धर्म समाज

दिसंबर में लगेंगे मलमास, एक महीने तक नहीं होंगे शादी-विवाह

सूर्य सिद्धांत की मान्यता और पंचांग की गणना से देखें तो 15 दिसंबर से मलमास का आरंभ होगा। धर्मशास्त्र की मान्यता के अनुसार मलमास में शुभ मांगलिक कार्य वर्जित माने गए हैं, इसलिए 15 जनवरी मकर संक्रांति तक विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होंगे। मलमास में एक माह भागवत पारायण, तीर्थाटन व स्नान दान का विशेष महत्व बताया है।
ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डब्बावाला ने बताया कि 15 दिसंबर से सूर्य की धनु संक्रांति आरंभ होगी। सूर्य की धनु संक्रांति का अर्थ है सूर्य का धनु राशि में प्रवेश करना। सूर्य का धनु राशि में परिभ्रमण एक माह रहता है, इसी एक माह को खरमास या मलमास की संज्ञा दी जाती है मुहूर्त चिंतामणि आदि ग्रंथों की गणना करें तो सूर्य का धनु तथा मीन राशि में प्रवेश मलमास कहा जाता है। धनु और मीन राशि के स्वामी बृहस्पति हैं। पौराणिक गणना के अनुसार देखें तो ग्रह सिद्धांतों में या ग्रहों के परिभ्रमण में किस ग्रह के किस राशि में गोचर करने से कौन से त्योहार, पर्व, कुंभ, अर्ध कुंभ या लघु कुंभ की स्थिति बनती है। इस दृष्टि से धनु मास की संक्रांति धर्म की वृद्धि करने के लिए बताई जाती है।
अग्नि पुराण के मूल ग्रंथों में इसका उल्लेख अलग-अलग प्रकार से बताया गया है। इस दौरान तीर्थाटन या तीर्थ स्नान और अपने ईष्ट अर्थात जिसके हम साधना पूजन पाठ करते हैं, उनके निमित्त विशिष्ट साधना का अनुक्रम साधना चाहिए। यह करने से वर्ष पर्यंत आध्यात्मिक उपलब्धि होती है।
विवाह, यज्ञोपवित, गृह प्रवेश आदि नहीं हो सकेंगे-
सूर्य की धनु संक्रांति आरंभ होते से ही विवाह, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश, प्राण प्रतिष्ठा आदि कार्य वर्जित माने जाते हैं। इस दौरान तीर्थ की यात्रा, तीर्थ पर पूजन या कल्पवास की स्थिति को तय करना चाहिए। सामान्य गृहस्थ के लिए 7 दिन से लेकर के 42 दिन तक का कल्पवास होता है। इस दौरान सत्संग, कथा श्रवण, भगवत भजन और दान आदि करने चाहिए।
16 जनवरी से आरंभ होंगे विवाह आदि शुभ कार्य-
सूर्य का धनु राशि को छोड़कर के मकर राशि में प्रवेश करने पर मकर संक्रांति होगी। मकर में सूर्य के प्रवेश करते ही सूर्य का उत्तरायण माना जाता है और सूर्य के उत्तरायण से ही विवाह कार्य की दोबारा शुरुआत हो जाती है।
6 माह का उत्तरायण काल, उत्तरायण का समय अलग-अलग प्रकार के धार्मिक मांगलिक कार्यों का विशेष माना जाता है। इस समय में धर्म और पुण्य से जुड़े विशिष्ट कार्य किए जाते हैं। 16 जनवरी से दोबारा विवाह की शुरुआत हो जाएगी।
16 जनवरी से 6 मार्च तक विवाह के 12 विशेष मुहूर्त-
जनवरी 16, 17, 21, 22
फरवरी 7, 13, 18, 20, 21, 25
मार्च 5, 6
14 मार्च से 14 अप्रैल तक दोबारा मीन मास की संक्रांति-
14 मार्च के बाद में मीन संक्रांति आरंभ होगी यह भी मलमास की श्रेणी में आता है। 14 मार्च से 14 अप्रैल के मध्य अलग-अलग प्रकार के साधना उपासना का अनुक्रम रहेगा। 14 अप्रैल के बाद दोबारा मांगलिक कार्य की रूपरेखा शुरू होगी।

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