दुनिया-जगत

एशिया संकट का भारत पर हो सकता है असर

एशिया पश्चिम एशिया में बढ़ते संकट का असर भारत पर भी हो सकता है। वास्तविक पश्चिम एशिया संकट के वैश्विक स्तर पर तेल की खेती में वृद्धि का संकट पैदा हो गया है। अगर ऐसा हुआ तो इसका सीधा असर भारत के फैसले पर होगा। ऐसे ही कुछ मामलों पर चर्चा के लिए शुक्रवार को मोदी के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सुरक्षा मामलों की अहम बैठक हुई। इस बैठक में पश्चिम एशिया के संकट और उनके भारत के स्वरूप पर चर्चा की गई।
हाल ही में इजरायली हवाई हमलों में ईरान के हिजबुल प्रमुख हसन नसरल्ला की मौत हो गई थी। इसके जवाब में ईरान ने मंगलवार को इजरायल पर मिसाइलों और डिजाइनों पर हमला किया। ईरान पर हमलों के बाद इस्राइल ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए इसे खतरनाक बताया था। हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन ने कहा है कि इजरायल, ईरान के तेल पर हमला किया जा सकता है। इसके बाद अमेरिका में तेल की कमी का संकट पैदा हो गया। अगर ऐसा हुआ तो भारत पर इसका विपरीत असर होगा।
वास्तविक भारत अपनी जरूरत का 85 प्रतिशत से अधिक तेल की जरूरत है। एंटरप्राइज़ एंटरप्राइज़ के एसोसिएट्स एंड एना सब्सी सेल के वित्तीय वर्ष 2023-24 के अनुसार भारत में 2 करोड़ 94 लाख टन कच्चे तेल का उत्पादन हुआ। इसके लिए भारत सरकार ने करीब 132.4 अरब डॉलर की भारी-भरकम राशि का भुगतान किया। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है। इसका कारण यह है कि यदि तेल की प्लैटिनम हैं तो इससे भारत के पैमाने पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और सरकार का बजटीय संतुलन खतरे में पड़ता है।

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