कर्ज में डूबे हैं तो शुक्रवार को इस विधि से करें गुप्त लक्ष्मी की पूजा
11-Apr-2025 3:17:34 pm
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हिंदू धर्म शास्त्रों में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है। शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी को समर्पित होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुई थीं। हिंदू धर्म शास्त्रों में देवी लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है। शुक्रवार के दिन देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा और व्रत किया जाता है।
मान्यताओं के अनुसार-
मान्यताओं के अनुसार, जिस व्यक्ति पर देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं, उसके घर में धन और समृद्धि की कभी कमी नहीं होती। घर में हमेशा खुशहाली बनी रहती है। शुक्रवार के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा और व्रत के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि शुक्रवार के दिन गुप्त लक्ष्मी की पूजा की जाती है। दरअसल, गुप्त लक्ष्मी जिन्हें धूमावती भी कहा जाता है। इन्हें अष्ट लक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि जो कोई भी शुक्रवार के दिन गुप्त लक्ष्मी (अष्ट लक्ष्मी) की पूजा करता है, उसके घर का खजाना हमेशा धन से भरा रहता है।
पूजा विधि-
शास्त्रों में कहा गया है कि देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए रात का समय शुभ माना जाता है। शुक्रवार की रात 9 से 10 बजे के बीच मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।
सबसे पहले पूजा के लिए साफ कपड़े पहनने चाहिए।
फिर पूजा की चौकी पर गुलाबी कपड़ा बिछाकर श्रीयंत्र और गुप्त लक्ष्मी (अष्ट लक्ष्मी) की मूर्ति या तस्वीर रखनी चाहिए।
फिर देवी के सामने 8 घी के दीपक जलाने चाहिए।
फिर श्रीयंत्र और अष्ट लक्ष्मी को अष्टगंध से तिलक लगाना चाहिए।
देवी को लाल गुड़हल के फूलों की माला पहनानी चाहिए।
खीर का भोग लगाना चाहिए।
ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीये ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नमः स्वाहा मंत्र का जाप करना चाहिए।
अंत में देवी की आरती करनी चाहिए।
फिर सभी आठों दीपकों को घर की आठ दिशाओं में रखना चाहिए।
देवी लक्ष्मी की पूजा का महत्व-
हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी की पूजा न केवल घर में धन-धान्य बढ़ाने के लिए की जाती है, बल्कि समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए भी की जाती है। देवी लक्ष्मी की पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा का भी नाश होता है।