दुनिया-जगत

टेस्टिंग के लिए चीन ने लॉन्च किया नया सैटेलाइट

चीन ने परीक्षण के लिए एक नए सैटेलाइट को गुरुवार को सफलतापूर्वक लॉन्च किया. सरकारी मीडिया की खबर के अनुसार, 'शियान-11' सैटेलाइट  इनर मंगोलिया के गोबी रेगिस्तान में जिउक्वान 'सैटेलाइट लॉन्च सेंटर' से कुआइझोउ -1 ए वाहक रॉकेट  के जरिए प्रक्षेपित किया गया. हाल के दिनों में चीन ने अंतरिक्ष क्षेत्र में बढ़त बनाने के लिए कई सारी लॉन्चिंग की है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण चीनी स्पेस स्टेशन  के निर्माण को लेकर की गई लॉन्चिंग रही है

चाइना ग्लोबल टेलीविजन नेटवर्क (सीजीटीएन) की खबर के अनुसार, सैटेलाइट ने अपनी पूर्व निर्धारित कक्षा में प्रवेश कर लिया है. 'शियान-11' का निर्माण परीक्षण के लिए किया गया है, लेकिन सैटेलाइट के नवीनतम मिशन के उद्देश्य के संबंध में अभी तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है. चीनी सैटेलाइटों की एक और श्रृंखला है जिसे शिजियन कहा जाता है, उसका उपयोग टेक्नोलॉजी वेरिफिकेशन के लिए किया जाता है. इससे पहले अक्टूबर में 'शिजियन-21'  का प्रक्षेपण किया गया था. कुआइझोउ -1 ए वाहक रॉकेट तेज रफ्तार से अंतरिक्ष में सैटेलाइट को लॉन्च करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

उच्च क्षमता वाली तस्वीरें देने वाले सैटेलाइट लॉन्च किया
एक महीने पहले, चीन ने ठोस ईंधन से चलने वाले सस्ते एवं छोटे रॉकेट कुआझोउ-1 ए से एक ऑप्टिकल सुदूर संवेदी सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था. सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ ने खबर दी कि उसे उत्तर पश्चिमी गांसू प्रांत के जियाकुआन उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र से प्रक्षेपित किया गया. जिलिन-1 गावफेन 02 एफ सैटेलाइट को स्थानीय समयानुसार दो बजकर 19 मिनट पर कुआझोउ-1 ए रॉकेट लेकर रवाना हुआ और वह उपग्रह कक्षा में दाखिल हुआ. जिलिन-1 गावफेन 02 एक ऑप्टिकल सुदूर संवेदी सैटेलाइट है, जो बिल्कुल उच्च क्षमता वाली तस्वीरें एवं उच्च रफ्तार से आंकड़े दे सकता है.

अंतरिक्ष में पकड़ मजबूत कर रहा चीन
अंतरिक्ष क्षेत्र में चीन अमेरिका को पछाड़ना चाहता है. यही वजह है कि वह लगातार स्पेस में तरह-तरह के सैटेलाइट्स को लॉन्च कर रहा है. इसके अलावा, चीन खुद का स्पेस स्टेशन भी तैयार कर रहा है. इसकी मंशा अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने की है. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के रिटायर होने के बाद अंतरिक्ष में चीनी स्पेस स्टेशन ही एकमात्र स्पेस स्टेशन होने वाला है. हालांकि, कई बार चीन के इरादों को लेकर संदेह भी जताया जाता था. हाल ही में खबर आई कि चीन को पछाड़ने के लिए अमेरिका ने भी अब कमर कस ली है और वह अंतरिक्ष में स्पेस हाइवे बनाने की तैयारी कर रहा है |
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मैग्डेलेना बनी स्वीडन की पहली महिला प्रधानमंत्री

स्टॉकहोम:- स्वीडन की राजनीति में नया इतिहास रचा जा रहा है। यहां डेमोक्रेट नेता मैग्डेलेना एंडरसन को देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनाने को लेकर मंजूरी दे दी गई है। दरअसल, इस संबंध में संसद में मतदान किया गया, जो भारी बहुमत से पास हुआ। एंडरसन इस वक्त स्वीडन की वर्तमान वित्त मंत्री हैं। वह वर्तमान प्रधानमंत्री स्टीफन लोफवेन की जगह पद संभालेंगी। 
जानकारी के मुताबिक, स्वीडन की मैग्डेलेना एंडरसन प्रधानमंत्री स्टीफन लोफवेन की जगह कार्यभार संभालेंगी। उनके पक्ष में 117 वोट पड़े, जबकि विपक्ष में 174 वोट डाले गए। इस दौरान 57 सांसदों ने मतदान नहीं किया, जबकि सदन का एक सदस्य अनुपस्थित रहा। स्वीडन के सिस्टम के मुताबिक, प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को संसद में बहुमत हासिल करने की जरूरत नहीं होती है।
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इमरान ने माना कंगाल हो गया पाकिस्तान

इस्लामाबाद:- पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने आखिरकार स्वीकार कर लिया है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा चुकी है। देश कंगाली की राह पर पहुंच चुका है और सरकार के पास देश चलाने के लिए पैसा नहीं बचा है। एक कार्यक्रम के दौरान इमरान खान ने सार्वजनिक रूप से कहा कि सरकार के पास पैसा खत्म हो चुका है, इसलिए उसे दूसरे देशों से लोन लेना पड़ रहा है। 
इमरान खान ने कहा कि सरकार पर विदेशी कर्ज तेजी से बढ़ रहा है और टैक्स से प्राप्त होने वाला राजस्व घटता चला जा रहा है। ऐसे में यह कहीं न कहीं राष्ट्रीय सुरक्षा का भी मुद्दा बन चुका है। पाक पीएम ने कहा कि सरकार के पास कल्याणकारी योजनाएं चलाने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं बचे हैं। 

 

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अमेरिका में एक साल बाद कोरोना से फिर बिगड़े हालात

वाशिंगटन:- अमेरिका में कोरोना संक्रमण के मामले पिछले एक सप्ताह में 18 फीसदी की औसत दर से लगातार बढ़ रहे हैं। इस अवधि में संक्रमण के मामले 92,800 प्रतिदिन हैं। यह बढ़ोतरी देश के कई हिस्सों में देखी जा रही है जो पिछले साल कोविड-19 के उछाल के दौरान देखी जा रही थी। देश अभी भी 4.87 करोड़ संक्रमितों और 7.94 लाख मौतों के साथ दुनिया में पहली पायदान पर बना हुआ है। अमेरिका में स्वास्थ्य संक्रमण सेवाओं के निदेशक डॉ. एंथनी फॉसी ने इस सप्ताह बढ़ने वाले मामलों को लेकर पहले ही आगाह किया है। उन्होंने कहा, देश में टीकों की कमी नहीं है लेकिन कई लोग खुराक लेने से बच रहे हैं और क्रिसमस में सार्वजनिक जगहों पर खुलकर हिस्सा ले रहे हैं। इससे महामारी एक बार फिर पैर पसार सकती है।

 

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Apple ने पेगासस बनाने वाली कंपनी NSO पर किया केस

झूठा सच @ रायपुर / नई दिल्ली:-  स्पाईवेयर बनाने वाली पॉपुलर कंपनी NSO Group की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. Apple ने स्पाईवेयर मेकर NSO Group पर कोर्ट केस किया है. Apple ने ये केस iPhone और इसकी बनाई दूसरी डिवाइस को टारगेट करने के लिए किया है. Apple ने कहा कि Pegasus स्पाईवेयर स्कैंडल के लिए इजरायली कंपनी NSO Group को जिम्मेदार ठहराना चाहिए पिछले कुछ टाइम से NSO Group काफी विवादों में रहा है. इस पर आरोप है इसके बनाए Pegasus स्पाईवेयर से एक्टिविस्ट, जर्नलिस्ट और पॉलिटिशियन की जासूसी करवाई जा रही थी. कुछ समय पहले ही अमेरिकन ग्रुप्स और NSO ग्रुप के बीच संबंध पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.

Apple ने अपने स्टेटमेंट में बताया कि यूजर्स को नुकसान ना पहुंचे इसके लिए कंपनी NSO Group को किसी भी ऐपल सॉफ्टवेयर, सर्विस और डिवाइस से यूज करने से बैन लगाने की मांग की है. इसमें आगे बताया गया है कि NSO Group सॉफिस्टिकेटेड, स्टेट स्पॉन्सर्ड सर्विलांस टेक्नोलॉजी का यूज करके हाइली टारगेटेड स्पाईवेयर का यूज करके विक्टिम पर नजर रखते हैं.ये स्पाईवेयर डिवाइस को तब भी इन्फेक्ट कर सकता था जब यूजर ने किसी मैलेशियस लिंक या मैसेज पर क्लिक नहीं किया है. इसको लेकर ऐपल सितंबर में एक फिक्स भी जारी किया था. ऐपल की इस खामी को zero-click कहा जिससे टारगेटेड डिवाइस करप्ट हो जाता था.

इसे साइबर सिक्योरिटी वॉचडॉग Citizen Lab के रिसर्चर ने खोजा था. RICHMOND, Va. (AP) ने ये रिपोर्ट किया है कि Apple इजरायली स्पाईवेयर कंपनी NSO Group को अपने डिवाइस को क्रैक करने से रोकना चाहता है.Pegasus स्पाईवेयर को लेकर भारत में भी काफी विवाद हुआ था. इसके जरिए कई भारत के कई पत्रकारों पर नजर रखी गई. NSO Group के अनुसार ये अपने स्पाईवेयर को सिर्फ सरकार को ही बेचता है | 
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अमेरिका लोकतंत्र पर सम्मेलन, ताइवान को न्योता

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 'समिट फॉर डेमोक्रेसी' के लिए भारत समेत 110 देशों को आमंत्रित किया है. इसका आयोजन 9-10 दिसंबर को होगा. इस दौरान लोकतंत्र पर चर्चा की जाएगी. ये सम्मेलन इसलिए भी सबसे ज्यादा चर्चा में बना हुआ है, क्योंकि अमेरिका ने चीन को आमंत्रित नहीं किया है. वो भी तब, जब हाल ही में बाइडेन  और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने डिजिटल बैठक की थी. इससे भी बड़ी बात ये है कि अमेरिका ने ताइवान को न्योता भेजा है. जिससे चीन बौखला गया है.

ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन इसमें शामिल होंगी. मामले में चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के एडिटर इन चीफ हू शिजिन ने कहा है कि त्साई इंग-वेन को समिट फॉर डेमोक्रेसी में भाग लेने की अनुमति देना वन चाइना पॉलिसी के सिद्धांत का गंभीर उल्लंघन होगा. चीनी मुख्य भूमि कभी पीछे नहीं हटेगी और ताइवान जलडमरूमध्य में अभूतपूर्व तूफान आएंगे. ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि लोकतंत्र के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए अमेरिका ताइवान से किसे आमंत्रित करेगा? चीन को स्पष्ट करना चाहिए

अमेरिका के कदम को भूल बताया
सरकारी अखबार की तरफ से कहा गया है कि, हम (चीन) निश्चित रूप से ताइवान की क्षेत्रीय नेता त्साई को आमंत्रित करने के अमेरिका के फैसले को स्वीकार नहीं करेंगे . स्टेट काउंसिल में ताइवान मामलों के कार्यालय के प्रवक्ता झू फेंगलियान ने जो बाइडेन के इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे एक 'भूल' बताया है. अमेरिका की तरफ से चीन के अलावा रूस, नाटो के सदस्य देश तुर्की, दक्षिण एशियाई क्षेत्र के देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका को भी बुलावा नहीं भेजा गया है. ये जानकारी अमेरिकी विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर दी गई है. भारत की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सम्मेलन में हिस्सा लेंगे.

चीन से अलग हुआ था ताइवान
ताइवान एक गृह युद्ध के बाद साल 1949 में मुख्य भूभाग से राजनीतिक रूप से अलग हो गया था. चीन इस देश पर अपना दावा करता है. जबकि ताइवान खुद को स्वतंत्र देश बताता है. अमेरिका ताइवान को समर्थन देता है. चीन ताइवान पर दादागिरी दिखाने की पूरी कोशिश कर रहा है  उसने इस साल अपने राष्ट्रीय दिवस के बाद से यहां रिकॉर्ड संख्या में लड़ाकू विमान भेजने शुरू कर दिए हैं. चीन ताइवान पर कब्जा करना चाहता है. कुछ महीने पहले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि ताइवान को शांतिपूर्ण तरीके से चीन में मिला लिया जाएगा. हालांकि ताइवान ने उनके इस बयान का कड़ा विरोध किया था | 
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पाकिस्तान सरकार ने मसूद खान को अमेरिका में अपना राजदूत किया नियुक्त

पाकिस्तान ने अमेरिका में नए राजदूत की नियुक्ति की है। सरदार मसूद खान वाशिंगटन में पाकिस्तान के नए दूत बनेंगे। रिपोर्ट्स बताती हैं कि मसूद के आंतकी संबंध रहे हैं। आतंक और पाकिस्तान को लेकर कई किताब लिख चुकीं क्रिस्टीन फेयर ने कहा है कि मसूद का इस्लामवादियों के साथ काम करने का लंबा इतिहास रहा है। वह खतरनाक कट्टरपंथी है। बता दें कि मसूद जनवरी 2022 में मौजूदा पाकिस्तानी राजदूत असद मजीद खान की जगह लेंगे। क्रिस्टीन के मुताबिक मसूद हिजबुल मुजाहिदीन जैसे इस्लामी आतंकवादी संगठनों का एक सक्रिय समर्थक है जिसे ट्रंप प्रशासन ने 2017 में एक आतंकी संगठन के रूप में नामित किया था। पाकिस्तान के इस कदम से वाशिंगटन और नई दिल्ली के बीच भी दूरी बढ़ सकती है।

कई आतंकी गुटों का सपोर्ट करते हैं मसूद?

न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट बताती है कि मसूद कई आतंकी संगठन और आतंकी नेताओं का समर्थन करते हैं। इसमें फजलुर रहमान खलील जैसे नाम भी शामिल हैं। बता दें कि खलील देवबंदी हरकत उल मुजाहिदीन की स्थापना की थी। अमेरिका ने 1997 में इस संगठन को आतंकी संगठन के तौर पर नामित किया था। 2014 में खलील को आतंकी के रूप में नामित किया गया था। खलील को अल-कायदा के संग नजदीकी संबंध रखने के लिए भी जाना जाता है। इस सबके साथ ही मसूद कश्मीरी आतंकियों का गुणगान करते रहे हैं जिसमें बुरहान वानी जैसे नाम शामिल हैं।
 
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बस में लगी भीषण आग, बच्चों समेत 45 लोगों की मौत

बुल्गारिया के पश्चिमी हिस्से में मंगलवार को एक हाइवे पर उत्तरी मैसेडोनियाई नंबर प्लेट वालीएक बस में भीषण आग लग गई. आग लगने की इस घटना में कम से कम 45 लोगों की मौत हो गई है. मरने वाले लोगों में बच्चे भी शामिल हैं. आग की चपेट में झुलसने वाले सात लोगों को राजधानी सोफिया  के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है. गृह मंत्रालय में अग्नि सुरक्षा विभाग के प्रमुख निकोलाई निकोलोवी ने बीटीवी टेलीविजन को इसकी जानकारी दी. बताया गया है कि मरने वाले लोगों में नॉर्थ मैसेडोनिया के लोग भी शामिल हैं.

निकोलाई निकालोवी ने कहा कि एक बस में आग लगने और क्रैश होने की वजह से कम से कम 45 लोगों की मौत हो गई. उन्होंने कहा कि आग लगने की ये घटना स्थानीय समयानुसार तड़के दो बजे हुई. सोफिया में नॉर्थ मैसेडोनिया के दूतावास के एक अधिकारी ने बताया कि घटना का शिकार हुए अधिकतर पीड़ित नॉर्थ मैसेडोनिया के नागरिक थे. अधिकारी ने कहा कि अभी तक आग लगने की घटना का पता नहीं चल पाया है. वहीं, ये भी पता नहीं चल पाया है कि आग क्रैश से पहले लगी या फिर बाद में फिलहाल घटना वाली जगह को सील कर दिया गया |

 

 
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क्रिसमस परेड में शामिल लोगों पर चढ़ी कार, 5 की मौत

वाशिंगटन:- अमेरिका के विस्कॉन्सिन में एक एसयूवी गाड़ी क्रिसमस परेड में घुस गई, जिसमें 5 लोगों की मौत और 40 लोग घायल हो गए। पुलिस अधिकारी इस घटना की हर स्तर से जांच में जुट गए हैं। घटना शाम 4:30 बजे उस वक्त हुई जब वोकेशा के मिल्वौकी में बड़ी संख्या में लोग वार्षिक समारोह देखने के लिए आए थे।
पुलिस प्रमुख डैन थॉम्पसन ने जानकारी देते हुए बताया कि एक लाल रंग की एसयूवी क्रिसमस की परेड में घुस गई। कार की रफ्तार इतनी तेज थी कि इसने 20 से ज्यादा लोगों को टक्कर मारी, जिनमें कुछ बच्चे भी शामिल थे। इस घटना में पांच लोगों की मौत हो गई, जबकि कई जख्मी हो गए, जिनका इलाज चल रहा है।

 

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हांगकांग के निजी स्कूलों में फहराया जाएगा चीनी झंडा

बीजिंग:- हांगकांग पर अपनी पकड़ और मजबूत करने के लिए चीन ने अब नई चाल चली है। अब हांगकाग के निजी स्कूलों के लिए नया कानून पारित किया गया है। इस कानून के तहत निजी स्कूलों को चीन का झंडा फहराना और चीन का राष्ट्रगान गाना अनिवार्य होगा। अमेरिका के वॉयस ऑफ अमेरिका ने एक सरकारी अधिकारी के हवाले से लिखा कि इस नए कानून का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा को बढ़ावा देना और छात्रों में राष्ट्रीय भावना को विकसित करना है। इस बयान में कहा गया है कि राष्ट्रगान से जुड़े नियम के जरिए छात्रों में चीनी लोगों के प्रति लगाव और राष्ट्र भावना को बढ़ाया जाएगा। वहीं विशेषज्ञों ने इस कानून को हांगकांग के लिए खतरनाक बताया है।

 

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चीन ने अलीबाबा समेत कई कंपनियों पर लगाया जुर्माना

बीजिंग:- चीन में सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ने एकाधिकार विरोधी कार्रवाई के तहत अलीबाबा समूह और टेनसेंट होल्डिंग्स सहित कई बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों पर कॉरपोरेट अधिग्रहण की सूचना देने में विफल रहने के चलते शनिवार को जुर्माना लगाया।
स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन फॉर मार्केट रेगुलेशन के अनुसार ये कंपनियां परिचालन केंद्रीकरण के नियमों के तहत आठ साल पहले हुए 43 अधिग्रहणों की सूचना देने में विफल रहीं। बयान में कहा गया कि प्रत्येक उल्लंघन में पांच लाख युआन (59 लाख रुपये)का जुर्माना लगाया गया। बीजिंग ने 2020 के अंत से तकनीकी कंपनियों पर एकाधिकार विरोधी, डेटा सुरक्षा और अन्य कार्रवाई शुरू की है।
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अमेरिकी सांसद ने किया कृषि कानून वापस लेने का स्वागत

वाशिंगटन:- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन कृषि कानून वापस लेने की घोषणा करने के बाद अब विदेशी नेताओं की भी प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं। इसी क्रम में अमेरिकी सांसद एंडी लेविन ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि यह इस बात का सबूत है कि भारत और दुनिया भर में जब श्रमिक एकजुट होते हैं, तो वे कॉर्पोरेट हितों को हरा सकते हैं और प्रगति हासिल कर सकते हैं। एंडी लेविन ने कहा कि हमें यह जानकर खुशी हुई कि एक साल से अधिक के विरोध के बाद, आखिर भारत में तीन कृषि बिलों को निरस्त करने का ऐलान किया गया।

 

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कुलभूषण जाधव को नहीं मिल रही कोई राहत

इस्लामाबाद:- पाकिस्तान के कानून मंत्री फरोग नसीम ने विपक्ष के उस आरोप को खारिज कर दिया जिसमें कहा जा रहा था कि मौत की सजा पाए भारतीय कुलभूषण जाधव को समीक्षा का अधिकार देने वाला नया कानून किसी व्यक्ति विशेष के लिए लाया गया है। फरोग नसीम ने कहा कि यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा और देश की लाल-रेखा से जुड़ा है। नसीम ने इस्लामाबाद में संवाददाताओं से कहा कि विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोप बिल्कुल गलत हैं। उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (समीक्षा एवं पुनर्विचार) विधेयक किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं है और कानून के दायरे में आने वाले किसी भी व्यक्ति पर लागू होगा। पाकिस्तान सरकार द्वारा लाए गए कानून से जाधव को अपनी सजा के विरुद्ध अपील करने की अनुमति मिल सकती है।
 

 

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अमेरिका ने खारिज की तालिबान की अपील

वाशिंगटन:- अमेरिका ने तालिबान को अफगान संपत्ति जारी करने की अपील को खारिज कर दिया है। अमेरिका ने कहा कि काबुल में जबतक सत्ता अस्तित्व में नहीं आ जाती तब तक संपत्ति जारी नहीं की जाएगी। अफगानिस्तान में अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि थॉमस वेस्ट ने एक बयान में कहा कि वाशिंगटन ने साफ कर दिया कि अगर तालिबान सैन्य बल द्वारा सत्ता हासिल करने का दावा करता है, तो उसे महत्वपूर्ण गैर-मानवीय सहायता में कटौती की जारी रहेगी। बीते दिनों तालिबान ने कहा था कि अफगानिस्तान में आर्थिक उथल-पुथल से विदेश में परेशानी का कारण बन सकती है। तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने अमेरिका को खत लिखकर फंड जारी करने की मांग की थी। तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने अफगानिस्तान के सामने सबसे बड़ी चुनौती वित्तीय असुरक्षा की थी और इस चिंता के पीछे की जड़ें अमेरिकी सरकार द्वारा हमारे लोगों की संपत्ति को फ्रीज करना है।

 

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खराब दौर से गुजर रहे है भारत, चीन संबंध: एस जयशंकर

सिंगापुर:- विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन अपने संबंधों को लेकर 'विशेषतौर पर खराब दौर' से गुजर रहे हैं क्योंकि बीजिंग ने समझौतों का उल्लंघन करते हुए कुछ ऐसी गतिविधियां कीं जिनके पीछे उसके पास अब तक 'विश्वसनीय स्पष्टीकरण' नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन के नेतृत्व कोइस बात का जवाब देना चाहिए कि द्विपक्षीय संबंधों को वे किस ओर ले जाना चाहते हैं। यहां ब्लूमबर्ग न्यू इकोनॉमिक फोरम में 'वृहद सत्ता प्रतिस्पर्धा उभरती हुई विश्व व्यवस्था' विषय पर आयोजित गोष्ठी में एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि चीन को इस बारे में कोई संदेह है कि हमारे संबंधों में हम किस मुकाम पर खड़े हैं और क्या गड़बड़ है। मेरे समकक्ष वांग यी के साथ मेरी कई बार मुलाकात हुई हैं। जैसा कि आपने भी यह महसूस किया होगा कि मैं बिलकुल स्पष्ट बात करता हूं, अत: समझा जा सकता है कि स्पष्टवादिता की कोई कमी नहीं है। यदि वे इसे सुनना चाहते हैं तो मुझे पूरा भरोसा है कि उन्होंने सुना होगा।'

 

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शीतकालीन ओलिंपिक खेलों में अमेरिका कर सकता है राजनयिक बहिष्‍का

झूठा सच@एजेंसी :- 2022 में चीन के पेइचिंग में होने वाले शीतकालीन ओलिंपिक खेलों का राजनयिक बहिष्‍कार करने पर अमेरिका विचार कर रहा है। राजनयिक बहिष्‍कार के बाद अमरीका इन खेलों में आधिकारिक सरकारी प्रतिनिधिमंडल नहीं भेजेगा, लेकिन अमरीकी खिलाड़ि‍यों को भाग लेने की अनुमति होगी। मानवाधिकार समर्थकों ने चीन को मानवाधिकार के खराब रिकॉर्ड के लिए जिम्‍मेदार ठहराते हुए विभिन्‍न देशों से इन खेलों में भाग न लेने की अपील की है । मानवाधिकार समर्थक पेइचिंग ओलिंपिक खेलों को नरसंहार खेल बता रहे हैं। चीन सरकार के अधिकारियों ने किसी भी बड़े बहिष्‍कार के विरुद्ध कड़े जवाब की चेतावनी दी है।
 
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पाकिस्तान में बलात्कार करने वाले को बनाया जाएगा नपुंसक

  • संसद में पारित हुआ नया कानून
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में कई दुष्कर्मों के दोषी यौन अपराधियों को संसद द्वारा एक नया कानून पारित करने के बाद रासायनिक तरीकों से नपुंसक बनाए जाने का सामना करना पड़ सकता है। इस कदम का उद्देश्य सजा में तेजी लाना और कड़ी सजा देना है यह विधेयक देश में महिलाओं और बच्चों के साथ दुष्कर्म की घटनाओं में हालिया वृद्धि और अपराध पर प्रभावी रूप से अंकुश लगाने की बढ़ती मांगों के खिलाफ सार्वजनिक आक्रोश के फलस्वरूप लाया गया है। राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के पाकिस्तानी मंत्रिमंडल द्वारा पारित अध्यादेश पर मुहर लगाने के लगभग एक साल बाद यह विधेयक पारित हुआ है।

 

 

 

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दुबई ने विदेशी कामगारों के लिए किया ये बड़ा ऐलान

संयुक्त अरब अमीरात में आर्थिक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए दुबई ने विदेशी कामगारों के लिए बड़ा ऐलान किया है। दुबई ने अमीरात में स्थित फर्मों में काम करने वाले विदेशी कर्मचारियों के लिए मल्टीपल एंट्री वीजा जारी करने का ऐलान किया है। इस वीजा की अवधि 5 साल की होगी। सात अमीरातों के एक महासंघ, संयुक्त अरब अमीरात ने भी इस सप्ताह नए निजी क्षेत्र के श्रम कानूनों में भारी फेरबदल की है। इससे श्रमिकों के पासपोर्ट को अब वहां की कंपनियां जब्त नहीं कर पाएंगी। ये कानून अगले साल फरवरी से प्रभावी होने वाले हैं।

यूएई ने क्यों लागू किया श्रम सुधार कानून
कोरोना वायरस महामारी ने संयुक्त अरब अमीरात की अर्थव्यवस्था को भी काफी बड़ा नुकसान पहुंचाया है। इस कारण यूएई अर्थव्यवस्था को उबरने में मदद करने के लिए निवेश और विदेशियों को आकर्षित करने में जुटा हुआ है। इसी कारण यूएई ने लंबी अवधि के रेजिडेंसी वीजा सहित आर्थिक और कानूनी सुधारों की शुरुआत की है। इसके अलावा यूएई इस क्षेत्र में बड़ा व्यापारिक केंद्र बनने की रेस में सऊदी अरब को पछाड़ने की भी कोशिश कर रहा है

दुबई के क्राउन प्रिंस ने की तारीफ
दुबई के क्राउन प्रिंस ने कहा कि पांच साल का मल्टीपल एंट्री वीजा दुबई स्थित कंपनियों के कर्मचारियों को बैठकों और अन्य व्यावसायिक जरूरतों के लिए आसानी से अमीरात में और बाहर जाने में मदद करेगा। इससे पहले यूएई ने कोविड वैक्सीन की पूरी डोज लगवाने वाले यात्रियों के लिए अपने देश के दरवाजों को भी खोल दिया है। इससे भारत के लाखों कामगारों को भी फायदा होने की उम्मीद है।

यूएई के मानव संसाधन और अमीरात मंत्री अब्दुलरहमान अल -आवर ने कहा कि संघीय स्तर पर, सोमवार को घोषित एक नए श्रम कानून का ऐलान किया गया है। इसका उद्देश्य यूएई को एक कुशल श्रम बाजार बनाना, प्रतिभा को आकर्षित करना, महिलाओं को सशक्त बनाना और प्रवासी श्रमिकों के वर्चस्व वाले निजी क्षेत्र में अमीराती नागरिकों की तुलना में सुधार करना है। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि इसका एक प्रावधान कंपनियों को अपने कर्मचारियों के पासपोर्ट को जबरन बंधन बनाने से रोकता है।

लाखों भारतीय कामगारों को होगा फायदा
मंत्रालय ने यह भी कहा कि जब यह कानून लागू हो जाएगा, तब से कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद कामगारों को जबरदस्ती यूएई को छोड़ना नहीं पड़ेगा। कई मानवाधिकार समूहों ने लंबे समय से यूएई के श्रम सुधारों को लेकर संघर्ष भी किया है। जिसके बाद यूएई ने अब इन कानूनों में सुधार किया है।
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