धर्म समाज

वरुथिनी एकादशी 4 मई को, जानिए...संपूर्ण विधि और नियम

हिंदू धर्म में व्रत त्योहारों की कमी नहीं है लेकिन एकादशी व्रत को विशेष माना गया है जो कि हर माह के दोनों पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाया जाता है इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा और व्रत की जाती है माना जाता है कि एकादशी के दिन पूजा पाठ और व्रत करने से प्रभु की कृपा प्राप्त होती है।
पंचांग के अनुसार हर साल वैशाख मास के कृष्ण पख की दशमी तिथि के अगले दिन वरुथिनी एकादशी का व्रत किया जाता है इस बार यह व्रत 4 मई को पड़ रहा है इस दिन व्रत करने से साधक को पुण्य की प्राप्त होती है और उसके सभी पाप व बुराईयों का नाश हो जाता है। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा वरुथिनी एकादशी की संपूर्ण पूजा विधि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
वरुथिनी एकादशी की तारीख और मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 3 मई को देर रात 11 बजकर 24 मिनट से आरंभ हो रही है और इसका समापन 4 मई को रात 8 बजकर 38 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में उदया तिथि की माने तो 4 मई के दिन ही वरुथिनी एकादशी का व्रत पूजन किया जाएगा।
इस विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा-
वरुथिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान विष्णु को प्रणाम कर अपने दिन का आरंभ करें इसके बाद घर की साफ सफाई करें और गंगाजल युक्त पानी से सन करें अब आचमन कर व्रत का संकल्प करें। फिर पीले वस्त्रों को धारण कर सूर्येदेव को जल अर्पित करें इसके बाद घर में पंचोपचार कर विधिवत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें भगवान को पीले पुष्प, फल, हल्दी, चंदन, अक्षत, खीर अर्पित करें इसके बाद भगवान विष्णु की चालीसा, कवच और स्तोत्र का भक्ति भाव से पाठ करें भगवान की आरती करें और सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना करें। शाम के वक्त भगवान की पूजा और आरती करके फलाहार ग्रहण करें अगले दिन शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें।

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