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भाद्रपद मास की संकष्टी चतुर्थी आज

  • जानिए...शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
भाद्रपद कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी, जिसे भादवा चौथ या हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं, भगवान गणेश की विशेष कृपा पाने का अवसर है। इस व्रत को करने से जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं और मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। वर्ष 2025 में यह व्रत 12 अगस्त को रखा जाएगा, जिसमें गोधूलि बेला और चंद्रोदय की पूजा का विशेष महत्व है। परंपराओं के अनुसार, इस दिन की पूजा विधि और सही मुहूर्त का पालन करने से व्रती को पारिवारिक सुख-समृद्धि के साथ आध्यात्मिक लाभ भी प्राप्त होता है।
इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा-अर्चना के साथ व्रत रखने का भी विधान है। इस दिन पूजा और व्रत करने से जीवन के हर दुख दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस व्रत की कथा सुनने या पढ़ने से लोगों को मानसिक शांति मिलती है और जीवन में आने वाले कष्ट दूर होते हैं।
भादवा चौथ 2025 तिथि और समय-
व्रत आरंभ: 12 अगस्त 2025, प्रातः 8:40 बजे
व्रत समापन: 13 अगस्त 2025, प्रातः 6:35 बजे
शुभ पूजा मुहूर्त: 12 अगस्त, शाम 6:50 से 7:16 बजे तक
चंद्रोदय समय: रात्रि 8:59 बजे
भादवा चौथ पूजा विधि-
सुबह स्नान करके घर और मंदिर की सफाई करें।
दाएँ हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें।
लाल कपड़ा बिछाकर उस पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें।
भगवान का जल और पंचामृत से अभिषेक करें, उन्हें फूल, फल, मिठाई और दूर्वा अर्पित करें।
घी का दीपक जलाएँ और मंत्रों का जाप करें।
आरती के बाद व्रत कथा सुनें और भोग लगाएँ।
रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलें।
भादवा चौथ व्रत का महत्व-
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से विघ्न-बाधाएँ दूर होती हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। स्त्रियाँ विशेष रूप से संतान प्राप्ति और परिवार की सुख-शांति के लिए यह व्रत रखती हैं। कुछ स्थानों पर गाय-बछड़ों की भी पूजा की जाती है।
भादवा चौथ की पौराणिक कथा-
प्राचीन काल में नल नामक एक राजा अपनी सुंदर रानी दमयंती के साथ सुखपूर्वक रहते थे। लेकिन एक श्राप के कारण राजा नल अपना राज्य खो बैठे, महल लूट लिया गया और वे अपनी पत्नी से भी वियोग में पड़ गए। दुःखी रानी दमयंती वन में भटकते हुए महर्षि शरभंग से मिलीं। महर्षि ने उन्हें भाद्रपद कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने की सलाह दी और कहा कि भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा करने से पति-पत्नी का पुनर्मिलन होगा। दमयंती ने पूरी श्रद्धा से व्रत रखा, जिसके फलस्वरूप न केवल उन्हें अपने पति नल वापस मिले, बल्कि उन्हें एक पुत्र की भी प्राप्ति हुई। तभी से यह व्रत सभी कष्टों को दूर करने तथा विघ्नहर्ता भगवान गणेश की विशेष कृपा पाने का सर्वोत्तम उपाय माना जाता है।

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