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उत्पन्ना एकादशी आज, सर्वार्थ सिद्धि योग में करें श्रीहरि की पूजा

  • जानिए...मुहूर्त, पूजा विधि और नियम
अभी मार्गशीर्ष मास चल रहा है और इस माह पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जा रहा है इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है और जीवन की परेशानियां दूर हो जाती हैं इस बार उत्पन्ना एकादशी का व्रत 26 नवंबर दिन मंगलवार यानी आज किया जा रहा है ऐसे में हम आपको पूजा विधि से अवगत करा रहे हैं तो आइए जानते हैं। हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन एकादशी तिथि को खास माना गया है जो कि भगवान विष्णु को समर्पित होती है इस दिन भक्त भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं पंचांग के अनुसार हर माह में दो एकादशी व्रत पड़ते हैं ऐसे साल में कुल 24 एकादशी आती है
उत्पन्ना एकादशी मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार अगहन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 25 नवंबर दिन सोमवार की रात 1 बजकर 2 मिनट से आरंभ हो रही है जो कि अगले दिन यानी की 26 नवंबर दिन मंगलवार की रात 3 बजकर 47 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। 26 नवंबर को एकादशी तिथि सूर्योदय के समय रहेगी। इसलिए ये व्रत इसी दिन किया जाएगा। इस दिन कई सारे शुभ योगों का निर्माण हो रहा है जिसके चलते इस व्रत का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है।
उत्पन्ना एकादशी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजकर 33 मिनट से लेकर 10 बजकर 53 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा दूसरा मुहूर्त सुबह 11 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। दोपहर 12 बजकर 14 मिनट से 1 बजकर 34 मिनट तक का समय भी शुभ है। इसके अलावा आखिरी मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 55 मिनट से 4 बजकर 15 मिनट तक रहेगा।
उत्पन्ना एकादशी की पूजा विधि-
आपको बता दें कि एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें। इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण कर हाथ में जल, चावल और पुष्प लेकर व्रत पूजा का संकल्प करें। अब पूजा स्थल पर साफ सफाई करके एक लकड़ी की चौकी रखें। इसके बाद शुभ मुहूर्त में इस पर लाल वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान की प्रतिमा को तिलक लगाएं और हार पुष्प अर्पित कर घी का दीपक भी जलाएं।
अबीर, रोली, चंदन, हल्दी, चावल आदि चीजें भगवान को अर्पित कर पूजा के दौरान ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करें। पूजा के बाद अपनी इच्छा अनुसार भगवान को भोग लगाएं। इसमें तुलसी जरूर डालें। अब विधिवत प्रभु की आरती करें और दिनभर व्रत के नियमों का पालन करें। अगले दिन व्रत का पारण कर गरीबों को दान दें। मान्यता है कि इस विधि से एकादशी व्रत करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और घर में सुख शांति बनी रहती है।

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