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राष्ट्रपति शी जिनपिंग और राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात

आखिर क्यों रूस से नजदीकियां बढ़ा रहा चीन, जानिए
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग रूस के तीन दिवसीय दौरे पर थे। यह यात्रा 20 मार्च को शुरू हुई थी। शी जिनपिंग की अगवानी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने की। शी जिनपिंग की यात्रा को लेकर वर्ल्ड पॉलिटिक्स में कई तर्क दिए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस यात्रा से ड्रैगन ने पश्चिमी देशों को संदेश दिया है कि वे विश्व पटल पर यूक्रेन के पीछे खड़ा है। इस स्टोरी में हम आपको बताएंगे कि शी जिनपिंग और पुतिन के बीच मुलाकात के क्या मायने है। इस यात्रा से चीन क्या हासिल करना चाहता है। आइए जानते हैं-
चीन-रूस मैत्री
रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के करीब एक साल बाद शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन मास्को में मिले। रूस और चीन औपचारिक तौर पर दोस्त नहीं है। यानी हथियारों और आपूर्ति के मामले में एक-दूसरे के प्रति प्रतिबद्ध नहीं हैं। हालांकि दोनों देशों के बीच पिछले कुछ सालों में निकटता आई है। एक तरफ यूक्रेन पर हमले के बाद कई देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। दूसरी तरफ चीन और रूस के बीच ये नजदीकियां बढ़ी हैं।
मध्य एशिया पर प्रभुत्व की होड़
रूस और चीन के बीच शुरुआत से ही मधुर संबंध नहीं रहे हैं। 1960 के दशक में दोनों देश एक-दूसरे के दुश्मन थे। 1969 में रूस-चीन के बीच सीमा विवाद के कारण परमाणु युद्ध की स्थिति बन गई थी। मध्य एशिया लंबे समय से रूस के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है। हालांकि यह क्षेत्र बाद में भू-राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से चीन के लिए महत्वपूर्ण हो गया। इस कारण दोनों देशों के बीच मध्य एशिया पर हावी होने की होड़ लगी रहती है। कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान जो कभी सोवियत संघ का हिस्सा थे। सुरक्षा के लिए रूस पर निर्भर हैं। वहीं, चीन इन देशों में रेलवे, हाइवे और पाइपलाइन बना रहा है। इस तरह ये दोनों देश मध्य एशिया पर प्रभुत्व के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
जिनपिंग और पुतिन के बीच संबंध
यूक्रेन हमले के बाद शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन ने कई बार अपनी मित्रता का इजहार किया है। दोनों ने कई बार कहा है कि हमारी दोस्ती की कोई सीमा नहीं है। जिनपिंग कह चुके हैं कि पुतिन मेरे सबसे अच्छे दोस्त हैं। 2018 में दोनों रूस में इकोनॉमिक फोरम के दौरान साथ में चाय पीते हुए नजर आए थे। 2019 में चीन राष्ट्रपति के जन्मदिन पर पुतिन ने उन्हें एक विशेष केक और आइसक्रीम का एक डिब्बा गिफ्ट में दिया था। दोनों ने यह संदेश देने की कोशिश की कि इन उपहारों और एक-दूसरे को दिखाए गए स्नेह के कारण हमारी दोस्ती बढ़ रही है।
रूस और चीन के बीच आर्थिक संबंध कैसे हैं?
2014 में रूस ने क्रीमिया पर अधिकार कर लिया था। तब यूएस राष्ट्रपति बराब ओबामा ने रूस पर कई बैन लगाए थे। चीन ने इन प्रतिबंधों के दौरान रूस की सहायता की थी। पिछले साल रूस ने यूक्रेन पर अटैक किया था। उसके बाद कई पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए। इस दौरान चीन ने उन वस्तुओं की आपूर्ति की जो रूस पश्चिमी देशों से खरीदता था। चीन ने रूस को स्मार्टफोन, कंप्यूटर चिप्स और सेना के लिए इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं के लिए कच्चे माल की आपूर्ति की। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद चीन और रूस के बीच व्यापार बढ़ा है।
व्यादिमीर पुतिन को चीन से क्या उम्मीद है?
यूक्रेन के साथ युद्ध ने रूस की अर्थव्यवस्था को बदतर कर दिया है। पुतिन का मुख्य उद्देश्य चीन-रूस मित्रता के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है। रूस के लिए चीन बढ़ते निवेश और बिजनेस के लिए सही विकल्प है। पश्चिम देशों ने रूस से तेल और प्राकृतिक गैस की खरीद पर प्रतिबंध लगा दिया है। चीन ने इस गिरावट के दौरान ऊर्जा खरीदकर एक तरह से रूस की मदद की। अमेरिका का कहना है कि चीन ने रूस को युद्ध सामग्री और हथियार दिए थे। हालांकि चीन ने इस दावे को खारिज कर दिया।
रूस-यूक्रेन युद्ध में चीन की क्या भूमिका है?
रूस-यूक्रेन युद्ध में चीन ने तटस्थता दिखाने की कोशिश की है। चीन ने रूस की स्थिति का समर्थन किया है। इस युद्ध के लिए अमेरिका और नाटो देशों को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं, चीन चाहता है कि रूस पश्चिम देशों के साथ-साथ यूएस का मुकाबला करने के लिए समर्थन करे। चाइना का रुख है कि अमेरिका उनके बढ़ते दबदबे का विरोध करता है। शी जिनपिंग ने अमेरिका के कथित प्रयासों के खिलाफ कई बार कड़ा रुख अपनाया है। इस बीच रूस और चीन के राष्ट्रपतियों की मुलाकात से सबसा ध्यान खींचा है। इस मुलाकात से विश्व राजनीति में क्या बदलाब आएगा, यह देखना अहम होगा।

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