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विशेष संयोग, जुलाई का पहला प्रदोष व्रत चातुर्मास में पड़ेगा

  • नोट करें शुभ मुहूर्त और विधि
सावन के पावन महीने की शुरुआत के साथ ही शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखने वाला प्रदोष व्रत आ रहा है. इस बार जुलाई का पहला प्रदोष व्रत एक ऐसे शुभ संयोग में पड़ रहा है जब चातुर्मास भी चल रहा होगा. यह स्थिति व्रत के महत्व को और बढ़ा देती है, क्योंकि चातुर्मास के दौरान भगवान शिव का वास कैलाश पर्वत पर माना जाता है और इस दौरान की गई पूजा-अर्चना का फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है. आइए जानते हैं जुलाई के पहले प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि|
कब है जुलाई का पहला प्रदोष व्रत-
जुलाई का पहला प्रदोष व्रत 8 जुलाई को पड़ेगा. इस दिन मंगलवार है, इसलिए इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाएगा.जिसका धार्मिक ग्रंथों में विशेष महत्व बताया गया है|
शुभ मुहूर्त-
पूजा का शुभ मुहूर्त (प्रदोष काल) 08 जुलाई 2025, सोमवार को शाम 07 बजकर 23 मिनट से शाम 09 बजकर 24 मिनट तक रहेगा|
चातुर्मास में प्रदोष व्रत का महत्व-
इस बार का यह प्रदोष व्रत इसलिए भी खास है क्योंकि यह चातुर्मास के दौरान पड़ रहा है. चातुर्मास वह समय होता है जब भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और सृष्टि का संचालन भगवान शिव संभालते हैं. ऐसे में चातुर्मास में पड़ने वाले सभी व्रत और त्योहारों का महत्व बढ़ जाता है, खासकर शिव आराधना से जुड़े व्रतों का. सोम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से भक्तों को सुख, शांति, समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है. संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले भक्तों के लिए भी यह व्रत अत्यंत फलदायी माना गया है|
प्रदोष व्रत की पूजा विधि-
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें. व्रत का संकल्प लें और मन ही मन भगवान शिव का ध्यान करें. भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें. पूजा सामग्री में बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी पत्र, सफेद चंदन, अक्षत, धूप, दीप, गंगाजल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल का मिश्रण), फल, फूल और नैवेद्य (मिठाई) शामिल करें. शाम के समय प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा शुरू करें. शिवलिंग पर गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें|
भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी पत्र, चंदन, अक्षत, फूल अर्पित करें. ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें. महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना भी अत्यंत लाभकारी होता है. प्रदोष व्रत की कथा सुनें या पढ़ें.सबसे आखिर में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें. भगवान को फल और मिठाई का भोग लगाएं. पूजा के बाद प्रसाद परिवार के सदस्यों और अन्य लोगों में वितरित करें. अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें|

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