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चीन समर्थक प्रत्याशियों को मिली भारी जीत, चुनाव की रिपोर्ट देने बीजिंग पहुंचीं कैरी लैम

हांगकांग की नेता और चीन समर्थक कैरी लैम बुधवार को बीजिंग में शीर्ष नेताओं के साथ बैठक कर रही हैं ताकि उन्हें नए कानूनों के तहत हुए क्षेत्र के पहले विधायी चुनावों की रिपोर्ट दी जा सके. यह नया कानून यह सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया था कि सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रति वफादार 'देशभक्त' ही उम्मीदवार के तौर पर चुनावों में खड़े हो पाएं. उम्मीद के मुताबिक, 90 सीटों वाली विधान परिषद के लिए रविवार के चुनाव में पार्टी समर्थित नेताओं ने जीत हासिल कीं.

इन्होंने नरमपंथियों और निर्दलीय उम्मीदवारों की घटती संख्या को मात दी है. लोकतंत्र समर्थक विपक्ष में प्रमुख हस्तियों को चुप करा दिया गया है, जेल में डाल दिया गया है या निर्वासन में रहने पर मजबूर किया गया है  केवल 20 सीटों पर सीधे चुनाव हुआ, जबकि 40 को बीजिंग द्वारा नियुक्त समिति के सदस्यों द्वारा भरा गया, जो क्षेत्र के मुख्य कार्यकारी का चयन करती है. लैम ने 30.2 प्रतिशत मतदान के बावजूद कहा कि वह चुनाव से संतुष्ट हैं.

अब तक का सबसे कम मतदान
यह 1997 में ब्रिटेन द्वारा हांगकांग को चीन को सौंपे जाने के बाद से सबसे कम मतदान है. नामांकित होने से पहले सभी उम्मीदवारों को बड़े पैमाने पर बीजिंग समर्थक समिति द्वारा जांचा गया था और अतीत में बयानों या कार्यों के आधार पर कई को अयोग्य घोषित कर दिया गया था . हांगकांग में चीन की बढ़ती पकड़ के चलते लोगों का विरोध बढ़ रहा है. जिसके चलते यहां भारी विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिले हैं. लोगों का कहना है कि देश में लोकतंत्र खत्म हो रहा है.

चीन की पकड़ होगी मजबूत
हांगकांग की विधायिका के लिए हुए चुनाव में चीन समर्थक प्रत्याशियों ने भारी जीत दर्ज की है. जिससे पता चलता है कि अब चीन यहां अपनी पकड़ और मजबूत करेगा विपक्षी खेमे ने चुनाव की आलोचना की है. सबसे बड़े लोकंतत्र समर्थक दल डेमोक्रेटिक पार्टी ने 1997 के बाद पहली बार अपने एक भी उम्मीदवार को चुनावी मैदान में नहीं उतारा. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि मतदान प्रतिशत कम रहने के कई कारण रहे. झाओ ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा, 'इसकी वजह केवल महामारी नहीं है, बल्कि हांगकांग में चीन विरोधी ताकतों की तरफ से पैदा की गई बाधा और बाहरी शक्तियां भी जिम्मेदार हैं |

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