दुनिया-जगत

बढ़ते दबाव के बावजूद अपनी नीतियां बदलने को तैयार नहीं जिनपिंग

  • किताब में दावा- अभी दबदबा बरकरार रहेगा
बीजिंग। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के कार्यकाल के पहले दस साल में चीन की राजनीति पर उनका दबदबा ऐसा रहा, जिसे कोई चुनौती नहीं दे पाया। अभी चीन पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है। साथ ही चीन कई आर्थिक परेशानियों से बी जूझ रहा है, इसके बावजूद शी जिनपिंग अभी भी अपनी नीतियों से पीछे हटने को तैयार नहीं दिख रहे हैं।
'खुद को 21वीं सदी का माओ जेदोंग मानते हैं शी जिनपिंग'-
अमेरिका के थिंकटैंक जेम्सटाउन फाउंडेशन के सीनियर फेलो विली वो लैप लाम ने एक किताब लिखी है, जिसका शीर्षक 'शी जिनपिंगः द हिडन एजेंडाज ऑफ चाइना रूलर फॉर लाइफ' है। लाम का कहना है कि 'शी जिनपिंग अपने आप को चीन के इतिहास का पहला नहीं तो दूसरा सबसे अहम नेता मानते हैं। उनका मानना है कि वे देंग जियाओपिंग से आगे निकल चुके हैं और खुद को 21वीं सदी का माओ जेदोंग मानते हैं।'
'लंबे समय तक सत्ता का केंद्र रहेंगे शी जिनपिंग'-
लाम ने अनुमान जताया कि 'शी जिनपिंग अधिकतम चार या पांच साल और शीर्ष पद पर रह सकते हैं, लेकिन उसके बाद भी वे सत्ता के केंद्र में रहेंगे और कई अहम सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के अध्यक्ष बने रह सकते हैं। लाम का कहना है कि जब साल 2012 में शी जिनपिंग सत्ता में आए तो उस वक्त चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में दो बड़े धड़े थे, लेकिन शी जिनपिंग ने दोनों धड़ों को किनारे लगा दिया और जब सितंबर 2022 में पार्टी की 20वीं बैठक हुई तो दोनों धड़ों के 80-90 प्रतिशत सदस्य शी जिनपिंग के साथ आ गए थे।'

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