धर्म समाज

24 जुलाई को गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत

  • हर बुरे संकट से मुक्ति दिलाते हैं विघ्नहरता
सावन भगवान शिव और माता पार्वती जी को समर्पित है. वहीं चतुर्थी तिथि पार्वती पुत्र भगवान गणेश जी को समर्पित है. भगवान गणेश जी की पूजा करने के लिए चतुर्थी तिथि का व्रत सबसे उत्तम माना जाता है. हिन्दू धर्म में सावन की गणेश चतुर्थी का बहुत अधिक महत्व होता है. इसे गजानन संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है.
किसी भी शुभ काम से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. गणपति बप्पा अपने भक्तों के सभी विघ्न हर लेते हैं, इसलिए उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. चतुर्थी तिथि भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित होती है. इस दिन बप्पा की विधिवत पूजा की जाती है और उनके लिए निमित्त व्रत भी रखा जाता है. भगवान गणेश की पूजा के लिए चतुर्थी तिथि का व्रत सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.
गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत-
पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 24 जुलाई को सुबह 7 बजकर 30 मिनट पर शुरू हो जाएगी. 25 जुलाई को सुबह 04 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में 24 जुलाई को गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा
संकष्टी चतुर्थी का महत्व-
संकष्टी चतुर्थी का मतलब होता है संकट हरने वाली चतुर्थी. संकष्टी संस्कृत भाषा से लिया गया शब्द है, जिसका अर्थ है कठिन समय से मुक्ति पाना. दुखों से छुटकारा पाने के लिए इस दिन गणपति जी की अराधना की जाती है. गणेश पुराण के अनुसार चतुर्थी तिथि के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना फलदायी होता है. इस दिन उपवास करने का और भी अधिक महत्व होता है. भगवान गणेश को समर्पित यह व्रत कठिनाइयों और बुरे समय से मुक्ति दिलाता है. कई जगहों पर इस चतुर्थी तिथि को संकट हारा कहते हैं तो कहीं इसे संकट चौथ के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत करने से मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

Leave Your Comment

Click to reload image