'हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया' और 'धधक' जैसी फिल्मों में भी वो नजर आए थे जिसमें उनकी एक्टिंग को खूब सराहा गया था। अब आने वाले दिनों में वह ऋतिक रोशन और एनटीआर जूनियर अभिनीत 'वॉर 2' में भी नजर आएंगे।
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चैत्र नवरात्रि पर चमकेगा इन 4 राशियों का भाग्य

  • बरसेगी माँ दुर्गा की कृपा
नई दिल्ली। सनातन धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है. इस साल चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू हो रही है। घटस्थापना 8 अप्रैल को है। इस बार चैत्र नवरात्रि ज्योतिषीय दृष्टि से भी खास होगी। ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति अनुकूल रहेगी। पाँच राजयोगी बनते हैं। चंद्रमा और बृहस्पति मिलकर मेष राशि में गजकेसरी योग बनाते हैं। शनि शश राजयोग बनाएगा। शुक्र और बुध की युति से लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण होता है। सूर्य और बुध के मिलन से बुधादित्य राजयोग उत्पन्न होता है। शुक्र उच्च राशि में गोचर करके मालव्य योग का निर्माण करता है। इसके अलावा सावर्त अमृत सिद्धि, प्रीति, रवि, आयुष्मान और पुष्य नक्षत्र योग का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। ग्रह-नक्षत्रों के इस संयोग से 4 राशियों को बहुत फायदा होगा। स्थानीय लोगों को मां दुर्गा का विशेष आशीर्वाद मिलता है. धन वृद्धि के योग हैं।
मेष राशि-
मेष राशि के जातकों पर मां दुर्गा के साथ-साथ मां लक्ष्मी की भी कृपा बनी रहती है। आर्थिक लाभ और सफलता की प्रबल संभावना है। नई नौकरी या व्यवसाय शुरू करने के लिए यह समय अनुकूल रहेगा। आपकी पदोन्नति हो सकती है. संतान की ओर से शुभ समाचार मिलेगा। निवेश पर लाभ होगा।
सिंह राशि-
इस बार चैत्र नवरात्रि सिंह राशि के लोगों के लिए भी खास रहेगी। पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा. परिवार में खुशियां आएंगी। व्यवसायियों के लिए यह अवधि अनुकूल रहेगी। लंबे समय से प्रतीक्षित कार्य पूर्ण होगा। आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।
कुंभ राशि-
कुंभ राशि वाले लोग रहेंगे भाग्यशाली। मां दुर्गा के अलावा शनिदेव भी अनुकूल रहेंगे। आप कड़ी मेहनत से अपने हर काम में सफलता हासिल करेंगे। धन-समृद्धि में वृद्धि होगी। सम्मान मिलेगा. कारोबार का विस्तार होगा.
वृषभ राशि-
वृषभ राशि वाले लोगों पर भी मां दुर्गा की कृपा बनी हुई है। भाग्य आपका साथ देगा। व्यापार में लाभ होगा। आपकी आर्थिक स्थिति बेहतर रहेगी। आर्थिक लाभ की संभावना है।
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दाह संस्कार के बाद गंगा में क्यों प्रवाहित की जाती है राख

  • जानिए... वजह
नई दिल्ली। मौत एक ऐसी हकीकत है जिससे कोई नहीं बच सकता. पृथ्वी पर जन्म लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति को मरना अवश्य है। हिंदू धर्मग्रंथों में कुल 16 संस्कारों का जिक्र है जो जन्म से लेकर मृत्यु तक जरूरी हैं। हिंदू धर्म में किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा की रक्षा के लिए कई तरह की परंपराओं का पालन किया जाता है जो जरूरी मानी जाती हैं। दाह संस्कार के बाद मृतक की राख को किसी पवित्र जल स्रोत या गंगा में बहाने की भी परंपरा है। आइए उन्हें इसके महत्व से अवगत कराएं।
इससे राख बिखर जायेगी
हिंदू धर्म में शरीर को जलाने को दाह संस्कार कहा जाता है। यह हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से अंतिम संस्कार है। दाह संस्कार की रस्म पूरी होने के बाद, राख को गंगा जैसे पवित्र जल स्रोत में विसर्जित कर दिया जाता है। हिंदू वेदों और पुराणों में माना जाता है कि गंगा की उत्पत्ति भगवान विष्णु के चरणों से हुई है और भगवान शिव इसे अपनी जटाओं में धारण करते हैं।
ऐसे में मृतक की राख को गंगा में प्रवाहित करने से आत्मा को शांति मिलती है। यह भी माना जाता है कि मृतक की आत्मा की यात्रा तभी शुरू होती है जब मृतक की राख को गंगा में विसर्जित किया जाता है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि दाह संस्कार के बाद मृतक की राख को गंगा नदी में नहलाना चाहिए ताकि मृतक की आत्मा को शांति मिल सके।
इसका उल्लेख गरुण पुराण में मिलता है। गरुण पुराण के अध्याय 10 में एक कहानी है जो मृतक के अवशेषों और राख को गंगा में प्रवाहित करने के महत्व को बताती है। कहानी के अनुसार, पक्षियों के राजा गरुड़ ने भगवान विष्णु से कहा कि जब किसी की मृत्यु हो जाती है, तो मृतक के रिश्तेदारों को उसका दाह संस्कार करना चाहिए।
लेकिन परिवार मृतक के अवशेष और राख को इकट्ठा करके गंगा में क्यों छोड़ देते हैं? इस मामले में, कहा जाता है कि भगवान विष्णु मृतकों का दाह संस्कार करते थे और फिर दिवंगत आत्मा को प्रसन्न करने के लिए राख को गंगा में बहा देते थे। क्योंकि पवित्र नदी गंगा सभी पापों को धो देती है।
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भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने महाकाल मंदिर में की विशेष पूजा-अर्चना

उज्जैन। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी. नड्डा ने बुधवार को सपरिवार उज्जैन पहुंचकर महाकाल मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की। उन्होंने बाबा महाकाल से देश-प्रदेश की जनता की सुख-समृद्धि की कामना की।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा दो दिवसीय मध्य प्रदेश के प्रवास पर आए हैं। उन्होंने मंगलवार को शहडोल और जबलपुर में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। वह बुधवार को जबलपुर से उज्जैन पहुंचे और महाकाल मंदिर पहुंचकर अपने परिवार के साथ भगवान महाकाल का अभिषेक एवं पूजा-अर्चना कर देश और प्रदेश की जनता की सुख-समृद्धि की कामना की।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, लोकसभा चुनाव प्रदेश प्रभारी डॉ. महेन्द्र सिंह, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद एवं पार्टी के प्रदेश सह कोषाध्यक्ष अनिल जैन कालूहेड़ा उपस्थित रहे।
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