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शनि जयंती पर करें ये आसान उपाय

  • ढैय्या और साढ़ेसाती का कष्ट होगा दूर
इस साल ज्येष्ठ अमावस्या तिथि का आरंभ 26 मई को सुबह 10 बजकर 54 मिनट से होगा, वहीं 27 मई को सुबह 8 बजकर 34 मिनट तक अमावस्या तिथि रहेगी। उदयातिथि की मान्यता के अनुसार शनि जयंती 27 मई को ही मनाई जाएगी। इस दिन भक्त शनि देव को प्रसन्न करने के लिए पूजा-पाठ के ही साथ दान भी करेंगे। इस दिन शनि किए गए कुछ उपाय ढैय्या और साढ़ेसाती के बुरे प्रभाव से भी आपको बचा सकते हैं। आज हम आपको इन्हीं उपायों के बारे में जानकारी देंगे।
शनि जयंती पर करें ये उपाय~
शनि जयंती के दिन आपको सुबह के समय स्वच्छ होकर पूजा स्थल में सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इसके बाद गणेश जी का ध्यान और गणेश जी के मंत्रों का जप करने के बाद हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। कम से कम 7 बार इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं। ऐसा करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का बुरा प्रभाव भी कम होता है।
इस दिन पीपल के पेड़ तले सरसों के तेल का दीपक जलाने से भी आपको लाभ मिलता है। ऐसा करने से शनि देव तो प्रसन्न होते ही हैं साथ ही आपको पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
शनि जयंती के दिन छाया दान करना भी शुभ माना जाता है। आपको किसी पात्र में सरसों का तेल लेकर उसमें अपनी छाया देखनी है और उसके बाद उस तेल का दान कर देना है। ऐसा माना जाता है कि शनि जयंती के दिन छाया दान करने से शनि ग्रह से जुड़ी बड़ी से बड़ी परेशानी का अंत हो जाता है। साथ ही आपके अटके कार्य भी पूरे होते हैं।
शनि देव को जरूरतमंदों की मदद करने वाले लोग बहुत पसंद हैं। इसलिए शनि जयंती के दिन अगर आप सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंदों को दान कर सकें या उनकी पसंद की चीजें उन्हें दे सकें तो शनि की शुभ दृष्टि आप पर पड़ती है और जीवन की विघ्न बाधाएं दूर होने लगती हैं।
इस दिन जानवारों को रोटी, दाना आदि खिलाने से भी शनि प्रसन्न होते हैं। खासकर कुत्ता, कोआ, चींटी आदि को अगर आप अन्न डालते हैं तो शनि की बुरी दृष्टि आप पर से हट जाती है। साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव भी ऐसा करने से कम हो जाता है।

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