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व्यवहार न्यायाधीश परीक्षा-2023 के परिणाम घोषित

रायपुर। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित व्यवहार न्यायाधीश (प्रवेश स्तर) परीक्षा-2023 के लिए कुल 49 पदों पर भर्ती हेतु आयोजित परीक्षा का अंतिम परिणाम घोषित कर दिया गया है। उक्त परीक्षा का अंतिम चयन सूची आयोग की आधिकारिक वेबसाइट https://www.psc.cg.gov.in/ पर अपलोड कर दी गई है।
गौरतलब है कि व्यवहार न्यायाधीश परीक्षा-2023 के मुख्य परीक्षा का परिणाम 25 अगस्त 2024 को जारी किया गया था, जिसमें विज्ञापित पदों का तीन गुना यानी 147 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए चिन्हांकित किया जाना था। परंतु वर्गवार, उपवर्गवार अर्ह अभ्यर्थियों की उपलब्धता के अनुसार 151 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया गया। उक्त पदो के लिए साक्षात्कार प्रक्रिया 02 दिसंबर 2024 से 11 दिसंबर 2024 के बीच आयोजित की गई। साक्षात्कार के लिए चिन्हांकित 151 अभ्यर्थियों में से 1 अनुपस्थित रहे और कुछ अनर्ह पाए गए, जिससे कुल 150 अभ्यर्थियों का साक्षात्कार लिया गया।
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स्कूलों के समय में बदलाव, नया आदेश जारी

रायपुर। ठंड बढ़ने के कारण सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में स्कूलों के समय में बदलाव किया गया है। आदेश के मुताबिक प्राइमरी-मिडिल स्कूल सुबह साढ़े 8 बजे से और एक पाली वाले स्कूल सुबह 10 बजे से लगाए जाएंगे। दो पाली में संचालित होने वाले हाई-हायर सेकेंडरी स्कूल दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक लगेंगे। उत्तर से आ रही हवाओं के कारण ठंड बढ़ी है। मंगलवार को पेंड्रा सबसे ठंडा रहा यहां रात का टेंपरेचर 7 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। अमरकंटक में पारा 6 डिग्री पहुंच गया है। अगले तीन दिन ठंड और बढ़ेगी।
बता दें कि छत्तीसगढ़ में फिर कड़ाके की ठंड पड़ने लगी है। पिछले 24 घंटे में रायपुर सहित कई जिलों में रात का पारा 6 डिग्री तक गिर गया है।
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छत्तीसगढ़ में प्रारंभ होंगे चार नये केन्द्रीय विद्यालय

  • मुख्यमंत्री साय ने प्रधानमंत्री मोदी के प्रति जताया आभार
रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने छत्तीसगढ़ में चार नये केन्द्रीय विद्यालय खोलने की मंजूरी पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया है। नये स्वीकृत केन्द्रीय विद्यालय मुंगेली, सूरजपुर, बेमेतरा और  जांजगीर-चांपा जिले के हसौद में प्रारंभ होंगे। 
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में नये केन्द्रीय विद्यालय के प्रारंभ होने से राज्य के विद्यार्थियों को उच्च स्तरीय एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी। उन्होंने कहा है कि केन्द्रीय विद्यालय अभिनव शिक्षण पद्धति और नवीनतम अधोसंरचना को लेकर लोकप्रिय है। छत्तीसगढ़ में इन विद्यालयों के प्रारंभ होने से प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को बेहतर शैक्षणिक वातावरण मिलेगा। 
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आज आर्थिक मामलों के मंत्रिमण्डल समिति द्वारा देशभर में 85 नए केन्द्रीय विद्यालय (केवी) खोलने की मंजूरी दी गई है।
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छत्तीसगढ़ में हुआ राष्ट्रीय परख सर्वेक्षण

  • 81 हजार से अधिक छात्रों की दक्षताओं का हुआ समग्र मूल्यांकन
रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर केन्द्र शासन द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 छत्तीसगढ़ में भी लागू किया जा चुका है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत देश भर में एक साथ राष्ट्रीय परख सर्वेक्षण 2024 का आयोजन किया गया। छत्तीसगढ़ में आयोजित राष्ट्रीय परख सर्वेक्षण 2024 में कक्षा तीसरी, छठवीं और नवमी की 3409 स्कूल से 81 हजार 179 विद्यार्थियों की दक्षताओं का समग्र मूल्यांकन किया गया।
इस परख सर्वेक्षण का उद्देश्य छात्रों के शैक्षणिक प्रदर्शन के साथ-साथ शिक्षकों, स्कूलों और पूरी शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता का आकलन करना है। यह सर्वेक्षण राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्यों के अनुरूप छात्रों की बुनियादी और मध्य स्तर की क्षमताओं का आकलन करता है। प्राप्त परिणामों के आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर राज्यों की शैक्षणिक गुणवत्ता की रैंकिंग की जाएगी।
छत्तीसगढ़ में किए गए सर्वेक्षण में कक्षा तीसरी के 1199 स्कूलों का सर्वेक्षण किया गया, जिसमें कुल 24 हजार 379 विद्यार्थी शामिल हुए। इसी प्रकार कक्षा छठवीं के 1065 स्कूल से 25 हजार 665 विद्यार्थी और कक्षा नवमी के 1145 स्कूल से 31 हजार 135 विद्यार्थी शामिल हुए। इस प्रकार कुल 3409 स्कूलों से कुल 81 हजार 179 विद्यार्थी परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 में शामिल हुए।
गौरतलब है कि इस बार परख (PARAKH- प्रदर्शन मूल्यांकन, समीक्षा एवं समग्र विकास के लिए ज्ञान का विश्लेषण) नाम दिया गया। इस सर्वेक्षण का उद्देश्य बच्चों के समग्र शैक्षणिक प्रदर्शन का मूल्यांकन करना और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत छात्रों के मूल्यांकन से संबंधित मापदंड स्थापित करना है। इस बार सर्वेक्षण कक्षा तीसरी, छठवीं और नवमी के छात्रों पर केंद्रित रहा, जो उनके पिछले कक्षाओं में अर्जित दक्षताओं पर आधारित था। परीक्षा में प्रश्न ओएमआर शीट के माध्यम से बहुविकल्पीय प्रारूप में रखा गया था।
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शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य से कक्षा 5वीं और 8वीं के लिए केन्द्रीकृत परीक्षा का आयोजन

  • परीक्षा आयोजन के संबंध में निर्देश जारी, विद्यार्थियों को इस परीक्षा हेतु नहीं देने होंगे कोई शुल्क
  • शिक्षकों को प्रश्न पत्र के नमूने होंगे उपलब्ध ताकि छात्रों को सही दिशा में करा सकें तैयारी
रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य से सत्र 2024-25 में कक्षा 5वीं और 8वीं की केन्द्रीकृत परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री श्री साय द्वारा यह कदम विद्यार्थियों की शिक्षा स्तर को सुधारने और शैक्षणिक वातावरण को और प्रभावी बनाने के लिए उठाया गया है। यह परीक्षा राज्य के सभी शासकीय और अशासकीय विद्यालयों में संचालित होगी, हालांकि सीबीएससी और आईसीएससी पाठ्यक्रम वाले विद्यालय इस व्यवस्था से बाहर रहेंगे। इस संबंध में आज छत्तीसगढ़ शासन के मंत्रालय, स्कूल शिक्षा विभाग महानदी भवन नवा रायपुर से समस्त जिला कलेक्टर एवं जिला शिक्षाधिकारियों को निर्देश जारी कर दी गई है।
स्कूल शिक्षा सचिव श्री सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी ने कहा कि परीक्षाएं जिला स्तर पर निःशुल्क आयोजित की जाएगी और जिला शिक्षा अधिकारी गोपनीयता बनाए रखते हुए गुणवत्तापूर्ण परीक्षा सम्पन्न कराएगें। परीक्षा मार्च माह में आयोजित होगी और इसकी समय-सारणी लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा जारी की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रश्न पत्र  विषय विशेषज्ञ शिक्षकों द्वारा पूर्ण गोपनीयता के साथ तैयार किए जाएंगे और प्रश्न पत्र वितरण के बाद, उन्हें संबंधित केंद्र के निकटवर्ती थाने में सुरक्षित रखा जाएगा। शिक्षकों को प्रश्न पत्र के नमूने पहले से उपलब्ध कराए जाएंगे ताकि छात्रों को सही दिशा में तैयारी करा सकें।
सचिव श्री परदेशी ने बताया कि उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन केन्द्रीय मूल्यांकन केंद्रों में किया जाएगा। मूल्यांकन कार्य उन्हीं शिक्षकों से कराया जाएगा, जो कक्षा 5वीं और 8वीं पढ़ाते हैं। कक्षा चौथी और सातवीं की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन अन्य विद्यालयों में कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिन विद्यार्थियों को किसी विषय में अनुत्तीर्ण घोषित किया जाएगा, उन्हें दो महीने के भीतर पूरक परीक्षा का अवसर दिया जाएगा। हालांकि, विद्यार्थियों को अगली कक्षा में प्रवेश (छठवीं और नवमीं) दे दिया जाएगा। विद्यार्थियों की तैयारी सत्र प्रारंभ से ही सुनिश्चित किया जाएगा। केन्द्रीकृत परीक्षा की तैयारी के लिए संकुल समन्वयकों और प्रधान पाठकों की बैठक आयोजित की जाएगी।
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रविशंकर वर्मा CGPSC टॉपर, गांव के सरकारी स्कूल से शुरू हुई पढ़ाई

  • आज हासिल किया सफलता का मुकाम
बैकुंठपुर/बलौदाबाजार। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC 2023) के परिणामों में बलौदाबाजार के रविशंकर वर्मा ने शानदार सफलता हासिल की और पूरे राज्य में टॉप किया है। रविशंकर वर्मा का शिक्षा का सफर सरकारी स्कूल से शुरू हुआ। रविशंकर बलौदाबाजार जिले के पलारी ब्लॉक के कोसमंदी गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता एक किसान हैं और मां गृहणी हैं।परिवार में उनके दो भाई हैं, जिनमें से एक भाई प्राइवेट जॉब करता है।
गांव के सरकारी स्कूल में पूरी की 8वीं क्लास तक की पढ़ाई
रविशंकर बताते हैं कि उनका बचपन गांव में ही बीता। 8वीं क्लास तक की पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल में की। इसके बाद रायपुर के कालीबाड़ी से 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने NIT रायपुर से इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांच में बीटेक की डिग्री हासिल की।
प्राइवेट नौकरी से करियर की शुरुआत
साल 2012 में इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी करने के बाद रविशंकर वर्मा ने प्राइवेट सेक्टर में नौकरी शुरू की। हालांकि, इस काम में संतुष्टि नहीं मिली। इसके बाद 2017 में उन्होंने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) की तैयारी करने का फैसला किया। इससे पहले साल 2021 में उन्हें रोजगार अधिकारी के रूप में सफलता मिली और वर्तमान में रविशंकर बैकुंठपुर में रोजगार अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं।
रविशंकर वर्मा ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार और संघर्ष को दिया। वो बताते हैं, मेरे लिए यह सिर्फ एक परीक्षा का परिणाम नहीं है, बल्कि यह मेरे सपनों की ओर एक कदम और बढ़ने की कहानी है। वो कहते हैं कि किसी भी कठिनाई से घबराए बिना अगर आप पूरी मेहनत और ईमानदारी से काम करते हैं, तो सफलता आपके कदमों में होगी।
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CGPSC 2023 का परिणाम जारी : 703 उम्मीदवारों का हुआ साक्षात्कार अब 242 बनेंगे अधिकारी

  • CM विष्णुदेव साय ने चयनित युवाओं को दी बधाई
रायपुर। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) ने 2023 परीक्षा के इंटरव्यू के बाद गुरुवार रात को अंतिम परिणाम घोषित कर दिए हैं। राज्य सेवा परीक्षा-2023 के तहत कुल 242 पदों पर चयन प्रक्रिया पूरी की गई है। पीएससी ने फरवरी में प्रारंभिक परीक्षा आयोजित की थी, और मुख्य परीक्षा (मेंस) 25 से 27 जून तक संपन्न हुई थी। इसके बाद 703 उम्मीदवारों का इंटरव्यू हुआ, जो 18 नवंबर से 28 नवंबर तक चला। इंटरव्यू की प्रक्रिया खत्म होते ही कुछ ही घंटों में फाइनल मेरिट लिस्ट तैयार कर पीएससी की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई। 242 पदों पर नियुक्तियां इस मेरिट सूची के आधार पर की जाएंगी।
पीएससी के अनुसार, फरवरी 2023 में आयोजित प्रारंभिक परीक्षा के आधार पर 3597 उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा में बैठने का मौका मिला। मुख्य परीक्षा के बाद, 703 उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए चयनित किया गया था। इंटरव्यू प्रक्रिया समाप्त होने के तुरंत बाद, गुरुवार रात को फाइनल मेरिट सूची जारी की गई।
पीएससी द्वारा जारी प्रेस नोट में बताया गया कि प्रारंभिक परीक्षा के बाद मेरिट के आधार पर 3597 उम्मीदवारों को पीएससी-मेंस में बैठने का अवसर मिला था। इन उम्मीदवारों ने 25 से 27 जून तक पीएससी मेंस परीक्षा दी, और इसके बाद 703 उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। 18 नवंबर से 28 नवंबर तक चले इंटरव्यू के बाद, फाइनल मेरिट लिस्ट जारी की गई। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने चयनित उम्मीदवारों को बधाई दी है।
मुख्यमंत्री ने चयनित युवाओं को दी बधाई
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा-2023 में सफल अभ्यर्थियों को बधाई और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि अब इन युवाओं पर छत्तीसगढ़ के विकास की बड़ी जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि चयनित युवा शासकीय सेवा में पूरी निष्ठा और ईमानदारी से कार्य करेंगे। उन्होंने चयनित युवाओं से अपील की कि वे पूरी तत्परता और समर्पण के साथ छत्तीसगढ़ के विकास में अपना योगदान दें।
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मुख्यमंत्री ने राज्य सेवा परीक्षा-2023 में चयनित युवाओं को दी बधाई

रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने छत्तीसगढ राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा-2023 में हुए सफल अभ्यर्थियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं के कंधे पर छत्तीसगढ़ के विकास की महती जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री श्री साय ने उम्मीद जताई कि राज्य सेवा परीक्षा में चयनित युवा शासकीय सेवा में आकर पूरी ईमानदारी से जनता की सेवा करेंगे। उन्होंने चयनित युवाओं को पूरी तन्मयता से कार्य करते हुए छत्तीसगढ़ के विकास में अपना बहुमूल्य योगदान देने की अपील की है।
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छत्तीसगढ़ में होगी एकलव्य विद्यालयों की राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता

  • आयोजन के लिए एजेंसियो से रूचि की अभिव्यक्ति आमत्रित
रायपुर। नई दिल्ली स्थित जनजातीय कार्य मंत्रालय के राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा समिति (NESTS) द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य में एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों की चतुर्थ राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता 2024-25 का आयोजन किया जा रहा है।
इस आयोजन के सफल संचालन हेतु क्रियान्वयन एजेंसी के चयन की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। इसके लिए भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) और छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के इम्पेनल्ड एजेंसियों से रुचि की अभिव्यक्ति आमंत्रित की गई है।
प्री-बिड का बैठक 27 नवंबर 2024 और प्रेजेंटेशन 29 नवंबर 2024 को दोपहर 12 बजे होगा। 02 दिसंबर 2024 को दोपहर 3 बजे तक दस्तावेज़ जमा कर सकेंगे और 02 दिसंबर 2024 को शाम 5 बजे वित्तीय निविदा खोला जाएगा।
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CBSE की कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं 15 फरवरी से

रायपुर। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कक्षा 10वीं और 12वीं की आगामी बोर्ड परीक्षाओं का समय सारिणी जारी कर दिया है। इस बार प्रदेशभर से एक लाख से ज्यादा विद्यार्थी परीक्षा में शामिल होंगे। सीबीएसई की कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं 15 फरवरी 2025 से शुरू होंगी, और परीक्षा का पूरा शेड्यूल अब बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट cbse.gov.in पर उपलब्ध है, जहां छात्र इसे देख और डाउनलोड कर सकते हैं।
समय सारिणी के अनुसार, कक्षा 10वीं की परीक्षा 15 फरवरी को अंग्रेजी विषय से शुरू होगी। इसके बाद, 20 फरवरी को विज्ञान, 25 फरवरी को सामाजिक विज्ञान, 28 फरवरी को हिंदी और 10 मार्च को गणित की परीक्षा होगी। वहीं, कक्षा 12वीं की परीक्षा 15 फरवरी को उद्यमिता से शुरू होगी, 20 फरवरी को कंप्यूटर एप्लीकेशन, 21 फरवरी को फिजिक्स, 22 फरवरी को बिजनेस स्टडी, 27 फरवरी को केमिस्ट्री, 8 मार्च को अंग्रेजी, 15 मार्च को हिंदी, 19 मार्च को इकोनामिक्स, 22 मार्च को राजनीतिक विज्ञान और 1 अप्रैल को इतिहास की परीक्षा होगी।
सीबीएसई की परीक्षाएं सुबह की पाली में आयोजित की जाएंगी, जिनमें अधिकांश पेपर 10:30 बजे से 12:30 बजे तक और कुछ पेपर 10:30 बजे से 1:30 बजे तक होंगे। बोर्ड ने यह भी बताया कि इस बार समय सारिणी परीक्षा शुरू होने से लगभग 86 दिन पहले जारी की गई है, जिससे छात्रों को अपनी तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिलेगा।
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पंजीकृत निर्माणी श्रमिक के बच्चे उठा रहे मेधावी छात्रा सहायता योजना का लाभ

रायपुर। छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल द्वारा मेधावी छात्रा सहायता योजना से प्रदेश के अनेक पंजीकृत मजदूरों के बच्चे इस योजना का लाभ उठाकर अपना भविष्य गढ़ रहे हैं। तुलसी साहू जब काम के लंबे दिन के बाद घर लौटती हैं, तो उनकी बेटियाँ स्कूल की कहानियाँ लेकर इकट्ठा होती हैं। उनकी सबसे छोटी बेटी ख्याति सबसे ज्यादा बातूनी है, हर घटना को दोहराती है और हर कहानी को याद करती है। एक दिन ख्याति ने अपनी माँ से पूछा-हम मेरी कॉलेज की पढ़ाई का खर्च कैसे उठाएँगे? ख्याति को अभी-अभी 12वीं कक्षा के नतीजे मिले थे और उसने बेहतरीन प्रदर्शन किया था।
राजनांदगांव के चहल-पहल भरे बाजार में, हर कोई तुलसी को एक तेजतर्रार निर्माण मजदूर के रूप में जानता है, जिसकी बेटियाँ बहुत प्रतिभाशाली हैं। उनकी बेटियों की जबरदस्त शैक्षणिक क्षमता ने तुलसी को लगातार कड़ी मेहनत करने और उनके सपनों को पूरा करने में मदद करने के लिए प्रेरित किया है।
तुलसी को गर्व तो था, लेकिन साथ ही चिंता भी थी। वह निर्माण मजदूर के रूप में अपनी आय से अपनी बेटी को पढ़ाने में सक्षम नहीं थी। लेकिन अपनी बुद्धिमान और मेहनती बेटी को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए प्रेरित होकर, तुलसी ने उन सरकारी योजनाओं की तलाश शुरू की, जो उसके परिवार पर वित्तीय बोझ को कम कर सकती थीं।
कुछ ही समय बाद, उसे पता चला कि निर्माण क्षेत्र में पंजीकृत मजदूर के रूप में, तुलसी मेधावी छात्रा सहायता योजना का लाभ उठा सकती है। बेटी यह योजना श्रमिकों को उनके बच्चों के लिए उच्च शिक्षा तक पहुँच प्रदान करने के लिए बनाई गई है। मेहनती शोध और दृढ़ता के माध्यम से, तुलसी ने योजना की जटिलताओं को समझा। जिस दिन वह यह खुशखबरी लेकर घर लौटी कि उसका आवेदन स्वीकृत हो गया है और ख्याति की कॉलेज फीस सुरक्षित हो गई है, माँ और बेटी दोनों एक-दूसरे के लिए गर्व और कृतज्ञता से भर गईं।
तुलसी साहू की यात्रा इस बात पर प्रकाश डालती है कि कवरेज अंतराल को कम करने के लिए तैयार सामाजिक सुरक्षा रणनीतियाँ और नीतियाँ सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने और एक स्वस्थ समाज बनाने में कैसे मदद कर सकती हैं।
तुलसी का सक्रिय दृष्टिकोण, लचीलापन और अपनी बेटियों की शिक्षा के प्रति समर्पण यह दर्शाता है कि जब सही सहायता दी जाए तो लोग क्या कर सकते हैं। उनकी कहानी इस बात का एक मार्मिक उदाहरण है कि कैसे उपलब्ध संसाधनों का लाभ उठाकर उन्नति के अवसर पैदा किए जा सकते हैं, जिससे अंततः एक अधिक समतापूर्ण और लचीले समाज का निर्माण हो सकता है।
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पीएम श्री जवाहर नवोदय विद्यालय : कक्षा 11वीं में प्रवेश हेतु 26 नवम्बर तक आवेदन आमंत्रित

कोरिया। पीएम श्री जवाहर नवोदय विद्यालय बैकुण्ठपुर के प्राचार्य ने बताया कि कक्षा 11वी में सत्र 2025-26 में प्रवेश के लिए निःशुल्क ऑनलाइन आवेदन करने के लिए अंतिम तिथि 26 नवम्बर 2024 निर्धारित की गई है। जिले में मान्यता प्राप्त विद्यालय में अध्ययनरत कक्षा 10वीं के विद्यार्थी किसी भी कंप्यूटर सेंटर अथवा कामन सर्विस सेंटर व लोकसेवा केन्द्र के माध्यम से आवेदन कर सकते है। उन्होने बताया कि विद्यार्थी वेबसाइट व लिंक https://navodaya.gov.in/nvs/en/Home1 और https://cbseitms.rcil.gov.in/nvs पर जाकर भी आवेदन कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए पीएम श्री जवाहर नवोदय विद्यालय बैकुण्ठपुर कोरिया से सम्पर्क किया जा सकता है।
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जेईई मेन के लिए नहीं बढ़ाई जाएगी आवेदन की अंतिम तिथि

  • एनटीए ने जारी किया नोटिस
JEE Main 2025 Registration : नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट jeemain.nta.nic.in पर जेईई मेन 2025 परीक्षा से संबंधित सामान्य प्रश्नों के उत्तर दे दिए हैं। एनटीए ने जानकारी दी है कि संयुक्त प्रवेश परीक्षा ( जेईई मेन) 2025 के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 22 नवंबर है और इस समय सीमा को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। हालांकि, जो लोग समय सीमा से पहले आवेदन करते हैं और उन्हें अपने फॉर्म में बदलाव करने की आवश्यकता होती है, उन्हें 26 से 27 नवंबर के बीच सुधार विंडो मिलेगी।
जेईई मेन 2025 (सत्र 1) के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया वर्तमान में खुली है और 22 नवंबर, 2024 को बंद हो जाएगी। छात्रों की शंकाओं को हल करने के अलावा, एनटीए ने सत्र-वार परीक्षा तिथियों, परीक्षा शहरों के चयन के लिए दिशा-निर्देश, रिप्रेसेंटेशनल एडमिट कार्ड से जुड़ी समस्याओं से निपटने आदि जैसे विषयों पर महत्वपूर्ण अपडेट प्रदान किए हैं
एजेंसी ने उन क्षेत्रों को भी साझा किया है जिन्हें उम्मीदवारों को जेईई मेन 2025 सुधार विंडो के दौरान संपादित करने की अनुमति है। उम्मीदवारों को अपना मोबाइल नंबर, ईमेल पता, स्थायी/वर्तमान पता, आपातकालीन संपर्क विवरण और फोटो बदलने की अनुमति नहीं है। इसलिए, उन्हें इन फील्ड को भरते समय अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए।
एनटीए ने कहा कि परीक्षा शहरों का आवंटन उम्मीदवारों के स्थायी और वर्तमान पते के आधार पर किया जाएगा। एजेंसी ने कहा कि वह उम्मीदवारों द्वारा दिए गए विकल्पों का पालन करने के लिए बाध्य नहीं है।
यदि फॉर्म में परिवर्तन के कारण आवेदन शुल्क बढ़ जाता है, तो अभ्यर्थियों को सुधार के दौरान इसका भुगतान करना होगा, तथा भुगतान के बाद ही फील्ड अपडेट किए जाएंगे। हालांकि, यदि सुधार के बाद शुल्क कम हो जाता है, तो एजेंसी उम्मीदवारों को पैसे वापस नहीं करेगी।
निम्नलिखित में से किसी भी एक विवरण में कर सकते हैं बदलाव-
नाम
माता का नाम
पिता का नाम
इन सभी क्षेत्रों में कर सकते हैं बदलाव
कक्षा 10/समकक्ष विवरण
कक्षा 12/समकक्ष विवरण
पैन नंबर
जन्म तिथि
लिंग
वर्ग
उप श्रेणी
दिव्यांग स्थिति
हस्ताक्षर
अभ्यर्थी पेपर, परीक्षा का माध्यम और परीक्षा शहर की प्राथमिकता भी बदल सकते हैं।
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एक नहीं है एजुकेशन लोन और पीएम विद्यालक्ष्मी योजना

  • जानिए...दोनों में क्या है अंतर
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई पीएम विद्यालक्ष्मी योजना छात्रों के लिए एक नया अवसर लेकर आई है। यह योजना विशेष रूप से उन विद्यार्थियों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है, जो उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वित्तीय सहायता की तलाश में हैं। हालांकि यह शिक्षा ऋण की तरह ही एक वित्तीय सहायता योजना है, लेकिन यह योजना पारंपरिक एजुकेशन लोन से कई मायनों में अलग है। आइए जानते हैं कि कैसे पीएम विद्यालक्ष्मी योजना 'एजुकेशन लोन' से अलग है और इसके क्या फायदे हैं।
प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी योजना भारत सरकार की एक पहल है, जिसका उद्देश्य छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए आसानी से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना है। इस योजना के तहत, विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति, लोन और अन्य वित्तीय सेवाओं तक पहुंच प्रदान की जाती है। यह योजना भारतीय छात्रों को विदेशों में और घरेलू स्तर पर भी उच्च शिक्षा के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता प्राप्त करने का अवसर देती है।
दूसरी तरफ, एजुकेशन लोन छात्रों को उनकी उच्च शिक्षा के लिए बैंक या अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा दिया जाने वाला ऋण होता है। यह ऋण विभिन्न शिक्षा संस्थानों से संबंधित ट्यूशन फीस, किताबों, रहने की व्यवस्था, यात्रा और अन्य खर्चों को कवर करने के लिए प्रदान किया जाता है। इस ऋण को सामान्यतः निश्चित समय अवधि के भीतर लौटाना होता है, और इसके साथ ब्याज भी जुड़ा होता है।
पीएम विद्यालक्ष्मी योजना न केवल लोन बल्कि छात्रवृत्ति भी प्रदान करती है। छात्रों को शिक्षा के साथ-साथ वित्तीय सहायता की अन्य सेवाएं भी इस योजना के तहत मिलती हैं, जैसे कि बैंक लोन, स्कॉलरशिप और लोन पर रियायत। वहीं, एजुकेशन लोन में केवल लोन की सुविधा होती है, जिसका भुगतान बाद में ब्याज सहित करना होता है। इसमें छात्रवृत्ति की कोई व्यवस्था नहीं होती।
पीएम विद्यालक्ष्मी योजना के तहत छात्रों को विशेष रियायती ब्याज दरें मिल सकती हैं, क्योंकि इसे सरकार के द्वारा वित्तपोषित किया जाता है। इस योजना का उद्देश्य विद्यार्थियों को कम ब्याज दरों पर लोन प्रदान करना है, ताकि वे आसानी से अपनी शिक्षा को पूरा कर सकें। वहीं, एजुकेशन लोन में ब्याज दरें बैंक या वित्तीय संस्थान द्वारा तय की जाती हैं। हालांकि सरकार द्वारा प्रदान किए जाने वाले लोन पर भी कुछ रियायतें हो सकती हैं, लेकिन आमतौर पर ब्याज दर अधिक होती है।
पीएम विद्यालक्ष्मी योजना में छात्रों को एक ही जगह पर विभिन्न लोन और स्कॉलरशिप के लिए आवेदन करने का अवसर मिलता है। इसके लिए एक केंद्रीकृत ऑनलाइन पोर्टल की व्यवस्था की गई है, जहां से छात्र विभिन्न संस्थाओं के लोन और छात्रवृत्तियों के लिए आवेदन कर सकते हैं। वहीं, एजुकेशन लोन के लिए आवेदन प्रक्रिया अलग-अलग बैंकों में विभिन्न होती है। इसमें अधिकतर बैंक अपनी विशिष्ट पात्रता शर्तें और आवेदन प्रक्रिया रखते हैं। छात्रों को एक निश्चित बैंक से लोन प्राप्त करने के लिए उसके नियमों और शर्तों का पालन करना होता है।
पीएम विद्यालक्ष्मी योजना छात्रों को शिक्षा के विभिन्न खर्चों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जिसमें ट्यूशन फीस, रहने का खर्च, यात्रा खर्च, पुस्तकें, और लैपटॉप/ कंप्यूटर जैसी अन्य आवश्यकताओं को भी शामिल किया जाता है। वहीं, एजुकेशन लोन में बैंकों द्वारा छात्रों को मुख्य रूप से ट्यूशन फीस, कोचिंग फीस, किताबों के खर्च, हॉस्टल शुल्क, और अन्य संबंधित खर्चों को कवर किया जाता है। कुछ बैंकों द्वारा लैपटॉप और अन्य उपकरणों के लिए भी लोन प्रदान किया जाता है, लेकिन यह केवल कुछ बैंकों की नीतियों पर निर्भर करता है।
पीएम विद्यालक्ष्मी योजना के तहत लोन चुकाने की प्रक्रिया सरल और लचीली होती है। इसके साथ ही छात्रों को शिक्षा पूरी होने के बाद, या कुछ मामलों में शिक्षा के दौरान, लोन चुकाने में आसानी मिलती है। कुछ योजनाओं में रियायत दी जाती हैं और लोन चुकाने की अवधि लंबी हो सकती है। वहीं, एजुकेशन लोन के तहत लोन चुकाने की प्रक्रिया आमतौर पर छात्र के शिक्षा पूरी करने के बाद शुरू होती है। इसमें कुछ बैंकों द्वारा छात्र को एक "कूलिंग पीरियड" दिया जाता है, लेकिन यह लोन चुकाने के लिए कड़े नियमों के साथ आता है। इसके साथ ही ब्याज दरें भी लागू होती हैं।
पीएम विद्यालक्ष्मी योजना के तहत लोन की राशि छात्रों के शिक्षा संस्थान और पाठ्यक्रम के अनुसार निर्धारित की जाती है। यह योजना अधिकतर शैक्षिक जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त राशि प्रदान करती है। हालांकि, एजुकेशन लोन में लोन की राशि बैंक द्वारा तय की जाती है, और यह राशि आमतौर पर छात्रों की शैक्षिक जरूरतों के अनुसार होती है। कुछ मामलों में उच्च शिक्षा के लिए छात्रों को अधिक लोन राशि मिल सकती है।
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सीबीएसई ने 10वीं-12वीं के सिलेबस में की कटौती; जानें और क्या हुए बदलाव

  • छात्रों के रटने की आदत होगी कम
CBSE Board Exam 2025 : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 2025 की बोर्ड परीक्षाओं के लिए कक्षा 10 वीं और 12वीं के सिलेबस में 15% तक की कटौती की घोषणा की है। इंदौर में प्रिंसिपल समिट में की गई इस घोषणा का उद्देश्य गहन अध्ययन को प्राथमिकता देना और रटने की आदत को कम करना है।
घोषणा करते हुए सीबीएसई भोपाल के क्षेत्रीय अधिकारी विकास कुमार अग्रवाल ने जोर देकर कहा कि सिलेबस में कटौती बोर्ड के विकसित हो रहे शैक्षिक ढांचे के अनुरूप है, जिससे छात्रों को विषय-वस्तु के अत्यधिक बोझ के बिना अधिक व्यापक रूप से विषयों का पता लगाने का अवसर मिलता है।
40% आंतरिक मूल्यांकन वेटेज की होगी शुरूआत-
एक अन्य प्रमुख समायोजन में आंतरिक मूल्यांकन के लिए बढ़ा हुआ भार शामिल है, जो अब अंतिम ग्रेड का 40% होगा, जबकि शेष 60% अंतिम बोर्ड परीक्षाओं पर आधारित होगा। आंतरिक मूल्यांकन घटक में प्रोजेक्ट, असाइनमेंट और आवधिक परीक्षण शामिल हैं, जो अधिक संतुलित और निरंतर मूल्यांकन प्रणाली को बढ़ावा देते हैं। अग्रवाल ने टिप्पणी की कि इस परिवर्तन के परिणामस्वरूप स्थिर शिक्षा प्राप्त होगी और छात्रों को अपनी समझ को बेहतर ढंग से प्रदर्शित करने का अवसर मिलेगा।
कौशल आधारित प्रश्नों होगा फोकस-
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप, सीबीएसई व्यावहारिक ज्ञान और कौशल-आधारित शिक्षा को प्राथमिकता देने के लिए अपने परीक्षा पैटर्न को संशोधित कर रहा है। 2025 की बोर्ड परीक्षाओं के लिए प्रश्नपत्र का लगभग आधा हिस्सा छात्रों की सैद्धांतिक ज्ञान के बजाय वास्तविक जीवन के अनुप्रयोगों की समझ का परीक्षण करेगा।
प्रश्नपत्र के 50% फोकस को व्यावहारिक और लागू परिदृश्यों की ओर स्थानांतरित करके, सीबीएसई का उद्देश्य पारंपरिक रटने की शिक्षा के तरीकों से हटकर आलोचनात्मक सोच और वास्तविक दुनिया की समस्या समाधान कौशल को प्रोत्साहित करना है।
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मेडिकल कॉलेज रैगिंग मामला, 5 छात्र निलंबित

  • एक महीने तक अटेंड नहीं कर पाएंगे क्लास
रायपुर। पंडित जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में रैगिंग के आरोप में एमबीबीएस सेकंड ईयर के 5 छात्रों को निलंबित कर दिया गया है। 2023 बैच के इन छात्रों को अब एक महीने तक कक्षाओं और क्लीनिक पोस्टिंग से दूर रहना होगा। यह कदम एंटी रैगिंग कमेटी द्वारा की गई सुनवाई के बाद उठाया गया है। निलंबित छात्रों में अंशु जोशी, अक्षत जायसवाल, विकास टंडन, गौरव चंद्र महाली और आयुष गुप्ता शामिल हैं। कॉलेज के अधिष्ठाता द्वारा इस संबंध में एक पत्र जारी किया गया है।
यह रैगिंग की घटना बीते महीने हुई थी। इसके बाद, परिजनों ने नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) में शिकायत की और सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को उठाया, जिससे कॉलेज में हड़कंप मच गया। विवाद के बढ़ने पर, कॉलेज प्रशासन ने एंटी रैगिंग कमेटी को इस मामले की जांच सौंप दी। कमेटी ने जांच के बाद जूनियर छात्रों के आरोपों को सही पाया, जिसके आधार पर निलंबन की कार्रवाई की गई।
कॉलेज के डीन, डॉ. विवेक चौधरी ने बताया कि रैगिंग की घटना वार्षिकोत्सव के कार्यक्रम से शुरू हुई थी, जो बाद में बढ़ते-बढ़ते विवाद का रूप ले लिया। डॉ. चौधरी ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए दोनों पक्षों को समझाया गया था। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस कार्रवाई या कॉलेज से निकाल देना स्थायी समाधान नहीं हो सकता क्योंकि इससे छात्रों के भविष्य पर असर पड़ता है।
ऐसी खबरें हैं कि करीब 50 छात्रों के सिर मुंडवा दिए गए थे। इसके अलावा, एक वॉट्सएप ग्रुप बनाकर जूनियर लड़कियों से तस्वीरें मांगी जा रही थीं। छात्रों पर कई तुगलकी फरमान भी थोपे गए थे, जैसे कि बाल मुंडवाकर रखना, कॉलेज परिसर में फिट कपड़े न पहनना, सामान्य बैग इस्तेमाल करना, और स्टाइलिश जूते न पहनने का आदेश दिया गया था।
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कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए पूर्ण वित्तपोषित PHD कार्यक्रम शुरू किया

लंदन। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और ट्रिनिटी कॉलेज ने पूर्ण वित्तपोषित पीएचडी कार्यक्रमों के लिए 48 मिलियन पाउंड की घोषणा की है।
मानविकी और विज्ञान में पीएचडी शोध के लिए घटते वित्त पोषण स्रोतों के जवाब में, ट्रिनिटी कैम्ब्रिज रिसर्च स्टूडेंटशिप (TCRS) की स्थापना की गई। घरेलू और विदेशी छात्रों के अनुपात के आधार पर, कार्यक्रम 300 तक पूर्ण वित्तपोषित पीएचडी छात्रवृत्ति प्रदान करेगा।
कैम्ब्रिज में शिक्षा के लिए प्रो-वाइस-चांसलर प्रोफेसर भास्कर वीरा ने कहा, "अगर ब्रिटेन को शोध में वैश्विक नेता के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखने की उम्मीद है, तो उसे पीएचडी छात्रों की अगली पीढ़ी की मदद करनी चाहिए। हालाँकि हम वित्त पर चिंताजनक तनाव को स्वीकार करते हैं, हम विज्ञान और अनुसंधान में यूके सरकार के निवेश के माध्यम से स्नातकोत्तर शोध छात्रों को दिए गए समर्थन के लिए आभारी हैं।
नया कार्यक्रम अक्टूबर 2025 में छात्रों का समर्थन करना शुरू कर देगा; जो आवेदक 2025-2026 में पीएचडी कार्यक्रम में दाखिला लेना चाहते हैं, उन पर विचार किया जाएगा।
आवेदन कैसे करें-
चरण 1: अपने पाठ्यक्रम पृष्ठ पर जाएँ और 'अभी आवेदन करें' चुनें। इससे आवेदक पोर्टल खुल जाएगा।
चरण 2: आवेदक पोर्टल पर पंजीकरण करें या साइन इन करें।
चरण 3: प्रासंगिक आवेदन की समय सीमा तक अपना आवेदन पूरा करें और जमा करें।
चरण 4: अपने सहायक दस्तावेज़ अपलोड करें
चरण 5: आवेदन शुल्क का भुगतान करें या शुल्क में छूट दी गई है
चरण 6: आपके रेफ़री ने रेफ़री पोर्टल के माध्यम से अपने संदर्भ जमा किए हैं
प्रत्येक जिस कोर्स के लिए आप आवेदन करना चाहते हैं, उसके लिए अलग आवेदन पत्र के साथ-साथ अलग सहायक दस्तावेजों की आवश्यकता होती है।
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सेमीकंडक्टर सेक्टर 2026 तक भारत में 10 लाख रोजगार के अवसर पैदा करेगा : रिपोर्ट

नई दिल्ली। भारत के सेमीकंडक्टर सेक्टर का तेजी से विकास हो रहा है। आने वाले वर्षों में इस सेक्टर में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। हाल ही में आई एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, भारत सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग केंद्र बनने की ओर बढ़ चला है, इसी के साथ इस इंडस्ट्री में 2026 तक अलग-अलग सेक्टर में 10 लाख नौकरियों की डिमांड जेनेरेट होने का अनुमान है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस मांग में चिप सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन जैसी कैटेगरी शामिल हैं, जिसका लक्ष्य 3,00,000 रोजगार के अवसर पैदा करना है। वहीं, एटीएमपी (असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग और पैकेजिंग) से लगभग 2,00,000 नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है।
इसके अलावा, चिप डिजाइन, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, सिस्टम सर्किट और मैन्युफैक्चरिंग सप्लाई चेन मैनेजमेंट क्षेत्र भी ओपनिंग की उम्मीद है। एनएलबी सर्विसेज की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को 2026 तक सेमीकंडक्टर टैलेंट पाइपलाइन तैयार करने के लिए स्किल्ड वर्कफोर्स की आवश्यकता होगी। जिसमें इंजीनियर, ऑपरेटर, टेक्नीशियन, क्वालिटी कंट्रोल स्पेशलिस्ट, मटेरियल इंजीनियरिंग पद की नौकरियां शामिल होंगी।
एनएलबी सर्विसेज के सीईओ सचिन अलुग ने कहा, "भारत एक मजबूत सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए विश्व स्तरीय प्रतिभाओं को विकसित करने के महत्व को पहचानता है। भारत यह भी समझता है कि उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा इस प्रयास का आधार बनती है।"
उन्होंने कहा कि टैलेंट पाइपलाइन बनाने के लिए रीस्किलिंग (किसी और पद के लिए कुशल बनाना) और अपस्किलिंग (बेहतर प्रदर्शन के लिए कौशल सीखना) महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा, हर साल 5,00,000 प्रतिभाओं को अपस्किलिंग करने की भी आवश्यकता है।
वित्त वर्ष 2023 में भारत के सेमीकंडक्टर मार्केट का आकार 29.84 बिलियन डॉलर था। वित्त वर्ष 2031 तक इसके 79.20 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जिसमें 13.55 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) है।
सरकार ने सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग पहल की और जरूरी बजट आवंटित किया। निजी कंपनियों ने भी इस सेक्टर के निर्माण में निवेश करने में रुचि दिखाई। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्कफोर्स डेवलपमेंट प्रोग्राम और स्किल ट्रेनिंग टैलेंट की कमी को दूर करने में महत्वपूर्ण साबित होंगे। इसमें इंटर्नशिप के जरिए छात्रों के लिए रियल हैंड्स ऑन ट्रेनिंग शामिल है। अलुग ने कहा, "कुल मिलाकर, अगले 2-3 वर्षों में, हमें उम्मीद है कि स्किलिंग और रिस्किलिंग में निवेश 25 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा।"
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