जी20 की बैठक में एंटनी ब्लिंकन से मिले विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन
22-Feb-2024 3:12:39 pm
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- इन मुद्दों पर हुई चर्चा...
नई दिल्ली। ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में गुरुवार को जी20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई। भारत की तरफ से इस बैठक में भारतीय विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन शामिल हुए। बैठक से अलग भारतीय विदेश राज्यमंत्री ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से भी मुलाकात की। वी मुरलीधरन ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि 'अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से जी20 विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर मुलाकात की और विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की।'
गौरतलब है कि बीती 20 दिसंबर 2023 को भारत ने जी20 की अध्यक्षता ब्राजील को सौंप दी थी। अब ब्राजील की अध्यक्षता में ही रियो डी जेनेरियो में जी20 के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई। इस बैठक में भारत के विदेश राज्यमंत्री मुरलीधरन ने वैश्विक स्तर पर बढ़ रहे तनाव में जी20 की भूमिका, रूस-यूक्रेन युद्ध को बातचीत और कूटनीतिक के जरिए सुलझाने, इस्राइल हमास युद्ध आदि मुद्दों पर अपनी बात रखी। मुरलीधरन ने ये भी कहा कि इस्राइल हमास के बीच जारी लड़ाई अरब दुनिया में बढ़नी नहीं चाहिए। साथ ही उन्होंने समुद्री रास्तों की सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर भी अपनी बात रखी।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर चार मार्च से दक्षिण कोरिया और जापान की चार दिवसीय यात्रा की शुरुआत करेंगे तथा इस दौरान हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चुनौतियों समेत अहम द्विपक्षीय, क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर अपने वार्ताकारों के साथ बातचीत करेंगे। जयशंकर दो दिवसीय यात्रा पर पहले सियोल जाएंगे जहां वह कोरिया के अपने समकक्ष चो ताइ-युल के साथ 10वीं भारत-दक्षिण कोरिया संयुक्त आयोग बैठक (जेसीएम) की सह-अध्यक्षता करेंगे। विदेश मंत्रालय ने यात्रा की घोषणा करते हुए बताया कि जयशंकर के कोरिया में गणमान्य व्यक्तियों, विचार समूहों (थिंक टैंक) के प्रमुखों और भारतीय समुदाय से मुलाकात करने की उम्मीद है।
जयशंकर अपनी यात्रा के दूसरे चरण में छह से आठ मार्च तक जापान की यात्रा करेंगे। टोक्यो में वह जापान के अपने समकक्ष योको कामीकावा के साथ 16वें भारत-जापान विदेश मंत्री रणनीतिक संवाद में भाग लेंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा, 'दोनों मंत्रियों के बीच द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के मुद्दों पर चर्चा होगी और खुले, मुक्त, समावेशी, शांतिपूर्ण तथा समृद्ध हिंद-प्रशांत के लिए सहयोग पर विचारों का आदान-प्रदान होने की संभावना है।'