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नाग पंचमी पर कैसे करें नाग देव की पूजा, जानें आसान उपाय

हिंदू धर्म में श्रावण मास को धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पूरे माह में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन नाग देवताओं की पूजा करने से जीवन की कई बाधाएं दूर होती हैं और व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस पावन अवसर पर भक्त व्रत रखते हैं, नाग पंचमी व्रत कथा का पाठ करते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
शुभ मुहूर्त और पूजा का महत्व:
वैदिक पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 28 जुलाई 2025 को रात 11:24 बजे से होगी और इसका समापन 30 जुलाई की रात 12:46 बजे होगा. चूंकि सनातन धर्म में तिथियों की गणना सूर्योदय के आधार पर की जाती है, इसलिए नाग पंचमी का पर्व 29 जुलाई 2025, मंगलवार को मनाया जाएगा|
नाग देवता को अर्पित करें ये 5 विशेष चीजें, मिलेगा शुभ फल:
क्यों चढ़ाया जाता है नागों को दूध?
भविष्य पुराण के ब्रह्मा पर्व में नाग पंचमी से संबंधित एक पौराणिक कथा का उल्लेख मिलता है. इसके अनुसार, सुमंतु मुनि ने राजा शतानीक को इस व्रत की महिमा बताते हुए कहा था कि श्रावण शुक्ल पंचमी के दिन नागलोक में विशेष उत्सव होता है. जो श्रद्धालु इस दिन नाग देवताओं को गाय के दूध से स्नान कराते हैं, उनके कुल को नाग भय से मुक्ति मिलती है और उन्हें काल सर्प दोष से छुटकारा मिलता है. इस दिन नागों को दूध अर्पित करना श्रद्धा, शांति और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है|
नाग पंचमी पर पूजा विधि:
नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है. इससे न केवल जीवन की अनेक बाधाएं दूर होती हैं, बल्कि कालसर्प दोष से मुक्ति भी मिलती है. इस दिन प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें. घर के पूजा स्थल पर या किसी नाग मंदिर में नाग देवता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें.
पूजन के लिए नाग देव को कच्चा दूध, चंदन, अक्षत (चावल), फूल, दूर्वा, कुशा और मिष्ठान्न अर्पित करें. पंचोपचार या षोडशोपचार विधि से श्रद्धापूर्वक पूजन करें. नाग पंचमी के लिए विशेष मंत्र “ॐ नमः सर्व सर्पेभ्यो नमः” या “नागाय नमः” का जाप करें|
यदि संभव हो तो मिट्टी से नाग देव की मूर्ति बनाकर पूजन करें, यह और भी फलदायक माना गया है. पूजा के उपरांत नाग पंचमी की व्रत कथा का श्रवण करें और आरती करें. परंपरा अनुसार नागों को दूध चढ़ाना शुभ होता है. यदि प्रत्यक्ष रूप से संभव न हो तो प्रतीकात्मक रूप से दूध अर्पित करें.
 

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