धर्म समाज

मन को स्वस्थ बनाए रखने फॉलो करें भगवद गीता के ये टिप्स

नई दिल्ली। श्री भगवत गीता हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथों में से एक है। यह संवाद धर्म, कर्म, भक्ति और ज्ञान पर आधारित है। दरअसल भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन का मनोबल बढ़ाने के लिए गीता का उपदेश दिया था। भगवत गीता ज्ञान, भक्ति और कर्म के माध्यम से मोक्ष प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती है। यह 18 अध्यायों में विभाजित है और इसमें कुल 700 श्लोक हैं। हम आपको बताते हैं कि यह भगवद-गीता का सारांश है। अर्जुन के मन में संदेह और असमंजस को देखकर श्रीकृष्ण ने उन्हें उपदेश के माध्यम से यह बात समझाने का प्रयास किया। इस गीता में ज्ञान, कर्म और भक्ति के सिद्धांतों का वर्णन किया गया है।
गीता का मुख्य उपदेश कर्मयोग है।
मुख्य शिक्षाओं में से एक है कर्मयोग की शिक्षा। दरअसल, वे कहते हैं कि जीवन में कार्य करना बेहद जरूरी है, लेकिन परिणाम की इच्छा किए बिना। भगवान ने कहा कि सभी को अपना कर्म करते रहना चाहिए और फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। इसके फलस्वरूप व्यक्ति का मन शांत रहता है और वह अपना कार्य निष्ठापूर्वक करता है।
इससे हम जीवन में किसी भी परिस्थिति में धैर्य रख सकते हैं। इससे हमें अपने कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
कर्मयोग के माध्यम से व्यक्ति स्वयं को समर्पित कर देता है। वह सिर्फ काम करने के लिए काम करता है और परिणाम की परवाह नहीं करता। इससे उनका मन शांत और स्थिर रहता है।
कर्मयोग से बुद्धि का विकास होता है। इस तरह आप समानता और संतुलन का अनुभव करेंगे।
कर्मयोग का पालन करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति में सहायता मिलती है। वह स्वयं को ईश्वर को समर्पित करके सफल होना चाहता है।
गीता के अनुसार व्यक्ति को समाज की सेवा करनी चाहिए, जो सबसे बड़ा पुण्य कार्य है। इससे भगवान शीघ्र प्रसन्न होकर साधक को फल देते हैं।
इसके अलावा, गीता में कहा गया है कि सही काम व्यक्ति को मानसिक और आध्यात्मिक शांति देता है।

Leave Your Comment

Click to reload image

Jhutha Sach News

news in hindi

news india

news live

news today

today breaking news

latest news

Aaj ki taaza khabar

Jhootha Sach
Jhootha Sach News
Breaking news
Jhutha Sach news raipur in Chhattisgarh