धान का कटोरा

दिव्यांग बालिका ने पैरों से भरे हुनर के रंग

झूठा सच @ रायपुर/कोंडागांव:- इंसान अपने शरीर से दिव्यांग हो सकता है, मगर हौंसलों से नहीं, ये कर दिखाया है उच्च प्राथमिक शाला बुडरापारा मसोरा की एक 13 वर्षीय दिव्यांग बालिका राजेश्वरी ने जिसके हाथ-पैर काम नहीं करते, फिर वह हर वो काम कर रही है जो कि सही-सलामत हाथ-पैरों वाले लोग भी नहीं कर पाते। फिर भी वो पैरों के सहारे कंचे खेलने के साथ रंगोली, पेंटिंग में निपूर्ण है। यही नहीं पैरों  से लिखती है, साथ ही बालिका को गाना गाने का भी शौक है और गाना भी अच्छा गा लेती है। साथ ही गाना अपने दोस्तों को भी सिखाती है। आज हुई रंगोली प्रतियोगिता में उसने अपने पैरों  से इतनी अच्छी रंगोली बनाई की। जो बच्चे अपने हाथ से रंगोली बना रहे थे वे भी दंग रह गए। साथ ही पहला पुरस्कार भी जीता है।
बता दें कि राजेश्वरी पटेल के टैलेंट की बात करें तो उसके स्कूल बच्चों के अलावा शिक्षक भी हैरान हो जाते हैं। राजेश्वरी कंचे खेलने में मास्टर है। वो अच्छे से अच्छे बच्चों को इस खेल में हरा देती है। राजेश्वरी के पिता दीनूलाल पटेल ने कहा कि मुझे गर्व है मेरी बेटी पर, दिव्यांग होते हुए भी हर काम करती है।
हाथ न होते हुए भी वह किसी भी बच्चे से पीछे नहीं है। हाथ नहीं  है तो क्या हुआ। पैरों को बना लिया अपने हाथ और लिखने -का भी अपने पैरों से करती है। बालिका राजेश्वरी। स्कूल में किसी भी कार्यक्रम में अपना योगदान बढ़-चढ़ कर देती है।
स्कूल के बच्चे भी राजेश्वरी को देख उसकी मदद करते हैं। राजेश्वरी को ट्राय सायकल से हर दिन चार-चार बच्चे उसे लेकर रोज स्कूल आते हैै। और घर भी छोड़ कर आते हैं।
 

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