धर्म समाज

गणेश चतुर्थी 27 अगस्त को, जानिए...पूजा का शुभ मुहूर्त

  • विघ्नहर्ता की उपासना करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और बिगड़े काम पूरे होते हैं
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है. हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व है और पूरे भारत में भक्तिभाव और धूमधाम के साथ यह पर्व मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता श्री गणेश जी का जन्म हुआ था. इसी वजह से यह त्योहार धूमधाम से 10 दिनों तक मनाया जाता है. जिसमें भक्त बप्पा को अपने घर लेकर आते हैं और उनकी विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, विघ्नहर्ता की उपासना करने से साधक के जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं और बिगड़े काम पूरे होते है. आइए आपको बताते हैं बप्पा का आगमन कब होगा और पूजा का सही समय|
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद महीने की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 26 अगस्त दोपहर 01 बजकर 54 मिनट से होगी. वहीं इसका समापन 27 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 44 मिनट पर होगा. पंचांग को देखते हुए गणेश चतुर्थी का त्योहार 27 अगस्त को शुरू होगा और इसी दिन गणेश जी की स्थापना की जाएगी. गणेश जी की स्थापना का सबसे शुभ समय मध्याह्न होता है, क्योंकि माना जाता है कि इसी समय भगवान गणेश का जन्म हुआ था. 27 अगस्त 2025 को मध्याह्न काल में गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11:05 बजे से दोपहर 01:40 बजे तक रहेगा|
गणेश चतुर्थी का त्योहार 27 अगस्त को मनाया जाएगा. लेकिन जो लोग गणेश चतुर्थी का व्रत करत हैं. वे 26 अगस्त दिन मंगलवार को व्रत करें. क्योंकि चतुर्थी तिथि को चंद्रमा की पूजा की जाती है, जो 26 अगस्त की रात को होगी. इसलिए गणेश चतुर्थी का व्रत 26 अगस्त को होगा और 27 अगस्त को बप्पा का घर पर आगमन होगा. पुराणों के अनुसार, गणेशजी का जन्म दोपहर के समय हुआ था और 27 तारीख को उदिया तिथि दोपहर तक रहने वाली है इसलिए गणेशजी की स्थापना और पूजा पाठ का कार्यक्रम 27 अगस्त को होगा|
गणेशजी की विधि विधान के साथ पूजा करने के बाद विसर्जन किया जाता है. ऐसे में आप 1.5, 3, 5, 7 या 10 दिन बाद गणपति का विसर्जन कर सकते हैं. अंतिम दिन (अनंत चतुर्दशी) को बप्पा को विदाई दी जाती है, और जल में प्रतिमा विसर्जित कर ‘गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ‘ के जयघोष होते हैं|
स्थापना करने की विधि-
गणेश जी को घर लाने से पहले पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ करें और उसे फूलों, रंगोली और अन्य सजावटी सामानों से सजाएं|
शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश की प्रतिमा एक वेदी पर स्थापित करे|
वेदी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं|
पूजा शुरू करने से पहले हाथ में जल, फूल और चावल लेकर व्रत या पूजा का संकल्प लें|
सबसे पहले 'ॐ गं गणपतये नमः' मंत्र का जाप करते हुए भगवान गणेश का आह्वान करें|
भगवान गणेश की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं|
स्नान के बाद उन्हें नए वस्त्र और आभूषण पहनाएं.
भगवान गणेश को उनका सबसे प्रिय भोग मोदक और लड्डू अर्पित करें.
इसके साथ ही उन्हें दूर्वा घास, लाल फूल और सिंदूर भी चढ़ाएं.
अंत में पूरे परिवार के साथ भगवान गणेश की आरती करें|

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