झूठा सच @ गाजियाबाद :- मुरादनगर के हिसाली गांव में जब शहीद जवान अमरीश त्यागी का पार्थिव शरीर 16 साल बाद घर पहुंचा तो पहली बार अपने पिता को देखकर बेटी ईशू फफक कर रो पड़ी। दरअसल, उसने पहली बार अपने पिता को देखा था। जब वो गर्भ में थी, तब 2005 में अमरीश त्यागी शहीद हो गए थे। अमरिश की शहादत के बाद ईशू का जन्म हुआ। वो फोटो में पिता को देखी थी या फिर मां ने जैसा बताया, वो छवि उसके दिलोदिमाग में थी। ईशू को पहली बार पिता को देखने का मौका भी मिला तो पार्थिव शरीर के रूप में।
सालों तक घर वालों की उम्मीद रही कि शायद अमरिश एक दिन घर आ जाएंगे। लेकिन, एक-एक साल करके जब 10 साल गुजर गए तो लगा कि अब वे नहीं आएंगे। भारतीय सेना ने भी शहीद मानकर अमरिश के परिवार को मृत्यु प्रमाण पत्र दे दिया था। फिर भी अमरिश की पत्नी और बेटी को लगता था कि एक दिन वे जरूर आएंगे। वाकई, 16 साल बाद ही अमरिश आए मगर तिरंगा में लिपटे हुए।
अमरीश 23 अक्टूबर, 2005 को सियाचीन से लौटते समय उत्तराखंड के हरशील की खाई में गिर गए थे। उनके साथ हादसे में शहीद हुए 3 जवानों के शव तो मिल गए थे लेकिन उनका कोई पता नहीं चल पाया था। अब 2 दिन पहले बर्फ पिघलने से एक शव दिखा था। इसके बाद कपड़े और कुछ पेपरों के आधार पर शव की पहचान अमरीश के रूप में की गई।