राधा अष्टमी पर्व 31 अगस्त को मनाया जाएगा
18-Aug-2025 3:39:07 pm
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- राधारानी की कृपा पाने करें ये खास उपाय
राधा अष्टमी का पावन पर्व भगवान कृष्ण की प्रिय राधा रानी को समर्पित है। यह दिन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन राधा रानी का जन्म हुआ था। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष राधा अष्टमी का पर्व 31 अगस्त 2025, रविवार को मनाया जाएगा। मान्यता है कि राधा अष्टमी के दिन विधि-विधान से राधा रानी की पूजा करने से भक्तों पर उनकी विशेष कृपा बनी रहती है और जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। आइए जानते हैं कि इस खास दिन आप क्या उपाय कर सकते हैं।
राधा रानी की कृपा पाने के लिए करें ये खास उपाय:
राधा-कृष्ण की युगल पूजा:
राधा अष्टमी के दिन राधा और कृष्ण की एक साथ पूजा करें। उन्हें पीले वस्त्र पहनाएँ। पीले फूल, खासकर गुलाब के फूल चढ़ाएँ। ऐसा करने से दाम्पत्य जीवन में मधुरता आती है और प्रेम संबंध मजबूत होते हैं।
सोलह श्रृंगार अर्पित करें:
राधा रानी को सोलह श्रृंगार बहुत प्रिय हैं। इस दिन आप उन्हें सोलह श्रृंगार की वस्तुएँ अर्पित कर सकते हैं। पति-पत्नी के रिश्ते को मज़बूत बनाने और सौभाग्य प्राप्ति के लिए यह उपाय अत्यंत फलदायी माना जाता है।
खीर और मिश्री का भोग:
राधा रानी को खीर और मिश्री का भोग लगाएँ। पूजा के बाद, इस भोग को परिवार के सभी सदस्यों में प्रसाद के रूप में बाँट दें। ऐसा माना जाता है कि इससे घर में सुख-समृद्धि आती है।
राधा-कृष्ण मंत्रों का जाप:
पूजा करते समय श्री राधा-कृष्णाय नमः या राधे-राधे मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे मन को शांति मिलती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
दान करें:
राधा अष्टमी के दिन पीले वस्त्र दान करें, इससे दरिद्रता दूर होती है और घर में समृद्धि आती है।
गरीबों को भोजन कराएँ:
इस पावन दिन गरीबों और ज़रूरतमंदों को भोजन कराएँ या दान-पुण्य करें। ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और राधा रानी का आशीर्वाद बना रहता है।
पूजा विधि: दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ़ वस्त्र धारण करें। घर के मंदिर में राधा-कृष्ण की मूर्ति स्थापित करें। राधा रानी को फूल, रोली, चंदन, अक्षत, माला और तुलसी के पत्ते अर्पित करें। उन्हें पंचामृत से स्नान कराएँ। इसके बाद उन्हें नए वस्त्र और आभूषण पहनाएँ। आरती के बाद उन्हें भोग लगाएँ। भोग में दूध, दही, मक्खन, मिश्री और मक्खन चढ़ाएँ। राधा-कृष्ण के मंत्रों का जाप करें और राधा नाम का कीर्तन करें। दिन भर उपवास रखें और शाम को कथा सुनें या सुनाएँ। फलाहार से व्रत का पारण करें।
राधा अष्टमी का महत्व:
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राधारानी भक्ति, प्रेम और समर्पण की प्रतिमूर्ति हैं। राधा जी के बिना श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी मानी जाती है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन की हर समस्या का समाधान हो जाता है और भक्त को अपार सुख की प्राप्ति होती है।