धर्म समाज

अयोध्या में भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव मनाने की विशेष तैयारी

  • सोने-चांदी से बने वस्त्र पहनेंगे भगवान, सूर्य देवता भी करेंगे अभिषेक
अयोध्या। इस बार अयोध्या में भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव मनाने की विशेष तैयारी की जा रही है। उनके श्रृंगार से लेकर अभिषेक व पूजा-अर्चना तक को अविष्मरणीय बनाने का प्रयास किया जा रहा है। सैकड़ों वर्षों के बाद राम की नगरी में ऐसी भव्य व मनमाेेहक तैयारी की जा रही है।
जन्मोत्सव की तैयारियों के बारे मेें बताते हुए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने कहा कि इस बार अपने जन्मदिन पर श्री रामलला चांदी और सोने के तारों से बुना विशेष डिजाइनर वस्त्र पहनेंगे। इसे दिल्ली से विमान के जरिए लाया जाएगा। इसी तरह उनके श्रृंगार और मंदिर को सजाने के लिए दिल्ली और कर्नाटक से खास तरह के पुष्प लाए जाएंगे।
इस मौके पर बधाई गीत गाए जाएंगे, वेदों और पुराणों का पाठ होगा, भोग के लिए 56 प्रकार के विशेष पकवान बनाए जाएंगे। यहां तक कि भगवान सूर्य भी अपनी किरणों से भगवान का अभिषेक करते दिखाई देंगे ।
जन्मोत्सव की तैयारियों के बारे में बताते हुए पूजा अर्चक समिति राम मंदिर के मिथिलेश नंदनी शरण ने कहा कि जन्मदिन के उत्साह में डूबे राम भक्त रामनवमी पर दोपहर 12 बजे गर्भ गृह का पर्दा हटने के बाद जब श्री रामलला का दर्शन करेंगे तो वह क्षण अद्भुत होगा। उस समय सूर्य की किरणें रामलला के ललाट पर पड़ेंगी और खुद सूर्य देवता उनका अभिषेक करेंगे।
नंदनी शरण ने भगवान सूर्य से श्री राम के रिश्तेे के बारे में बताते हुए कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने दोनों के संबंधों का बड़ा मार्मिक वर्णन किया है। गोस्वामी जी ने रामचरित मानस में लिखा है कि जब श्री राम प्रकट हुए, तब भगवान सूर्य ने कहा कि मेरा मान बढ़ गया, मैं जन्मोत्सव देखूंगा। उसके बाद अब ऐसा होने वाला है, जब दोपहर में रामलला की आरती हो रही होगी, उस समय उनके मस्तिष्क पर सूर्य की किरणें पड़ेंगी। यह वैसा ही है, जैसे किसी बालक के जन्मदिन पर उसके अभिभावक व बड़े लोग उसके सिर पर हाथ रखकर उसकी मंगल कामना करते हैं व आशीर्वाद देते हैं।
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झलमला स्थित माँ गंगा मैया मंदिर में भक्तों का लगा तांता

  • जलाए गए 900 मनोकामना ज्योति कलश
बालोद। बालोद जिला के झलमला स्थित माँ गंगा मैया मंदिर में नवरात्रि पर्व के इन दिनों भक्तों का तांता लगा हुआ है। जहां क्षेत्र के ही नहीं बल्कि दूर दराज से भी भक्त अपने मन की मुरादे लिए माता के दरबार में पहुंच रहे है और माता के चरणों में माथा टेक कर अपने आप में सुखद महसूस कर रहे हैं। मां की मूर्ति की एक झलक पाने यहां भक्तों की भीड़ बनी हुई है। वहीं यहां आने वाले भक्तों की भीड़ को देखते हुए मंदिर समिति द्वारा भी व्यवस्था की गई है। विशेष पूजा अर्चना के साथ-साथ मंदिर परिसर में विभिन्न भक्तिमय कार्यक्रम का सिलसिला भी जारी है।
मां गंगा मैया मंदिर में स्थापित मां के मूर्ति की अपनी एक अलग ही किदवंती है। बताया जाता है कि इस मां गंगा मैया के मूर्ति की उत्पत्ति वहीं पास स्थित तालाब से कई साल पहले हुई है। इस मूर्ति को सबसे पहले तांदुला जलाशय बनने के पूर्व डैम क्षेत्र में 1 पेड़ के नीचे स्थापित किया गया था और जब अंग्रेजों द्वारा तांदुला जलाशय का निर्माण कराया गया तो माता की प्रतिमा को इस जगह लाकर गंगा मैया की पावन धरा में स्थापित किया गया तब से यह मंदिर लोगों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र बन गया और समय के साथ- साथ यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा होने लगा।
कहा जाता है भक्त की सच्ची मन से मांगी गई मुरादे यहां मां जरूर पूरा करती है। इस साल यहां भक्तों के द्वारा 900 मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित की गई है। यहाँ माता के प्रति भक्तों की अटूट आस्था देखने को मिलती है। कहते हैं मन में सच्ची आस्था और लगन हो तो पत्थरों में भी भगवान नजर आता है शायद यही वजह है लोग श्रद्धा पूर्वक यहां आते है अपनी श्रद्धा के फूल चढ़ाते है और मां उनकी झोली भर देती है।
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जानिए... आज का राशिफल

12 राशियों में से हर व्यक्ति की अलग राशि होती है, जिसकी मदद से व्यक्ति यह जान सकता है कि उसका आज का दिन कैसा होगा? ज्योतिष में ग्रहों की चाल से शुभ और अशुभ घड़ियां बनती हैं, जो हमारे जीवन को प्रभावित करती हैं।
मेष राशि- आज का दिन नई शुरुआत के लिए उत्तम रहेगा। राइटर्स और एडिटर्स को करियर ग्रोथ के कई सुनहरे अवसर मिलेंगे। लेकिन अपने खर्च पर नियंत्रण रखें। जल्दबाजी में किसी भी वस्तु की खरीदारी न करें। आज आप सुख-सुविधाओं में जीवन व्यतीत करेंगे। धन-संपदा में वृद्धि होगी। प्रोफेशनल लाइफ में चुनौतीपूर्ण स्थिति बनी रहेगी, हालांकि धैर्य बनाएं रखें और शांत दिमाग से फैसले लें। इसके अलावा आपकी रोमांटिक लाइफ अच्छी रहेगी और साथी संग रिश्ता मजबूत होगा।
वृषभ राशि- आज आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। पारिवारिक जीवन में खुशनुमा माहौल रहेगा। परिजनों के साथ फैमिली फंक्शन में शामिल होंगे। लेकिन काम के सिलसिले में यात्रा के भी योग बनेंगे। मन में नकारात्मक विचारों को ज्यादा बढ़ने न दें। पॉजिटिव माइंडसेट के साथ चुनौतियों को हैंडल करें। आज आपको दोस्तों की मदद से धन कमाने के कई सुनहरे अवसर मिलेंगे। रोजाना योग और एक्सरसाइज करें। इससे आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।
मिथुन राशि- आज आय के नए साधनों से धन लाभ होगी। घर की जरूरी चीजों की खरीदारी के लिए आपके पास पर्याप्त धन होगा। लेकिन पारिवारिक जीवन में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। आज फ्रेंड्स या पार्टनर के साथ वेकेशन का प्लान बना सकते हैं। हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं। बुरी आदतों से दूर रहें। ऑफिस में कार्यों का ज्यादा स्ट्रेस न लें। साथी से व्यर्थ के वाद-विवाद से बचें। इससे वैवाहिक जीवन में खुशियां ही खुशियां आएंगी।
कर्क राशि- पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में संतुलन बनाए रखें। रोजाना योग और मेडिटेशन करें। फिट रहने के लिए हेल्दी डाइट लें। स्ट्रैस मैनेजमेंट एक्टिविटी में शामिल हों। आज ज्यादा ट्रैवल करने से बचें। वाहन चलाते समय ट्रैफिक के नियमों का कड़ाई से पालन करें। कुछ जातक आज सामाजिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे। पारिवारिक जीवन में खुशियों और उत्साह का माहौल रहेगा। रोमांटिक लाइफ बढ़िया रहेगी।
सिंह राशि- आज आपके सभी कार्य सफल होंगे। पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी। व्यापार में बढ़ोत्तरी के नए अवसर मिलेंगे। ऑफिस में मनचाहे प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी मिलेगी। दोस्तों के साथ ट्रिप का प्लान बना सकते हैं। जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें। आज अचानक से आपके खर्चे बढ़ेंगे। बड़े अमाउंट में धन खर्च करने से बचें। इनवेस्टमेंट से जुड़े डिसीजन होशियारी से लें।
कन्या राशि- आज का दिन मिलाजुला परिणाम देने वाला है। धन के मामले में आंख मूंदकर किसी पर भरोसा न करें। इनवेस्टमेंट से जुड़े डिसीजन सोच-समझकर लें। पारिवारिक जीवन में टेंशन बनी रहेगी। यात्रा से लाभ होगा। लेकिन छोटी-मोटी दिक्कतें भी महसूस होंगी। कुछ लोगों को प्रॉपर्टी के मामलों में किसी अनुभवी व्यक्ति की एडवाइस लेने में संकोच नहीं करना चाहिए। प्रेम-संबंधों में मधुरता आएगी। रिश्तों में नजदीकियां बढ़ेंगी।
तुला राशि- ऑफिस में कार्यों का दबाव बढ़ेगा।  कार्यों की अतिरिक्त जिम्मेदारियां मिलेंगी। निवेशों से उतना प्रॉफिट नहीं होगा, जितना आपको उम्मीद था। पॉजिटिव माइंडसेट के साथ लाइफ में आगे बढ़ें। नेगेटिविटी से दूर रहें। फैमिली के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करें। इससे स्ट्रेस कम होगा और मानसिक तनाव से राहत मिलेगा।
वृश्चिक राशि- आज फैमिली या फ्रेंड्स के सपोर्ट से कार्यों की बाधाएं दूर होंगी। जीवन में कई बड़े सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे। हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं। नई फिटनेस रूटीन में शामिल हों। आज आपकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। धन का आवक बढ़ेगा। सामाजिक पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। धर्म-कर्म के कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे। परिजनों के साथ मौज-मस्ती भरे पलों को एंजॉय करेंगे।
धनु राशि- आज आपके अचानक से खर्चे बढ़ेंगे, जिस पर कंट्रोल करना थोड़ा मुश्किल रहेगा। घर के बड़े भाई-बहनों से वाद-विवाद हो सकता है। ट्रैवलिंग के दौरान किसी खास व्यक्ति से मुलाकात होगी। नई प्रॉपर्टी या वाहन की खरीदारी के योग बनेंगे। आध्यात्मिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी। रोमांटिक लाइफ बढ़िया रहेगी।
मकर राशि- घर में मेहमानों के आगमन से खुशहाली का माहौल रहेगा। पारिवारिक जिम्मेदारियां बढ़ेंगी। परिजनों से व्यर्थ के वाद-विवाद से बचें। आज आप भूमि या वाहन की खरीदारी का प्लान बना सकते हैं। प्रोफेशनल लाइफ में शुभ समाचार मिलेंगे। आज नई कार्यों के शुरुआत के लिए बेहद शुभ दिन है। सामाजिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी। साथी से अपनी फीलिंग्स शेयर करने में संकोच न करें। इससे आपका रिश्ता मजबूत और गहरा होगा।
कुंभ राशि- परिजनों से व्यर्थ के वाद-विवाद से दूर रहें। आर्थिक मामलों में थोड़ी सावधानी बरतें। खर्च पर थोड़ा नियंत्रण रखें। दिन की शुरुआत योग और एक्सरसाइझ से करें। आज विदेश में पढ़ाई करने के इच्छुक विद्यार्थियों को शुभ समाचार मिल सकता है। सिंगल जातकों की किसी खास व्यक्ति से मुलाकात होगी। निवेश के नए अवसरों पर नजर रखें। लेकिन रिसर्च किए बिना इनवेस्टमेंट का डिसीजन न लें।
मीन राशि- आज आर्थिक मामलों में थोड़े उतार-चढ़ाव आएंगे। आय के कई स्त्रोतों से धन लाभ होगा, लेकिन खर्च की अधिकता भी रहेगी। व्यापार में विस्तार होगा। धन आगमन के नए मार्ग प्रशस्त होंगे। प्रोफेशनल लाइफ में सभी कार्यों को क्रिएटिविटी और नए इनोवेटिव आइडियाज के साथ कंपलीट करें। इससे करियर ग्रोथ के चांसेस बढ़ेंगे। आज फैमिली और फ्रेंड्स के साथ कहीं घूमने का प्लान बना सकते हैं। इससे पारिवारिक जीवन में खुशियां आएंगी।
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देवी मंदिर में चढ़ाई गई हजार फीट लंबी चुनरी

पत्थलगांव। चैत्र नवरात्रि पर्व के मौके पर वनभौंरी देवी मंदिर में 1151फीट लंबी चुनरी चढ़ाने के लिए कोतबा में भक्तों का जन सैलाब उमड़ा हुआ था। हजारों फीट लम्बी इस चुनरी यात्रा में छोटी बालिकाओं ने मां के नौ अलग-अलग रूप धारण किए थे। इस झांकी को देखने के हर कोई मंत्रमुग्ध हो रहा था। आस्था और भक्ति की इस यात्रा में पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के जगह-जगह पुख्ता इंतजाम किए थे।
कोतबा का सतीघाट से गंजियाडीह का प्रसिद्ध देवी मंदिर में 1151 फीट लंबी चुनरी चढ़ाने के लिए हजारों महिलाएं चुनरी यात्रा के जुलूस में शामिल हुई थी। सती मंदिर से 8 कि.मी. तक देवी मंदिर की चुनरी यात्रा के दौरान समूचा वातावरण भक्तिमय बन गया था।
इस देवी मंदिर के आचार्य मनीष कृष्ण शास्त्री का कहना था कि चैत्र नवरात्रि पर यहां प्रति वर्ष भक्तों की भीड़ पहुंचती है। प्राचीन देवी मंदिर में पहंचे इन भक्तों की निश्चित ही मनोकामना पूर्ण होती है। यही कारण है कि आस्था के इस मंदिर में अब मां को चुनरी चढ़ाने के लिए सामुहिक रूप से श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं।
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माँ दंतेश्वरी मंदिर में सचिन पायलट ने की पूजा-अर्चना

बस्तर। प्रदेश प्रभारी सचिन पायलेट एवं प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज समेत कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने जगदलपुर पहुंचकर बस्तर की अधिष्ठात्री देवी माँ दंतेश्वरी मंदिर पहुंच कर पूजा अर्चना कर आगामी लोकसभा चुनाव में देश भर में कांग्रेस की जीत और पार्टी की सरकार बनाने माँ से आशीर्वाद लिया। इस दौरान लोककल्याण की मनोकामना माता जी से की गई।
बता दें कि राहुल गांधी आज बस्तर पहुंच रहे हैं। कांग्रेस का दावा है कि राहुल गांधी की सभा में एक लाख से ज्यादा लोगों की भीड़ जुटेगी। हालांकि अभी राहुल के पहुंचने का समय तय नहीं है। वहीं माना जा रहा है कि राहुल गांधी PM मोदी के वादों पर बातों पर काउंटर करेंगे। चार दिन पहले 8 अप्रैल को PM मोदी ने भानपुरी के आमाबाल गांव में जनसभा की थी।
अब इसी जगह से करीब 20 किमी पहले बस्तर में राहुल की सभा होगी। यह इलाका भाजपा के दिवंगत नेता बलिराम कश्यप और केदार कश्यप का गढ़ माना जाता है। ऐसे में भाजपा के वर्चस्व वाले इस इलाके के ग्रामीणों को साधने राहुल गांधी पहुंच रहे हैं। इससे पहले अक्टूबर में वे विधानसभा चुनाव के समय बस्तर आए थे।
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चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन मां स्कंदमाता की पूजा का शुभ मुहूर्त

आज 13 अप्रैल शनिवार को चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन है जो कि स्कंदमाता की पूजा आराधना को समर्पि है इस दिन भक्त देवी मां की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखे हैं। ​स्कन्दमाता की पूजा अर्चना करने से संतान सुख की इच्छा पूरी हो जाती है और सारे कष्टों का भी समाधान होता है
माना जाता है कि नवरात्रि के पांचवें दिन अगर मां स्कंदमाता की पूजा शुभ मुहूर्त में किया जाए तो देवी की असीम कृपा प्राप्त होती है और सुख समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है तो आज हम आपको बता रहे है मां स्कंदमाता की पूजा का शुभ मुहूर्त, तो आइए जानते हैं।
स्कंदमाता की पूजा का शुभ मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि का पांवचां दिन आज यानी 13 अप्रैल दिन शनिवार को पड़ा हैं पंचमी तिथि में स्कंदमाता की पूजा की जाती है पंचमी तिथि 12 अप्रैल दिन शुक्रवार को शाम 4 बजकर 50 मिनट से आरंभ हो चुकी है और 13 अप्रैल दिन शनिवार को 3 बजकर 55 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 28 मनट से लेकर 11 बजे तक मिल रहा है। इस मुहूर्त में आराधना करना उत्तम रहेगा।
स्कंदमाता की पूजा विधि-
चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा का विधान होता है ऐसे में इस दिन विधिवत देवी की पूजा जरूर करनी चाहिए। नवरात्रि के पांचवें दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें इसके बाद पूजा स्थल पर माता की प्रतिमा को स्थापित कर देवी को चंदन लगाएं और घी का दीपक जलाएं इसके बाद कुमकुम लगाकर अक्षत, पुष्प, फल आदि अर्पित करें।
स्कन्दमाता को केला प्रिय है ऐसे में आज देवी को भोग में केला अर्पित करें इसके बाद माता की आरती करें और मंत्र जाप करें अंत में भूल चूक के लिए क्षमा मांगे और अपनी प्रार्थना माता रानी से कहें। माना जाता है कि इस विधि से पूजा पाठ करने से देवी का आशीर्वाद मिलता है।
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धमतरी में पीएम मोदी के नाम से जलाई गई ज्योति

धमतरी। वैसे तो नवरात्र के इस मौके पर हर तरफ लोग माता की भक्ति से सराबोर रहते हैं पर धमतरी के विध्यवासिनी मां के मन्दिर का नजारा ही कुछ अलग है। बिलाईमाता के नाम से मशहूर माता के इस दरबार में बीते पांच सौ सालों में आस्था की ज्योती प्रज्वलित होते आ रही है और यहां के चत्मकार से कई बार श्रद्धालु रुबरु हो चुके हैं।
वहीं इस बार मंदिर में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और यूपी के सीएम योगी के नाम से ज्योत जलाई जा रही है। आदि जमानें से ही माता दुर्गा अगांरमोती, रिसाई मां दन्तेशरी माता के रुप में इलाके की रक्षा करती आ रही है। धमतरी के रामबाग में मौजूद ये उसी माता का दरबार है जो आदि जमाने में गगंरेल की बीहड वादियों में वास करती थी।
घने जंमां विध्यवासिनी की यह मूर्ति करीब पांच सौ सालो से पाषाण रुप में स्वयं प्रकट होकर यहां भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करते आ रही है। इतिहास के बारे में मान्यता है कि जब कांकेर के राजा नरहरदेव शिकार के लिए जा रहे थे उस वक्त उन्हें घनघोर जगंल में माता के दर्शन हुए और सपने के बाद उन्होनें मां विध्यवासिनी रुप में अराधना की तब से लेकर आज तक इस शक्ति स्थल में भक्ति की धारा अनवरत बह रही है। इस देवालय में दोनों नवरात्र पर्व में ज्योत जलाने की परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है।
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दूध या गंगा जल, छठ पूजा पर अर्घ्य के लिए सबसे पहले क्या चढ़ाएं

छठ पूजा, छठी मैय्या और सूर्य देव को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो हिंदू कैलेंडर के चैत्र और कार्तिक महीनों के दौरान साल में दो बार मनाया जाता है। इस साल 12 अप्रैल से शुरू होने वाले इस चार दिवसीय त्योहार में नहाय खाय, खरना, संध्या अर्घ्य सहित विभिन्न अनुष्ठान शामिल हैं और 15 अप्रैल को उषा अर्घ्य के साथ समापन होता है, जहां भक्त उगते सूर्य को प्रार्थना करते हैं।
छठ पूजा के दौरान श्रद्धालु सूर्य देव को जल चढ़ाकर अर्घ्य देते हैं। इस बात पर बहस चल रही है कि अर्घ्य के दौरान सबसे पहले क्या अर्पित किया जाना चाहिए - दूध या गंगा जल, गंगा का पवित्र जल।
लोकल 18 से बातचीत में पंडित गुलशन झा ने अर्घ्य के दौरान सबसे पहले दूध चढ़ाने के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने बताया कि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान कृष्ण ने अपने पुत्र को श्राप से मुक्त होने के लिए दूध से अर्घ्य देने का निर्देश दिया था। अनुसरण करें
इस मार्गदर्शन के कारण, भक्तों का मानना है कि दूध चढ़ाने से जीवन में परेशानियों और बाधाओं को दूर करने में मदद मिल सकती है।
चैत्र माह के दौरान मनाए जाने वाले चैती छठ को यमुना छठ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन यमुना नदी पृथ्वी पर अवतरित हुई थी। यह त्यौहार मथुरा और वृन्दावन सहित ब्रज क्षेत्र में विशेष रूप से लोकप्रिय है, जहाँ देवी यमुना को भगवान कृष्ण की रानी पत्नी के रूप में पूजा जाता है।
चैती छठ के दौरान अनुष्ठान और रीति-रिवाज बड़े उत्साह और उमंग के साथ किये जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस त्योहार के दौरान सूर्य देव की पूजा करने से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है और यहां तक कि संतान की मनोकामना भी पूरी होती है।
छठ पूजा हिंदू भक्तों के लिए अत्यधिक सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखती है। अर्घ्य जैसे अनुष्ठानों के माध्यम से, वे अपनी भक्ति व्यक्त करते हैं और समृद्धि और कल्याण के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। हालांकि प्रसाद के क्रम के बारे में बहस हो सकती है, आस्था और श्रद्धा का सार इस शुभ त्योहार के उत्सव के केंद्र में रहता है।
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स्कंद षष्ठी : तिथि, अनुष्ठान, महत्व और मुहूर्त जानिए...

यह उत्सवों का वह विशेष समय है। इस साल चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू हुई और 17 अप्रैल तक चलेगी। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। देवी दुर्गा के रूप हैं - माँ शैलपुत्री, माँ ब्रह्मचारिणी, माँ चंद्रघंटा, माँ कुष्मांडा, माँ स्कंदमाता, माँ कात्यायनी, माँ कालरात्रि, माँ महागौरी और माँ सिद्धिदात्री। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंद षष्ठी है। यह भगवान मुरुगन, जिन्हें कार्तिकेय के नाम से भी जाना जाता है, का उत्सव मनाया जाता है। सुथ भारत में, भगवान कार्तिकेय को भगवान गणेश का छोटा भाई माना जाता है, जबकि उत्तर भारत में, भगवान कार्तिकेय को भगवान गणेश से बड़ा माना जाता है।
तारीख- स्कंद षष्ठी शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष, स्कंद षष्ठी 13 अप्रैल को पड़ रही है। द्रिक पंचांग के अनुसार, शुक्ल षष्ठी 13 अप्रैल को 12:04 बजे शुरू होगी और 14 अप्रैल को 11:43 बजे समाप्त होगी।
रिवाज- स्कंद षष्ठी भगवान मुरुगन को समर्पित छह दिवसीय त्योहार है। यह राक्षस तारकासुर पर भगवान मुरगन की जीत का जश्न मनाता है। भक्त केवल शाकाहारी वस्तुओं का सेवन करके और शराब या मांसाहारी खाद्य पदार्थों के सेवन से परहेज करके छह दिनों तक कठोर उपवास रखते हैं। छठे दिन, भक्त भगवान मुरुगन मंदिर में पूजा करके अपना उपवास तोड़ते हैं।
महत्व- भगवान मुरुगन या स्कंद भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं। शंदा षष्ठी तमिल महीने अइप्पासी में मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त स्कंद षष्ठी व्रत का पालन करते हैं, उन्हें अपने जीवन में ढेर सारा धन, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। स्कंद षष्ठी का पालन करने से सफलता प्राप्त करने, बाधाओं पर काबू पाने और जीवन में आध्यात्मिक ज्ञान और समझ प्राप्त करने में मदद मिलती है।
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चैत्र नवरात्रि चौथा दिन, पूजा अनुष्ठान, शुभ मुहूर्त, महत्व जानिए

चैत्र नवरात्रि का नौ दिवसीय शुभ त्योहार आ गया है और लोग उत्सव में व्यस्त हैं। यह 'चैत्र' महीने में मनाया जाता है, जिसका नाम इस तथ्य से पड़ा है कि यह हिंदू कैलेंडर का पहला महीना है और आमतौर पर अंग्रेजी कैलेंडर में मार्च और अप्रैल के बीच आता है। संस्कृत में, नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है "नौ रातें"। इस वर्ष यह त्योहार 9 अप्रैल को शुरू हुआ और 17 अप्रैल को राम नवमी के साथ समाप्त होगा। जैसा कि नाम से पता चलता है, चैत्र नवरात्रि नौ दिनों तक मनाई जाती है, जो देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग अवतारों, अर्थात् मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए समर्पित हैं। माँ चंद्रघंटा, माँ कुष्मांडा, माँ स्कंदमाता, माँ कात्यायनी, माँ कालरात्रि, माँ महागौरी और माँ सिद्धिदात्री।
चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन, भक्तों द्वारा देवी कुष्मांडा की पूजा की जाती है। पूजा अनुष्ठानों से लेकर शुभ मुहूर्त तक, यहां वह सब कुछ है जो आपको जानना आवश्यक है।
चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन देवी दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है। "कुष्मांडा" नाम की उत्पत्ति संस्कृत से हुई है, जिसमें "कू" का अनुवाद "थोड़ा", "उष्मा" का अर्थ "गर्मी" और "अंडा" का अर्थ "ब्रह्मांडीय अंडा" है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां कुष्मांडा को एक छोटे ब्रह्मांडीय अंडे को जन्म देकर ब्रह्मांड का निर्माण करने का श्रेय दिया जाता है, जिससे संपूर्ण ब्रह्मांड प्रकट हुआ। पारंपरिक रूप से विभिन्न हथियारों और शक्ति के प्रतीकों को धारण करने वाली आठ भुजाओं के साथ चित्रित, वह एक उज्ज्वल आभा का अनुभव करती है जो सकारात्मकता और रोशनी फैलाने की उसकी क्षमता का प्रतीक है। भक्त जीवन में आनंद, समृद्धि और प्रचुरता के लिए उनसे आशीर्वाद मांगते हैं।
चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन शुक्रवार, 12 अप्रैल को मनाया जाएगा। द्रिक पंचांग के अनुसार, इस अवसर को मनाने का शुभ समय इस प्रकार है; चतुर्थी तिथि दोपहर 1:11 बजे शुरू होती है। इस बीच चंद्रोदय रात 09:07 बजे होगा। विजय मुहूर्त दोपहर 2:26 बजे से शाम 5:15 बजे तक रहेगा। अंत में, रवि योग 13 अप्रैल को रात 12:51 बजे से है और 13 अप्रैल को सुबह 6:14 बजे समाप्त होगा।
चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन हरे रंग से जुड़ा है, जो प्रकृति का प्रतिनिधित्व करता है और विकास, उर्वरता, शांति और शांति की भावना व्यक्त करता है। माना जाता है कि इस दिन हरा रंग पहनने से शांति मिलती है और देवी कुष्मांडा का आशीर्वाद मिलता है। हरा रंग जीवन में नई शुरुआत का भी प्रतीक है, जो इसे त्योहार के इस दिन के लिए एक शुभ विकल्प बनाता है।
चैत्र नवरात्रि के दौरान मां कुष्मांडा का सम्मान करने के लिए, आप भगवान गणेश को प्रणाम करके अपनी पूजा शुरू कर सकते हैं और पूरी भक्ति के साथ नवरात्रि व्रत का पालन करने की शक्ति मांग सकते हैं। माँ की मूर्ति पर पारंपरिक रूप से सिन्दूर, मेहंदी, काजल, बिंदी, चूड़ियाँ, बिछिया, कंघी, आलता, दर्पण, पायल, इत्र, झुमके, नाक की पिन, हार, लाल चुनरी, महावर और हेयरपिन जैसे विभिन्न आभूषण चढ़ाए जाते हैं। कुष्मांडा. प्रसाद के रूप में मालपुए, हलवा या दही तैयार किया जा सकता है, जिसे बाद में श्रद्धा के तौर पर दुर्गा मंदिर में पुजारियों को दिया जा सकता है।
पूजा मंत्र, प्रार्थना, स्तुति और स्तोत्र-
1) ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥
2) सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्मभ्यं कूष्मांडा शुभदास्तु मे॥
3) या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
4)दुर्गतिनाशिनि त्वमहि दारिद्रादि विनाशनिम्।
जयमदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
जगतमाता जगतकत्रि जगदधारा रूपाणिम।
चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यसुन्दरी त्वमहि दुःख शोक निवारिणीम्।
परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

 

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गणगौर पूजा में शामिल हुई कई महिलाएं, जानिए...महत्व

जांजगीर। अग्रवाल समाज की महिलाओं ने गुरुवार को विधि​ विधान से गणगौर पूजा की। यह पूजा पूरे 18 दिनों तक चलती है, इस पूजा में सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु की कामना करतीं हैं, तो कुंवारी कन्याएं अच्छा वर पाने की मनोकामना के साथ गणगौर की पूजा करतीं हैं।
अग्रवाल समाज में महिलाओं के लिए इस पूजा का विशेष महत्व रहता है। नव विवाहित महिलाएं विवाह के बाद पहली गणगौर पूजा अपने मायके में ही करतीं हैं। गणगौर पूजा होली के दूसरे दिन से ही आरंभ हो जाती है, जो नवरात्रि के तृतीया तिथि तक चलती है। गणगौर पूजा के लिए होलिका की राख से 16 पिंडियां बनाई जाती है। प्रत्येक दिन दूध के साथ इन पि​ंडियों को विधि विधान से स्नान करवा कर शिव पार्वती के रूप में इसकी पूजा की जाती है। गणगौर पूजा के लिए घरों में हलवा, पूरी आदि मिष्ठान्न बनाए जाते हैं।
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चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों तक करें लौंग कपूर का ये उपाय

  • दूर होगी परेशानी
सनातन धर्म में कई सारे पर्व मनाए गए हैं लेकिन देवी साधना को महापर्व नवरात्रि को अहम माना गया है जो कि देवी साधना का महापर्व होता है यह पूरे नौ दिनों तक चलता है इसमें मां दुर्गा के नौ अलग अलग स्वरूपों की विधिवत पूजा की जाती है और व्रत आदि भी रखा जाता है माना जाता है कि ऐसा करने से देवी मां की असीम कृपा प्राप्त होती है
इस साल चैत्र नवरात्रि का आरंभ 9 अप्रैल दिन मंगलवार से हो चुका है और समापन 17 अप्रैल को हो जाएगा। ऐसे में इन नौ दिनों में पूजा पाठ और व्रत के साथ ही अगर लौंग कपूर के उपायों को किया जाए तो माता रानी प्रसन्न हो जाती है और धन समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं तो आज हम आपको इन्हीं उपायों के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
लौंग कपूर के आसान उपाय-
ज्योतिष अनुसार चैत्र नवरात्रि के दिनों में अगर नियमित रूप से लौंग के साथ कपूर जलाते है तो ये आपके ग्रहों की स्थिति को ठीक करने में मदद करता है अगर किसी जातक की कुंडली में पितृदोष या काल सर्प दोष है तो नवरात्रि में घी के साथ कपूर को जरूर जलाएं। ऐसा करने से आपको लाभ मिलेगा। वही नवरात्रि के दिनों में सूर्यास्त के समय लौंग और कपूर जलाने से घर में सुख समृद्धि आती है और नकारात्मकता दूर हो जाती है।
अगर आपके घर में आए दिन क्लेश होता रहता है और आप इससे छुटकारा पाना चाहते हैं तो ऐसे में नवरात्रि में कपूर जरूर जलाएं। ऐसा करने से नकारात्मकता सकारात्मकता में बदल जाती है और खुशहाली आती है। वही अगर आपका कार्य नहीं ​बन रहा है या फिर बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है तो नवरात्रि में रात्रि के समय कपूर और लौंग जलाएं। ऐसा करने से आपको लाभ मिलेगा।
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चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन पढ़े आरती, मां चंद्रघंटा होंगी प्रसन्न

आज यानी 11 अप्रैल दिन गुरुवार को चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन है जो मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा को समर्पित किया गया है इस दिन भक्त माता के इस रूप की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं।
मान्यता है कि आज के दिन मां चंद्रघंटा की उपासना और आराधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और सारे कष्ट दूर हो जाते हैं लेकिन इसी के साथ ही अगर नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा के दौरान उनकी प्रिय आरती का पाठ जरूर करें माना जाता है कि बिना आरती के माता की पूजा पूरी नहीं होती है और पूर्ण फल की भी प्राप्ति नहीं होती है तो ऐसे में आज हम नवरात्रि के तीसरे दिन लेकर आए हैं मां चंद्रघंटा की आरती।
यहां पढ़ें मां चंद्रघंटा की आरती-
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम
पूर्ण कीजो मेरे काम
चंद्र समान तू शीतल दातीचंद्र तेज किरणों में समाती
क्रोध को शांत बनाने वाली
मीठे बोल सिखाने वाली
मन की मालक मन भाती हो
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो
सुंदर भाव को लाने वाली
हर संकट मे बचाने वाली
हर बुधवार जो तुझे ध्याये
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं
शीश झुका कहे मन की बाता
पूर्ण आस करो जगदाता
कांची पुर स्थान तुम्हारा
करनाटिका में मान तुम्हारा
नाम तेरा रटू महारानी
'भक्त' की रक्षा करो भवानी
मां चन्द्रघंटा का स्तोत्र
ध्यान वन्दे वाच्छित लाभाय चन्द्रर्घकृत शेखराम।
सिंहारूढा दशभुजां चन्द्रघण्टा यशंस्वनीम्घ
कंचनाभां मणिपुर स्थितां तृतीयं दुर्गा त्रिनेत्राम।
खड्ग, गदा, त्रिशूल, चापशंर पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्घ
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्यां नानालंकार भूषिताम।
मंजीर हार, केयूर, किंकिणि, रत्‍‌नकुण्डल मण्डिताम्घ
प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुग कुचाम।
कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटिं नितम्बनीम्घ
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अयोध्या में श्री रामलला का 17 अप्रैल को होगा सूर्य तिलक

अयोध्या स्थित राम मंदिर में रामनवमी पर्व को ऐतिहासिक बनाने की तैयारियां भी चल रही हैं। एक ओर जहां इसी साल राम मंदिर का उद्घाटन हुआ है, वहीं अब राम मंदिर में विज्ञान का चमत्कार भी रामनवमी को देखने को मिलेगा।
राम नवमी को राम जन्मोत्सव के दिन रामलला का सूर्य तिलक भी किया जाएगा। 17 अप्रैल को दोपहर में ठीक 12:00 बजे राम लला का सूर्य अभिषेक किया जाएगा। इसके लिए खास तैयारी की गई है। सूर्य तिलक का ट्रायल भी सफल हो चुका है।
ट्रस्ट ने इसकी सूर्य तिलक के प्रबंधन व संयोजन का दायित्व रुड़की के सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों को सौंपा है। इस आयोजन को प्रोजेक्ट ‘सूर्य तिलक’ का नाम दिया गया है। वैज्ञानिकों ने एक पद्धति विकसित की, जिसमें मिरर, लेंस व पीतल का प्रयोग किया जाएगा। प्रत्येक वर्ष रामनवमी पर रामलला का सूर्य तिलक होगा।
रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे रामलला का ढाई से पांच मिनट तक सूर्य की किरणों से अभिषेक होगा। इस अवधि में सूर्य की किरणें सीधे रामलला के ललाट पर गिरेंगी। मंदिर की व्यवस्था से जुड़े विहिप नेता गोपाल ने परीक्षण की सफलता की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रविवार को भी इसका परीक्षण हुआ था, जिसमें सफलता प्राप्त हुई।
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भिलाई के मां जगदम्बा मंदिर में अमेरिका निवासी भक्त ने जलाई ज्योत

भिलाई। चैत्र नवरात्रि में देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है। सेक्टर छह स्थित मां जगदंबा मंदिर में इस वर्ष 1251 ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किए गए है। खास बात यह है कि इस मंदिर में केवल दुर्ग ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश देश और विदेश में बसे देवी भक्तों की आस्था है।
यहां अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया से भक्त अपनी मनोकामना पूरी करने यहां ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किए हैं। सेक्टर 6 के पोस्ट ऑफिस कॉलोनी के अंदर स्थित मां जगदम्बा मंदिर में डोंगरगढ़ वाली माता बम्लेश्वरी की प्रतिमा स्थापित है।
इस मंदिर की स्थापना जोनजाड़कर परिवार ने की है। वह परिवार ही इस मंदिर की सेवा कर रहा है। सदस्यों का कहना है कि परिवार के यादवराव जोनजाड़कर को सपने में मां बम्लेश्वरी ने अपने यहां होने का इशारा किया था जिसके बाद यहां मंदिर स्थापित किया गया। इस मंदिर में खासकर पंचमी के दिन माता की गोदभराई करने भक्तों की कतार लगी रहती है और जो भक्त डोंगरगढ़ तक नहीं जा पाते, वे यहां माता के दर्शन करने आते हैं।
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भारत में ईद आज, जानिए...चांद देखना क्यों जरूरी

  • ईद के दिन क्या करें और क्या न करें...
ईद-उल-फितर का त्योहार, जिसे मीठी ईद और ईद-अल-फितर के नाम से भी जाना जाता है, रमजान के पवित्र महीने, उपवास के इस्लामी पवित्र महीने के अंत का प्रतीक है। हिजरी के 10वें महीने शव्वाल के पहले तीन दिनों में मनाया जाता है। चांद रात एक शब्द है जिसका इस्तेमाल दक्षिण एशियाई संस्कृतियों में, विशेष रूप से भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में, ईद-उल-फितर या ईद अल-अधा की पूर्व संध्या को दर्शाने के लिए किया जाता है। यह शब्द उर्दू से लिया गया है, जहां "चांद" का अर्थ चंद्रमा और "रात" का अर्थ रात है, इस प्रकार रात का अनुवाद होता है जब चंद्रमा देखा जाता है। यह रात मुसलमानों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह रमज़ान के पवित्र महीने, ज़ुल-हिज्जा के महीने के अंत और शव्वाल महीने की शुरुआत का प्रतीक है। भारत और दक्षिण ऐशियाई देशों में मुस्लिम समुदाय को रोजा रखे हुए 10 अप्रैल को पूरे 30 दिन हो । भारत में आज 11 अप्रैल को ईद का जश्न मनाया जा रहा है। यह पर्व त्याग और अपने मजहब के प्रति समर्पण को दर्शाता है। यह बताता है कि एक इंसान को अपनी इंसानियत के लिए इच्छाओं का त्याग करना चाहिए, जिससे कि एक बेहतर समाज का निर्माण हो सके।
चांद देखना क्यों जरूरी?-
इस्लाम धर्म के अनुसार, ईद मनाने से पहले मुसलमान समुदाय के लिए चांद देखना जरूरी होता है। मान्यता है कि शरीयत में अपनी आंखों से देखने और गवाही से ही सुबूत का एतबार है। इसलिए शब-ए-बारात, शब-ए-कद्र, ईद और ईद-उल-अजहा जैसे त्योहार से पहले लोग चांद देखते हैं। चांद रात में चांद देखने के बाद मुस्लिम समुदाय के लोग अल्लाह से दुआ मांगते हैं। रमजान के आखिरी दिन नया चांद देखने के बाद ही ईद का त्योहार शुरू होता है।
ईद के दिन क्या करें-
ईद के दिन होने वाली नमाज में जरूर शामिल हों। 
इसके बाद जकात अल-फित्र यानी दान निकालें।  
ईद के मौके पर नए कपड़े पहनें और आपस में एक-दूसरे को मुबारकबाद दें।  
ईद पर मीठी सेवईंयां और स्वादिष्ट भोजन के साथ जश्न मनाएं।  
इसके बाद दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलकर एक-दूसरे को ईद की बधाई दें।
ईद के दिन क्या न करें
ईद की नमाज से न चूकें, मस्जिद में नमाज अदा करने की व्यवस्था करें। 
ईद की नमाज से पहले जकात-उल-फितर देना न भूलें। ईद के दौरान यह दान  एक महत्वपूर्ण दायित्व है। 
दिखावा करने से बचें। इस्लाम धर्म के अनुसार कोई भी पोशाक शालीनता से पहने जाने वाली होनी चाहिए। 
ईद के दिन व्यक्तिगत स्वच्छता बनाएं रखें। 
ईद के दिन किसी भी व्यक्ति को अपमान न करें और न ही किसी का मजाक उड़ाएं।  

 

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राम नवमी पर करें ये काम, आएगी सुख समृद्धि

हिंदू धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन रामनवमी को बेहद की खास माना जाता है जो कि चैत्र मास की नवमी तिथि पर मनाई जाती है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी पावन दिन पर मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था। जिसे भक्तगण हर राम नवमी के तौर पर मनाते हैं इस दिन पूजा पाठ और व्रत आदि का विधान होता है इस साल रामनवमी का पावन पर्व 17 अप्रैल को मनाया जाएगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रामनवमी के दिन श्रीराम, लक्ष्मी, सीता और हनुमान जी की आराधना करने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और सुख समृद्धि आती है लेकिन इसी के साथ ही अगर रामनवमी की पूजा के दौरान प्रभु राम की आरती का पाठ भक्ति भाव से किया जाए तो जीवन में कोई समस्या उत्पन्न नहीं होती है और वैवाहिक जीवन में भी मधुरता बनी रहती है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं भगवान श्रीराम की आरती पाठ।
भगवान राम की आरती-
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
छंद
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
।।सोरठा।।
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।
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मां चंद्रघंटा को समर्पित है नवरात्र का तीसरा दिन

  • जानिए... इनका स्वरूप, महत्व और मंत्र
9 अप्रैल से चैत्र नवरात्र का शुभ समय शुरू हो चुका है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। ऐसे में नवरात्र का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित माना जाता है। मां चंद्रघंटा शांति और दयालुता का प्रतिनिधित्व करती हैं। मां का स्वरूप अत्यंत कल्याणकारी और शांति देने वाला है। धार्मिक मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा करने से आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। इस दिन साधक का मन 'मणिपुर' चक्र में रहता है। आइए, जानते हैं माता का स्वरूप, पूजा विधि और महत्व।
मां चंद्रघंटा का स्वरूप-
माता चंद्रघंटा का वाहन सिंह है। मां की दस भुजाएं अस्त्र-शस्त्रों से सुशोभित हैं। घंटे के आकार का अर्धचंद्र मां के माथे पर सुशोभित होता है। इसलिए मां को चंद्रघंटा कहा जाता है। मां राक्षसों का वध करने के लिए प्रकट हुई थीं। इनमें त्रिदेव की शक्तियां समाहित हैं। मां का स्वरूप अलौकिक और अतुलनीय है, जो वात्सल्य की प्रतिमूर्ति है।
मां चंद्रघंटा पूजा विधि-
इस दिन सुबह उठकर स्नान-ध्यान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
व्रत करने का संकल्प लें।
इसके बाद फल, फूल, दूर्वा, सिन्दूर, अक्षत, धूप और दीप से मां चंद्रघंटा की पूजा करें। धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि मां को हलवा और दही बहुत प्रिय है। मां को प्रसाद के रूप में फल, हलवा और दही चढ़ाएं।
अंत में आरती के साथ पूजा समाप्त करें।
दिन भर व्रत रखें और शाम को आरती करने के बाद फलाहार करें।
इन मंत्रों का करें जाप-
1. पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता |
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता ||
2. या देवी सर्वभू‍तेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
ॐ देवी चन्द्रघंटाय नमः॥

डिसक्लेमर
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