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कैलाश मानसरोवर यात्रा को मिली मंजूरी, 5 साल बाद फिर खुला रास्ता

लद्दाख। इस साल कैलाश मानसरोवर यात्रा की शुरुआत एक लंबी प्रतीक्षा के बाद हो रही है। विदेश मंत्रालय ने घोषणा की है कि यह पवित्र यात्रा 30 जून 2025 से शुरू होगी और अगस्त तक चलेगी। यह यात्रा पाँच साल के अंतराल के बाद दोबारा शुरू हो रही है, क्योंकि 2020 के बाद से इसे सुरक्षा कारणों और चीन के साथ सीमा तनाव की वजह से रोक दिया गया था। अब जब हालात सामान्य हुए हैं, तो हजारों श्रद्धालुओं की आस फिर से जाग उठी है।
यात्रा के 2 मार्ग और जत्थों की संख्या
आपको बता दें कि इस वर्ष कुल 750 तीर्थयात्रियों को कैलाश मानसरोवर यात्रा में शामिल होने का मौका मिलेगा। इन्हें 15 जत्थों में बाँटा जाएगा, जिसमें प्रत्येक जत्थे में 50 तीर्थयात्री होंगे। यात्रा के लिए दो अलग-अलग मार्ग तय किए गए हैं। पहला मार्ग उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से होकर जाता है, जिससे 5 जत्थे यात्रा करेंगे। वहीं दूसरा मार्ग सिक्किम के नाथू ला दर्रे से होकर जाता है, जिससे 10 जत्थे गुजरेंगे। इन दोनों रास्तों से यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं को तिब्बत में स्थित कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील तक पहुँचाया जाएगा।
ऑनलाइन आवेदन और चयन प्रक्रिया
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन होगी। इच्छुक यात्री https://kmy.gov.in वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यात्रियों का चयन कंप्यूटर आधारित, पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से किया जाएगा। चयन प्रक्रिया में लिंग संतुलन का भी विशेष ध्यान रखा जाएगा, जिससे पुरुष और महिलाएं समान रूप से शामिल हो सकें। आवेदकों को अब किसी भी तरह की जानकारी के लिए पत्र या फैक्स भेजने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वेबसाइट पर ही सभी सुविधाएँ जैसे फीडबैक, सूचना और सुझाव देने के विकल्प उपलब्ध कराए गए हैं।
धार्मिक महत्व और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
कैलाश मानसरोवर यात्रा का भारतीय धार्मिक परंपराओं में विशेष महत्व है। यह स्थल हिंदुओं के लिए भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है, वहीं जैन धर्म में इसे पहले तीर्थंकर ऋषभदेव के मोक्ष स्थान के रूप में पूजा जाता है। बौद्ध धर्म में भी यह स्थान अत्यंत पवित्र माना जाता है। यही कारण है कि हर साल हजारों श्रद्धालु इस कठिन लेकिन पवित्र यात्रा में भाग लेते हैं। सरकार द्वारा इस यात्रा का आयोजन उत्तराखंड के लिपुलेख (1981 से) और सिक्किम के नाथू ला (2015 से) मार्गों से किया जाता रहा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह यात्रा बाधित थी।
कैलाश मानसरोवर यात्रा केवल एक तीर्थ नहीं, बल्कि आत्मिक और आध्यात्मिक अनुभव का प्रतीक है। अब जबकि यात्रा फिर से शुरू हो रही है, श्रद्धालुओं के लिए यह एक सुनहरा अवसर है। अगर आप भी इस पवित्र यात्रा का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो जल्द से जल्द ऑनलाइन आवेदन करें और अपने जीवन की सबसे पावन यात्राओं में से एक के लिए तैयार हो जाएं।

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