दुनिया-जगत

देश में लगे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, क्रांतिकारी बदलाव से कम हुआ समुद्री प्रदूषण

सिंगापुर :- सीवेज को पीने लायक पानी में बदला जा रहा है. देश में लगे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट ऐसा करने में मदद कर रहे हैं. इनके जरिए समुद्र के प्रदूषण  को कम किया जा रहा है. इस छोटे द्वीपीय देश के पास प्राकृतिक पानी का स्रोत नाम मात्र है. इस वजह से इसे पड़ोसी देश मलेशिया पर पानी की सप्लाई के लिए निर्भर रहना पड़ता है. ऐसे में सरकार ने आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए एक एडवांस्ड सिस्टम तैयार किया है, जिसमें टनल और हाई-टेक प्लांट्स के जरिए सीवेज का निपटान किया जा रहा है.

सीवेज को साफ कर तैयार किए गए पानी के जरिए सिंगापुर की 40 फीसदी पानी की मांग पूरी की जा रही है. देश की वाटर एजेंसी के मुताबिक, 2060 तक ये आंकड़ा 55 फीसदी तक पहुंच जाएगा. फिलहाल अधिकांश पानी का इस्तेमाल औद्योगिक उद्देश्यों के लिए जा रहा है. लेकिन इसमें से कुछ को 57 लाख की आबादी वाले देश में मौजूद जलाशयों में पेयजल आपूर्ति में जोड़ा जा रहा है. इस सिस्टम के जरिए समुद्री प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिली है, क्योंकि ट्रीटेड वाटर का एक छोटा सा हिस्सा ही समुद्र में छोड़ा जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, दुनिया का 80 प्रतिशत अपशिष्ट जल बिना ट्रीटमेंट या रिसाइकिल के इकोसिस्टम में वापस चला जाता है.

पब्लिक यूटिलिटीज बोर्ड के जल सुधार विभाग के चीफ इंजीनियर लो पेई चिन ने एएफपी को बताया कि सिंगापुर में प्राकृतिक संसाधनों की कमी है और ये काफी सीमित है. यही कारण है कि हम हमेशा जल स्रोतों का पता लगाने और अपनी जल आपूर्ति को बढ़ाने के तरीकों की तलाश में रहते हैं. उन्होंने कहा कि एक तरीका ये है कि हर एक बूंद को इकट्ठा किया जाए और उसे फिर से इस्तेमाल किया जाए. पानी की आपूर्ति हासिल करने के लिए देश के अन्य दृष्टिकोणों से अलग इस पर काम किया जा रहा है. इसके अलावा, पानी को आयात करना, जलाशयों का इस्तेमाल करना और समुद्री जल का विलवणीकरण के जरिए भी पानी तैयार किया जाता है.

रीसाइक्लिंग सिस्टम के केंद्र में देश के पूर्वी तट पर उच्च तकनीक वाला चांगी वाटर रिक्लेमेशन प्लांट (Changi Water Reclamation Plant) है. जमीन की कमी की वजह से इस प्लांट के अधिकतर हिस्से जमीन के नीचे हैं, जिसमें कुछ हिस्से 25 मंजिला इमारत जितनी गहराई पर हैं. यहां पर सीवर से जुड़ी हुई 48 किमी लंबी सुरंग के जरिए अपशिष्ट पानी को पहुंचाया जाता है. इस पूरे प्लांट में स्टील पाइप, ट्यूब्स, टैंक, फिल्ट्रेशन सिस्टम और अन्य मशीनरी का जाल बिछा हुआ है. यहां पर हर दिन 90 करोड़ लीटर अपशिष्ट पानी को साफ किया जाता है. एक इमारत में हवा की महक को ताजा रखने के लिए वेंटिलेटर का एक नेटवर्क स्थापित किया गया है.
 

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