हेल्थ डेस्क@झूठा सच : आज पूरा विश्व ‘World Cancer Day’ मना रहा है। इसे ‘विश्व कैंसर दिवस’ भी कहा जाता है। हर साल चार फरवरी को दुनियाभर में कैंसर और इसकी रोकथाम, पता लगाने और उपचार के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। इस साल कैंसर दिवस का थीम है ‘क्लोज द केयर गैप’ यानि सभी कैंसर देखभाल तक पहुंच के हकदार हैं। इस थीम को साल 2022 से लेकर 2024 तक के लिए रखा गया है। इसका उद्देश्य मुख्यत: कैंसर के प्रति जागरूकता पैदा कर इससे होने वाली मौतों को कम करना है।
दरअसल, कैंसर एक ऐसी स्थिति है जो कि शरीर में असामान्य कोशिकाओं के बढ़ने से उत्पन्न होता है। यदि समय पर इसका पता लग जाए तो इस पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है लेकिन लोगों द्वारा इस बीमारी की गंभीरता को बिना समझे शुरुआती दौर में होने वाले लक्षणों को नजरअंदाज किया जाता है। यहीकारण है कि यह बीमारी धीरे-धीरे गंभीर रूप ले लेती है। यदि व्यक्ति शुरुआती दौर में सचेत रहे तो समय रहते इस बीमारी का पूर्णतया इलाज संभव है।
क्या है राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम (NCRP) ?
गौरतलब हो, इस दिशा में भारत सरकार द्वारा एक राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम (NCRP) चलाया जा रहा है। इस प्रोग्राम के तहत कैंसर के आंकड़े पेश किए जाते हैं। यह प्रोग्राम कैंसर के प्रभावों का आकलन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इंफॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च (NCDIR) के कंधों पर इस कार्यक्रम की जिम्मेदारी है। इनकी ओर से जारी नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट में देशभर में कैंसर के आंकड़ों की रिपोर्ट पेश की जाती है। NCRP के अनुसार साल 2020 में कैंसर के 13.9 लाख मामले सामने थे जो 2025 में बढ़कर 15.7 लाख तक पहुंचने की संभावना है। मुंह, फेफड़े, पाचन पत्र सहित कई तरह के कैंसर का प्रमुख कारण तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट गुटखा है।
ज्ञात हो, वर्तमान में सबसे अधिक ओरल या मुंह का कैंसर आक्रामक रूप से लोगों में फैल रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 21.77 प्रतिशत मरीज ओरल कैंसर के हैं। ओरल कैंसर के लिए बहुत से रिस्क फैक्टर जिम्मेदार हैं जैसे की तंबाकू का सेवन, शराब का सेवन, अत्यधिक धूम्रपान आदि।
कैसे काम करता है NCRP ?
राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम (NCRP) के आंकड़ों के आधार पर भारत में कैंसर के आकलन और विश्लेषण की बात करें तो यह कैंसर पंजीकरण कैंसर के परिमाण और बोझ, नए मामलों की घटना, प्रवृत्ति में दीर्घकालिक परिवर्तनों का आकलन करने और विभिन्न कैंसर के नैदानिक मापदंडों का निर्धारण करने के लिए पहचाने गए मापदंडों पर डेटा का एक व्यवस्थित संग्रह करता है।
NCRP की कैसे हुई शुरुआत ?
NCRP दिसंबर 1981 में देशभर में कैंसर रजिस्ट्रियों के एक नेटवर्क के साथ भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की एक दीर्घकालिक गतिविधि के रूप में शुरू हुई। बेंगलुरु, चेन्नई और मुंबई में तीन जनसंख्या आधारित कैंसर रजिस्ट्री (PBCR) ने जनवरी 1982 से इस दिशा में काम करना शुरू किया था। तब चंडीगढ़, डिब्रूगढ़ और तिरुवनंतपुरम में तीन अस्पताल आधारित कैंसर रजिस्ट्री (HBCR) एक ही वर्ष में शुरू की गईं थी।
PBCRs सरकारी अस्पतालों, निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम्स, क्लीनिकों, डायग्नोस्टिक लैब्स, इमेजिंग सेंटरों, धर्मशालाओं और जन्म और मृत्यु के रजिस्ट्रार जैसे पंजीकरण के कई स्रोतों (SoR) से एक अच्छी तरह से परिभाषित आबादी में होने वाले कैंसर के सभी नए मामलों पर व्यवस्थित रूप से डेटा एकत्र करने का काम करता हैं।
वहीं HBCRs रोगी की आवासीय स्थिति के बावजूद किसी विशेष अस्पताल में देखे गए कैंसर रोगियों की जानकारी दर्ज करने से संबंधित हैं। HBCRs के तहत एकत्र किए गए डेटा भी उसी क्षेत्र में आने वाले संबंधित PBCRs में योगदान करते हैं।जनसंख्या और अस्पताल आधारित कैंसर रजिस्ट्रियों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ी है और अब NCRP नेटवर्क में 38 PBCR और 189 HBCR हैं। NCRP में शामिल होने वाले अधिक अस्पतालों के साथ HBCR की संख्या में परिवर्तन दर्ज किया गया है। तमाम रजिस्ट्रियों द्वारा एकत्र किया गया डेटा प्रकाशित होने से पहले इनकी गुणवत्ता, डुप्लिकेसी और पूर्णता के लिए कठोर जांच से होकर गुजरती है।
यहां से NCRP जुटाता है कैंसर से जुड़ा डेटा
NCRP द्वारा उत्पन्न डेटा कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू), भारत सरकार को महत्वपूर्ण इनपुट प्रदान करता है। NCRP राज्यों में कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम की योजना और रोकथाम कार्यक्रम, उपचार सुविधाओं की स्थापना, संसाधनों के आवंटन और स्क्रीनिंग, जागरूकता सृजन आदि जैसी विशिष्ट गतिविधियों के प्रभाव का आकलन करने के लिए एक दिशा प्रदान करता है। वहीं अस्पताल कैंसर में सुधार के लिए रजिस्ट्री डेटा का उपयोग करके देखभाल सेवाओं में लाभान्वित होते हैं। इस प्रकार NCRP (पीबीसीआर और एचबीसीआर) के नेटवर्क वाली इन रजिस्ट्रियों की उपस्थिति के बिंदु को दर्शाते हैं। इस प्रकार समय पर और उचित डेटा संचालित साक्ष्यों के आधार पर कैंसर की रोकथाम और नियंत्रण के लिए नीतिगत प्रयासों को सुगम बना जा रहा है।
कैंसर के शुरुआती लक्षण जानना बेहद जरूरी
ऐसे में हमारे लिए कैंसर के शुरुआती लक्षणों के बारे में जानना भी बेहद जरूरी है। बताना चाहेंगे कि आमतौर पर जो मरीज इलाज के लिए अस्पताल आते हैं वह चौथी स्टेज पर होते हैं, जिनमें से 40 प्रतिशत मरीजों की रिकवरी पूर्णतया हो जाती है। कैंसर के शुरुआती लक्षणों को व्यक्ति नजरअंदाज करता है यदि उसी समय ठीक प्रकार से जांच करवाई जाए तो कैंसर को गंभीर स्थिति में आने से पहले ही उसे इलाज द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।