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सुप्रीम कोर्ट से राहत के बाद राहुल गांधी की बहाल होगी सांसदी

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राहुल गांधी को बड़ी राहत देते हुए 'मोदी सरनेम' मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगा दी। इस सजा के कारण उन्हें अपनी लोकसभा सदस्यता गंवानी पड़ी थी। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल जज द्वारा मामले में अधिकतम दो साल की सजा देने के आदेश पर भी सवाल उठाया।
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, पी.एस. नरसिम्हा, और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, “अगर कोई निर्वाचन क्षेत्र बिना प्रतिनिधित्व का हो जाता है, तो क्या यह (सजा निलंबित करने के लिए) एक प्रासंगिक आधार नहीं है? ट्रायल जज द्वारा अधिकतम सज़ा देने की आवश्यकता पर किसी ने कुछ नहीं कहा। इससे न केवल एक व्यक्ति का अधिकार प्रभावित हो रहा है, बल्कि निर्वाचन क्षेत्र के पूरे मतदाता प्रभावित हो रहे हैं।''
इसके अलावा, पीठ ने टिप्पणी की कि यदि गांधी को 1 वर्ष, 11 महीने और 29 दिन की सजा दी गई होती, तो उन्हें संसद सदस्य के रूप में अयोग्य नहीं ठहराया जाता।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के साथ ही राहुल गांधी के लिए संसद के दरवाजे कानूनन खुल गए हैं। अब राहुल की लोकसभा सदस्यता बहाल होने का रास्ता साफ हो गया है। राहुल को संसद की सदस्यता के अयोग्य करार दिए जाने के बाद अगर वायनाड सीट पर उपचुनाव हो गए होते तब उनकी सदस्यता बहाल नहीं हो पाती। वायनाड में अभी तक उपचुनाव नहीं हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के साथ ही राहुल गांधी के 2024 का चुनाव लड़ने की संभावनाओं पर छाए अगर-मगर के बादल भी छंट गए हैं। सुप्रीम कोर्ट से भी अगर राहुल को सजा और दोषी करार दिए जाने के निचली अदालत के फैसले पर रोक नहीं लगाई होती तो वे 2024 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाते।
गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्रायल कोर्ट के दोषसिद्धि को "अजीब" फैसला बताया और सुप्रीम कोर्ट के कई अन्य फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि मामले में गांधी की दोषसिद्धि को निलंबित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ''पीड़ित केवल भाजपा पदाधिकारी या कार्यकर्ता ही है।''
दूसरी ओर, मानहानि मामले में शिकायतकर्ता भाजपा विधायक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि गांधी का इरादा 'मोदी' उपनाम वाले प्रत्येक व्यक्ति को सिर्फ इसलिए बदनाम करना था क्योंकि यह प्रधानमंत्री के उपनाम के समान है।
उन्होंने कहा, ''आपने (राहुल गांधी) दुर्भावना से समाज के एक पूरे वर्ग को बदनाम किया है।'' उन्होंने राफेल मामले पर अवमानना ​​कार्यवाही में 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गांधी को दी गई चेतावनी का भी उल्लेख किया। सुप्रीम कोर्ट 'मोदी सरनेम' मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार करने के गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
15 जुलाई को, कांग्रेस नेता ने गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जहां न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक की पीठ ने कहा था कि उनकी सजा पर रोक लगाना एक अपवाद होगा, न कि नियम। गांधी को मार्च में एक सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया जब सूरत की एक अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया और अप्रैल 2019 में कर्नाटक में एक चुनावी रैली के दौरान की गई उनकी टिप्पणी कि "सभी चोरों का सामान्य उपनाम मोदी कैसे है" के लिए दो साल की जेल की सजा सुनाई।
मार्च में, सूरत की सत्र अदालत ने मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा अपनी सजा को निलंबित करने की मांग करने वाली गांधी की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि उनकी अयोग्यता से उन्हें कोई क्षति नहीं होगी। कांग्रेस नेता को उस नियम के तहत अयोग्य घोषित किया गया था जो दोषी सांसदों को लोकसभा की सदस्यता रखने से रोकता है। कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक, शीर्ष अदालत द्वारा राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने के बाद उनकी लोकसभा सदस्यता बहाल हो सकती है।
 

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