धान का कटोरा

बंधुआ मजदूरी का खुलासा : रायपुर की मशरूम फैक्ट्री में 97 मजदूरों का रेस्क्यू

  • ठेकेदारों पर FIR दर्ज
रायपुर। राजधानी रायपुर के आउटर इलाके में संचालित मोजो मशरूम फैक्ट्री (मारुति फ्रेश) में बाल श्रम, बंधुआ मजदूरी और अमानवीय उत्पीड़न का सनसनीखेज मामला सामने आया है। महिला एवं बाल विकास विभाग और अन्य विभागों की संयुक्त कार्रवाई में 11 जुलाई को फैक्ट्री से 97 मजदूरों को रेस्क्यू कराया गया। इनमें महिलाएं, पुरुष, नाबालिग बच्चे और महज 10 दिन का एक शिशु भी शामिल था। सभी मजदूर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड से लाए गए थे।
FIR में चार ठेकेदार नामजद, मालिक अब तक सुरक्षित
खरोरा थाना पुलिस ने इस मामले में मजदूरों के बयान और महिला एवं बाल विकास विभाग की रिपोर्ट के आधार पर चार ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। आरोपियों में भोला, विपिन तिवारी, विकास तिवारी और नितेश तिवारी का नाम शामिल है। वहीं, फैक्ट्री के मालिक के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
काम के नाम पर छल, फिर बंधक बनाकर मजदूरी
पीड़ित मजदूरों ने बताया कि उन्हें काम के बहाने गांवों से रायपुर लाया गया था। जौनपुर (उ.प्र.) से आए वीरेंद्र नामक मजदूर ने बताया कि उसे “बैठे-बैठे मशरूम पैकिंग” के नाम पर बुलाया गया था। हर महीने 10 हजार रुपए देने का वादा किया गया, लेकिन यहां आकर 18 घंटे तक मशरूम काटने, ढोने और सफाई का काम कराया गया। नींद पूरी नहीं होती थी, और विरोध करने पर मारपीट की जाती थी।
नाबालिगों से जबरन काम, अमानवीय व्यवहार
बाल श्रम निषेध कानून के उल्लंघन की पुष्टि भी जांच में हुई है। नाबालिगों ने बयान में बताया कि उन्हें फैक्ट्री में रात 2 बजे से उठाकर लगातार 18 घंटे काम कराया जाता था। उन्हें सोने के लिए सिर्फ 3 से 4 घंटे मिलते थे। खाना भी कच्चा और अधपका मिलता था। विरोध करने पर धमकाकर चुप करा दिया जाता था। फैक्ट्री का दरवाजा हमेशा बंद रखा जाता था ताकि कोई भाग न सके।
ऐसे हुआ खुलासा
मजदूरों पर लगातार हो रहे अत्याचार से तंग आकर कुछ मजदूर 2 जुलाई की रात अंधेरे में फैक्ट्री से चुपचाप भाग निकले। 15-20 किलोमीटर पैदल चलकर वे रायपुर के भाठागांव बस स्टैंड पहुंचे। वहां स्थानीय लोगों ने उनकी हालत देखकर मदद की और पुलिस को सूचना दी। इसके बाद प्रशासन सक्रिय हुआ और बड़ी कार्रवाई की गई।
कानूनी धाराएं दर्ज
इस मामले में पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के अलावा बाल श्रम निषेध एवं विनियमन अधिनियम, बंधुआ मजदूरी, जोखिम भरे कार्य के लिए बच्चों को मजबूर करना, अवैध रूप से बंधक बनाकर रखना जैसी गंभीर धाराओं के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है। मानवाधिकार कार्यकर्ता और सामाजिक संगठन अब मांग कर रहे हैं कि फैक्ट्री के मालिक को भी आरोपी बनाया जाए, क्योंकि बिना उसकी जानकारी और अनुमति के इतने बड़े पैमाने पर बंधुआ मजदूरी संभव नहीं थी।

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