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पद्मनाभ स्वामी मंदिर ट्रस्ट की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज

झूठा सच @रायपुर / नई दिल्ली:-  केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में मशहूर पद्मनाभ स्वामी मंदिर ट्रस्ट का भी ऑडिट होगा. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि ट्रस्ट को ऑडिट से छूट नहीं मिल सकती. कोर्ट ने स्पष्ट करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2020 में सुनाया गया आदेश मंदिर ही नहीं ट्रस्ट पर भी लागू है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि अगले तीन महीने में मंदिर और ट्रस्ट का ऑडिट पूरा किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने ट्रस्ट को 25 साल तक ऑडिट किये जाने के आदेश से छूट की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है.SC ने पिछले 25 वर्षों में मंदिर की आमदनी और खर्च के ऑडिट का आदेश दिया था. न्यायमूर्ति यू यू ललित, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि ऑडिट को जल्द से जल्द पूरी किया जाए और यदि संभव हो तो यह तीन महीने में ही पूरी हो जानी चाहिए.

पीठ ने कहा, ''यह स्पष्ट है कि विचाराधीन ऑडिट का उद्देश्य केवल मंदिर तक ही सीमित नहीं था बल्कि न्यास से भी संबंधित था. इस निर्देश को 2015 के आदेश में दर्ज मामले में न्याय मित्र की रिपोर्ट के नजरिए से देखा जाना चाहिए.''दरअसल इन दिनों पद्मनाभ स्वामी मंदिर गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहा है. मंदिर को मिल रहा चढ़ावा इसकी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है. सुनवाई के दौरान पद्मनाभ स्वामी मंदिर की प्रशासनिक समिति ने सुप्रीम कोर्ट को ये जानकारी दी थी.प्रशासनिक समिति की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील आर बसंत ने कोर्ट को कहा था कि केरल में सभी मंदिर बंद हैं. बंद की हालत में भी इस मंदिर के रख रखाव, वेतन, भोग राग सेवा, पूजा का मासिक खर्च सवा करोड़ रुपये के आसपास है. जबकि हमें चढ़ावे के तौर पर महज 60-70 लाख रुपये ही मिल पा रहे हैं. ऐसी सूरत में मंदिर का कामकाज सुचारू रूप से चलाना संभव नहीं है. लिहाज़ा ट्रस्ट के योगदान की भी ज़रूरत है.

प्रशासनिक समिति ने ट्रस्ट के ऑडिट की मांग करते हुए आरोप लगाया कि ट्रस्ट ऑडिट के लिए अपने रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं करा पा रहा है. ट्रस्ट कोर्ट के आदेश पर बनाया गया है- लिहाजा उसे भी मंदिर को अपना योगदान देना चाहिए. 2013 की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक ट्रस्ट के पास 2.87 करोड़ रुपये कैश और 1.95 करोड़ रुपये की सम्पति है. इसलिए सही सही रकम का अंदाजा लगाने के लिए ऑडिट की जरूरत है.वहीं, दूसरी ओर ट्रस्ट की ओर से पेश हुए अरविंद दत्तार ने कहा कि ट्रस्ट के ऑडिट की ज़रूरत नहीं है. ये शाही परिवार की ओर से संचालित पब्लिक ट्रस्ट है. मंदिर के प्रशासन से इसका कोई लेना देना नहीं है. बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासनिक कमेटी और ट्रस्ट की दलीलें सुनने के बाद ट्रस्ट की उस अर्जी पर फैसला सुरक्षित रख लिया जिसमें उसने पिछले साल कोर्ट की ओर से 25 साल के ऑडिट किये जाने के आदेश से छूट की मांग की थी. उसे सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है |

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