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ब्रिटिश भारतीयों के बीच पैठ बढ़ाने लेबर पार्टी ने बदली रणनीति

  • भारत भेजेगी अपने दो दूत
नई दिल्ली। ब्रिटेन की विपक्षी लेबर पार्टी ब्रिटिश भारतीयों तक पहुंचने के अपनी कोशिशों में बदलाव कर रही है। पार्टी को यह कदम इसलिए उठाना पड़ा क्योंकि देश के सबसे बड़े जातीय अल्पसंख्यक समुदाय के बीच पार्टी का समर्थन हाल के वर्षों में कम हुआ है।
2021 की ब्रिटेन की जनगणना के अनुसार, भारतीय मूल के लोग ब्रिटेन में सबसे बड़े एशियाई जातीय समूह और सबसे बड़े गैर-श्वेत जातीय समूह हैं। 18 लाख आबादी की बाद उनकी हिस्सेदारी करीब 3.1 प्रतिशत हैं।
द गार्जियन अखबार ने गुरुवार को बताया कि कीर स्टार्मर के नेतृत्व वाली लेबर पार्टी ने ब्रिटिश भारतीयों के साथ फिर से जुड़ने के लिए कई उपाय शुरू किए हैं। इनमें दो सामुदायिक आउटरीच स्वयंसेवकों को काम पर रखना, लेबर फ्रेंड्स ऑफ इंडिया समूह को पुनर्जीवित करना और अपने दो शैडो मिनिस्टर्स (दूत) के लिए भारत की यात्रा का आयोजन करना शामिल है।
इस बात के प्रमाण बढ़ रहे हैं कि लेबर पार्टी ने भारतीय मूल के लोगों का समर्थन खो दिया है। 2010 में, 61 प्रतिशत ब्रिटिश भारतीयों ने कहा कि उन्होंने लेबर का समर्थन किया है, लेकिन गार्जियन द्वारा देखे गए एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि 2019 तक यह आंकड़ा घटकर केवल 30 प्रतिशत रह गया था।
वरिष्ठ लेबर नेताओं को चिंता है कि ऋषि सुनक के ब्रिटेन के पहले हिंदू प्रधानमंत्री होने से लेबर पार्टी का समर्थन और घट सकता है। कंसल्टेंसी पब्लिक फर्स्ट की ओर से पहली, दूसरी और तीसरी पीढ़ी के भारतीयों के बीच पिछले साल के अंत में किए गए फोकस ग्रुप्स ने लेबर पार्टी के सामने यह समस्या रखी है।
2021 की जनगणना के अनुसार, इंग्लैंड और वेल्स में हिंदुओं की गणना 10,32,775 या जनसंख्या का 1.7 प्रतिशत थी। अखबार ने पार्टी के एक अधिकारी के हवाले से कहा, "हम भारतीय मतदाताओं को सालों से हल्के में लेते रहे हैं, लेकिन यह तेजी से स्पष्ट होता जा रहा है कि वे कहीं और जा रहे हैं और हमें इस बारे में कुछ करने की जरूरत है।"
पार्टी के एक प्रवक्ता ने कहा, "कीर स्टारर की बदली हुई लेबर पार्टी कामकाजी लोगों की सेवा में वापस आ गई है और हम भारतीय समुदायों सहित सभी पृष्ठभूमियों और धर्मों के लोगों के साथ जुड़ना जारी रखेंगे। पार्टी समर्थकों की ओर से किए जा रहे उपायों में लेबर इंडियंस नामक एक नया समूह स्थापित करना शामिल है जो सामुदायिक कार्यक्रमों को आयोजित करेगा और सोशल मीडिया पर ब्रिटिश भारतीयों को संदेश देगा।
समूह के अध्यक्ष कृष रावल ने कहा, "यह इवेंट संगठन और सोशल मीडिया प्रसार पर केंद्रित एक पहल के रूप में शुरू किया है। हम लेबर पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए हितधारकों के व्यापक समूह की सेवा करना चाहते हैं।"
समूह के साथ काम करने के लिए दो स्वयंसेवकों को काम पर रखा गया है, उनका काम भारत से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को लेबर पार्टी के संसदीय उम्मीदवारों को ब्रीफ करने पर केंद्रित है। रविवार को शैडो विदेश सचिव, डेविड लैमी और शैडो व्यापार सचिव, जोनाथन रेनॉल्ड्स, पांच दिवसीय यात्रा पर दिल्ली और मुंबई की यात्रा करेंगे। वे अपनी यात्रा के दौरान यह प्रदर्शित करेंगे कि पार्टी भारतीय हितों के प्रति शत्रुतापूर्ण नहीं है। ब्रिटेन में भारतीय दूसरा सबसे बड़ा आप्रवासी समूह है। 
वर्षों तक लगभग दो-तिहाई ब्रिटिश भारतीयों ने अन्य अल्पसंख्यक-जातीय समूहों के अनुरूप लेबर पार्टी का समर्थन किया। लेकिन हाल के वर्षों में इसमें तेजी से गिरावट आई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव आंशिक रूप से सामाजिक आर्थिक कारणों से और आंशिक रूप से धार्मिक कारणों से आया है। जानकारों के अनुसार ब्रिटिश भारतीय हाल के वर्षों में अमीर हो गए हैं, सर्वेक्षण के आंकड़ों से पता चलता है कि उनके दृष्टिकोण अधिक रूढ़िवादी हो गए हैं।
यूके इन ए चेंजिंग यूरोप सर्वेक्षण से पता चलता है कि 2019 के चुनाव में मतदान करने वाले अधिकांश हिंदुओं ने टोरी (कंजर्वेटिव) का समर्थन किया था। जेरेमी कॉर्बिन के लेबर पार्टी के नेतृत्व काल में भारतीय मूल के अप्रवासियों का टोरी पार्टी के प्रति समर्थन बढ़ गया था, क्योंकि उन्होंने कश्मीर पर भारतीय के विरोध का समर्थन किया था।

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