सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन एक्ट पर सुनवाई शुरू
16-Apr-2025 2:55:18 pm
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नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की।
यह मामला देशभर में विवाद और विरोध का विषय बना हुआ है। एक ओर जहां याचिकाकर्ता इसे मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों और संपत्ति पर हमला मान रहे हैं, वहीं केंद्र सरकार इस संशोधन को पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम बता रही है।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की तीन न्यायाधीशों की पीठ इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। इनमें कुछ याचिकाएं 1995 के मूल वक्फ अधिनियम के खिलाफ भी हैं, जबकि अधिकांश हालिया संशोधनों को चुनौती दे रही हैं। कई याचिकाकर्ताओं ने अधिनियम पर अंतरिम रोक की भी मांग की है।
कौन-कौन हैं याचिकाकर्ता?
इन याचिकाओं में विपक्षी दलों के कई वरिष्ठ नेता शामिल हैं, जिनमें कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, भाकपा, वायएसआरसीपी, सपा, आरजेडी, एआईएमआईएम, आम आदमी पार्टी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और अभिनेता विजय की पार्टी टीवीके के नेता शामिल हैं। धार्मिक संस्थानों में जमीयत उलमा-ए-हिंद, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, समस्ता केरल जमीयतुल उलेमा आदि ने भी याचिकाएं दायर की हैं। वहीं दो हिंदू याचिकाकर्ताओं वकील हरीशंकर जैन और नोएडा निवासी पारुल खेरा ने भी वक्फ अधिनियम को मुस्लिम समुदाय को अवैध रूप से सरकारी और हिंदू धार्मिक संपत्तियों पर अधिकार देने वाला बताया है।
वक्फ संशोधन अधिनियम के समर्थन में सात राज्यों ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने दलील दी है कि यह अधिनियम संविधान सम्मत है और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को संरक्षित रखते हुए वक्फ संपत्तियों के प्रभावी और पारदर्शी प्रबंधन को सुनिश्चित करता है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर की है ताकि कोई भी आदेश उसके पक्ष को सुने बिना पारित न किया जा सके।
संसद में पारित, राष्ट्रपति से मिली मंजूरी
वक्फ संशोधन अधिनियम को हाल ही में संसद में भारी बहस के बीच पारित किया गया। राज्यसभा में 128 के पक्ष और 95 के विरोध में मतदान हुआ, जबकि लोकसभा में 288 ने पक्ष में और 232 ने विरोध में वोट दिया। 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस पर मुहर लगाई थी।