नये शिक्षा सत्र से कृषि विश्वविद्यालय में लागू होगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
12-Jul-2024 12:59:33 pm
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- विश्वविद्यालय की विद्या परिषद ने किया अनुमोदन
रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में जुलाई-अगस्त से प्रारंभ नये शैक्षणिक सत्र मंे नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विभिन्न प्रावधानों को लागू किया जाएगा। इन प्रावधानों के तहत स्नातक पाठ्यक्रमों में चार वर्ष की पढ़ाई पूर्ण न कर पाने वाले विद्यार्थियों को बीच मंे पढ़ाई छोड़ने पर सर्टिफिकेट तथा डिप्लोमा प्रदान किया जाएगा। अब सैद्धान्तिक पढ़ाई की बजाय प्रायोगिक पढ़ाई पर अधिक ध्यान दिया जाएगा और इसे रोजगारमूलक बनाया जाएगा। विद्यार्थी ऑनलाईन प्लेटफॉम के माध्यम से भी पढ़ाई कर सकेंगे। पढ़ाई की गुणवत्ता में वृद्धि के लिए नियमित अध्यापकों के अलावा विजिटिंग प्रोफेसर, प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस तथा एडजंट फैकल्टी की नियुक्ति भी की जाएगी। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल की अध्यक्षता में आयोजित विद्या परिषद की बैठक में इस आशय के निर्णय लिये गये।
गौरतलब है कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर की विद्या परिषद की बैठक 09 जुलाई 2024 को आयोजित की गई, जिसमें स्नातक स्तर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को इसी शैक्षणिक सत्र (2024-25) से लागू किये जाने के प्रस्ताव को पारित किया गया। स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम जिसमें बी.एस.सी. (आनर्स) कृषि, बी.टेक. कृषि अभियांत्रिकी एवं बी.टेक. खाद्य प्रौद्योगिकी में इसे लागू किया जावेगा। इस नीति के लागू होने के उपरान्त स्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेशित विद्यार्थी प्रथम वर्ष एवं द्वितीय वर्ष में यदि पाठ्यक्रम स्तर की पढ़ाई छोड़ना चाहे तो उन्हें इसकी अनुमति होगी और इसके साथ उन्हें 10 सप्ताह का इंटर्नशिप कोर्स करने के साथ प्रथम वर्ष के उपरान्त प्रमाण पत्र (सर्टिफिकेट) प्रदान किया जायेगा। यदि वह द्वितीय वर्ष के बाद पाठ्यक्रम की पढ़ाई से बाहर होता है तो इसी अवधि की इंटर्नशिप करने पर डिप्लोमा प्रदान किया जायेगा। ऐसे विद्यार्थी सर्टिफिकेट/डिप्लोमा प्राप्त कर स्व-रोजगार या रोजगार कर सकते हैं। अगर उन्हें स्व-रोजगार या रोजगार में कुछ दिन कार्य करने के उपरान्त असंतुष्टि मिलती है और वह आगे की पढ़ाई जारी करना चाहते हैं तो वे पुनः अपने स्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकते हैं, परन्तु यह अवधि उनके प्रवेश लेने के एवं स्नातक उपाधि पूर्ण करने के सात वर्ष से अधिक नहीं होगी।