दुनिया-जगत

भारतीय वास्तुकार बालकृष्ण रॉयल गोल्ड मेडल से नवाजे गए

रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रिटिश आर्किटेक्ट्स (आरआईबीए) ने यह घोषणा करते हुए बताया कि 70 वर्षीय करियर और 100 से ज्यादा परियोजनाओं के साथ 94 साल के दोशी ने बेहद अहम उपलब्धि हासिल की है।

आरआईबीए ने कहा, दोशी ने भारत व आसपास वास्तुकला की दिशा को प्रभावित किया
आरआईबीए ने कहा, दोशी ने अपने अभ्यास और अपने शिक्षण दोनों के माध्यम से भारत और उसके आसपास के क्षेत्रों में वास्तुकला की दिशा को प्रभावित किया है। आजीवन किए गए काम को मान्यता देने वाले रॉयल गोल्ड मेडल को व्यक्तिगत रूप से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा अनुमोदित किया जाता है और इसे ऐसे व्यक्ति या लोगों को दिया जाता है, जिनका वास्तुकला की उन्नति पर महत्वपूर्ण प्रभाव रहा है।

दोशी ने इस जीतपर कहा, मैं आश्चर्यचकित हूं और इंग्लैंड की महारानी से 'रॉयल गोल्ड मेडल' प्राप्त करने की बात से सम्मानित महसूस कर रहा हूं। यह बहुत बड़ा सम्मान है। आरआईबीए ने कहा कि उनकी इमारतों में भारत की वास्तुकला, जलवायु, स्थानीय संस्कृति और शिल्प की परंपराओं की गहरी छाप के साथ आधुनिकतावाद का भी संगम दिखता हैं।

गुरु और सहयोगियों को आभार
पदक जीतने पर बालकृष्ण दोशी ने कहा, आज छह दशक बाद, मैं अपने गुरु ले कॉर्बूजियर के समान इस पुरस्कार से सम्मानित होकर अभिभूत हूं। मैं अपनी पत्नी, अपनी बेटियों और सबसे महत्वपूर्ण मेरी टीम और सहयोगियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं। दोशी 1927 में पुणे में फर्नीचर निर्माण से जुड़े परिवार में जन्मे और जेजे स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर, मुंबई से बाद में अध्ययन किया। उन्होंने पेरिस में भी काम किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय वास्तुकार बालकृष्ण दोशी को ब्रिटेन के प्रतिष्ठित शाही स्वर्ण पदक से सम्मानित किए जाने पर बधाई दी और कहा कि वास्तुकला की दुनिया में उनका योगदान स्मारकीय है। मोदी ने ट्वीट किया, दोशी के कार्यों को उनकी रचनात्मकता, विशिष्टता और विविध प्रकृति के लिए विश्व स्तर पर सराहा जाता है। उन्हें बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं।
 

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