पाकिस्तानी प्राधिकारियों ने लाहौर में दो प्रमुख पत्रकारों को शनिवार को हिरासत में ले लिया, जिसकी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, नेताओं और देश के मीडिया ने निंदा की। पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आमिर मीर और इमरान शफकत को सोशल मीडिया पर ‘‘निंदनीय सामग्री’’ पोस्ट करने के बाद हिरासत में लिया गया। यह सामग्री पोस्ट किए जाने के बाद सरकार के एक मंत्री ने इसके खिलाफ शिकायत की थी। उन्होंने यह नहीं बताया कि क्या दोनों पर कोई आरोप लगाया गया है या नहीं।
एफआईए के बाबर बख्त कुरैशी ने कहा, ‘‘उन्होंने यूट्यूब पर निंदनीय सामग्री अपलोड की और मंत्री मुराद सईद द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत को लेकर उनसे पूछताछ की जा रही है।’’ एफआईए ने बाद में एक बयान में बताया कि पूछताछ के बाद दोनों को जमानत पर रिहा कर दिया गया और उनके खिलाफ आरोप बाद में अदालत में दायर किए जाएंगे।
जिस वीडियो को लेकर दोनों के खिलाफ शिकायत हुई है, वह एक अनौपचारिक गोलमेज चर्चा का वीडियो है। इसमें पत्रकारों ने पाकिस्तान की राजनीति और न्यायपालिका में सेना की भूमिका पर चर्चा की। सरकार ने पत्रकारों को हिरासत में लिए जाने के संबंध में तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की।
मीर के भाई हामिद ने दोनों पत्रकारों को हिरासत में लिए जाने की खबर ट्विटर पर दी। हामिद भी देश के एक प्रमुख पत्रकार हैं, जिन्होंने एक लोकप्रिय टीवी टॉक शो की मेजबानी की थी, लेकिन देश की शक्तिशाली सेना की आलोचना करने के दो महीने बाद इस कार्यक्रम को बंद कर दिया गया था। इमरान शफकत ने कई अखबारों के लिए काम किया है और वह सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हैं।